‘80 दिन में दुनिया की सैर’ 1873 में प्रकाशित हुआ जूल्स वर्न द्वारा रचा गया एक उपन्यास है। कहानी में, फिलियस फोग नामक लंदन का एक सज्जन 20,000 पाउंड बाजी पर लगाता है कि अस्सी दिनों में पूरी दुनिया की सैर करना संभव है या नहीं। बाजी जीतने के लिए, वह और उसका सेवक पासपार्टू लंदन से आरंभ करके भारत, जापान और अमेरिका से गुजरकर लंदन वापस आने के लिए अस्सी दिन की एक लंबी यात्रा पर निकल जाते हैं।
परन्तु, अद्भुत बात यह है कि कहानी में पूरी दुनिया की यात्रा से भी दोगुना से ज्यादा लंबी यात्रा हमारे शरीर में हो रही है। जो यह दिलचस्प यात्रा कर रहा है वह रक्त है।
रक्त अस्थि मज्जा में बनाया जाता है। रक्त रक्त प्लाज्मा जो मुख्य रूप से पानी है, और रक्त कोशिकाओं से बना होता है। हमारे शरीर में यात्रा करने वाले रक्त का कुल वजन शरीर के वजन का लगभग 7-8% होता है। उदाहरण के लिए, यदि एक व्यक्ति का वजन 60 किलोग्राम [132 पाउंड] है, तो उसका रक्त लगभग 5 लीटर [1.3 गैलन] होगा। वह 5 लीटर का रक्त वाहिकाओं के माध्यम से पूरे शरीर में निरंतर घूमते हुए ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, पोषक तत्वों और अपशिष्ट का परिवहन करता है।
तब रक्त लाल क्यों है? लाल रक्त कोशिकाओं के कारण जो रक्त कोशिकाओं का अधिकांश भाग है, रक्त लाल होता है। मानव शरीर में लगभग 250 खरब लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं। ये लाल रक्त कोशिकाएं डिस्क के आकार की होती हैं जो परिधि पर मोटा और मध्य में कम मोटा होता है, और इनका व्यास लगभग 7.5 माइक्रोमीटर होता है। ये छोटी लाल रक्त कोशिकाएं ऐसी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं कि वे फेफड़ों से ऑक्सीजन प्राप्त करके इसे कोशिकाओं तक पहुंचाती हैं और कोशिकाओं से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त करके इसे फेफड़ों में परिवहन करती हैं।
लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन होता है, जिसमें ऑक्सीजन को जकड़नेवाला आयरन है। जैसे जंग लगा लोहा लाल दिखता है, हीमोग्लोबिन में मौजूद आयरन ऑक्सीजन के साथ मिलकर लाल दिखता है। अधिक आश्चर्य की बात यह है कि प्रत्येक छोटी लाल रक्त कोशिका में लगभग 30 लाख हीमोग्लोबिन अणु होते हैं। और एक लाल रक्त कोशिका ऑक्सीजन के लगभग 10 करोड़ अणुओं को ले जा सकती है।
रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं के अलावा अन्य यात्रियां भी होते हैं। उनमें से, श्वेत रक्त कोशिकाएं जो सफेद होती हैं बाहरी हमलावरों से शरीर की प्रतिरक्षा करती हैं। जब कीटाणु या बाहरी पदार्थ शरीर में प्रवेश करता है तब श्वेत रक्त कोशिकाएं उनके विरुद्ध लड़ने हेतु रोग-प्रतिकारक उत्पन्न करती हैं और हमलावरों को अशक्त कर देती हैं। वे शरीर में प्रवेश करनेवाले बाहरी पदार्थों पर सीधे आक्रमण करके उन्हें निगल लेती हैं।
बिम्बाणु अथवा प्लेटलेट्स, जो सबसे सूक्ष्म और बेतरतीब आकार की रक्त कोशिकाएं हैं, रक्तस्राव को रोकने के लिए रक्त स्कंदन में भूमिका निभाती हैं। जब रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और त्वचा या श्लेष्मल झिल्ली से रक्तस्राव शुरू हो जाता है, तो रक्त बाहर बहता रहेगा और इसे रोकने की आवश्यकता होती है। जब ऐसा होता है, तो शरीर से रक्त को बाहर बहने से रोकने के लिए बिम्बाणु रक्त वाहिका की चोटों पर चिपकती हैं और रक्त के थक्के बनाती हैं। रक्त स्कंदन की यह प्रक्रिया तब शुरू होती है जब बिम्बाणु खुद को फेंक देकर विस्फोट होते हैं।
