मनुष्यों ने आश्चर्यजनक ढंग से सभ्यताओं को “सबसे बुद्धिमान जीव” के शीर्षक तक विकसीत किया। परन्तु, हमारे पास एक बड़ी कमजोरी है जो हमारे इस ग्रह पर ‘सर्वोच्चता’ होने के माम्लों में हमें फीका कर देती है। वह कमजोरी यह है कि हम दुनिया को अपूर्ण ज्ञानेंद्रियों से समझते हैं। दूसरे शब्दों में, दुनिया के बारे में हमारी जागरूकता का स्तर हमारी ज्ञानेंद्रियों द्वारा निर्धारित किया जाता है, और हम दुनिया को उतना ही महसूस कर सकते हैं जितना कि हमारी ज्ञानेंद्रियां अनुमति देती हैं।
हम अपनी पांच ज्ञानेंद्रियों से दुनिया को समझते हैं: दृष्टि, श्रवण, घ्राण, स्वाद और स्पर्श। जैसी एक कहावत है, “किसी चीज के विषय में हजार बार सुनने के बजाय एक बार देखना बेहतर होता है,” हम अन्य किसी भी ज्ञानेंद्रियों से ज्यादा हमारी दृष्टि पर निर्भर करते हैं। यह इसलिए है क्योंकि वस्तुओं को समझने में दृष्टि एक बड़ी भूमिका निभाती है।
हम जो देखते हैं, उस पर कितना भरोसा कर सकते हैं?
मनुष्य की आंख किसी वस्तु की दूरी और आकार के प्रति अति संवेदनशील है। हम उन वस्तुओं को जो एक निश्चित दूरी पर हैं, देख नहीं सकते, और न तो हम उन वस्तुओं को देख सकते जो एक निश्चित आकार से छोटी हैं। आप क्या सोचते हैं कि इन दो वस्तुओं में से जिन्हें हम देख सकते हैं और जिन्हें नहीं, कौन सी वस्तु संख्या में बड़े पैमाने पर है?


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हमारे हाथों में हजारों कीटाणु होते हैं। परन्तु, चाहे हम अपने हाथों को कितनी भी नजदीक से क्यों न देखें, हम उन कीटाणुओं को नहीं देख सकते हैं। यह इसीलिए क्योंकि आकार जो हम देख सकते हैं, वह लगभग 1 मिलीमीटर का है।
मनुष्यों ने ऐसी छोटी, अदृश्य चीजों को देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार किया। सबसे विशिष्ट वाला सुक्ष्मदर्शी प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी(Optical Microscope) है जो छोटे नमूनों की छवियों को बढ़ा करने के लिए अभिदृश्यक (Objective) और नेत्रक लेंस की एक प्रणाली का उपयोग करता है। चूंकि प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी दृश्य प्रकाश का उपयोग करता है, इसलिए यह दृश्य प्रकाश की तरंग दैर्ध्य से भी छोटी वाली वस्तुओं का निरीक्षण नहीं कर सकता। प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी केवल 2,000 गुणा तक वस्तुओं को बढ़ा कर सकता है क्योंकि इसका अधिकतम संभव रिज़ॉल्यूशन लगभग 0.2 माइक्रोमीटर(माइक्रोन) है, जो बड़ी मुश्किल से कोशिका के आकार की वस्तुओं को देख सकता है।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का निर्माण, प्रकाशीय सुक्ष्मदर्शी की कमियों को पूरा करने के लिए किया गया है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में एक उच्च वियोजन शक्ति1 है क्योंकि यह बहुत कम तरंग दैर्ध्य वाले इलेक्ट्रॉनों का उपयोग करता है। सूक्ष्मजीवों जैसे वायरस, जो कोशिकाओं की तुलना में छोटे होते हैं, उन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के माध्यम से देखा जा सकता है, जो लाखों बार वस्तुओं को बढ़ाने और सामग्रियों के भीतर परमाणुओं की स्थिति का निर्धारण करने में सक्षम है। लेकिन, सूक्ष्म दुनिया, जो परमाणुओं से भी एक छोटी दुनिया है, अभी भी अनदेखी और अज्ञात बनी हुई है; इसके अस्तित्व में होने की बात को केवल कल्पना की जाती है।
1. वियोजन शक्ति दो प्रत्यक्ष वस्तुओं के बीच की न्यूनतम दूरी है।
