चांदी का मैल दूर करो

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जैसे–जैसे हम दिन प्रतिदिन ज़िन्दगी जी रहे हैं, परमेश्वर का राज्य अधिक पास आ रहा है। स्वर्ग दिन प्रतिदिन पास आ रहा है, फिर भी, यदि अभी तक हमारे अन्दर गन्दगी फैली हुई है, तो हम ऐसी अपवित्र आत्मा के साथ परमेश्वर के राज्य में कभी प्रवेश नहीं कर सकेंगे।

जैसा परमेश्वर पवित्र है, वैसे परमेश्वर के लोग भी पवित्र हैं।(1पत 1:15–16; 2:9 संदर्भ) स्वर्गीय पिता और माता के अनन्त राज्य में जाने के लिए, हमें अपने अन्दर उस गन्दगी को दूर करना चाहिए जिससे परमेश्वर प्रसन्न नहीं होता। जैसे ही हम अपने अन्दर जमी हुई सारी गन्दगियों को हटाएंगे, तभी हम स्वर्ग से आत्मिक अनुग्रह और कृपा पाकर, स्वर्ग के राज्य में वापस जाएंगे।

चांदी का मैल दूर कर

बहुत समय पहले, पुराने लोग जब त्योहारों के अवसर पर शहर से अपने गांव वापस जाते थे, तो वे बहुत तैयारी करते थे। उस समय, जल आपूर्ति सुविधाओं के उपलब्ध न होने के कारण, लोग बार–बार और कई दिनों तक नहीं नहा सकते थे। फिर भी खास कर, माता–पिता को देखने के लिए अपने गांव जाने से पहले, वे खुद को साफ़ करते थे। और वे उपहार के साथ नए कपड़े पहनकर घर जाते थे।

हमारे आत्मिक गांव, जो स्वर्ग का राज्य है, वापस जाने के लिए, हमें भी ऐसी तैयारी करना जरूरी है। सबसे पहले जो हमें करना है, वह हमारी आत्माओं पर लगी हुई गन्दगी को साफ़ करना है।

“चांदी का मैल दूर करने से वह सुनार के काम की बन जाती है; राजा के सामने से दुष्टों को दूर कर देने पर, उसका सिंहासन धार्मिकता के कारण स्थिर होगा।” नीत 25:4–5

यदि चांदी की गन्दगी दूर न करे, तो चांदी की कोई क़ीमत नहीं है। चांदी के अपनी क़ीमत पर रहने के लिए, उस पर लगी हुई सारी गन्दगियों को दूर किया जाना चाहिए।

यहां पर चांदी मूल्यवान चीज़ के रूप में जानी जाती है। यदि हम आत्मिक रूप से देखें, तो परमेश्वर के छुड़ाए हुए 144,000 जन वास्तव में सबसे मूल्यवान और सुन्दर लोग हैं। परमेश्वर की आखों से वे निर्दोष हैं और सबसे सुन्दर पहले फल हैं, क्योंकि परमेश्वर ने 6 हज़ार वर्षों तक उन्हें सम्पूर्ण बनाया है।(प्रक 14:1–5)

फिर भी, यदि हमारी आत्मा हर प्रकार की सांसारिक गन्दगी और कूड़े में सनी रहे जो परमेश्वर की आखों में बदसूरत है, तो जब तक इसे न हटाएं, हम पवित्र लोग न कहलाएंगे। जब तक सोना या चांदी जैसी बहुमूल्य वस्तुएं गन्दगी से भरी हुई हैं, तब तक इससे क़ीमती और उपयोगी बर्तन नहीं बनाया जाता।

जिस प्रकार चांदी को आग में डालकर गन्दगी को साफ़ किया जाता है, उसी प्रकार हमारी आत्मा भी आग की तरह दुख से गुज़रते हुए, दुष्ट व गन्दी चीज़ों से साफ़ की जाती है। जब हम उन गन्दी चीज़ों को, जो परमेश्वर अपवित्र मानता है, वैसे हटा देंगे जैसे परमेश्वर हमें कहता है, तब हम सच में सुन्दर रत्नों के समान बदल जाएंगे।

