आज बहुत से चर्च दावा करते हैं कि वे परमेश्वर का वचन सुनते हैं। वास्तव में, वे परमेश्वर के वचन का अर्थ नहीं समझते। बाइबल कहती है कि वे ऊंचा सुनते हैं। हमारे बारे में क्या? हमारे पास देखने के लिए आंखें हैं, सुनने के लिए कान हैं और समझने के लिए मन हैं। परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए, आइए हम बाइबल के द्वारा ऊंचे कान के अर्थ को देखें।
जो दूसरा कहता है उसे धीरे से समझने वाले व्यक्ति के बारे में लोग अक्सर ऐसा कहते हैं, “उसके कान खराब हैं।” इसी तरह, जो परमेश्वर कहते हैं उसे न समझने वाले व्यक्ति के बारे में बाइबल ऐसा कहती है, “उसके पास ऊंचा सुनने वाले कान हैं।”
हमारे आसपास में बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हैं, परंतु वे परमेश्वर की इच्छा को नहीं समझ पाते और उसे गलत तरीके से लेते हैं। परमेश्वर ने कहा, “तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना।”(निर्ग 20:8) हालांकि, वे परमेश्वर के वचन को न समझने के कारण किसी और दिन को मनाते हैं। इसलिए बाइबल कहती है कि उनके पास ऊंचा सुनने वाले कान हैं।
मैं किससे बोलूं और किसको चिताकर कहूं कि वे मानें? देख, ये ऊंचा सुनते हैं, वे ध्यान भी नहीं दे सकते; देख, यहोवा के वचन की वे निन्दा करते और उसे नहीं चाहते हैं। इस कारण यहोवा का कोप मेरे मन में भर गया है; मैं उसे रोकते रोकते उकता गया हूं। “बाजारों में बच्चों पर और जवानों की सभा में भी उसे उंडेल दे; क्योंकि पति अपनी पत्नी के साथ और अधेड़ बूढ़े के साथ पकड़ा जाएगा… यिर्म 6:10–15
बाइबल के द्वारा, परमेश्वर ने हमें सत्य और उद्धार का मार्ग दिखाया। हालांकि, जो ऊंचा सुनते हैं वे परमेश्वर की सच्ची इच्छा को नहीं समझते। वे परमेश्वर के वचनों का पालन करने के लिए चिंतित नहीं रहते और परमेश्वर के वचनों को फटकार समझते हैं और उसे सुनना नहीं चाहते। इस कारण परमेश्वर का कोप उन पर भड़क उठा, और उसने कहा कि वह उसे और ज्यादा नहीं रोक सकता।
आज के चर्चों को देखिए! क्या वे परमेश्वर के वचनों का पालन करते हैं? अगर वे पालन करते, तो वे कैसे यह वचन, “मूर्तिपूजा न करना” या “तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना” अनदेखा कर सकते हैं? अगर वे पालन करते, तो वे कैसे परमेश्वर के पवित्र पर्वों से आसानी से दूर हो जाते हैं?
हे बहिरो, सुनो; हे अंधो, आंख खोलो कि तुम देख सको! मेरे दास के सिवाय कौन अंधा है? मेरे भेजे हुए दूत के तुल्य कौन बहिरा है? मेरे मित्र के समान कौन अंधा या यहोवा के दास के तुल्य अंधा कौन है? तू बहुत सी बातों पर दृष्टि करता है परन्तु उन्हें देखता नहीं है; कान तो खुले हैं परन्तु सुनता नहीं है। यश 42:18–20
और उनके विषय में यशायाह की यह भविष्यद्वाणी पूरी होती है: ‘तुम कानों से तो सुनोगे, पर समझोगे नहीं; और आंखों से तो देखोगे, पर तुम्हें न सूझेगा। क्योंकि इन लोगों का मन मोटा हो गया है, और वे कानों से ऊंचा सुनते हैं और उन्होंने अपनी आंखें मूंद ली हैं; कहीं ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें, और कानों से सुनें और मन से समझें, और फिर जाएं, और मैं उन्हें चंगा करूं।’ पर धन्य हैं तुम्हारी आंखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान कि वे सुनते हैं। मत 13:14–17
जो लोग ऊंचा सुनते हैं वे परमेश्वर के वचन पर कान नहीं लगाते और उस पर ध्यान नहीं देते। वे आत्मिक रूप में बहिरे हैं जो परमेश्वर की सुनने से इन्कार करते हैं। वे सिर्फ ऊंचा सुननेवाले बहिरे नहीं, बल्कि आत्मिक रूप में अन्धे भी हैं जो परमेश्वर के वचन को नहीं देख सकते। इसलिए चाहे वे सुनें, उनकी समझ में कुछ भी न आएगा, और चाहे वे देखें, उन्हें कुछ भी न सूझ पाएगा।