मच्छर, जो गर्मी की रातों में हमें परेशान करते हैं, जल्दी से प्रगट और गायब हो जाते हैं। यह इसलिए क्योंकि वे अपने पंखों को प्रति सेकंड 600 बार फड़फड़ाते हैं। हम उनके पंखों को फड़फड़ाते हुए नहीं देख सकते। फिर हम एक सेकंड के लिए क्या देख सकते हैं और हम इसे कितनी बारीकी से देख सकते हैं? हम गिरती पानी की बूंदों की सुंदरता नहीं देख सकते। इसके बदले, हाई-स्पीड कैमरा उन पलों को, जो मनुष्यों की आंखें देख नहीं सकतीं, रिकार्ड करते हैं। इससे पता चलता है कि अनगिनत चीजें जिन्हें हम शायद ही कभी महसूस कर सकते हैं, हमारे चारों ओर हो रही हैं।

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हम नहीं जान सकते कि ब्रह्मांड वास्तव में कैसा दिखता है
रात के आकाश में टिमटिमा रहे तारों को देखिए। हम उन अनगिनत तारों में से कुछ ही तारों को नंगी आंखों से देख सकते हैं। मनुष्यों की आंखें केवल उन तारों को देख सकती हैं जो छह परिमाण या इससे अधिक उज्जवल होते हैं; बादल रहित रात में भी आकाश में 2,000 से अधिक तारे हमारी नंगी आंखों के लिए अदृश्य हैं। यद्यपी रात के आकाश में अनगिनत तारे चमक रहे हैं, परन्तु उनमें से अधिकांश इतने मंद हैं कि वे दिखाई नहीं देते।
वह दूरबीन है जिसका आविष्कार मनुष्य की आंखों की अपूर्णता को दूर करने के लिए किया गया है। सबसे सामान्य प्रकार प्रकाशीय दूरबीन है जो लेंस या दर्पण का उपयोग करता है ताकि हम इसे देखने के लिए दूर की खगोलीय वस्तुओं से प्रकाश एकत्र कर सकें। वर्ष 1609 में गैलीलियो द्वारा बनाए गए दूरबीन का दृश्यमान क्षेत्र चांद के परिमाण का लगभग आधा व्यास था, जिसके माध्यम से वह चांद की सम्पूर्ण सतह को नहीं देख सकता था। परन्तु, आज, 8 से 10 मीटर व्यास वाले बड़े दूरबीन बनाए गए हैं, जो दस अरब प्रकाश वर्ष से भी अधिक दूर की खगोलीय वस्तुओं से निकले मंद प्रकाश को भी एकत्र कर सकते हैं। जब दूरबीन द्वारा एकत्रित प्रकाश लंबे समय की अवधी तक संचित रहे, तो हम सुदंर खगोलीय वस्तुओं की भी तस्वीर खींच सकते हैं जिन्हें हमारी आंखें नहीं देख सकतीं। दूरबीन के आविष्कार ने मनुष्यों को ओर भी दूर तक देखने की अनुमति दी है।
प्रकाशीय दूरबीन से देखे तो ब्रह्मांड अंधेरा और खाली दिखता है। लेकिन विभिन्न प्रकार के विद्युत चुंबकीय तरंगों से खीची गई ब्रह्मांड की उसी खाली जगह की तस्विरों को देखते हुए, हमें अपनी दृष्टि की सीमाओं का फिर से एहसास होता है। ब्रह्मांड में, जो मनुष्यों की आंखों से अंधेरा और खाली दिखाई देता है, वास्तव में अनगिनत खगोलीय पदार्थ और वस्तुएं हैं।

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20वीं सदी की शुरुआत तक, खगोलीय अवलोकन दृश्य प्रकाश की सीमा के बीच किए गए थे। हालांकि, अब, अदृश्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों का भी पता लगाया जा सकता है। हम विभिन्न प्रकार के विद्युत चुम्बकीय विकिरणों को कैद करके और उनका विश्लेषण करके, अंतरिक्ष में उन चीजों का, जिन्हें हम पहले नहीं देख सकते थे, निरीक्षण करने में सक्षम हो गए हैं। एक अमेरिकी भौतिक विज्ञानी और रेडियो इंजीनियर कार्ल जान्स्की के अंतरिक्ष से आने वाली रेडियो तरंगों की खोज करने तक, लोगों का मानना था कि प्रकाशीय दूरबीन से दिखाई देनी वाली वस्तुओं को छोड़कर अंतरिक्ष में कोई अन्य वस्तु नहीं है। लेकिन, ब्रह्मांड मानव आंखों के लिए अदृश्य वस्तुओं से भरा है।
जबकि प्रकाशीय दूरबीन खगोलीय वस्तुओं से दृश्यमान प्रकाश को इकट्ठा करता है, रेडियो दूरबीन ब्रह्मांड से रेडियो तरंगों का पता लगा सकता है जो प्रकाशीय दूरबीन नहीं कर सकता। जिन रेडियो तरंगों की तस्वीरों का हम अवलोकन करते हैं वे ऐन्टेना से रेडियो तरंगों के जरिए हासिल की गई जानकारी से जुड़े कंप्यूटर-निर्मित चित्र हैं।
