“निश्चय मैं तेरे संग रहूंगा”

निर्गमन 3:1-4:17

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मूसा मिस्र का महल छोड़ने के बाद, मिद्यान के जंगल में चरवाहे के रूप में रहता था। एक दिन जब वह भेड़–बकरियों को चरा रहा था, वह होरेब नामक परमेश्वर के पर्वत को गया। उस पर्वत में कोई मनुष्य कहीं दिखाई न दिया, और वहां मूसा ने एक झाड़ी को जलते हुए देखा जो भस्म नहीं हो रही थी। अजीब दृश्य देखकर उसे आश्चर्य हुआ, और वह उसे निकट से देखने को मुड़ा चला गया। उस पल में, परमेश्वर ने झाड़ी के बीच से उसको पुकारा।

“मूसा, निकट न आ। अपने पांवों से जूतियों को उतार दे, क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्र भूमि है। मैं तेरे पिता का परमेश्वर हूं। मैंने उन कष्टों को देखा है जिन्हें मिस्र में मेरे लोगों ने सहा है। इसलिए अब मैं तुझे फ़िरौन के पास भेज रहा हूं। जा! मेरे लोगों अर्थात् इस्राएल के लोगों को मिस्र से बाहर ला।”

“परमेश्वर! मैं कोई महत्वपूर्ण आदमी नहीं हूं। मैं ही वह व्यक्ति हूं जो फ़िरौन के पास जाए और इस्राएल के लोगों को मिस्र के बाहर निकाल कर ले चले? वे मेरा विश्वास नहीं करेंगे और मेरी नहीं सुनेंगे।”

परमेश्वर ने मूसा को ऐसे चमत्कार दिखाए कि उन्होंने लाठी को, जो उसने पकड़ी थी, सर्प बना डाला और मूसा के हाथों को कोढ़ से भर दिया और फिर से पहले की तरह ठीक किया। फिर भी, मूसा हिम्मत नहीं जुटा सका।

“हे मेरे प्रभु, मैं कुशल वक्ता नहीं हूं। मैं धीरे–धीरे बोलता हूं और उत्तम शब्दों का उपयोग नहीं कर सकता।”

“मनुष्य का मुंह किसने बनाया है? और एक व्यक्ति को कौन बोलने और सुनने में असमर्थ बना सकता है? मनुष्य को कौन देखनेवाला और अन्धा बना सकता है? जब तू बोलेगा, मैं तेरे साथ रहूंगा। मैं तुझे बोलने के लिए शब्द दूंगा।”

परमेश्वर ने मूसा से कहा, जो झिझक रहा था, कि उसका भाई हारून, जो कुशल वक्ता है, उसकी मदद करेगा। मूसा ने एहसास किया कि परमेश्वर ने सब कुछ पहले से तैयार किया है। तब मूसा ने अपनी पत्नी और अपने पुत्रों को लिया और उन्हें गधे पर बिठाया और मिस्र देश की वापसी यात्रा की।

जब हम कोई काम करते हैं, हमें उसके लिए परिपूर्ण स्थिति नहीं मिल सकती। जो अपने ही मानक से सिर्फ परिपूर्ण स्थिति का इंतजार करता है, वह हमेशा कुछ भी नहीं कर सकता। स्वर्ग में आशीषों को इकट्ठा करने का काम भी ऐसा ही है।

जब भी हमें अपनी कमी या अनिश्चित भविष्य के बारे में चिंता होती है, हम विभिन्न बहाने बनाते हैं और कभी–कभी हम वर्तमान के साथ समझौता करके आराम से जीना चाहते हैं। इस तरह के भय और चिंता को दूर करते हुए जाग उठना ही विश्वास है।

जैसे धरती से ऊंचे स्वर्ग हैं, वैसे ही हमारे विचारों से परमेश्वर के विचार ऊंचे हैं। (यश 55:8–9) जो स्वर्ग की असीम और अनंत आशीष देना चाहते हैं, उन परमेश्वर की इच्छा को मानव के सीमित ज्ञान और विचारों के साथ पूरी तरह से समझना हमारे लिए मुश्किल है।

अगर हम विश्वास करते हैं कि परमेश्वर हमारे भविष्य को देखकर सबसे आशीषित मार्ग पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं, तो हमें अपनी सारी चिंताएं परमेश्वर पर छोड़नी चाहिए, और हमें जिस मिशन के लिए बुलाया गया है उसे पूरा करना चाहिए, ताकि हम स्वर्ग में आशीषों को इकट्ठा करने का अवसर न खोएं।