यदि कोई अन्त तक अपनी बुरी चीज़ों को न छोड़ देगा, तो परमेश्वर उसे पवित्र लोगों से अलग करेगा। हम इसे यीशु के दृष्टान्त से जान सकते हैं। उसने कहा है कि ‘स्वर्ग का राज्य उस बड़े जाल के समान है, जो समुद्र में डाला गया, और हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया। और जब भर गया, तो उसको किनारे पर खींच लाए, और बैठकर अच्छी अच्छी तो बरतनों में इकट्ठा किया और निकम्मी निकम्मी फेंक दी।’, और ‘दो स्त्रियां चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।’(मत 13:47–50; 24:40–41 संदर्भ)

अपने विचार को छोड़ कर परमेश्वर की ओर फिरे

हम तभी स्वर्ग के राज्य में जा सकते हैं, जब हम परमेश्वर की आज्ञाएं पूरी तरह से मानते हैं और परमेश्वर की सन्तान के रूप में अपने अन्दर गन्दगियों को पूरी तरह से हटा देते हैं। आइए हम इस संसार में रहते हुए लगी गन्दगी के ढेर, बुरी आदत, ग़लत विचार, कठोरता और घमण्ड को एकदम से छोड़ दें और परमेश्वर के वचन से पूरी तरह से बदल जाएं।

“जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो। दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच–विचार छोड़कर यहोवा की ओर फिरे, और वह उस पर दया करेगा, हां, हमारे परमेश्वर की ओर, क्योंकि वह पूरी रीति से क्षमा करेगा। यहोवा कहता है, “मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं हैं, न ही तुम्हारे मार्ग और मेरे मार्ग एक जैसे हैं। क्योंकि मेरे और तुम्हारे मार्गों में और मेरे और तुम्हारे सोच–विचारों में आकाश और पृथ्वी का अन्तर है। … ” यश 55:6–11

परमेश्वर और हमारे विचार में बहुत फ़र्क. है। इसी कारण परमेश्वर ने कहा है कि हम अपने सोच–विचार छोड़कर परमेश्वर की ओर फिरें और उसकी शिक्षा के अनुसार चलें, तो वह हम पर दया करेगा।

यदि हमारा विचार परमेश्वर की शिक्षा के विरुद्ध हो, तो हमें अपना विचार एकदम से छोड़ देना चाहिए। यदि कोई अब तक, अपना विचार नहीं छोड़ता, तो वह ऐसा आदमी है जो गन्दगी को अपने आप पर रख छोड़ता है।

अब परमेश्वर हमें ऐसा सम्पूर्ण मनुष्य बनाने के लिए, जो पवित्र और निर्दोष है, धर्म के वचन के द्वारा हमें शुद्ध कर रहा है। इसलिए हमें परमेश्वर के वचन के द्वारा, हरेक गन्दी वस्तुओं को हटा देना चाहिए। फिर भी यदि हम अपने विचार से भरे रहें और परमेश्वर के विचार को दूर करते रहें, तो स्वर्ग में हमारी कोई कीमती नहीं होगी।

कोई भी चीज़ मैल हटाने पर ही, सुन्दर हो सकती है, और गन्दगी छोड़ देने पर ही, सुन्दरता ले सकती है। उसी तरह से हमारा अपना विचार छोड़ते ही, परमेश्वर के अनुग्रहमय वचन हमें मार्ग दिखाएंगे और हम पर राज्य करेंगे। जब परमेश्वर के धर्मी वचन हमारे अन्दर जीवित और प्रभावशाली होंगे, तब हम स्वर्ग के राज्य में जाने के काबिल हो सकेंगे।

