यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं, फिर भी वह क्यों मनुष्य के रूप में आए?
परमेश्वर जब भी चाहें, वह अवश्य ही मनुष्य के रूप में प्रकट हो सकते हैं। क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास ऐसी शक्ति है कि वह शरीर रूप का धारण कर सकते हैं या उसे उतार सकते हैं।
फिर क्यों परमेश्वर एक कमजोर बालक और पुत्र के रूप में स्वयं पृथ्वी पर आए? जब हम सोचते हैं कि हम कौन हैं, तब हम आसानी से इस बात को समझ सकते हैं।
मसीह हमें पापों की क्षमा और अनन्त जीवन देने के लिए आए
यीशु ने कहा कि इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी मनुष्य पापी हैं जो स्वर्ग से पाप करके निकाल दिए गए हैं।
“… क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं।” मत 9:13
“क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उनका उद्धार करने आया है।” लूक 19:10
“पाप की मजदूरी तो मृत्यु है।”(रो 6:23) इन वचनों से संबद्ध करते हुए, हम समझ सकते हैं कि सभी मनुष्य पापी हैं जिन्होंने स्वर्ग में इतना गंभीर पाप किया जिससे मौत की सजा सुनाई गई। यीशु के इस पृथ्वी पर स्वंय शरीर में आने का पहला कारण यह था कि उसे हमारे बदले में जिन्हें पापों के कारण मौत की सजा मिली थी, दंडित किया जाना था।
पुराने नियम की व्यवस्था के अनुसार, उस पापी को, जिसके लिए मरना नियुक्त किया गया था, आजाद कराने के लिए, किसी को उसके बदले में उसका पाप उठाना पड़ता था।(1रा 20:42) इसलिए परमेश्वर यीशु के नाम से आए और पापियों के लिए पापबलि के रूप में क्रूस पर अपना बलिदान कर दिया। हमारे बदले में मौत की सजा पाने के द्वारा, उन्होंने हमें मौत की सजा से बचा लिया।
“जैसे कि मनुष्य का पुत्र; वह इसलिये नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए, परन्तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपने प्राण दे।” मत 20:28
चूंकि यीशु, जो परमेश्वर हैं, इस उद्देश्य के साथ आए, इसलिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने गवाही दी कि यीशु परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है।(यूह 1:29) पुराने नियम में यशायाह नबी और नए नियम में प्रेरित पौलुस ने भी गवाही दी कि मसीह शरीर में आए और हमारे पापों को उठा लिया।
परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी, कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएं। हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया… तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब वह अपना प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी। यश 53:5–10
क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल होकर न कर सकी, उसको परमेश्वर ने किया, अर्थात् अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में और पापबलि होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी। रो 8:3
जिसे मूसा की वह व्यवस्था जो मनुष्य के भौतिक स्वभाव के कारण दुर्बल बना दी गई थी, नहीं कर सकी उसे परमेश्वर ने अपने पुत्र को हमारे ही जैसे शरीर में भेजकर जिससे हम पाप करते हैं – उसकी भौतिक देह को पाप वाली बनाकर पाप को निरस्त करके पूरा किया। रो 8:3 (डब्लू.बी.टी.सी.)
