आज हम हर दिन न्यूज चैनलों में ऐसी क्रुर और भयंकर खबरें सुनते हैं कि मामूली सी बात से गलतफहमी होने के कारण लोग लड़ाई शुरू करते हैं और वह लड़ाई इतनी बढ़ जाती है कि वे बिना झिझक के दूसरों की हत्या करते हैं।
बाइबल सिखाती है कि हम बुराई को छोड़ें और भलाई करें। यदि हमारे मन में बहुत ही अल्प या थोड़ी मात्रा में बुराई हो, तो हमें उसे अपने मन से हटाना चाहिए और स्वर्गीय संतान होने के नाते अपने दैनिक जीवन में परमेश्वर की शिक्षाओं पर और अधिक ध्यान देना चाहिए। आइए हम अपने मन से सारे गुस्से, ईष्र्या व घृणा को दूर करें और प्रेम से भरपूर परमेश्वर का मन अपनाएं। अब आइए हम यह सोचने का कुछ समय लें कि इस युग में जी रही संतानों के लिए परमेश्वर की क्या इच्छा है।
आज कहीं न कहीं से दुर्घटना और हादसे की खबरें आती रहती हैं; कुछ लोग अनुभवहीन कार चालकों से इतने अधिक क्रोधित होते हैं कि वे उनसे बदला लेने के लिए जानबूझकर रास्ते को बन्द करते हैं, और कभी–कभी इसके कारण गंभीर दुर्घटनाएं होती हैं जिनका परिणाम चोट और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है; कुछ लोग तुच्छ बातों को लेकर शत्रुता का भाव रखते हैं और निर्दयतापूर्वक अपने आसपास के लोगों को घायल करते या मार देते हैं। ऐसी डरावनी खबरें जिनकी हम पहले कभी कल्पना भी नहीं कर सके, अब लगभग हर रोज सुनाई जा रही हैं।
इसलिए यह अक्सर कहा जाता है कि इन दिनों मनुष्य सबसे डरावने जीव हैं। सिर्फ युवा लोग ही नहीं, लेकिन वृद्ध लोग भी जिन्हें पहले प्रेम और दयालुता का प्रतीक माना जाता था, आजकल अक्सर अपराध की चपेट में आते हैं। अपराधों में वृद्धों की भागीदारी की खबरें अक्सर मीडिया में आती रहती हैं। इसलिए कुछ लोग कहते हैं कि वे गांवों में एक गिलास पानी भी पीने से डरते हैं। लोगों के मन में बैठे डर और संदेह की दीवार और अधिक चौड़ी और ऊंची हो रही है। यह हमारे आधुनिक समाज की असलियत है।
पर यह स्मरण रख कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे। क्योंकि मनुष्य स्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता–पिता की आज्ञा टालनेवाले, कृतघ्न, अपवित्र, दयारहित, क्षमारहित, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी, विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं वरन् सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे। वे भक्ति का भेष तो धरेंगे, पर उसकी शक्ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहना। 2तीम 3:1–5
बाइबल ने पहले ही भविष्यवाणी की है कि इन सब बातों के कारण अंतिम दिनों में कठिन समय आएंगे। जैसे बाइबल में भविष्यवाणी की गई है, वैसे ही इन दिनों बहुत से लोग स्वार्थी और पैसों के लालची होते हैं और माता–पिता की अवहेलना करते हैं और केवल सुख–भोग की लालसा करते हैं।
आज घटित हो रही सभी भयंकर दुर्घटनाएं गलतफहमी, संदेह, नफरत, ईष्र्या, जलन और सभी दुष्ट भावनाओं के कारण होती हैं। गलत अहंकार की भावना या दूसरों से अपनी तुलना करके स्वयं को कम आंकने या अपने आपको तुच्छ एवं महत्त्वहीन समझने जैसी हीनभावना – ये सब भावनाएं क्रोध और ईष्र्या की भावनाओं को भड़काती हैं, जिससे लोग दूसरों से छोटे झगड़े करने के बाद भी अपने अन्दर नफरत की भावनाओं को जमा करते हैं। इसी कारण छोटी सी बात पर भी उनकी पुरानी नकारात्मक भावनाएं जागती हैं, और वे अपने पड़ोसियों पर गुस्सा उतारते हैं और बिना हिचकिचाहट के उनके साथ बुरा काम करते हैं। यह इस पीढ़ी का चेहरा है।
अन्त में दुष्टों का अन्त विनाश है। यदि कोई दूसरे के साथ बुरा काम करे, तो वह दूसरे के भविष्य के साथ अपने भविष्य को भी बिगाड़ता है। इतना ही नहीं, वह सिर्फ अपने परिवार और दूसरे के परिवार को ही नहीं, बल्कि उनसे जुड़े हुए बहुत से लोगों को भी शोक और दुर्भाग्य में डूबा देता है।