आत्मिक मैल जिनसे परमेश्वर घृणा करता है

परमेश्वर ने उन आत्मिक मैलों के बारे में बताया है जो हमें छोड़ना चाहिए। और उसने कहा कि इन मैलों को छोड़े बिना, हम स्वर्ग कभी नहीं जा सकेंगे।

“छ: बातें हैं जिनसे यहोवा बैर रखता है। वरन् सात हैं जिनसे उसे घृणा है: घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें, झूठ बोलने वाली जीभ, निर्दोष का लहू बहाने वाले हाथ, बुरी युक्ति गढ़ने वाला मन, बुराई के लिए शीघ्रता से दौड़ने वाले पैर, झूठ बोलने वाला साक्षी, और भाइयों में झगड़े फैलाने वाला मनुष्य।” नीत 6:16–19

कुछ बातें हैं जिनसे परमेश्वर बैर रखता है। उनमें से पहली बात घमण्ड है। किसी भी मनुष्य को ऐसा घमण्डी विचार बिना जाने–बूझे ही घर कर जाता है कि ‘मैं दूसरे से इस काम करने में ज्य़ादा कुशल और समर्थ हूं, तो मैं बढ़िया काम कर लूंगा’। हमें ऐसे घमण्ड से सचेत रह कर, हमेशा नम्र विचार रखना चाहिए। हम कोई भी काम करने से पहले ऐसा सोच कर करेंगे कि ‘मैं दूसरे से इस काम करने में ज्य़ादा कमज़ोर हूं, फिर भी परमेश्वर ने मुझे अपना काम करने दिया है। मैं कितना आभारी हूं! मुझसे जितना हो सकता है, मैं पूरी कोशिश करूंगा, तो अवश्य ही पिता और माता मुझ पर दया करके मेरी मदद करेंगे।’

झूठ बोलने वाली जीभ, निर्दोष का लहू बहाने वाले हाथ, बुरी युक्ति गढ़ने वाले मन, बुराई के लिए तुरन्त दौड़नेवाले पैर, झूठ बोलने वाले साक्षी, और भाइयों में झगड़े फैलाने वाले मनुष्य से भी परमेश्वर बैर रखता है। यदि हमने परमेश्वर से उद्धार पाया है, तो हमारे अन्दर इन सभी मैलों को हटा देना चाहिए।

“ … उन वस्तुओं की खोज में लगे रहो जो स्वर्ग की हैं, जहां मसीह विद्यमान है और परमेश्वर की दाहिनी ओर विराजमान है। अपना मन पृथ्वी पर की नहीं, परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर लगाओ, क्योंकि तुम तो मर चुके हो और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है। जब मसीह, जो हमारा जीवन है, प्रकट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा में प्रकट किए जाओगे। इसलिए अपनी पार्थिव देह के अंगों को मृतक समझो, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, वासना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्तिपूजा है। इन्हीं के कारण परमेश्वर का प्रकोप आएगा। और जब तुम इन बुराइयों में जीवन व्यतीत करते थे तो तुम इन्हीं के अनुसार चलते थे। परन्तु अब तुम भी इन सब को अर्थात् क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा और मुंह से गालियां बकना, छोड़ दो। एक दूसरे से झूठ मत बोलो, क्योंकि तुमने अपने पुराने मनुष्यत्व को उसके बुरे कार्यों सहित त्याग दिया है, और नए मनुष्यत्व को पहिन लिया है जो अपने सृष्टिकर्ता के स्वरूप के अनुसार सत्य ज्ञान प्राप्त करने के लिए नया बनता जाता है।” कुल 3:1–10

हमें अपने पुराने मनुष्यत्व को उतार फेंकना है, क्योंकि हम इस सांसारिक चीज़ों से भरे होकर, परमेश्वर के राज्य में आत्मिक रूप नहीं बन सकेंगे। पिछले समय जब हम परमेश्वर को नहीं जानते थे, हम तो सांसारिक इच्छाओं के उद्देश्य के लिए मेहनत करते थे। परन्तु अब हमें इससे और अधिक बहुमूल्य और उत्तम बातों के उद्देश्य के लिए, जो परमेश्वर के राज्य में है, ऐसी मेहनत करनी चाहिए, जैसे हम चांदी का मैल दूर करते हैं।

