गलतफहमी कड़वी होती है, और समझ से मिठास बढ़ती है

संवाद में समझ बहुत आवश्यक है, क्योंकि कोई भी किसी के मन को 100 प्रतिशत नहीं जानता।

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एंटोनी डी सैंतेक्जूपेरी के लघु उपन्यास, “नन्हा राजकुमार” में लोमड़ी नन्हा राजकुमार से कहती है, “तुम कुछ भी न बोलो। शब्द गलतफहमी को पैदा करते हैं,” और फिर लोमड़ी बातें करती रहती है। वह दृश्य बहुत ही अंतर्विरोधी है, लेकिन वह दिखाता है कि शब्द संवाद करने और एक दूसरे के विचारों को समझने के लिए बहुत ही आवश्यक माध्यम हैं।

गलतफहमी न केवल शब्दों से लेकिन कार्यों से भी पैदा हो सकती है। अक्सर ऐसा होता है कि दो घटनाएं संयोग से एक ही समय में घटित होती हैं और उससे गलतफहमी पैदा होती है। चाहे किसी एक के मन में कोई बुरा इरादा न हो, लेकिन उसके कार्य दूसरों की आंखों में ऐसे दिखाई पड़ सकते हैं जैसे कि वह किसी इरादे के साथ वह कर रहा है। किसी के द्वारा गलत समझा जाना अच्छा नहीं है, लेकिन ऐसा हमेशा होता है।

कोई भी अपने मन की बातों को दूसरों के सामने 100 प्रतिशत व्यक्त नहीं कर सकता। और कोई भी यह 100 प्रतिशत नहीं जान सकता कि किसी के मन में क्या है। गलतफहमियां हमेशा और यहां तक कि परिवार के सदस्यों के बीच में भी होती रहती हैं जिन्हें तो किसी और के मुकाबले एक दूसरे को बेहतर रूप से जानना चाहिए। गलतफहमी पर जीत पाने के लिए हमें समझना चाहिए। जब आप समझ का फैलाव बड़ा करें और गलतफहमी का मार्ग सकरा करें, तो आपका संवाद अच्छा परिणाम लाएगा।

गलतफहमी के कारण

1) आत्म–केंद्रित रवैया

प्राचीन लोग मानते थे कि पृथ्वी अंतरिक्ष का केंद्र है, और सभी खगोलीय वस्तुएं पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाती हैं। इसी कारण से गैलीलियो गैलिली को अपने सूर्य–केंद्रित सिद्धांत के कारण जो भू–केंद्रित सिद्धांत से बिल्कुल विरोधी था, अत्यधिक सताया गया था। उसका आग्रह सही था, लेकिन लोग उस पर विश्वास नहीं करना चाहते थे। इसी तरह से, जब आप केवल आत्म–केंद्रित विचारों पर हठ करें, तो आप सही दृष्टिकोण नहीं ले पा सकते। किसी से संवाद करने के दौरान, यदि आप केवल उसी के विषय में बातें करें जो आप कहना चाहते हैं, या दूसरे व्यक्ति की राय को केवल अपनी मान्यताओं के अनुसार ही ग्रहण करें, या केवल अपने पक्ष के बारे में सोचें, तो आप दूसरे व्यक्ति के सही इरादे को नहीं समझ सकते और आपको उसके विषय में गलतफहमी होगी।

2) पूर्वानुमान और जल्दबाजी में निष्कर्ष निकालना

मान लीजिए कि एक लड़का अपनी पढ़ाई कर रहा है, और पढ़ाई से संबंधित कोई चीज खोजने के लिए कम्प्यूटर चालू करता है। लेकिन सर्च करते हुए वह गलती से एक गेम की वेबसाइट पर चला जाता है। तभी उसी क्षण, उसकी मां उसके कमरे में कुछ नाश्ता लेकर आ जाती है और गेम की वेबसाइट को देख लेती है। वह उसे बुरी तरह से डांटती है। ‘मेरी गलती नहीं थी,’ यह सोचकर लड़के ने मां को पूरी स्थिति समझाई, लेकिन मां को वह केवल एक बहाना लगा।

एक पति काम से घर लौटता है, लेकिन उसकी पत्नी बाहर आकर उससे नहीं मिलती और बिस्तर पर लेटी हुई है। पति उसके ऐसे रवैये के कारण नाराज हो जाता है और यहां तक कि गुस्सा करने लगता है। लेकिन बाद में उसे पता चलता है कि पूरा दिन कंबल धोकर और घर की सफाई करके वह सच में बहुत ही थक गई है।