भले ही संसार के लोग केवल अपने आपसे प्रेम करते हैं और अभिमानी व घमण्डी होकर परमेश्वर–प्रेमी होने की अपेक्षा सुखवादी हो जाते हैं, लेकिन हमें इस संसार के सदृश्य नहीं बनना चाहिए, परन्तु परमेश्वर की शिक्षाओं में रहना चाहिए(रो 12:2)। परमेश्वर हमेशा सत्य और धार्मिकता में हमें सिखाते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं, और हमें उनकी भली, सुंदर और संपूर्ण इच्छा का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
यहोवा पर भरोसा रख, और भला कर; देश में बसा रह, और सच्चाई में मन लगाए रह। यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा। अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा। वह तेरा धर्म ज्योति के समान, और तेरा न्याय दोपहर के उजियाले के समान प्रगट करेगा। यहोवा के सामने चुपचाप रह, और धीरज से उसकी प्रतीक्षा कर; उस मनुष्य के कारण न कुढ़, जिसके काम सफल होते हैं, और वह बुरी युक्तियों को निकालता है! क्रोध से परे रह, और जलजलाहट को छोड़ दे! मत कुढ़, उससे बुराई ही निकलेगी। क्योंकि कुकर्मी लोग काट डाले जाएंगे; और जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं; और तू उसके स्थान को भलीं भांति देखने पर भी उसको न पाएगा। परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे। दुष्ट धर्मी के विरुद्ध बुरी युक्ति निकालता है, और उस पर दांत पीसता है; परन्तु प्रभु उस पर हंसेगा, क्योंकि वह देखता है कि उसका दिन आनेवाला है…। बुराई को छोड़ और भलाई कर; और तू सर्वदा बना रहेगा… यहोवा की बाट जोहता रह… भज 37:3–34
बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढूंढ़ और उसी का पीछा कर। यहोवा की आंखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उनकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं। यहोवा बुराई करनेवालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले। धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है… धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, परन्तु यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है। वह उसकी हड्डी हड्डी की रक्षा करता है; और उनमें से एक भी टूटने नहीं पाती। दुष्ट अपनी बुराई के द्वारा मारा जाएगा; और धर्मी के बैरी दोषी ठहरेंगे… भज 34:14–22
जैसे माता–पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे बुरे मार्ग में न गिरें, ठीक वैसे ही परमेश्वर चाहते हैं कि हम बुराई को छोड़कर भलाई करें। इसलिए परमेश्वर उस बाइबल के द्वारा, जिसे नबियों ने पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर लिखा, हमें बुराई से बचकर भलाई से जुड़ने के बहुत से मार्ग बताते हैं, जैसे कि “परमेश्वर पर भरोसा करो और हर समय भलाई ही करो,” “क्रोध से परे रहो और जलजलाहट को छोड़ो,” “शिकायत न करो,” “मेल को ढूंढ़ो और उसी का पीछा करो” इत्यादि।
हमें बाइबल में परमेश्वर की इन शिक्षाओं का सिर्फ अध्ययन ही नहीं करना चाहिए, लेकिन उन्हें अपने हृदयों में गहराई से रखकर उनको अभ्यास में भी लाना चाहिए। परमेश्वर के लोग वे हैं जो अच्छे कार्यों के द्वारा परमेश्वर की महिमा करते हैं और साथ ही परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते और परमेश्वर पर विश्वास करते हैं।(प्रक 14:12)
हे प्रियो, मैं तुम से विनती करता हूँ कि तुम अपने आप को परदेशी और यात्री जानकर उन सांसारिक अभिलाषाओं से जो आत्मा से युद्ध करती हैं, बचे रहो। अन्यजातियों में तुम्हारा चाल–चलन भला हो; ताकि जिन–जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जानकर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर उन्हीं के कारण कृपा–दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें। 1पत 2:11–12
दुष्ट लोग जो सत्य का मार्ग बदनाम करते हैं, वे परमेश्वर के लोगों की निन्दा करने के लिए उनकी गलती को, चाहे वह छोटी ही क्यों न हो, ढूंढ़ने की हर संभव कोशिश करते हैं। इसी कारण बाइबल कहती है, “अन्यजातियों में तुम्हारा चाल–चलन भला हो; ताकि जिन–जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जानकर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर उन्हीं के कारण कृपा–दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें।” सिय्योन के लोगों को जरूर यह वचन याद रखना चाहिए और चाहे घर में, चाहे पड़ोस में, चाहे सत्य के नगर सिय्योन में, कहीं भी परमेश्वर की इच्छा के अनुसार हर समय भले काम करने चाहिए।