हम अपवित्र और घृणित वस्तुओं के साथ स्वर्ग में नहीं जा सकते

यदि परमेश्वर किसी काम से घृणा करे, तो हम वह काम करना छोड़ेंगे। और यदि परमेश्वर किसी काम से प्रसन्न हो, तो हम वह काम पवित्र आत्मा के द्वारा करेंगे, जिससे सब पर अनुग्रह हो सकता है। ऐसे धार्मिकता के कार्य सुन्दर मलमल होंगे जो नई यरूशलेम, स्वर्गीय माता पहनेंगी।

“… “हल्लिलूय्याह! क्योंकि प्रभु हमारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर राज्य करता है। आओ, हम आनन्दित और हर्षित हों और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेमने का विवाह आ पहुंचा है और उस की दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है। उसे चमकदार, स्वच्छ और महीन मलमल पहिनने को दिया गया है”– यह मलमल तो संतों के धर्मिकता के कार्य हैं–” प्रक 19:6–8

हम आभूषण हैं जो दुल्हिन के महीन मलमल पर लगेंगे, इसलिए जब दुल्हिन विवाह भोज में प्रवेश करेगी, तब हम भी उसके साथ भाग ले सकेंगे। यह नहीं है कि हम स्वर्ग जाने के योग्य हैं, पर हम सिर्फ़ आभूषण के रूप में जा सकेंगे जो दुल्हिन पहनेगी। इसलिए हम परमेश्वर के राज्य में घृणित और सांसारिक वस्तुओं से भरे होकर, कभी प्रवेश नहीं कर सकेंगे।

“उसके फाटक दिन के समय कभी बन्द न होंगे, क्योंकि वहां रात्रि न होगी। वे जातियों के वैभव और सम्मान को उसमें लाएंगे; परन्तु कोई भी अपवित्र वस्तु या कोई घृणित कार्य अथवा झूठ पर आचरण करनेवाला उसमें प्रवेश नहीं करेगा, परन्तु केवल वे जिनके नाम मेमने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।” प्रक 21:25–27

प्रकाशितवाक्य 21 वां अध्याय आने वाले नए आकाश और नई पृथ्वी का वर्णन कर रहा है। अपवित्र वस्तु या घृणित कार्य से परमेश्वर प्रसन्न नहीं है। परमेश्वर ने कहा है कि ऐसे काम करने वाले स्वर्ग में कभी प्रवेश नहीं कर सकेंगे।

सांसारिक भाव में डूबे हुए लोग मन में स्वर्गीय वस्तुओं को नहीं अपना सकते। तो हम सभी अपवित्र और घृणित वस्तुओं को हटा कर, केवल वह काम ढूंढ़ेंगे और करेंगे जिससे परमेश्वर प्रसन्न होता है। जब हम अपने विचार और सभी बुरे स्वभावों को छोड़ कर, केवल परमेश्वर के वचन पर पूर्ण विश्वास करेंगे और आज्ञाकारी रहेंगे, तब सच में परमेश्वर हमारे बहुमूल्य और सुन्दर कार्य से प्रसन्न होगा।

वह विश्वास जिससे परमेश्वर उत्साहित और भावुक होता है

मान लीजिए कि एक माता–पिता के पास नया चलना सीखने वाला एक बच्चा और बहुत तेज़ दौड़ने वाला एक खिलाड़ी हैं। वास्तव में, खिलाड़ी के पास, बच्चे की तुलना में और ज्य़ादा चलने की सामर्थ्य है। लेकिन जब माता–पिता देखें कि बच्चा मुश्किल से खड़ा हो पाता है, और इधर उधर लड़खड़ाता और डगमगाता हुआ एक कदम चलता है, तो माता–पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहता।