विशेष कानून जिसे परमेश्वर ने हमें पापों की क्षमा देने के लिए और अनन्त जीवन तक पहुंचाने के लिए अपने लहू से स्थापित किया, वह नई वाचा का फसह का पर्व है।(लूक 22:20)
“क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।” मत 26:28
नई वाचा का फसह जीवन का सत्य है, जिसे परमेश्वर ने पापों के कारण अनन्त दंड से बच न सकने वाली हमारी आत्माओं को बचाने के लिए स्वंय स्थापित किया।
सुसमाचार की सेवकाई के माध्यम से मसीह ने फिर से जन्म लेने का उदाहरण हमें दिखाया
परमेश्वर के पृथ्वी पर शरीर में आने का कारण सिर्फ यह नहीं है कि वह पापबलि के रूप में खुद को बलिदान करें, लेकिन वह हमें उस नई वाचा का सुसमाचार जो हमें पापों की क्षमा और अनन्त जीवन का प्रदान कराता है, सिखाने और उसका प्रचार करने के लिए भी आए।
क्योंकि मैं ने तुम्हें नमूना दिखा दिया है कि जैसा मैं ने तुम्हारे साथ किया है, तुम भी वैसा ही किया करो… यूह 13:15–17
यीशु इस्राएल के कई क्षेत्रों में गए, और बहुत कठिनाइयों को सहते हुए, स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया। सभी शिक्षाएं और सुसमाचार जो यीशु ने 3 वर्ष तक सिखाए, वे हमारे लिए, जो भविष्य में स्वर्ग के वारिस होंगे, विश्वास के उदाहरण हैं। इसलिए पापियों को ढूंढ़कर उद्धार देने का सुसमाचार का कार्य खत्म हो जाने के बाद, यीशु ने अपने चेलों से कहा ‘सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, सभी देशों के लोगों को मानना सिखाओ।’(मत 28:20)
यीशु ने जिस सुसमाचार का अभ्यास किया वह निश्चय ही हमें अनन्त स्वर्ग तक ले जाने वाला सत्य है।(यूह 14:6) यीशु ने बहुत अधिक उदाहरण दिखाए, जिनका हमें पापों की क्षमा पाकर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए पालन करना चाहिए।
यीशु निष्पाप थे, फिर भी उन्होंने बपतिस्मा लिया कि वह हमें पापों को दफनाने के द्वारा फिर से नया जन्म लेने का सिद्धांत दिखाएं।(मत 3:16) यीशु ने अपनी रीति के अनुसार सब्त का दिन मनाया(लूक 4:16), और अपने चेलों के साथ नई वाचा का फसह का पर्व मनाया।(मत 26:17–28), और झोपड़ियों के पर्व में जीवन का जल देने का वादा किया(यूह 7:2, 37), इससे उन्होंने हमें सिखाया कि हमें स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए नई वाचा के पर्व मनाने चाहिए।
पर्व और नियमों के अलावा, यीशु ने नम्र और दीन होकर(मत 11:29) अपने चेलों की सेवा करने के द्वारा सच्चा चरवाहा होने का उदाहरण दिखाया।(लूक 22:24–27; यूह 10:11–15) हमें जो कमजोर हैं, शैतान के प्रलोभन पर काबू पाने का मार्ग सिखाने के लिए, उन्हें शैतान के द्वारा परखा गया, और उन्होंने परमेश्वर के वचनों से शैतान को हराया।(मत 4:1–11) इस तरह से, यीशु के उदाहरण विस्तार से बाइबल में दर्ज किए गए हैं, ताकि हम उनका अनुसरण कर सकें। यीशु का जीवन एक मैनुअल जैसा है जो स्वर्ग के राज्य की ओर हमारा मार्गदर्शन करता है।
केवल परमेश्वर को पाप क्षमा करने का अधिकार है
अंतत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर के शरीर में आने का कारण स्वर्ग के पापी, यानी हम स्वयं हैं।
एक पापी के लिए पाप से मुक्त होने का एक ही रास्ता है, वह पापों की क्षमा है। लेकिन हम, जो पापी हैं, अपने धर्म या शक्ति से यह कभी हासिल नहीं कर सकते।
