
जेल में प्रार्थना की आवाज सुनाई दे रही है। वे पौलुस और सीलास हैं।
उन दोनों पर झूठा आरोप लगाए जाने के कारण अब वे जेल में हैं। एक दासी जिसमें एक शकुन बताने वाली आत्मा समायी थी, पौलुस और उसके साथियों के पीछे–पीछे हो ली और उन्हें बहुत दिनों तक परेशान करती रही। पौलुस ने उसके अन्दर से दुष्टात्मा को बाहर निकाल दिया। फिर उसके स्वामी यह देखकर पौलुस और सीलास को पकड़कर चौक में प्रधानों के पास खींच ले गए।
“ये लोग यहूदी हैं और हमारे नगर में गड़बड़ी फैला रहे हैं। ये ऐसे रीति रिवाजों को बता रहे हैं जिन्हें अपनाना या जिन पर चलना हम रोमियों के लिये न्यायपूर्ण नहीं है।”
जब उस दासी के स्वामियों ने देखा कि वे अपनी दासी के द्वारा अब और अधिक कमाई नहीं कर सकते, तब उन्होंने झूठा दोष मढ़कर पौलुस और सीलास को अपराधी ठहराया।
हाकिमों ने दासी के स्वामियों की बात की पुष्टि किए बिना आज्ञा दी कि पौलुस और सीलास को दंड दिया जाए। उन पर बहुत मार पड़ चुकने के बाद उन्होंने उन्हें जेल में डाल दिया और उन दोनों के पैर काठ में कस दिए।
आधी रात के समय पौलुस और सीलास परमेश्वर के भजन गाते हुए प्रार्थना कर रहे थे और दूसरे कैदी उन्हें सुन रहे थे।
यद्यपि पौलुस और सीलास के साथ बहुत अन्यायपूर्ण बर्ताव किया गया, फिर भी उन्होंने परमेश्वर के भजन गाए और एक अद्भुत घटना का अनुभव किया। अचानक एक भयानक भूकम्प हुआ और तुरन्त जेल के फाटक खुल गए। और हर किसी की बेड़ियां खुल पड़ीं। दारोगा ने पौलुस के प्रचार के द्वारा मसीह को महसूस किया, और रात को उसी घड़ी उसने अपने सारे घर के लोगों के साथ बपतिस्मा लिया।
अगले दिन जब हाकिमों को यह पता चला कि पौलुस और सीलास रोमी हैं, तो वे बहुत डर गए क्योंकि उन्होंने पहले उनके साथ मनमाने ढंग से व्यवहार किया था। इसलिए वे उनके पास आए, और उन्होंने उनसे क्षमा याचना की और उस नगर को छोड़कर चले जाने का निवेदन किया।
जो कोई किसी भी परिस्थिति में परमेश्वर का भय मानना और उनके भजन गाना कभी नहीं छोड़ता है, उसके सब काम सफल होते हैं। चाहे हमें तकलीफ हो, जब हम हमेशा खुश रहें और धन्यवाद करें, तब आखिर में परमेश्वर हमारा भला करने से कभी नहीं चूकेंगे।