हालांकि, परमेश्वर के लोगों के पास परमेश्वर की आवाज सुनने के लिए कान हैं। इसलिए बाइबल कहती है कि मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं। बहुमूल्य सत्य के वचन देखना और सुनना सचमुच बहुत आशीषित है।
यीशु ने पहले से ही आत्मिक बहिरों का अंत इस प्रकार बताया:
“जो मुझ से, हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूंगा, ‘मैंने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।’ ” मत 7:21–23
अगर वे परमेश्वर का शब्द सुनते, तो वे पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर को पहचानते, जो इस पृथ्वी पर आए हैं, और उनकी आवाज सुनते और नई वाचा के सभी पर्व मनाते, जैसा हम मनाते हैं।
हालांकि, वे सारी सच्चाई को अस्वीकार करते हैं; भले ही वे बहुत सारी बातें सुनते हैं, वे ध्यान नहीं देते। यह इसलिए है क्योंकि वे ऊंचा सुनते हैं। इसलिए, यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा कि भले ही वे जोर से ‘प्रभु, प्रभु’ बुलाते हैं, वे कभी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते।
आकाश में लगलग भी अपने नियत समयों को जानता है, और पण्डुकी, सूपाबेनी, और सारस भी अपने आने का समय रखते हैं; परन्तु मेरी प्रजा यहोवा का नियम नहीं जानती। “तुम कैसे कह सकते हो कि हम बुद्धिमान हैं, और यहोवा की दी हुई व्यवस्था हमारे साथ है? परन्तु उनके शास्त्रियों ने उसका झूठा विवरण लिखकर उसको झूठ बना दिया है। बुद्धिमान लज्जित हो गए, वे विस्मित हुए और पकड़े गए… इस कारण जब और लोग नीचे गिरें, तब वे भी गिरेंगे; जब उनके दण्ड का समय आएगा, तब वे भी ठोकर खाकर गिरेंगे, यहोवा का यही वचन है… हम क्यों चुप–चाप बैठे हैं? आओ, हम चलकर गढ़वाले नगरों में इकट्ठे नष्ट हो जाएं; क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा हम को नष्ट करना चाहता है, और हमें विष पीने को दिया है; क्योंकि हम ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। यिर्म 8:7–14
जिनके कान ऊंचा सुनते हैं वे अपने झूठ पर विश्वास रखते हैं और परमेश्वर की ओर मुड़ने तथा लौटने से इन्कार करते हैं। जो परमेश्वर के वचनों को अस्वीकार करते हैं, उनका अंत क्या है? वह विनाश है। वे अत्यंत दुखद अंत को अपने ऊपर आते देखेंगे।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, हमें अवश्य परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने हमें देखने के लिए आंखें और सुनने के लिए कान दिए हैं। हम भी, आत्मिक अंधे और बहिरे थे। हालांकि, परमेश्वर इस पृथ्वी पर आए हैं और हमारी आत्मिक आंखें और कान खोले हैं, ताकि हम परमेश्वर के वचन देख सकें और सुन सकें। परमेश्वर ने कहा, “जिसके कान हों वह सुन ले।”
अंधकार युग के लंबे समय के दौरान, बहुत लोगों ने परमेश्वर की आवाज सुनने के लिए अपने कान खोए। अभी यह समय है कि उनकी आंखें और कान सही हों, ताकि वे परमेश्वर की सुन सकें और उन्हें देख सकें। क्योंकि मनुष्य जाति को बचाने के लिए परमेश्वर स्वयं इस पृथ्वी पर आए। वह हमारे हृदय के दरवाजे पर खटखटा रहे हैं और अपनी आवाज सुना रहे हैं। इस युग में, हम परमेश्वर की आवाज को
सीधे सुन सकते हैं क्योंकि परमेश्वर स्वयं इस पृथ्वी पर आए हैं।
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ। प्रक 3:20
