यह लगभग 150 वर्ष पहले हुआ जब अमेरिकी गृहयुद्ध भयंकर हो गया। उस समय, अब्राहम लिंकन ने जिसने दासों की मुक्ति का समर्थन किया, दक्षिणी राज्यों के खिलाफ उत्तरी राज्यों की यूनीयन सेना का संचालन किया। हालांकि, वह आसानी से दक्षिणी राज्यों को हरा नहीं सका जिनका कमाण्डर जनरल राबर्ट ई. ली. था। बल्कि, यूनीयन सेना पर दक्षिणी राज्यों ने जमकर हमला किया।
सैनिकों को मरते देखकर लिंकन दुखी हुआ, और उसे तीव्रता से महसूस हुआ कि यह युद्ध मनुष्य की शक्ति से खत्म नहीं होगा, और उसने परमेश्वर से हर दिन तीन घंटे से ज्यादा प्रार्थना की। एक दिन उसके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने उसे आग्रहपूर्वक प्रार्थना करते देखकर उससे कहा, “हम भी प्रार्थना करेंगे कि परमेश्वर हमारे पक्ष में हों।” मगर लिंकन ने गंभीर होकर उनसे कहा, “नहीं, इस तरीके से प्रार्थना नहीं करनी है।”
तब वे सब जिन्हें राष्ट्रपति के हां कहने की अपेक्षा थी, उलझन में पड़े। इसलिए उन्होंने उससे पूछा कि कैसे प्रार्थना करें, और उसने कहा, “ऐसे प्रार्थना मत करो कि परमेश्वर ‘हमारे पक्ष में हों,’ परंतु ऐसे प्रार्थना करो कि ‘हम उनके पक्ष में हों।’ ”
दोनों प्रार्थनाओं के बीच कोई फर्क नहीं लगता। हालांकि, जब हम इसके बारे में गहराई से सोचते हैं, हम देख सकते हैं कि दोनों प्रार्थनाओं के उद्देश्यों के बीच एक बड़ा अंतर है: मंत्रिमंडल के सदस्यों की प्रार्थना का ध्यान उनके खुद पर था, पर लिंकन की प्रार्थना का ध्यान परमेश्वर पर था।
“दक्षिणी राज्यों के बहुत सैनिक भी परमेश्वर पर विश्वास करते होंगे। फिर, वे किसके हित के लिए प्रार्थना करते होंगे? और परमेश्वर को किसके पक्ष में होना चाहिए – दक्षिणी राज्य या उत्तरी राज्य? अगर सभी लोग चाहते हैं कि परमेश्वर उनके पक्ष में हों, तो अनेक परमेश्वरों की जरूरत होगी। अगर कुछ भी किसी एक की इच्छा से पूरा होगा, तो वह परेशानी का कारण होगा। हमें परमेश्वर से मांगना चाहिए कि हम परमेश्वर के पक्ष में हों, ताकि हम उन परमेश्वर की योजनाओं के विरुद्ध न हों जो मानव जाति की अगुवाई करते हैं। अगर दासों को मुक्त करना परमेश्वर की इच्छा है, तो वह अवश्य किया जाएगा। इसलिए, यह प्रार्थना नहीं करनी है कि परमेश्वर ‘हमारे पक्ष में हों,’ परंतु यह प्रार्थना करो कि हम ‘परमेश्वर के पक्ष में हों,’ ” ऐसा लिंकन ने कहा।
इस युग में हमारे विश्वास के लिए यह कहानी ध्यान देने के योग्य है। जब हम हमेशा परमेश्वर से यह प्रार्थना करने के बजाय कि परमेश्वर हमारे पक्ष में हों, यह प्रार्थना करेंगे कि हमें परमेश्वर के पक्ष में होने दीजिए, तो हम सभी परीक्षाओं और उत्पीड़नों को पार करके, विजय प्राप्त करेंगे।
आइए हम 1पतरस के वचनों के द्वारा देखें कि क्यों हम परमेश्वर को ढूंढ़ते हैं और उन पर विश्वास करते हैं।
उससे तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनन्दित और मगन होते हो जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है; और अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात् आत्माओं का उद्धार प्राप्त करते हो। 1पत 1:8–9
हम अपना विश्वास का जीवन खुशी से जी रहे हैं, क्योंकि हमारे पास पूर्ण उद्देश्य है – हमारी आत्माओं का उद्धार प्राप्त करना। 2,000 वर्ष पहले जब यीशु इस पृथ्वी पर आए थे, उन्होंने कहा, “क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उनका उद्धार करने आया है।”(लूक 19:10)
