मां की अनुपस्थिति से उत्पन्न खालीपन को देखभाल और प्रेम से भरते हुए

गांगल्यूंग, कोरिया से होंग सुन थे

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भीषण गर्मी के एक दिन गांगल्यूंग सिय्योन के लगभग 50 भाई–बहनें एक मानसिक रूप से विकलांग युवक के घर को साफ करने के लिए गए। वह युवक अपनी मां की मृत्यु के बाद अकेले ही रह रहा था। और चूंकि उसने लंबे समय से अपने घर को साफ नहीं किया, इसलिए वहां बहुत गंदगी थी। हर दीवार और फर्श पर सभी प्रकार की गंदी चीजें फैली हुई थीं, और सारे सामानों और कपड़ों पर फफूंदी जम गई थी। ऐसी जगह में किसी भी व्यक्ति का रहना असंभव लग रहा था।

वहां तत्काल सफाई करने की आवश्यकता थी, नहीं तो उस युवक की जान खतरे में पड़ सकती थी। मास्क और रबर के दस्ताने पहनकर, हम कुछ टीमों में बंट गए, और तुरन्त सफाई करना शुरू किया।

सबसे पहले, हम सभी फफूंदी लगे हुए कपड़े, लिनोलियम फर्श और फर्नीचर बाहर ले आए, और हमने उन्हें साफ किया और धोया। हमने घर के हर कोने में झाड़ू लगाकर सफाई की और बाथरूम में पानी के रिसाव की समस्या को ठीक कर लिया। गर्म मौसम में काम करने के दौरान पसीने टपक रहे थे, लेकिन उस घर को बदलते हुए देखकर, सभी सदस्य काम जारी रखने के लिए हिम्मत जुटा सके।

शुरू–शुरू में तो वह युवक चिड़चिड़ा लग रहा था, क्योंकि अजनबियों के एक समूह ने आकर उसके घर को साफ करना शुरू किया था। मगर जैसे–जैसे समय गुजरा, वह तनाव–मुक्त दिखने लगा और यहां–वहां सफाई करने में हमारी मदद करने लगा। उस दिन, हमने इतना कचरा इकट्ठा किया कि एक टन क्षमता वाले ट्रक में सारा कचरा भर गया।

जब भी हम काम के बीच में एक ब्रेक लेते थे, हम उस युवक के साथ कुछ देर के लिए बातचीत करते थे। जिस पल उसकी मां का निधन हुआ था, उसी पल से उस घर में समय थम सा गया था। चूंकि वह मानसिक रूप से विकलांग है, आम लोगों की अपेक्षा उसका बुद्धि–अंक नीचे रहता है। वह खुद अपने आपको या घर को साफ नहीं कर सकता था, क्योंकि उसकी मां जो पहले उसकी सभी चीजों का ख्याल रखती थी, उसके साथ नहीं थी।

मां के बिना एक सामान्य जीवन जीना उसके लिए बहुत मुश्किल लग रहा था। लेकिन उसका अपनी मां के प्रति प्रेम बाकी सब लोगों की तरह ही प्रबल था; उसने अपनी मां के सभी सामानों को बाहर न निकालकर अपने पास रखा और अपनी मां की कमी हमेशा महसूस करता था।

जब हम एक साथ भोजन कर रहे थे, वह युवक यह कहते हुए सिसकने लगा कि वह चाहकर भी अपने मन से अपनी मां की याद नहीं निकाल सकता, और उसने यह भी कहा कि जिस दिन से उसकी मां उसे छोड़कर चली गई, उस दिन से वह इंस्टेंट नूडल्स पर जी रहा है, इसलिए वह पहले की तरह स्वस्थ और बलवान नहीं है। उसने तुरन्त एक कटोरी चावल को पूरी तरह समाप्त कर दिया, यह कहते हुए कि हमारे हाथ का तैयार किया हुआ भोजन बहुत स्वादिष्ट है।

मुझे उसकी दशा देखकर दुख हुआ और इस बात का भी एहसास हुआ कि मां के बिना जीवन कितना एकाकी और दुखी होता है। हमारी आत्माओं के साथ भी ऐसा ही होगा। मैंने इस बात के प्रति आभार महसूस किया कि हमारे पास हमारी स्वर्गीय माता हैं।

पांच घंटे साफ–सफाई का सारा काम पूरा करने के बाद उस युवक का घर पूरी तरह अलग लग रहा था। जब उसने अपने साफ–सुथरे घर को देखा, उसने यह कहकर अपना आभार व्यक्त किया कि, “आप अजनबी हैं, लेकिन आप आए और मेरे घर को नया जैसा बना दिया।” भले ही हमने जो किया था, वह कुछ बड़ा कार्य नहीं था, लेकिन मैं इस बात से खुश था कि उसके मन में मां की अनुपस्थिति से पैदा हुआ खालीपन हमारे मददगार हाथों के द्वारा कुछ हद तक भर गया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि लोगों की मदद के साथ वह आगे चलकर जल्दी अपने पैरों पर खड़ा हो सकेगा और एक सुखद वातावरण में रहेगा।