जब हम उनकी मौजूदगी को महसूस किए बिना दिन बिता रहे हैं, लगभग 200 अरब लाल रक्त कोशिकाएं, 100 अरब श्वेत रक्त कोशिकाएं और 200 अरब बिम्बाणु नवगठित होते हैं और वे चुपचाप अपने कर्तव्यों को अंजाम देते हैं। लाल रक्त कोशिकाएं हृदय से निकलती हैं, कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाती हैं, और उनके कूच करने के 23 सेकंड के अंदर हृदय में वापस जाती हैं। लाल रक्त कोशिकाएं लगभग 120 दिन तक जीती हैं, और उनमें से लगभग 125 में से 1 कोशिका हर दिन नई कोशिका में बदल दी जाती है। श्वेत रक्त कोशिकाओं के विषय में कहें तो उनका जीवन-काल उनके प्रकार के अनुसार अलग होता है, परन्तु उनमें से ज्यादातर कुछ घंटों तक भी नहीं जीती; उनमें से प्रत्येक लगभग 5 से 50 कीटाणुओं को नष्ट कर देती है और मर जाती है। और बिम्बाणु यदि लंबी अवधि तक टिकें, तो वे 10 दिनों तक जीते हैं। हमारे शरीर में लगभग 15% का अतिरिक्त रक्त है, और चूंकि रक्त आसानी से नवगठित बिम्बाणु से भर जाता है, तो हम रक्त दान करने पर भी अपने स्वास्थ्य को बिना किसी समस्या के बनाए रख सकते हैं।
पूरे शरीर में रक्त किस बल से यात्रा कर सकता है? हृदय की नियमित पंपिंग रक्त परिसंचरण की प्रेरक शक्ति है। वह प्रभावशाली बल जो सिर से पैरों की ऊंगलियों तक रक्त को प्रसारित करता है, हृदय की विशेष मांसपेशी से आता है। जब हम दौड़ते हैं, तो हम महसूस कर सकते हैं कि दिल धड़क रहा है। परन्तु जिस तरह हम झुक और पसर सकते हैं उसी तरह हम अपनी इच्छा से हृदय को धड़कने से रोक नहीं सकते। स्वायत्त तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित किए जाने वाले उस हृदय में विशेष कोशिकाएं होती हैं जिन्हें सिनोट्रायल नोड1) कहा जाता है जो समय-समय पर स्वायत्त रूप से एक विद्युत आवेग पैदा करता है। सिनोट्रायल नोड के विद्युत आवेग से, हृदय का धड़कना शुरू होता है और नियंत्रित किया जाता है, यही कारण है कि क्यों सिनोट्रायल नोड को पेसमेकर कहा जाता है।
1) सिनोट्रायल नोड: हृदय का एक भाग जो विद्युत आवेग पैदा करके हृदय को सिकुड़ने देता है और हृदय की लय निर्धारित करता है
आम तौर पर, आपका हृदय आपकी मुट्ठी से थोड़ा बड़ा होता है। यह एक मिनट में 72 बार, और एक दिन में लगभग एक लाख बार धड़कता है और लगभग 80 साल की उम्र तक बिना रुके 2.9 अरब बार धड़कता है। यदि हाथ या पैर उतनी बार हरकत करने की कोशिश करे जितनी बार हृदय करता है, वे हरकत करने के तुरंत बाद थक जाएंगे। लेकिन, अरबों बार धड़कने के बाद भी हृदय थकता नहीं। जब बायां निलय एक बार धड़कता है, तो यह धमनियों के माध्यम से पूरे शरीर में लगभग 70 मिली लीटर [2.4 आउंस] रक्त भेजता है, जिसका अर्थ है कि हृदय प्रति घंटा 300 लीटर [79 गैलन], और प्रति दिन लगभग 7,000 लीटर [1,850 गैलन] रक्त पंप करता है।
रक्त हृदय की मदद से एक महत्वपूर्ण कर्तव्य के साथ रक्त वाहिकाओं के माध्यम से यात्रा करता है। धमनियां और नसें राजमार्गों की तरह हैं जो किसी देश के मुख्य क्षेत्रों से गुजरते हैं; वे मोटी हैं, और उनके माध्यम से बड़ी मात्रा में रक्त गुजरता है। और केशिकाएं जो बहुत पतली नलियां होती हैं, हमारे हाथों और पैरों की उंगलियों की नोक तक भी पहुंचती हैं और हमारे शरीर के हर कोने में फैली हुई हैं। परन्तु, रक्त की यात्रा उतना आसान नहीं है। जब यह उन धमनियों से होकर गुजरता है जो हृदय से निकलने के मार्ग हैं, तो इसे हृदय से आए भारी दबाव को झेलना पड़ता है, और केशिकाएं इतनी पतली हैं कि उनमें से केवल एक लाल रक्त कोशिका अपने पूरे शरीर को सिकोड़कर मुश्किल से गुजर सकता है। नसों के माध्यम से हृदय में वापस जाने पर, रक्त वाल्व2) की मदद से हृदय में मुश्किल से वापस आता है।