क्योंकि “जो कोई जीवन की इच्छा रखता है, और अच्छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोके रहे। वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई ही करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़े, और उसके यत्न में रहे। क्योंकि प्रभु की आंखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उसकी विनती की ओर लगे रहते हैं; परन्तु प्रभु बुराई करनेवालों के विमुख रहता है।” यदि तुम भलाई करने के लिए उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करनेवाला फिर कौन है? यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर लोगों के डराने से मत डरो, और न घबराओ। पर मसीह को प्रभु जानकर अपने अपने मन में पवित्र समझो… और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिए कि जिन बातों के विषय में तुम्हारी बदनामी होती है उनके विषय में वे, जो मसीह में तुम्हारे अच्छे चाल–चलन का अपमान करते हैं, लज्जित हों। क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो कि तुम भलाई करने के कारण दु:ख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दु:ख उठाने से उत्तम है। 1पत 3:10–17
यहां बाइबल कहती है कि हमें बुराई का साथ छोड़कर भलाई ही करनी चाहिए। और यह भी कहती है कि हम अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोककर अच्छी बातें करें और शुद्ध विवेक से भले काम करें।
यदि हम कृपापूर्ण दृष्टि से दूसरे लोगों को देखें, तो सभी लोग अच्छे दिखते हैं। लेकिन यदि हम विकृत दृष्टि से दूसरों को देखें, तो इससे गलतफहमी होती है और आखिर में हमारा भविष्य और दूसरों का भविष्य भी बिगड़ जाता है। बहुत से लोग अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाते और ईष्र्या व नफरत की भावनाओं को जमा करते हैं, जिससे गलतफहमी पैदा होती है, और यह गलतफहमी दूसरी को जन्म देती है। इस हिंसात्मक युग में हमें परमेश्वर की संतानों के रूप में अच्छे हृदय और भले कामों से संसार का नेतृत्व करना चाहिए।
सब कुछ जो हमारे साथ होता है, वह परमेश्वर की इच्छा के अनुसार घटित होता है। चाहे हम किसी भी परिस्थिति में हों, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अन्त में परमेश्वर हमें आशीष देंगे, और हमें सदा आनन्दित रहना चाहिए और हर बात में धन्यवाद देना चाहिए।
जब आप अनचाही परिस्थितियों का सामना करें, तब अपनी इच्छा के अनुसार काम करने के बजाय परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए। जब कभी हम समस्याओं या मुश्किलों का सामना करते हैं, हमें प्रार्थना के द्वारा परमेश्वर से बुद्धि मांगने की जरूरत है ताकि हम सही तरह से उनका हल निकाल सकें।
सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्पर रहो, आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्टा करो। सदा आनन्दित रहो। निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो। हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है। 1थिस 5:15–18
परमेश्वर हमसे कहते हैं कि बुराई का बदला बुराई से न दें, बल्कि सदा एक दूसरे के साथ भलाई करने का ही जतन करें, और हमें ऐसा करने के लिए इस प्रकार व्यवहार करना सिखाते हैं कि सदा आनन्दित रहो, निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो और हर बात में धन्यवाद करो।
परमेश्वर ने हमें हर प्रकार की दुष्टता से बचे रहने के लिए कहा है(1थिस 5:22)। हमें नफरत को इकट्ठा नहीं करना चाहिए, और न ही हमें यह सोचते हुए कि हम दूसरों से बेहतर या बदतर कर रहे हैं, एक दूसरे के प्रति अहंकार या जलन रखनी चाहिए। क्या होगा यदि हम सब प्रकार की दुष्टताओं को निकाल देने के बजाय उन्हें जमा करते रहें? चाहे दुष्टता का बीज शुरुआत में छोटा होता है, लेकिन वह बड़ा हो जाएगा और आत्म विनाश ले आता है।
