हे अल्पविश्वासी, तू ने क्यों संदेह किया?
मत्ती 14:22–33

यीशु ने अपने चेलों को नाव पर चढ़ाया और झील के पार जाने के लिए विवश किया। और वह अकेले में प्रार्थना करने को पहाड़ पर चले गए। नाव झील के बीच लहरों से डगमगा रही थी, क्योंकि हवा सामने की थी। भोर के आसपास, यीशु झील पर चलते हुए उनके पास आए।
चेले यीशु को झील पर चलते हुए देखकर घबरा गए और उन्हें भूत समझते हुए डर के मारे चिल्लाए,
“ढाढ़स बांधो! मैं हूं, डरो मत!”
यीशु ने चेलों को यकीन दिलाया। तब पतरस बहादुरी से आगे बढ़ा।
“हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे।”
यीशु ने कहा, “चला आ!” तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने को पानी पर चलने लगा। हालांकि जब उसने तेज हवा देखी, तो वह डर गया। वह डूबने लगा और चिल्लाया,
“हे प्रभु, मुझे बचा!”
यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया। यीशु ने उसे डांटकर कहा,
“हे अल्पविश्वासी, तू ने क्यों संदेह किया?”
यीशु और पतरस नाव पर चढ़ आए। हवा थम गई।
कभी कभी, हम में इतनी हिम्मत आती है कि हम विश्वास से सब कुछ कर सकें, पर जब कठिनाइयों से हमारा सामना होता है, तब हमारे अन्दर आसानी से घबराहट होनी शुरू हो जाती है, और हम संदेह करते हैं और निरुत्साहित हो जाते हैं। विश्वास रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी बात यह है, उस विश्वास को कायम रखना।
यह एक बहुत ही छोटा सा पल था जब पतरस तेज हवा के कारण घबरा गया और अपने सामने यीशु की उपस्थिति को भूल गया। इस छोटे से पल के भीतर ही, संदेह उसके दिल में बैठ गया।
जब एक व्यक्ति यह भूल जाता है कि परमेश्वर उसके साथ हैं, और केवल अपने सामने की परिस्थिति को देखता है, तब चाहे उसका विश्वास कितना भी दृढ़ रहा हो, वह डर और संदेह के कारण पलभर में अपना विश्वास खो देता है। सच्चा विश्वास परमेश्वर पर अंत तक भरोसा करना है।
यह पूरी दुनिया हमारे विश्वास को कमजोर करने वाली चीजों से भरी हुई है। हालांकि, यदि हमें यकीन हो कि परमेश्वर हमेशा हमारे साथ हैं, हम निश्चित रूप से उन लहरों को पार कर सकते हैं जिनका हम इस समुद्ररूपी दुनिया में सामना करते हैं। आइए हम अपनी आंखों को खोलें और देखें! परमेश्वर हमारे सामने हैं!