परमेश्वर हमें ऐसे देखते हैं जैसे माता–पिता अपने बच्चे को देखते हैं। हम सब बच्चे के समान हैं, तो हम में परमेश्वर का महान कार्य करने में बहुत सारी कमजोरियां हैं। फिर भी यदि हम पिता और माता के वचन पर भरोसा रखें और विश्वास करें, और इसका पालन करने की कोशिश करें, तो सुसमाचार का फूल खिलेगा और फल फलेगा, और हमें परमेश्वर की आशीष और प्रेम मिलेगा। परमेश्वर हमारा कौशलपूर्ण ढंग से काम करना देखकर नहीं, परन्तु यह देखकर भावुक हो उठता है कि हम कमज़ोर होने पर भी, उसके वचन से प्रेम करते हुए, हर बार उसका पालन करने की कोशिश करते हैं। इससे परमेश्वर हमें असंभव काम करने में सहायता देता है।

प्रचार भी इस प्रकार से किया जाता है। हम प्रचार के द्वारा, खोए हुए भाइयों–बहनों को ढूंढ़ रहे हैं। परमेश्वर ने हमें प्रचार का कार्य दिया है, ताकि हम प्रचार के द्वारा, अपने स्वभाव को ऐसा बदल कर, जो स्वर्ग के पवित्र लोगों के स्वभाव के जैसा है, अनन्त स्वर्ग में जा सकें। प्रचार में किसी कौशल की जरूरत नहीं है। सुसमाचार का प्रचार शब्दों के ज्ञान के जरिए नहीं, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ्य और बुद्धि के जरिए किया जाता है।(1कुर 1:17 संदर्भ)

सिय्योन में हम कभी–कभी देखते हैं कि पुराने सदस्यों को प्रचार में अच्छा कौशल और बहुत सारा अनुभव हैं, फिर भी नए सदस्य उनसे ज्य़ादा फल पैदा करते हैं, चाहे उन्हें सत्य में आए बहुत थोड़ा समय बीता हो। यही कारण है कि नए सदस्य कैसे करना नहीं जानते, लेकिन वे एक आत्मा बचाने के लिए ऐसी कोशिश करते हैं जैसे बच्चा चलने की कोशिश करता हो। इसलिए परमेश्वर इसे देखकर भावुक होकर उन्हें फल पैदा करने देता है।

आइए हम बच्चे की तरह स्वयं को छोटा करें। जब हम ऐसा मन रखें कि ‘परमेश्वर के राज्य जाने में, मुझे अभी तक बहुत सारी कमियां हैं, लेकिन मैं उस बच्चे की तरह, जो चलना सीखता है, पिता और माता के हरेक वचन का अभ्यास करूंगा’, तब परमेश्वर हमें अवश्य ही सफल परिणाम देगा। आत्मिक रूप से बच्चे वे लोग हैं जिनसे परमेश्वर भावुक और खुश होता है। चाहे वे कुछ भी अच्छा नहीं कर पाते हों, फिर भी वे हर बार अच्छा करने की कोशिश करते हैं, और संसार में ज्योति एंव नमक होने वाली सन्तान के रूप में, पिता और माता को महिमा देने के लिए मेहनत करते हैं। ऐसे लोग स्वर्ग के राज्य को छीनने का प्रयत्न करने वाले हैं।

संसार में काबिल, अनुभवी और विशेषज्ञ लोगों के द्वारा नहीं, परन्तु केवल उन्हीं के द्वारा सुसमाचार का कार्य पूरा होता है जो परमेश्वर को प्रसन्न और उत्साहित करते हैं। परमेश्वर ने हमारे उद्धार के लिए, अपना प्राण भी और स्वर्ग में महिमामय सिंहासन भी छोड़ दिया है। तो हम पूर्ण रूप से विश्वास करेंगे कि परमेश्वर के वचन केवल हमारी भलाई के लिए है। यदि हम परमेश्वर के विचार के अनुसार चलेंगे, तब हम स्वर्ग के राज्य में युगानुयुग महिमा और आशीष पाएंगे।