इस तरह से, यदि आप परिस्थिति को सही ढंग से न जानते हुए केवल अपने दृष्टिकोण से परिस्थिति का न्याय करें, तो ऐसी गलतफहमी बहुत आसानी से हो सकती है। ऐसा ही तब भी होता है जब आप दूसरे व्यक्ति की पूरी बातें सुने बिना कुछ अंदाजा लगा लेते हैं या मान लेते हैं कि आपका अनुमान ही सही है।

3) पूर्वाग्रह

एक कहानी है: एक व्यक्ति को जिसकी कुल्हाड़ी खो गई थी, यह संदेह हुआ कि उसके पड़ोसी ने उसकी कुल्हाड़ी चुरा ली है, और वह अपने पड़ोसी के हर काम पर संदेहास्पद नजर रखता था। लेकिन जब उसे अपनी कुल्हाड़ी वापस मिल गई, तो वह पड़ोसी और संदेहास्पद नहीं लगता था। जब पूर्वाग्रह पनपता है, तो गलतफहमी और अविश्वास जमा होने लगते हैं। आपके पास भी पूर्वाग्रह हो सकते हैं, जैसे कि आप अपने मां–बाप से संवाद नहीं कर सकते, मेरा बच्चा कभी किसी की बात को नहीं समझता, कोई आपको हमेशा परेशान करता है, आदि। लेकिन यदि ऐसा हो, कृपया दूसरों पर दोष लगाने से पहले अपने आपको जांचिए कि कहीं आपके पास तो कोई गलती नहीं है।

4) संवाद की कमी

एक बार एक हास्य टीवी कार्यक्रम लोकप्रिय था जिसमें एक परिवार दिखाया जाता है जो एक दूसरे के साथ अच्छे से बातचीत नहीं करता। पिता अपने पुत्र को डांटता है और पूछता है, “इन दिनों यह क्या चल रहा है? तुम सुबह इतनी जल्दी कहां चले जाते हो और रात को इतनी देर से घर क्यों आते हो? तुम पूरा दिन बाहर क्या करते रहते हो?” तब पुत्र सरलता से उत्तर देता है, “स्कूल जाता हूं।” पिता को इतना भी पता नहीं था कि उसका पुत्र उच्च विद्यालय में पढ़ता था और उसे सुबह से लेकर देर रात तक पढ़ाई करनी पड़ती थी। भले ही परिवार के सदस्य एक दूसरे से प्रेम करते हैं, लेकिन यदि उनके बीच में संवाद की कमी हो, तो अनचाही गलतफहमी पैदा हो सकती है और ऐसी परिस्थिति भी हो सकती है जहां मन की बातें नहीं बताई जा सकतीं। इससे हो सकता है कि वे यह सोचते हुए कि उनके परिवार के सदस्य उन्हें समझते नहीं, उदास हो जाते हैं।

गलतफहमी से कैसे बचा जाए

1) निष्पक्षता से बात करें और साफ बात करें

मान लीजिए कि बड़ा भाई खेलकर घर वापस आया और अपने छोटे भाई से एक गिलास ठंडा पानी मांगा। छोटा भाई उसके लिए एक गिलास ठंडा पानी लेकर आया। लेकिन बड़े भाई ने कहा, “मैंने तुम से ठंडा पानी मांगा, तो तुमने उसमें थोड़ी सी बर्फ क्यों नहीं डाली?” तब छोटे भाई को बुरा लगेगा। जब बड़े भाई ने अपने छोटे भाई से एक गिलास पानी मांगा, यदि उसने उसमें थोड़ी सी बर्फ डालने को कहा होता, तो छोटे भाई ने उसमें थोड़ी सी बर्फ अवश्य डाली होती। ऐसी गलतफहमी से बचने के लिए, हमें बात करने के समय विस्तार से बहुत साफ बोलना चाहिए।

2) जब दूसरे बात करते हैं तो उन पर ध्यान दें

ज्यादातर लोग दूसरों की बातों पर ध्यान दिए बिना अपने मनसूबे या इरादों को कहना चाहते हैं। इसी कारण से जब दूसरे लोग उनसे कुछ कह रहे होते हैं, तब वे अक्सर सोचते हैं, ‘मुझे क्या कहना है।’ लेकिन जब आप दूसरों को सुनते हैं, तो आपको ध्यान से उन्हें सुनना चाहिए और यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि वे क्या कहना चाहते हैं। आपको दूसरों पर ध्यान देने का रवैया रखना चाहिए और उनकी बातों को समझने के लिए उन्हें खुले मन से स्वीकार करना चाहिए।