उद्धार के विषय में, सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीज उद्धारकर्ता(मसीह) है। चूंकि हमारे विश्वास का उद्देश्य हमारी आत्माओं का उद्धार प्राप्त करना है, हमें यत्न से उद्धारकर्ता को, जो उद्धार देते हैं, ढूंढ़ना चाहिए और उनकी इच्छा का पालन करना चाहिए। हमें बचाने के लिए, परमेश्वर स्वयं शरीर में आए।
हमारे पास कोई बुद्धि या शक्ति नहीं है जो हमें उद्धार की ओर ले जा सकती है। इसी कारण से बाइबल हमें यह चेतावनी देती है: “इसलिए जब तक प्रभु न आए, समय से पहले किसी बात का न्याय न करो।”(1कुर 4:5) अगर हम स्वयं न्याय करेंगे, हम बहुत परेशानियों का सामना करेंगे। इसके संबंध में, आइए हम 2,000 वर्ष पहले प्रेरितों के इतिहास का पता लगाएं।
भोजन पर से उठकर अपने ऊपर कपड़े उतार दिए, और अंगोछा लेकर अपनी कमर बान्धी। तब बरतन में पानी भरकर चेलों के पांव धोने और जिस अंगोछे से उसकी कमर बन्धी थी उसी से पोंछने लगा। जब वह शमौन पतरस के पास आया, तब पतरस ने उससे कहा, “हे प्रभु, क्या तू मेरे पांव धोता है?” यीशु ने उसको उत्तर दिया, “जो मैं करता हूं, तू अभी नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा।” पतरस ने उससे कहा, “तू मेरे पांव कभी न धोने पाएगा!” यह सुनकर यीशु ने उससे कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊं, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” यूह 13:4–8
चार सुसमाचार पुस्तकों में, हम अक्सर पतरस को गलती करते हुए देख सकते हैं। पतरस यीशु से प्रेम करता था और उनका आदर करता था, पर उसके पास उसके खुद के बहुत विचार थे। इसलिए जब भी वह कुछ कहता या कोई गलती करता था, यीशु उसे सही करता था।
चेलों के पांव धोना मसीह के लिए सम्मान की बात नहीं थी, इसलिए पतरस ने यीशु से कहा, “तू मेरे पांव कभी न धोने पाएगा!” उसने ये शब्द इसलिए कहे क्योंकि उसने यीशु के प्रति आदर भाव से ऐसा सोचा, ‘गुरु, आप बहुत महान हैं। आप क्यों इस दीन आदमी के पांव धोनेवाले हैं। यह सही है कि मैं आपके पांव धोऊं।’ हालांकि, यह सिर्फ उसका विचार था, यह परमेश्वर का जवाब था: “यदि मैं तुझे न धोऊं, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।”
यहां पर विचार करने योग्य एक महत्वपूर्ण बात है। उस समय, पतरस ने सिर्फ चाहा कि परमेश्वर उसके पक्ष में हों; वास्तव में वह परमेश्वर के पक्ष में नहीं खड़ा हुआ, और उसने इस पर ध्यान नहीं दिया कि परमेश्वर की इच्छा क्या है जिसका उसे पालन करना चाहिए; उसने नहीं समझा कि परमेश्वर वास्तव में क्या चाहते हैं। यीशु ने उसे डांटकर यह कहा, “मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” और उसकी गलती को सुधारा, इससे हम एक सबक सीखते हैं कि हमें यह न चाहते हुए कि परमेश्वर हमारे पक्ष में हों, परमेश्वर के पक्ष में होना चाहिए।
पिता के युग में उद्धारकर्ता यहोवा थे। उस युग में, कोई भी नहीं बच सकता था अगर उसका यहोवा के साथ कुछ भी साझा नहीं होता था। पुत्र के युग में उद्धारकर्ता यीशु थे, और कोई भी नहीं बच सकता था अगर उसका यीशु के साथ कुछ भी साझा नहीं होता था। यह पवित्र आत्मा का युग है, और अभी उद्धारकर्ता पवित्र आत्मा और दुल्हिन हैं, जो 1,44,000 संतानों को बचाएंगे। अगर पवित्र आत्मा और दुल्हिन किसी से कहें, “हमारे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं है,” तो वह कैसे बच सकता है? क्या वह खुद ही उद्धार प्राप्त कर सकता है?
