क्या सच में आत्मा का अस्तित्व है?

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आत्मा धर्म के दायरे से परे लंबे अरसे से लोगों के बीच में चर्चा और बहस का विषय रही है। हाल ही में एक प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिक वैज्ञानिक ने कहा, “मौत के बाद की दुनिया सिर्फ उन लोगों के द्वारा रचित एक परी की कहानी है जो मृत्यु से डरते हैं,” और उसका यह बयान भी विवाद का विषय बन गया।

जो सोचते हैं कि मृत्यु के बाद सब कुछ समाप्त हो जाता है, उन लोगों के लिए आत्मा और कुछ नहीं बल्कि मनुष्यों की कल्पना से बनाई गई चीज है। सिर्फ नास्तिक ही नहीं, बल्कि आस्तिक भी जो परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हैं, यह जोर देते हैं कि आत्मा नहीं होती। जैसे 2,000 वर्ष पहले सदूकियों ने जो यहूदी धर्म के एक पंथ के थे, आत्मा के अस्तित्व से इनकार किया, वैसे ही वे दावा करते हैं कि आत्मिक दुनिया नहीं है, क्योंकि परमेश्वर सिर्फ दृश्य दुनिया पर शासन करते हैं।

आत्मा का अस्तित्व है

आत्मा का अवश्य अस्तित्व है। लेकिन हम अपनी नंगी आंखों से उसे नहीं देख सकते। इसी कारण लंबे समय से आत्मा के अस्तित्व को लेकर विवाद चलता रहता है। परन्तु इसका मतलब यह नहीं कि जो अदृश्य है उसका अस्तित्व नहीं है। दुनिया में ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो दिखाई न देने पर भी अस्तित्व में ही है।

रोगाणु या जीवाणु हमारी आंखों के लिए अदृश्य है, लेकिन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके हम उसे देख सकते हैं। आत्मिक दुनिया के साथ भी ऐसा ही है। भले ही आत्मा हमारी आंखों में दिखाई नहीं देती, लेकिन यदि हम एक विशेष उपकरण का उपयोग करें, तो हम उसे देख सकते हैं। वह बाइबल है जो परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गई है।

सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है, ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए। 2तीम 3:16–17

हमें बाइबल देने के पीछे परमेश्वर का मुख्य उद्देश्य हमारी आत्माओं को उद्धार देना है(1पत 1:9)।

इसलिए बाइबल में सृष्टि के इतिहास के समय से आत्मा के बारे में अनगिनत अभिलेख दर्ज हैं।

तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा, और उसके नथनो में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवत प्राणी बन गया। उत 2:7

एक जीवित प्राणी मिट्टी(शरीर) और जीवन का श्वास(आत्मा) का मिश्रण है। मृत्यु का मतलब आत्मा का शरीर से अलग होना है। इसलिए जब एक मनुष्य मरता है, तब दोनों तत्व, यानी शरीर और आत्मा अपने मूल स्थान पर लौट जाते हैं।

तब मिट्टी ज्यों की त्यों मिट्टी में मिल जाएगी, और आत्मा परमेश्वर के पास जिस ने उसे दिया लौट जाएगी। सभ 12:7

बाइबल दिखाती है कि हमारी आत्माएं इस पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले स्वर्गदूत थीं जो स्वर्ग में परमेश्वर के साथ थीं(नीत 8:22–26, अय 38:1–21, लूक 15:3–7)। दुनिया जिसमें हम अब रहते हैं, ऐसी जगह है जहां स्वर्गदूत जिन्हें परमेश्वर के विरुद्ध पाप करने के कारण स्वर्ग से निकाल दिया गया था, शरीर में जी रहे हैं। चूंकि आत्मा मूल रूप से स्वर्ग में थी, इसलिए जब मनुष्य मरता है, तब उसकी आत्मा स्वर्ग में परमेश्वर के पास वापस जाती है और उसका शरीर मिट्टी में लौटकर सड़ जाता है, लेकिन उसकी आत्मा जीवित रहती है और अस्तित्व में रहती है।

किनसे मत डरना? जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उनसे मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नष्ट कर सकता है। मत 10:28

बाइबल सत्य है

जो आत्मिक दुनिया पर विश्वास नहीं करते, वे बाइबल पर विश्वास करने में नाकाम होते हैं जो आत्मिक दुनिया को साबित करती है। वे बाइबल को सिर्फ इस्राएल के इतिहास की पुस्तक या मिथकों का संग्रह मानते हैं जो वैज्ञानिक रूप से साबित नहीं किया जा सकता। परन्तु बाइबल में अनेक जगहों पर हम आसानी से उन वचनों को देख सकते हैं जो दिखाते हैं कि बाइबल सत्य है।

वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है। अय 26:7

अय्यूब की पुस्तक करीब 1,500 ईसा पूर्व में लिखी गई। कांस्य युग में जब लोग इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि पृथ्वी अंतरिक्ष में लटकी हुई है, तब बाइबल ने पहले से ही पृथ्वी का इस तरह बिल्कुल सही वर्णन किया मानो उसे किसी उपग्रह से देखा गया हो। यह एक असंदिग्ध सबूत है कि बाइबल सत्य है।