2) वाल्व: वाल्व जो रक्त को उलटी दिशा में बहने से रोकने के लिए हृदय और नसों में मौजूद है
रक्त, जो हृदय से बाहर पंप किया जाता है और धमनियों से गुजरता है, शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रदान करता है और केशिकाओं के माध्यम से यात्रा करते समय कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट प्राप्त करता है। फिर यह हृदय में वापस आता है। रक्त जो कोशिकाओं को ऑक्सीजन देता है फिर से ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए वापस फेफड़ों में चला जाता है। जब यह फेफड़ों में पहुंचता है, तब यह फेफड़ों को, कोशिकाओं से प्राप्त हुआ कार्बन डाइऑक्साइड सौंप देता है और उनसे ऑक्सीजन प्राप्त करता है, और फिर वापस हृदय में चला जाता है जहां से इसने अपनी यात्रा शुरू की थी। रक्त इस क्षण में भी आराम किए बिना यात्रा कर रहा है।
केशिकाओं सहित, जिसके माध्यम से रक्त के साथ छोटी रक्त कोशिकाएं यात्रा करती हैं, रक्त वाहिकाओं की लंबाई 100,000 किमी [62,137 मील] है। यह इतनी लंबी है कि यदि हम इन्हें एक पंक्ति के रूप जोड़ दें, तो ये पृथ्वी के चारों ओर ढाई बार यात्रा करने के लिए पर्याप्त होंगी। यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि मानव शरीर में, जो आमतौर पर 2 मीटर [6.5 फीट] से कम लंबा होता है, 100,000 किमी लंबी सड़क सघनता से बसी हुई है। हृदय प्रति मिनट लगभग 5 लीटर [1.3 गैलन] रक्त भेजता है और रक्त को हृदय से निकलने और वापस आने में एक मिनट से भी कम समय लगता है।
रक्त की लंबी यात्रा किसी और के लिए नहीं है, बल्कि केवल “मेरे” लिए है। उदाहरण के लिए, मस्तिष्क को बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन और ग्लूकोज की आवश्यकता होती है, लेकिन इसे केवल उनके रक्त की आपूर्ति पर निर्भर करना पड़ता है क्योंकि इसके पास उन्हें संग्रहीत करने की क्षमता नहीं है। इसलिए जब रक्त संचार केवल 15 सेकेंड के लिए भी रुक जाता है तो आदमी बेहोश हो जाता है, और यदि केवल 4 मिनट के लिए यह रुक जाता है, तो मस्तिष्क उस हद तक क्षतिग्रस्त हो जाता कि उसे ठीक नहीं किया जा सकता। जब रक्त कुछ सेकंड के लिए भी घूमना बंद कर दे, तो हम न तो देख सकते और न ही सुन सकते; हम कुछ भी नहीं कर सकते। रक्त की लंबी यात्रा हमारे शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण है!
हम चाहते हैं कि हमारे जीवन में कुछ विशेष चमत्कार हों। लेकिन, कुछ विशेष का कुछ सामान्य के बिना कोई अर्थ नहीं है। हम बिना किसी समस्या के हर मिनट बिताते हैं। क्या यह एक सच्चा चमत्कार नहीं है? हमारे दैनिक जीवन में चमत्कार इस समय भी हो रहा है। यह पृथ्वी के चारों ओर ढाई बार की हुई रक्त की यात्रा है!
- संदर्भ
- EBS DocuPrime Blood Part 2, Secret of 8% (Broadcast on Sept. 30, 2009)
ईबीएस डॉक्यूप्राइम ब्लड भाग 2, 8% का रहस्य (30 सितंबर 2009 को प्रसारित) - EBS Knowledge Channel Episode 1006, Blood (Broadcast on May 14, 2013)
ईबीएस नॉलेज चैनल एपिसोड 1006, रक्त (14 मई 2013 को प्रसारित) - Kim Sa-yeol and 4 others, Mystery of Life —Life like River, Academy Books, 1999
किम सा-योल और 4 व्यक्ति, जीवन का रहस्य – प्राणी नदी की तरह, अकादमी बुक्स, 1999