सांसारिक सिद्धांत के माध्यम से भी हम इसे समझ सकते हैं। एक देश में जहां मौत की सजा होती है, एक अपराधी को जिसे मृत्युदंड मिला है, आम तौर पर, केवल राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे देश के मुखिया के द्वारा क्षमा किया जा सकता है। हमारे आध्यात्मिक पापों के साथ भी ऐसा ही है। उन पापों को जो हमने स्वर्ग में करके मृत्युदंड पाया है, केवल परमेश्वर के द्वारा क्षमा किया जा सकता है।
यीशु ने उनका विश्वास देखकर उस लकवे के रोगी से कहा, “हे पुत्र, तेरे पाप क्षमा हुए।” तब कई शास्त्री जो वहां बैठे थे, अपने–अपने मन में विचार करने लगे, “यह मनुष्य क्यों ऐसा कहता है? यह तो परमेश्वर की निन्दा करता है! परमेश्वर को छोड़ और कौन पाप क्षमा कर सकता है?” यीशु ने तुरन्त अपनी आत्मा में जान लिया कि वे अपने–अपने मन से ऐसा विचार कर रहे हैं, और उनसे कहा… “परन्तु जिस से तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का भी अधिकार है।” मर 2:5–10
परमेश्वर पाप क्षमा करने के अधिकार के द्वारा हमें बचाने के लिए शरीर में आए। जैसे हम मांस और लहू के भागी हैं, परमेश्वर भी हमारे समान उनके सहभागी हो गए, हमारे दुखों को सह लिया, और उन पापों का बोझ उठा लिया जो हमें उठाना चाहिए था।
“… मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं।” यूह 10:10
इसलिये जब कि लड़के मांस और लहू के भागी हैं, तो वह आप भी उनके समान उनका सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात् शैतान को निकम्मा कर दे; और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले। इब्र 2:14–15
अगर कोई और होता जो जीवन दे सकता था, तब परमेश्वर के शरीर में आने का कोई कारण न होता। परमेश्वर को छोड़ अनन्त जीवन कोई नहीं दे सकता, चाहे वह एक स्वर्गदूत हो।
पूरे ब्रह्मांड में सिर्फ परमेश्वर ही वह हैं जिनके पास अनन्त जीवन है। वह अपने बच्चों को जीवन देने के लिए जिन्होंने पापों के कारण अपना जीवन खो दिया था, स्वर्ग की सारी महिमा पीछे छोड़कर शरीर में आए, और नई वाचा के फसह के सत्य को स्थापित किया जिसके द्वारा हम अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते हैं।(1तीम 6:16) लेकिन नई वाचा का फसह, जो मसीह के लहू से स्थापित किया गया था, 325 ईसवी में मिटाया गया था। तब से, 1,600 वर्षों के लंबे समय तक फसह प्रकट करने में कोई सक्षम नहीं था। फसह स्पष्ट रूप से बाइबल में लिखा है, फिर भी अनगिनत धर्मशास्त्रियों और प्रसिद्ध बाइबल विद्वानों में से कोई भी व्यक्ति फसह की सच्चाई को ढूंढ़ नहीं सकत था। यह इसलिए है कि वे परमेश्वर नहीं हैं जिनके पास अनन्त जीवन और पापों की क्षमा देने का अधिकार है, पर वे भी स्वर्ग में पापी मात्र हैं।
नई वाचा का फसह, खोए हुए जीवन का सत्य पुनस्र्थापित करने के लिए, परमेश्वर एक बार फिर से इस युग में शरीर में आए। वे हमारे स्वर्गीय पिता और स्वर्गीय माता हैं। नई वाचा के फसह, सिर्फ इस एक सबूत के द्वारा ही हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि स्वर्गीय पिता और स्वर्गीय माता सच्चे परमेश्वर हैं। बाइबल की ठोस भविष्यवाणियों के अनुसार हमने इस युग में शरीर में प्रकट हुए एलोहीम परमेश्वर को प्राप्त किया है। हमें और अधिक लगन से नई वाचा के फसह में निहित परमेश्वर के प्रेम का प्रचार करना चाहिए, यह सोचते हुए कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने सिर्फ हमें पापों की क्षमा देने के लिए खुद को स्वर्गदूतों से कम किया और मानव रूप में स्वयं पृथ्वी पर आ गए।