अगर कोई अजनबी दरवाजे पर खटखटाता है, तो हम उसे आसानी से नहीं खोलेंगे। हालांकि, अगर हमारे पिता और माता हमें दरवाजा खोलने के लिए कहें, तो हम क्या करेंगे? हम उनकी आवाज सुनकर दरवाजा खोलेंगे।
लंबे समय तक लोगों ने परमेश्वर की आवाज नहीं सुनी, और वे परमेश्वर की आवाज भूल गए हैं। इसलिए जब वे परमेश्वर की आवाज सुनते हैं, उनमें से कुछ दरवाजा खोलते हैं, लेकिन कुछ अधिक कसकर उसे बंद करते हैं। दुर्भाग्य से, परमेश्वर की संतान भी जिन्होंने लंबे समय से उनकी आवाज नहीं सुनी है, आसानी से पिता और माता की आवाज को नहीं पहचानती।
परमेश्वर की संतानों को अपने हृदय के द्वार को खोलना है जब वे पिता और माता की आवाज सुनते हैं, और उन्हें ग्रहण करना है। जब हम, परमेश्वर की सभी संतान पिता और माता की आवाज को पहचानेंगी और द्वार खोलेंगी, तब हम अपने स्वर्गीय देश वापस जा सकेंगे। हमें उस दिन के जल्दी आने के लिए शीघ्रता करनी चाहिए, है न? आइए हम अपनी गति को तेज करें और सुसमाचार का ज्यादा यत्न से प्रचार करें।
मेरी और भी भेड़ें हैं, जो इस भेड़शाला की नहीं। मुझे उनका भी लाना अवश्य है। वे मेरा शब्द सुनेंगी, तब एक ही झुण्ड और एक ही चरवाहा होगा। यूह 10:16
मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं। यूह 10:27
जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिये नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो। यूह 8:47
परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज जानती हैं। इसलिए उन्हें पिता और माता की ओर जल्दी ले आने के लिए, हमें सिर्फ परमेश्वर के शब्द बोलने चाहिए, न कि हमारे शब्द।
अभी, परमेश्वर इस पृथ्वी पर आकर दरवाजा खटखटा रहे हैं: जो उनके शब्द सुनेंगे वे उनको ग्रहण करेंगे, और जो नहीं सुनेंगे वे दरवाजा और कसकर बंद कर देंगे। इसके द्वारा परमेश्वर अपने लोगों को उनसे अलग करेंगे जो परमेश्वर के नहीं हैं।
हमें दूसरों को बहुत साहस से परमेश्वर के वचन का प्रचार करना चाहिए, जैसे परमेश्वर ने हम से कहा है। हमें यह सोचने की जरूरत नहीं है, ‘क्या वे वचन समझ पाएंगे?’ या ‘वे मेरे बारे में क्या सोचेंगे जब मैं उन्हें सत्य बताऊंगा?’ अगर हमारे पास उन्हें प्रचार करते समय ऐसा विचार होगा, तो हम उनकी अगुवाई करने में नाकाम होंगे। इसलिए हमें इस पर पूरा विश्वास करके प्रचार करना चाहिए कि परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज सुनती हैं।
… यीशु ने उत्तर दिया, “तू कहता है कि मैं राजा हूं। मैं ने इसलिये जन्म लिया और इसलिये संसार में आया हूं कि सत्य की गवाही दूं। जो कोई सत्य का है, वह मेरा शब्द सुनता है।” यूह 18:37
वे संसार के हैं, इस कारण वे संसार की बातें बोलते हैं, और संसार उनकी सुनता है। हम परमेश्वर के हैं। जो परमेश्वर को जानता है, वह हमारी सुनता है; जो परमेश्वर को नहीं जानता वह हमारी नहीं सुनता; इस प्रकार हम सत्य की आत्मा और भ्रम की आत्मा को पहचान लेते हैं। 1यूह 4:5–6
वे परमेश्वर की आवाज सुनते हैं या नहीं, इसके द्वारा यीशु सत्य की आत्मा और भ्रम की आत्मा के बीच फर्क करते हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर की बातें सुनता है।” इसलिए सब कुछ परमेश्वर पर छोड़कर, हमें परमेश्वर के वचन का साहस से प्रचार करना चाहिए।
पिछले दिनों के बारे में फिर सोचें, तो हम जानेंगे कि इन दोनों मामलों के परिणामों में बड़ा अंतर है – जब हमने विश्वास के साथ परमेश्वर के वचन का प्रचार किया, और जब हमने साहस के बिना प्रचार किया।