3) स्वयं को दूसरों के स्थान पर रखें

जब पति काम से घर वापस आकर कहता है कि वह थक गया है, उस समय यदि पत्नी कहे, “तुम क्यों हमेशा ऐसा ही कहते हो कि तुम थक गए हो?” या फिर जब पत्नी कहती है कि वह थक गई है, यदि पति कहे, “तुम तो पूरा दिन घर पर ही रहती हो। तुम्हें किस बात की थकान लगती है?” तब वे केवल एक दूसरे पर गुस्सा ही करेंगे। हो सकता है कि आपके पति या पत्नी बीमार हो या किसी बात से परेशान हो। क्यों न आप एक दूसरे से ऐसा पूछें, “इन दिनों काम कैसा चल रहा है? तुम्हें ज्यादा परेशानी होती है न?” या “घर का काम करना आसान नहीं है, और तुम बच्चों की भी देखभाल करती हो। तुम थक जाती होगी।” तब आपके पति या पत्नी आपके प्रति अपना मन खोल देगी।

4) दूसरों को समझने की कोशिश करें

वयस्क और बच्चे के पास, या पुरुष और स्त्री के पास सोचने के और भावनाओं को व्यक्त करने के अलग तरीके होते हैं। एक परिवार में माता–पिता और बच्चों के बीच, एक पति और पत्नी के बीच, या एक भाई और बहन के बीच सोचने के अलग तरीके किसी ऊंची दीवार के समान बड़ी रुकावट बन सकते हैं। यह शिकायत करने के बजाय कि कोई आपको समझता नहीं है, यह याद रखिए कि यद्यपि एक ही परिवार के सदस्य हैं, लेकिन परिवार के सदस्यों के पास सोचने के अलग तरीके हो सकते हैं। इसलिए किसी को अपने खुद के विचार के अनुसार बदलने की कोशिश करना नासमझी की बात है। यदि आप दूसरे को समझने की कोशिश करते हुए बातचीत करें, तो आप गलतफहमी का समाधान कर सकते हैं।

5) ऐसा कुछ भी न करने की कोशिश करें जिससे गलतफहमी हो सकती

कोरिया में एक कहावत है, “आड़ू के पेड़ के नीचे अपनी टोपी ठीक न करना।” उसका अर्थ है कि आपको ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिसकी वजह से दूसरे आप पर संदेह करें। जब आप आड़ू के पेड़ के नीचे केवल अपनी टोपी ठीक करने के लिए हाथ ऊपर उठाते हैं, ठीक उसी समय आड़ू के पेड़ का मालिक आपको देख लेता है और सोचता है कि आप उसके आड़ू चुराने की कोशिश कर रहे हैं। यदि आपके साथ ऐसा होता है कि केवल एक व्यक्ति को नहीं, लेकिन बहुत से लोगों को आपकी कुछ बात से गलतफहमी होती है, तो उसे अनुचित मानने के बजाय उसे ठीक करने के लिए प्रयास करें।

यदि आपको लगता है कि किसी को आपके बारे में कुछ गलतफहमी हुई है, तो आपको शांति से उसे समझाते हुए गलतफहमी को दूर करना चाहिए। एक छोटी सी गलतफहमी बाद में बड़ी बन सकती है और दूसरी गलतफहमी को पैदा कर सकती है। एक गलतफहमी शायद एक दूसरे के सच्चे मन को समझने का एक मौका भी बन सकती है। गलतफहमी क्यों हुई, यह जानने की कोशिश करते समय और उसे दूर करने का रास्ता ढूंढ़ते समय आप एक दूसरे के नजदीक आ जाते हैं और अंत में एक दूसरे पर और भी ज्यादा भरोसा करते हैं।

जब किसी गलतफहमी के कारण कोई झगड़ा शुरू होता है, तो आपको अंत में समझकर सहमति पैदा करनी चाहिए। जब तक आप स्वयं को सामने वाले व्यक्ति की जगह पर नहीं रखते, तो आप उसे नहीं समझ सकते। और यदि आप उसे समझ नहीं सकते, तो आप उससे प्रेम नहीं कर सकते। “understand” में दो शब्द हैं, “under” और “stand”। इसका अर्थ है कि आपको अपने दृष्टिकोण से परिस्थिति का न्याय करने के बदले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए।

गलतफहमी के कारण अपने प्रिय परिवार के सदस्यों को, पड़ोसियों को और अन्य प्रिय लोगों को स्वयं से दूर न होने दीजिए, लेकिन समझ के साथ उन्हें गले से लगा लीजिए। प्रेम और खुशियां आप से दूर नहीं हैं, लेकिन वे आपसी समझ के अंदर ही हैं।