अधिकांश रेडियो तरंग जिनका पृथ्वी पर पता लगाए जा सकते हैं, हमें परमाणुओं और अणुओं से हासिल जानकारियों से निर्मित वस्तुओं को देखने में सक्षम बनाती हैं।

वायुमंडल विद्युत चुम्बकीय तरंगों को पूरी तरह से पार होने नहीं देता। दृश्यमान प्रकाश भी, वायुमंडल से गुजरते समय मुड़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप खगोलीय पिंडों की विकृत छवियां होती हैं। दृश्यमान प्रकाश और रेडियो तरंगों के अतिरिक्त तरंग दैर्घ्य पृथ्वी के वायमंडल से सोखे या प्रतिबिंबित किए जाते हैं। इसलिए विद्युत चुम्बकीय तरंगों का अवलोकन करने के लिए हमें ब्रह्मांड में एक दूरबीन को छोड़ना पड़ता है। हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी [Hubble Space Telescope(HST)] ब्रह्मांड में स्थिर किया गया एक पहला प्रमुख प्रकाशीय दूरबीन है। HST खास तौर पर पराबैंगनी और दृश्यमान प्रकाश का निरीक्षण करता है। अंतरिक्ष दूरबीनों के माध्यम से, मनुष्य न केवल दृश्यमान प्रकाश में, बल्कि प्रोटोस्टार से निकलने वाले अवरक्त विकिरण में तारों के जन्म को देख सकता है, और पराबैंगनी प्रकाश में उन सक्रिय आकाशगंगाओं का भी निरीक्षण कर सकता है जो तारों का निर्माण करते हैं। एक्स-रे और गामा किरणों ने हमें सुपरनोवा विस्फोटों जैसी ब्रह्मांड की हिंसक गतिविधि देखने दिया है।
जब हम तारों को देखते हैं, तो हम वास्तव में उनका अतीत प्रकाश को देख रहे होते हैं। ब्रह्मांड अति विशाल है कि प्रकाश भी जो चरम गति में यात्रा करता है, हमें समस्त ब्रह्मांड को दिखाने के लिए पर्याप्त तेज नहीं है। यदि पृथ्वी से देखा गया एक तारा 10 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर हो तो उसने अपने प्रकाश को 10 करोड़ वर्ष पहले उत्सर्जित किया है, और वह तारा अब मौजूद नहीं हो सकता। आधुनिक विज्ञान के अनुसार, दृश्यमान ब्रह्मांड का आकार 13.7 अरब प्रकाश वर्ष है। अभी भी ब्रह्मांड में तारों और आकाशगंगाओं का जन्म और मृत्यु हो रही हैं, परन्तु मनुष्य दूर भविष्य में मुश्किल से उनका पर्यवेक्षण कर सकते हैं। ब्रह्मांड इतना दूर है कि वह दिखाई नहीं देता; उसे मानव गति और दूरी से समझा नहीं जा सकता।
प्राचीन काल से, मनुष्य अदृश्य दुनिया की अभिलाषा कर रहे हैं। अब जब विज्ञान विकसित हो गया है, आइए हम इस पर विचार करें कि जिस दुनिया को हमारी आंखें देखती हैं वह सब कुछ है या नहीं। आज, हम उस ब्रह्मांड का निरीक्षण कर सकते हैं जो देखने के लिए बहुत दूर था, वह दुनिया जो देखने में बहुत छोटी थी और वे क्षण जो इतनी तेजी से बीत जाते हैं कि हम उन्हें देख नहीं सकते। तब क्या हम यह कह सकते हैं कि विज्ञान के माध्यम से हम जिस दुनिया को देख रहे हैं वह सब कुछ है?
जिस तरह कुएं में एक मेंढक बाहरी दुनिया के बारे में नहीं जानता, और जिस तरह पानी में एक व्याध पतंग को नहीं पता कि वह पारदर्शी पंखों से आकाश में उड़ जाएगा, शायद हम एक निश्चित विचार के साथ जी रहे हैं। ऐसी और भी चीजें हैं जिन्हें हम अपनी अपूर्ण आंखों से देख नहीं सकते। इसलिए, केवल जो देखाई देता है, उस पर विश्वास करना केवल मनुष्यों का अहंकार है।
हमें यह विश्वास करने की आवश्यकता है कि जिस दुनिया को हम नहीं देख सकते उसका निश्चित रूप से अस्तित्व है। वर्तमान समय में जब विज्ञान का विकास हुआ है, हमें इस प्रकार की मानसिकता रखने की आवश्यकता है।