पेड़–पौधे लगाते हुए
कानोआस, ब्राजील से ब्रूना कार्वालो डे लीमा
कानोआस सिय्योन के सदस्यों ने कानोआस नगर भवन के पर्यावरण विभाग के साथ स्वयंसेवा की। हमारा काम एक पार्क में पेड़–पौधे लगाना था।

कार्यक्रम के दिन पर, हम सभी सुबह जल्दी पार्क में इकट्ठे हुए। पर्यावरण विभाग के प्रधान कर्मचारी और आमंत्रित पर्यावरणविद ने हमारे प्रति कृतज्ञतापूर्वक धन्यवाद व्यक्त किया और पेड़–पौधे लगाने के महत्व के बारे में समझाया।
“यह कहा जाता है कि हमें रोजाना कम से कम आठ गिलास पानी पीना चाहिए। लेकिन भविष्य में पर्यावरण–प्रदूषण के कारण हम एक दिन में एक गिलास पानी पी सकेंगे। केवल पानी ही नहीं, पर हवा भी प्रदूषित हो रही है। बहुत देशों को ताजी हवा पाने के लिए बड़ा कृत्रिम फेफड़ा बनाना होगा। अब पर्यावरण–प्रदूषण और इसकी क्षति को कम करने के लिए जो काम अब हम कर सकते हैं, वह पेड़–पौधे लगाना है।”
पर्यावरणविद ने कहा कि पेड़ सिर्फ ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं करते, बल्कि नमी का भी ज्यादा उत्सर्जन करते हैं, जिससे बारिश के बादलों के बनने में और गर्म ऊष्मा को ठंडा करने में मदद मिलती है। यह सुनकर सदस्य और अधिक खुश होकर पेड़–पौधे लगाने के लिए तैयार हो गए।

भाइयों ने सड़कों के किनारे पेड़–पौधे लगाने के लिए पहले जमीन को खोदा और पत्थरों को इकट्ठा किया। तब बहनों ने सीमेंट के टुकड़ों और गंदगियों को हटाकर पेड़–पौधे लगाए। समय बीतने के साथ–साथ धूप और अधिक तेज होती गई, लेकिन सदस्यों के चेहरों पर मुस्कुराहट छा गई। वे सब जो एकता के साथ मिलजुलकर काम कर रहे थे, सचमुच बड़े ही सुन्दर दिख रहे थे।








स्वयंसेवा कार्य करते हुए मुझे वह बात याद आई जिसे पहले मैंने पेड़ के बारे में स्कूल में सीखा था। पेड़ अपेक्षा से ज्यादा संवेदनशील है, इसलिए जब पेड़ को अच्छी भूमि में लगाया जाता है, तब ही वह मिट्टी में अच्छी तरह जड़ पकड़ता है और मिट्टी से तेजी से नमी एवं पोषण सोखता है। और जब पेड़ काफी लंबा हो जाता है, तो उसे गिरने से बचाने के लिए सहारा देने की जरूरत नहीं होती।






मैंने यह सोचा कि वह आत्मा जिसने सत्य को ग्रहण किया है, पेड़ के समान है। उसे अपने मन को अच्छी भूमि बनाने की आवश्यकता है, ताकि वह अच्छी तरह से विश्वास का जड़ पकड़ सके और पुनर्जीवित होने के लिए जीवन का जल और वचनों का आत्मिक भोजन ले सके। इसलिए हमें हमेशा परमेश्वर के वचन से परिपूर्ण होना चाहिए और अच्छे कार्यों के साथ अच्छी तरह से अपने हृदय की भूमि की जुताई करनी चाहिए। और हमें नए सदस्य के करीब रहकर उसे कभी सहारा तो कभी प्रेम देना चाहिए, ताकि उसका विश्वास मजबूत हो सके।

हम सब अच्छा फल फलने वाले अच्छे पेड़ बनना चाहते हैं। आइए हम उस पेड़ के समान बनें जो अच्छी भूमि पर पानी सोख लेता है और दूसरों को ऑक्सीजन और नमी को प्रदान करता है, और 7 अरब लोगों को बहुमूल्य जीवन के सत्य का प्रचार करें जिसे हमने जीवन के जल का स्रोत, यानी स्वर्गीय माता से प्राप्त किया है।