भले ही हम अच्छा काम नहीं कर पाते हैं, फिर भी हम पिता और माता की इच्छा के आज्ञाकारी रहने की कोशिश करेंगे, तो धीरे–धीरे हमारे अन्दर सांसारिक और ग़लत विचार हटता जाएगा। हमारे सब आत्मिक गन्दगियों को हटाने के बाद ही, परमेश्वर हमें सुन्दर बर्तन के रूप में बनाएंगे।

वचन के अनुसार करो

आइए हम परमेश्वर के वचन के अनुसार करें। जैसे परमेश्वर ने कहा है, यदि हम वैसे ही करें, तो हमें सारी आशीषें दी जाएंगी। 2 हज़ार वर्ष पहले, यीशु ने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म से अन्धा था। यीशु ने मिट्टी सानकर उसकी आंखों पर लगाकर कहा कि शीलोह में जाकर धो ले। वह अन्धा, जिसने यीशु पर विश्वास किया और उसके वचन के अनुसार किया, आंखें खोल कर देख सका।(यूहन्ना अध्याय 9)

काना के विवाह भोज में, यीशु की माता, मरियम ने सेवकों से कहा कि जो कुछ यीशु उनसे कहे, वही करें। तब यीशु ने कहा कि मटकों को पानी से भरें और उनसे कुछ पानी निकाल कर मेज़ पर रखें। जब सेवकों ने यीशु के वचन के अनुसार किया, तब पूरा पानी अच्छे दाखरस में बदल गया।(यूह 2:1–11 संदर्भ)

संसार के उपाय से बहुत सारा काम असंभव हैं, लेकिन स्वर्ग के उपाय से सब कुछ संभव हैं। परमेश्वर हमें समझाता रहता है कि जब हम वचन पर विश्वास करें, तब हम परमेश्वर की सामर्थ्य को देख सकेंगे। फिर भी, यदि कोई काम संसार के उपाय से नहीं किया जाता, तब लोग सोचते हैं कि इसका कोई हल नहीं। हमें ऐसे ग़लत विचार को त्याग देना चाहिए। जैसे परमेश्वर कहता है, वैसे ही जब सिय्योन के सदस्य अन्त तक करेंगे, तब हमारे अन्दर सभी गन्दगियां ऐसे निकल जाएंगी, जैसे चांदी से गन्दगी दूर हो जाती हो। मैं फिर से निवेदन करता हूं कि आप पिता और माता की अगुवाई में स्वर्ग की ओर अन्त तक बढ़ते रहें।

इस बात से हमारा मन खुशियों से भर जाता है, कि जब तक हम इस संसार में रहते हैं, स्वर्गीय पिता और माता हमारे साथ हैं, और हम उनकी शिक्षाओं को पाते हैं। पिता और माता की शिक्षा के अनुसार, अपने अन्दर सभी बुरी चीज़ों को छोड़ते हुए और अच्छी चीज़ों को अपनाते हुए, हम स्वर्ग के पवित्र लोगों के रूप में पूरी तरह से नया जन्म लेंगे।

यदि स्वर्ग के पवित्र लोगों के अन्दर गन्दगी जमी है, तो वे पवित्र लोग न कहलाएंगे। यदि ज्योति अन्धकार को अपनाए, तो वह अन्धकार ही है, ज्योति नहीं। आइए हम फिर से परमेश्वर की इस शिक्षा को मन में लगाएं कि चांदी का मैल दूर करें, ताकि हम अपवित्र व घृणित वस्तुओं और अपने विचार को हटा कर, केवल परमेश्वर की वस्तुओं से स्वयं को भर सकें। मैं परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि सिय्योन के सदस्य आज भी, कल भी, और स्वर्ग जाने के बाद भी, हमेशा पिता और माता की शिक्षाओं का पालन करें।