जिन्होंने कई सांसारिक अशुद्धताओं के साथ सत्य के नगर, सिय्योन में अभी बस प्रवेश किया है, उन्हें यकीनन अपनी खामियां और बुरी आदतों को निकाल फेंकने के द्वारा अपने आपको बदलना चाहिए, और जिन्होंने सिय्योन में पहले प्रवेश किया, उन्हें भले उदाहरण स्थापित करते हुए उनकी सहायता करने की आवश्यकता है। परमेश्वर ने हमें लगातार भलाई करने और मेल को ढूंढ़ने के लिए कहा है। इन सभी शिक्षाओं में परमेश्वर की इच्छा शामिल है कि वह अपनी सन्तानों को परमेश्वर की महिमा करने वाले पवित्र और भक्त लोगों के रूप में नया जन्म दें।
आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुंचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है। उसको शुद्ध और चमकदार महीन मलमल पहिनने का अधिकार दिया गया” क्योंकि उस महीन मलमल का अर्थ पवित्र लोगों के धर्म के काम है। प्रक 19:7–8
परमेश्वर ने हमारे धर्म के काम को दुल्हिन के महीन मलमल का आभूषण बनाया है। क्या होगा यदि दुल्हिन हमारे गलत व्यवहार के वस्त्र पहने? तब उसका महीन मलमल शुद्ध नहीं बल्कि अशुद्ध ही रहेगा।
चूंकि हम इस पापमय संसार में रह रहे हैं, हम कई परेशानियों का सामना करते हैं और एक दूसरे से बातचीत एवं व्यवहार करने के दौरान, यानी निर्मल किए जाने के दौरान हम कई बार परेशान और कष्टमय महसूस करते हैं। यदि हम इस प्रतिक्रिया में थोड़ी सी भी बुरी बात को जमा करें, तब यह हमारे बीच में झगड़ा उत्पन्न करने का कारण बन जाएगा; झगड़ा नफरत लेकर आएगा और नफरत शिकायत लेकर आएगा। यह अभद्र बातें बारी–बारी से उठने लगेंगी। परमेश्वर के वचन के द्वारा, हमें हर प्रकार की दुष्ट बातों को दूर करना चाहिए और भले कार्य करने चाहिए ताकि हम में से हर एक यरूशलेम हमारी स्वर्गीय माता जो दुल्हिन हैं, के महीन मलमल का एक–एक धागा बन सके।
परमेश्वर ने हमें पृथ्वी का नमक और ज्योति कहा है।(मत 5:13–16) विश्वास में परमेश्वर की सन्तान के रूप में हमें अपने भले कामों के द्वारा संसार का नमक और ज्योति होना चाहिए।
और प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये हम एक दूसरे की चिन्ता किया करें, और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो त्यों–त्यों और भी अधिक यह किया करो। इब्र 10:24–25
बाइबल हमें एक दूसरे की चिंता करना सिखाती है। यह दर्शाता है कि हमें परमेश्वर की भेड़ों की अच्छे से देखभाल करनी चाहिए। चूंकि हम परमेश्वर के महिमामय दिन को निकट आते देखते हैं, आइए हम एक दूसरे की अच्छे से देखभाल करते हुए एक दूसरे को और अधिक प्रेम और भले कार्य करने के लिए उत्साहित करें। यदि हमारे हृदय में किसी न किसी कारण से घृणा, ईष्र्या और क्रोध और साथ ही साथ झगड़ा जैसी दुष्ट बातें, बुरे विचार और भावनाएं मौजूद हैं, तब हमें अपने हृदय से सब मैल और दुष्टता को निकाल फेंकने की आवश्यकता है। अपने आप को फिर से याद दिलाएं कि परमेश्वर का हर एक वचन हमें वह मार्ग दिखाता है जिस पर हमें चलना चाहिए। आइए हम बुराई से न हारें, परन्तु भलाई से बुराई को जीत लें।(रो 12:21)
ऐसा करते हुए, हमें हमेशा आनंदमय रहना चाहिए, निरंतर प्रार्थना करनी चाहिए और हर परिस्थिति में धन्यवाद देना चाहिए। असंतोष और अधन्यवादी होना हमारे बीच में शिकायत, झगड़े और गलतफहमी का कारण बनता है, और गलतफहमी ईष्र्या और घृणा को बढ़ाती है जो क्रोध को भड़काती है। क्रोध का प्रकोप असहनीय परिस्थितियों को भी उत्पन्न करता है।
जिस प्रकार बाइबल हमें सिखाती है कि इस संसार के सदृश्य न बनो, हमें संसार से नहीं सीखना चाहिए। चाहे संसार हिंसक और दुष्ट होता है, लेकिन सिय्योन को अवश्य ही हार्दिक और सुरक्षित घोंसला होना चाहिए, जहां हम हमेशा एक भक्तिमय तरीके से व्यवहार करते हैं जो परमेश्वर की दृष्टि में भला है, और एक दूसरे की चिंता करते हैं। परमेश्वर हमें हमेशा बुराइयों से फेरकर, हर समय भला करना सिखाते हैं। हमारे हृदय की गहराई में परमेश्वर की यह शिक्षा रखते हुए, आइए हम संसार का नमक और ज्योति होने के नाते, एक दूसरे की प्रेम करने और भले कार्य करने की ओर अगुवाई करें।