मैंने जो एक स्वतंत्र कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही थी, अपना काम समाप्त करने के बाद दुनिया की यात्रा करने की योजना बनाई। एक दिन, मैं कॉफी शॉप में बैठकर लोगों को समीप से गुजरते हुए देख रही थी। तब अचानक मुझे सवाल आया।
‘लोगों के इस धरती पर होने का क्या उद्देश्य है? सब कुछ इतना नीरस और दोहराव क्यों है? खुशी कहां है?’
मुझे एहसास हुआ कि यहां तक कि यदि मैं दुनिया की यात्रा करूं, फिर भी मुझे खुशी महसूस नहीं होगी, क्योंकि सब कुछ जागने, नहाने, खाने और सोने की तरह दोहराव है।
तो मैं इस निष्कर्ष पर पहुंची कि यह धरती एक जेल की तरह है। मैं अपने जीवन का जवाब खोजना चाहती थी, और मैं स्नेही परिवार के प्रेम, सच्चे प्रेम के लिए उत्सुक थी।
रविवार की रात को, मैं एक मॉल में अपने दोस्त का इंतजार कर रही थी। इंतजार करते समय, मैंने देखा कि तीन महिलाएं मेरी ओर आ रही थीं। उनमें से एक ने सुंदर मुस्कुराहट के साथ मुझ से पूछा, “क्या आपने कभी स्वर्गीय माता के बारे में सुना है?” मैंने जवाब दिया, “नहीं, स्वर्गीय माता?” यह बहुत दिलचस्प लग रहा था इसलिए मैंने उनसे और अधिक पूछा। मैं वहां से अपनी सारी जिज्ञासा को हल नहीं कर सकी, इसलिए हमने अगले दिन फिर से मिलने के लिए आपस में फोन नंबरों का आदान प्रदान किया।
अगले दिन, हम बाइबल के वचन का अध्ययन करने के लिए फिर से मिले। मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि बाइबल में स्वर्गीय माता के बारे में लिखा हुआ है। इसलिए जब उन्होंने मुझे उत्पत्ति 1:26 समेत बाइबल के वचनों के द्वारा स्वर्गीय माता के सत्य के बारे में बताया, मैं आश्चर्यचकित हुई। बचपन में, मैं सोचती थी कि केवल नर स्वरूप का परमेश्वर नहीं बल्कि नारी स्वरूप की परमेश्वर भी होंगी, और जो मैं हमेशा मानती थी, वह वास्तव में सच था!
मैं इतनी खुश थी कि मुझे हंसी आई। उत्पत्ति की पुस्तक में जो मैंने अपने बचपन में पढ़ी थी, ‘हम’ का शब्द मेरे लिए एक पहेली थी, लेकिन अब पुरानी पहेली हल हो गई है। बाइबल के वचनों का अध्ययन करते हुए, जब मैंने सुना कि यह धरती हमारी आत्मिक जेल है जहां हमें फेंक दिया गया क्योंकि हमने स्वर्ग में पाप किया था। मुझे अधिक आश्चर्च हुआ क्योंकि यह वही था जो मैं सोच रही थी।
उस दिन, मैंने स्वर्गीय पिता और माता को महसूस किया, और परमेश्वर की संतान होने की आशीष प्राप्त की। मैं इतनी खुश और उत्साहित थी क्योंकि मैं आखिरकार सच्चे परमेश्वर से मिली। मैं यह नहीं बता सकती कि मैं कितनी खुश थी जब मुझे पता चला कि हम स्वर्गीय परिवार हैं और मेरे पास दुनिया भर में अनेक भाई और बहनें हैं।
परमेश्वर के अनुग्रह और बलिदान से इस पापी को उद्धार की प्रतिज्ञा प्राप्त करने की अनुमति दी गई। इस पापी पर जिसे दिल की गहराई से पश्चाताप करना चाहिए, दया करने के लिए मैं पिता और माता को सच में धन्यवाद देती हूं। साथ ही, मैं सच में स्वर्गीय पिता और माता से क्षमा मांगती हूं कि मैंने पिता और माता के प्रेम और उद्धार को स्वाभाविक समझा और कभी कभी अपरिपक्व संतान की तरह बर्ताव किया और उन्हें कई बार चोट पहुंचाई। अब से, मैं हमेशा अपने पहले प्रेम और खुशी को याद करते हुए जो मैंने अनन्त जीवन की आशीष को प्राप्त करते समय महसूस किया था, सात अरब लोगों को प्रचार करने का कर्तव्य पूरा करूंगी।