अगर हम आत्मा और दुल्हिन के साथ रिश्ता बनाना चाहते हैं, तो हमें उनको हमारे पक्ष में होने के लिए, यानी हमारे खुद के विचारों का पालन करने के लिए नहीं कहना चाहिए, लेकिन हमें उनके पक्ष में होना चाहिए, ताकि हम उनके विचारों का पालन कर सकें।
अभी परमेश्वर का दिन निकट आ रहा है। हमें अपने विश्वास में और अधिक परिपक्व बनना चाहिए। यह मन में रखते हुए कि उद्धार परमेश्वर पर निर्भर है, हमें सारी चीजों के लिए आत्मा और दुल्हिन पर भरोसा रखना चाहिए, और जहां कहीं भी वे जाते हैं, वहां हमें अंत तक उनका पालन करना चाहिए।
पतरस के बारे में सोचिए। उसने सोचा कि वह सही है, पर यीशु की दृष्टि में वह सही नहीं था। जब पतरस ने महसूस किया कि वह गलत है, उसने अपने आपको सही किया और यीशु की इच्छा का पालन किया।
यीशु ने उससे कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। यूह 14:6
यीशु ने कहा कि बिना मेरे द्वारा कोई परमेश्वर के पास, यानी स्वर्ग के राज्य में नहीं पहुंच सकता। पुत्र के युग में, बिना यीशु के द्वारा कोई स्वर्ग के राज्य में पहुंच नहीं सकता था। इसी तरह, पवित्र आत्मा के युग में, बिना पवित्र आत्मा और दुल्हिन के द्वारा कोई स्वर्ग के राज्य में पहुंच नहीं सकता।
पतरस खुद के दृष्टिकोण से चीजों का न्याय करता था। फिर यीशु ने उसे यह कहते हुए उसकी गलती महसूस कराई, “मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” उनके शब्दों के द्वारा, हम विचार करने योग्य एक महत्वपूर्ण चीज पा सकते हैं।
“बिना मेरे द्वारा कोई स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।” हमें पहले इन शब्दों को समझना चाहिए, ताकि हम अंत तक आत्मा और दुल्हिन के साथ अपना रिश्ता बनाए रख सकें। प्रथम चर्च में, प्रेरितों और नबियों ने यीशु के बारे में प्रचार करना कभी नहीं रोका, क्योंकि स्वर्ग के राज्य में जाने का वह एक ही मार्ग था।
अभी, सिर्फ आत्मा और दुल्हिन ही अनन्त राज्य में हमारी अगुवाई करते हैं। हमें अपने दृष्टिकोण से नहीं, लेकिन उनके दृष्टिकोण से सोचना चाहिए और उनसे प्रेम और उनका पालन करना चाहिए। तब हम परमेश्वर से ज्यादा आशीष और प्रेम पाएंगे।
“जो मुझ से, हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यवाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूंगा, ‘मैंने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।’ ” मत 7:21–23
“मैंने तुम को कभी नहीं जाना।” इस वचन के द्वारा यीशु ने बताया है कि उनका यीशु के साथ कुछ भी साझा नहीं है। उन्होंने प्रभु के नाम से भविष्यवाणी की और उनके नाम से बहुत आश्चर्यकर्म किए; पर वास्तव में उनमें यीशु की बातों के लिए कोई जगह नहीं थी, और उन्होंने सब कुछ खुद के विचारों से किया। जब वे परमेश्वर के न्यायासन के सामने खड़े हैं, खुद के कार्यों से मुग्ध होकर उन्होंने जो किया उसका घमण्ड कर रहे हैं। वे पतरस के समान हैं जिसने खुद के विचार से न्याय किया और यीशु से कहा, “तू मेरे पांव कभी न धोने पाएगा।” अपनी ऊर्जा फेंकते हुए, भले ही उन्होंने प्रभु के नाम से बहुत से चमत्कार दिखाए, फिर भी यीशु ने झिड़कते हुए उनसे कहा, “मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।”
“मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।” यह वचन हम पर भी लागू हो सकता है, जैसे यह पतरस पर हुआ था। इसलिए बाइबल आज्ञापालन पर बहुत जोर देती है। हमें ऐसी मूर्खता नहीं करनी चाहिए। परमेश्वर हमारे उद्धार का केंद्र हैं। अगर हम अपने परमेश्वर को जानते हैं और उन पर विश्वास करते हैं, हम लगातार उनकी इच्छा के प्रति आज्ञाकारी रहेंगे। हम से जो परमेश्वर मांगते हैं, वह विश्वास है। हमें परमेश्वर पर पूर्ण विश्वास करना चाहिए।
हे भाइयो, मेरे मन की अभिलाषा और उनके लिये परमेश्वर से मेरी प्रार्थना है कि वे उद्धार पाएं। क्योंकि मैं उनकी गवाही देता हूं कि उनको परमेश्वर के लिये धुन रहती है, परन्तु बुद्धिमानी के साथ नहीं। क्योंकि वे परमेश्वर की धार्मिकता से अनजान होकर, और अपनी धार्मिकता स्थापित करने का यत्न करके, परमेश्वर की धार्मिकता के आधीन न हुए। रो 10:1–3
रोमियों का ऊपर का वचन हमें बताता है कि लोग, जो अपनी धार्मिकता स्थापित करने के लिए परमेश्वर की धार्मिकता के आधीन नहीं हुए हैं, उनका परमेश्वर और उद्धार से कुछ लेना देना नहीं है। पतरस ने भी ऐसा किया, परंतु यीशु ने उसे सही किया।
अभी, सिय्योन के सदस्य अनुग्रहपूर्ण सत्य के वचनों के अनुसार भक्तिपूर्ण जीवन जी रहे हैं। अंत तक विश्वास में दृढ़ रहने के लिए, हमें परमेश्वर के साथ सुंदर रिश्ता बनाए रखना चाहिए। “बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।” इस वचन के समान, भले ही हम परमेश्वर की व्यवस्थाओं का पालन करते हैं और उनके वचनों का यत्न से प्रचार करते हैं, अगर हम जो आत्मा और दुल्हिन कहते हैं उसकी परवाह न करेंगे, तो परमेश्वर के साथ हमारा कुछ भी साझा नहीं है। पतरस भी बचाया नहीं जाता अगर यीशु के उसकी गलतियों को बताने पर, उसने अपने ही तरीके पर जोर दियाहोता और अपने आपको सही न किया होता।
प्रकाशितवाक्य के 14 वें अध्याय में, ऐसा लिखा है कि 1,44,000 वे हैं जो अंत तक मेमने के पीछे चलते हैं जहां कहीं वह जाता है। परमेश्वर ने सत्य के सभी इतिहासों का नेतृव किया है। परमेश्वर की इच्छा को अपने हृदय में संजोकर, उस भविष्य की ओर जो परमेश्वर ने पहले से बताया है, आगे देखते हुए, आइए हम अपनी सारी शक्ति के साथ उसी दिशा की ओर दौड़ें। तब हम 1,44,000 कहलाने के योग्य होंगे जो जहां कहीं भी मेमना जाता है, वहां उनके पीछे चलते हैं।
“जहां कहीं भी मेमना जाता है वहां वे उनके पीछे चलते हैं।” इसका मतलब है कि 1,44,000 बिना किसी शर्त के परमेश्वर का पालन करते हैं। पूरे संसार में सिय्योन के सभी भाई और बहनें वही 1,44,000 हैं।
प्रिय भाइयो और बहनो! यीशु की प्रार्थना को फिर से सोचें – “जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परंतु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो,” और अंत तक आत्मा और दुल्हिन का पालन करें।