सिर्फ पृथ्वी का बाहरी रूप नहीं, बल्कि पृथ्वी की भीतरी संरचना भी विज्ञान के द्वारा साबित होने से पहले ही बाइबल में दर्ज हो चुकी थी। उस समय जब यह दर्ज की गई थी, लोगों ने विश्वास किया कि पृथ्वी के अंदर कुछ दूसरी दुनिया छिपी हुई है या भूमि के नीचे आकाश की तरह कभी न खत्म होने वाली विशाल और विस्तृत दुनिया है।

यह भूमि जो है, इससे रोटी तो मिलती है, परन्तु उसके नीचे के स्थान मानो आग से उलट दिए जाते हैं। अय 28:5

पृथ्वी को चार परतों में बांटा गया है: भूपृष्ठ जो धरती की ऊपरी सतह है, मैन्टल, ऊपरी कोर और भीतरी कोर। पृथ्वी की ऊपरी सतह से जैसे–जैसे नीचे जाते हैं तो तापमान में वृद्धि होती जाती है। भीतरी कोर का तापमान करीब 6,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है। 1,900 के दशक में वैज्ञानिकों ने खोजा कि पृथ्वी का भीतरी भाग आग के गोले के समान है, लेकिन परमेश्वर ने 3,500 वर्ष पहले से ही बाइबल में पृथ्वी की भीतरी संरचना के बारे में वर्णन किया। इसके अलावा बहुत से विश्वसनीय और ठोस सबूत हैं कि बाइबल सत्य है; उदाहरण के लिए, बाइबल में पृथ्वी के आकार के बारे में यह उल्लेख था कि अंतरिक्ष में वह केवल एक धूल के कण की तरह है, और बाइबल ने पहले से ही दुनिया के इतिहास के बारे में भविष्यवाणी कर रखी थी।

बाइबल के ये अद्भुत तथ्य यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि वचन जो बाइबल में लिखे हैं, सत्य हैं। इसलिए परमेश्वर, स्वर्ग और नरक के बारे में गवाही जिसका वर्णन बाइबल में किया गया है, नि:संदेह सत्य है।

आइए हम आत्मिक दुनिया, स्वर्ग की तैयारी करें

इल्ली जो सिर्फ पानी में रहती है, कभी उस दुनिया की कल्पना नहीं कर सकती जहां नीला आकाश और सुंदर फूल खिले हैं और वह व्याध पतंगा बनकर आजादी से उड़ेगी। उसी तरह हम उस पृथ्वी पर जी रहे हैं जो अरबों आकाशगंगाओं के अंतरिक्ष में सिर्फ एक छोटी धूल के कण के समान है, इसलिए हम उस आत्मिक दुनिया को आसानी से नहीं समझ सकते जो भविष्य में हमें दी जाएगी।

परमेश्वर ने बाइबल उन्हें दी है जो नम्रता से उद्धार की बाट जोह रहे हैं, ताकि वे आत्मिक दुनिया को ऐसे समझ सकें जैसे वे उसे अपनी आंखों से देख रहे हों, और उसके लिए तैयारी कर सकें। यदि हम परमेश्वर की इस इच्छा को जाने बिना बाइबल की शिक्षाओं को नजरअंदाज करें और सिर्फ इस पृथ्वी की चीजों के लिए ही जीवन जीएं जहां हम सौ साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकते, तो हम आत्मिक दुनिया के लिए तैयारी नहीं कर सकेंगे जो हमारे सामने एक दिन जरूर आएगी।

वे लोग भी जो इस दुनिया में अपने वर्तमान जीवन की डींग मारते हैं, मृत्यु का समय नजदीक आने पर डर महसूस करते हैं।

लेकिन वे लोग जिनके पास सच्ची बुद्धि है, ऐसा विश्वास नहीं करेंगे कि केवल दिखाई देनेवाली चीजें ही सब कुछ हैं, और वे सोचेंगे कि मनुष्य कहां से आए हैं और कहां जा रहे हैं, और आनन्द और आशा के साथ सुंदर आत्मिक दुनिया, स्वर्ग के लिए तैयारी करेंगे।

सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्तव्य यही है। सभ 12:13

प्रेरितों ने आत्मिक दुनिया को समझ लिया जिसे यीशु ने उन्हें सिखाया था, और उन्होंने अपने शारीरिक जीवन में बंधे न रहकर, केवल भविष्य में दिए जाने वाले स्वर्गीय पुरस्कार पाने की बाट जोहते हुए अपने आपको आत्माओं को बचाने के लिए समर्पित किया। उनकी तरह, चूंकि हमने भी स्वर्ग के राज्य का रहस्य समझ लिया है जिसे एलोहीम परमेश्वर ने हमें सिखाया है, आनेवाली आत्मिक दुनिया पर और स्वर्गीय पुरस्कारों पर दृढ़ विश्वास करके हमें धार्मिकता की ओर बहुत लोगों की अगुवाई करनी चाहिए, ताकि हम स्वर्ग में सर्वदा तारों के समान प्रकाशमान रह सकें।