चिंतित से भरा एक फ्लाईकैचर पक्षी

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एक फ्लाईकैचर पक्षी रुआंसा चेहरा बनाकर टहनी पर बैठा था। माता गौरैया और उसके बच्चे ने वहां गुजरते हुए उस फ्लाईकैचर पक्षी को देखा और पूछा।

“फ्लाईकैचर पक्षी, तुम्हें क्या हुआ है?”

“मैं चिंतित हूं कि कब मुझे एक शिकारी के द्वारा गोली मारी जाएगी। मैं जीने के लिए बहुत डरता हूं।”

यह सुनकर, बच्चे गौरैया ने चिंता–भरे चेहरे के साथ अपनी माता गौरैया से पूछा।

“मां, क्या होगा यदि हमें भी एक शिकारी गोली मारे? क्या आपको डर नहीं लगता?”

“चिंताएं कभी खतरों को दूर नहीं कर सकतीं।”

“तो फिर जब मेरे पास चिंताएं हैं, तब मुझे क्या करना चाहिए?”

“अपने पंखों को फैलाओ। उड़ते हुए पक्षियों के पास चिंता करने का समय नहीं होता।”

आसमान में उड़ती हुई माता गौरैया के पीछे, बच्चे गौरैया ने अपने पंखों को जोर से फड़फड़ाया। तब गोली चली। और एक पक्षी जमीन पर गिरा। वह फ्लाईकैचर पक्षी था जिससे वे टहनी पर मिले थे।