परमेश्वर ने हमसे कहा है कि तुरही की आवाज स्पष्ट होनी चाहिए। जरूर परमेश्वर के लोग परमेश्वर की आवाज सुनेंगे। हालांकि, जब एक प्रचारक अस्पष्ट आवाज देता है, तो वे परमेश्वर की आवाज को आसानी से पहचान नहीं सकते और उन्हें सच्चाई ग्रहण करने में बहुत समय लगेगा। जो भी हम सुनाते हैं, अगर हम उसे परमेश्वर के शब्द से बोलेंगे, तो वे स्पष्ट रूप से समझेंगे।
सिय्योन में एक भाई ने मुझे अपने प्रचार के अनुभवों के बारे में बताया। उसे उसके बगल में रहने वाली एक बूढ़ी औरत को परमेश्वर के वचन सुनाने का मौका मिला। पहले, उसने उसे जीवन की व्यर्थता के बारे में बताया, पर उसने उसमें थोड़ी ही रुचि दिखाई। इसलिए उसने विषय बदला और उसे परमेश्वर की आज्ञाओं के बारे में बताया। तब वह आश्चर्यचकित हुई, और उसने बड़े आनन्द के साथ यह कहा कि लंबे समय के बाद उसे सच्चा चर्च मिला है, और सत्य को ग्रहण किया। मैंने सुना कि परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने के लिए वह बहुत उत्सुक है और जवान वयस्क के जैसे जोशीली है। दूसरे मामले में, कुछ लोग बाइबल में बताया गया अंतिम रहस्य सुनकर तुरंत परमेश्वर को ग्रहण करते हैं।
इस प्रकार, हमारे खोए हुए भाई और बहनें, पिता और माता की आवाज सुनकर, एक के बाद एक सिय्योन में वापस आ रहे हैं। परमेश्वर हमारे गर्व का कारण हैं; आइए हम परमेश्वर के विषय में और अधिक गर्व करें। वे लोग भी जिन्होंने अपने मन को और अधिक कसकर बंद किया है, अगर हम उन्हें साहसपूर्वक प्रचार करें, तो वे अवश्य परमेश्वर की आवाज सुनेंगे और दरवाजा खोलेंगे।
हमारे पिता ने कहा, “जितना ज्यादा आप सत्य का पालन करेंगे, उतना ज्यादा आप भीतर से नए बनेंगे। अगर आप सत्य का पालन नहीं करेंगे, तो आपका हृदय अंधेरा हो जाएगा और अंत में आप परमेश्वर का इन्कार करेंगे।”
2,000 वर्ष पहले, परमेश्वर ने फसह के पर्व पर बहुत ज्यादा जोर दिया था।
इन अंतिम दिनों में भी, वह बार बार अपनी संतानों को फसह मनाने के लिए कह रहे हैं। हमने पहले ही परमेश्वर की आवाज सुनी है। आइए हम और उत्सुकता से प्रचार करें और बहुत लोगों की अगुवाई सिय्योन में करें।
यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा। क्योंकि मेरा मांस वास्तव में खाने की वस्तु है, और मेरा लहू वास्तव में पीने की वस्तु है। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में। जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा, और मैं पिता के कारण जीवित हूं, वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा। यूह 6:53–57
यह परमेश्वर की जीवन की प्रतिज्ञा है। परमेश्वर की भेड़ें अवश्य यह वचन सुनेंगी। यीशु ने फसह के दिन अपने मांस और लहू की प्रतिज्ञा की।(मत 26:17–28; लूक 22:19–20) उन्होंने हमें फसह के पर्व के द्वारा, जो सभी मनुष्यों के उद्धार के लिए आवश्यक नुसखा है, अनन्त जीवन देकर हमारी आत्माओं को मृत्यु से बचाया है। आइए हम एक स्पष्ट ध्वनि दें और परमेश्वर की आवाज सुनने में लोगों की अगुवाई करें; और उन्हें अपनी आत्मिक आंखें और कान खोलने दें।
अभी, वह नियुक्त समय आ चुका है जब परमेश्वर की संतान परमेश्वर की आवाज सुनकर बेबीलोन से बाहर निकलें। भविष्यवाणियों पर विश्वास करके, आइए हम तुरही फूंकें।
जिसके पास कान हैं वह परमेश्वर की बातें सुनता है। आइए हम सुसमाचार की तुरही जोर से फूंकें और बहुत आत्माओं की अगुवाई उद्धार की ओर करें। फिर हमारे पिता और माता परमेश्वर की महिमा का प्रचार पृथ्वी की छोर तक किया जाएगा।