जंगल न केवल हवा को शुद्ध करते हैं, लेकिन नमी, तापमान, और हवा की गति का भी नियंत्रित करते हैं। और वे लकड़ी, जड़ी-बूटी, और फल जैसे बहुत से उत्पाद भी देते हैं, भूस्खलन को रोकते हैं, और बहुत से पौधों और जानवरों का घर बनते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र सुव्यवस्थित रूप से चलता है।
इन महत्वपूर्ण जंगलों को और भी स्वस्थ बनाने का रास्ता खोजा गया है। वेस्ट वर्जीनिया विश्वविद्यालय, मिनेसोटा विश्वविद्यालय, और नीदरलैंड का पारिस्थितिकी रिसर्च सेंटर समेत 44 देशों के विश्वविद्यालय और रिसर्च सेन्टरों के 80 वैज्ञानिकों ने, 3 करोड़ा पेड़ों का अनुसंधान किया था। अनुसंधान का परिणाम यह था कि यदि पेड़ों की प्रजातियों में 10 प्रतिशत को कम कर दिया जाए तो जंगल की उत्पादिता में 3 प्रतिशत की गिरावट आती है; और यदि उसे 99 प्रतिशत तक कम कर दिया जाए, तो उत्पादिता 70 प्रतिशत तक गिर जाती है।
यदि दिखाता है कि एक जंगल में जितनी अधिक प्रजातियों के पेड़ होंगे, जंगल उतना ही घना होगा और उसका आर्थिक मूल्य भी बढ़ेगा। यह बात उष्णकटिबंधीय, समशीतोष्ण, और ध्रुवीय जलवायु समेत सभी जंगलों पर लागू होती है। जंगल को स्वस्थ बनाने का रहस्य उसकी विविधता था।
बाइबल में, लोगों की तुलना पेड़ से की गई है। जिस प्रकार एक जंगल विविध प्रकार के पेड़ों को एक साथ रखने से घना बन जाता है, यदि हम भी एक दूसरे की विविधता का सम्मान करें और साथ में मिलकर रहें, तो क्या दुनिया अधिक स्वस्थ और समृद्ध नहीं बनेगा?