
‘क्यों परमेश्वर ने इस तरह का जीवन जिया जैसा कि लोग जीते हैं?’
यह एक जिज्ञासु सवाल था जो विश्वास का जीवन जीते हुए लंबे समय से मेरे मन में उठता था। हमारे पाप केवल मसीह के बहुमूल्य लहू के द्वारा क्षमा किए जा सकते हैं। इसी कारणवश, यदि परमेश्वर को शरीर धारण करके पृथ्वी पर आना था, तो वह पृथ्वी पर केवल कुछ पलों तक क्रूस पर चढ़ाए जाने का दर्द सहन कर सकते थे। फिर भी, क्यों उन्होंने इतने लंबे समय तक दर्द और पीड़ा को सहन करते हुए दुखमय जीवन जिया? मैं इसे आसानी से नहीं समझ सकती थी।
एक दिन, संयोग से मैंने बाइबल का एक वचन पढ़ा। यह पढ़कर मुझे लगा जैसे मेरे सिर पर एक मुक्का पड़ा हो।
क्योंकि हमारे पास जो महायाजक है, वह ऐसा नहीं है जो हमारी दुर्बलताओं के साथ सहानुभूति न रख सके। उसे हर प्रकार से वैसे ही परखा गया है जैसे हमें फिर भी वह सर्वथा पाप रहित है। इब्र 4:15 ईआरवी बाइबल
जब कोई व्यक्ति किसी अत्यंत मुश्किल स्थिति में होता है, चाहे लोग उससे कुछ भी कहें, फिर भी उसे कोई सांत्वना प्राप्त नहीं होती। वह कहेगा, “उन्होंने कभी भी इसका अनुभव नहीं किया है, तो उन्हें कैसे पता हो सकता है कि मुझे कैसे लग रहा है?” लेकिन यदि कोई ऐसा व्यक्ति जो एक जैसे अनुभव या कठिनाइयों से गुजरा हो, उसे सांत्वना के शब्द सुनाए, तो यह बिल्कुल अलग बात होगी। क्योंकि वह जानता है कि उसके शब्द सिर्फ एक अनुमान नहीं है। यही कारण है कि परमेश्वर मनुष्य के रूप में आए।
सहानुभूति का अर्थ है, सह–अनुभूति; दूसरे के साथ–साथ अनुभव करना या किसी को दुखी देखकर स्वयं दुखी होना। हमारे अनगिनत पापों को मिटाने के लिए परमेश्वर पृथ्वी पर महायाजक के रूप में आए। परमेश्वर ने भी हर प्रकार से हमारी तरह एक जैसी चीजों का अनुभव किया और हम दुर्बल मनुष्यों को समझा। वह भूखे थे, वह पीड़ा में थे, वह गरीबी और बीमारी से पीड़ित थे, उन्हें सताया गया, और उन्हें तुच्छ जाना गया। परमेश्वर उन सभी चीजों से इसलिए गुजरे क्योंकि वह ईमानदारी से हमें सांत्वना देना और हमें प्रोत्साहित करना चाहते थे। यह परमेश्वर का प्रेम है।
विश्वास बनाए रखना हमेशा मेरे लिए आसान नहीं था। लेकिन हर बार जब भी मैं हार मान लेना चाहती थी, तब मैंने परमेश्वर का स्मरण किया जो मुझसे पहले उस पथ पर चले होंगे, और फिर आगे बढ़ने के लिए मैंने हिम्मत बांधी। परमेश्वर जो मेरे साथ सहानुभूति रखते हैं उनके प्रेम के कारण, मैं ऐसा कर सकी। मैं परमेश्वर के प्रेम का बदला कैसे चुका सकती हूं?
अब, विश्व–भर में परमेश्वर का प्रेम फैल रहा है जो पूरे संसार में प्रत्येक व्यक्ति को उद्धार का एक और मौका देने के लिए उनके साथ सहानुभूति रखते हैं। इस समय तक, स्वर्गीय माता हमारे साथ निवास कर रही हैं और हमें अपना प्रेम और देखभाल दे रही हैं।
जैसा कि लिखा है, “अत: सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखनेवाले, और करुणामय और नम्र बनो(1पत 3:8),” मैं सिय्योन में भाई–बहनों के साथ एक सा मन रखूंगी और सभी सात अरब लोगों को स्वर्गीय पिता और माता के महान प्रेम का मेहनत से प्रचार करूंगी।