यह तब की बात है जब एक मानवविज्ञानी ने अफ्रीकी जनजाति का दौरा किया। वहां बच्चों को इकट्ठा करते हुए, उन्होंने एक मजेदार खेल का प्रस्ताव रखा। उन्होंने एक पेड़ के पास उनके पसंदीदा फलों से भरी एक टोकरी लगाई और उन्हें कहा कि जो कोई भी वहां पहले पहुंचेगा वह मीठे फल जीत जाएगा। जब उसने चिल्लाया, “शुरू करो!” वह हक्का–बक्का रह गया। बच्चे प्रतिस्पर्धात्मक रूप से नहीं, पर एक दूसरे का हाथ पकड़कर दौड़ने लगे और फिर उन्हें एक साथ उनकी दावत का आनंद लिया। जब मानवविज्ञानी ने पूछा, “तुम इस तरह से क्यों दौड़े? पहला स्थान प्राप्त करनेवाले धावक को सभी फल प्राप्त हो सकते थे,” तब उन्होंने कहा, “उबंटू!”
और उन्होंने कहा, “अगर अन्य सभी उदास हैं, तो हममें से कोई एक अकेले खुश कैसे हो सकता है?” बंटू जनजाति भाषा में, उबंटू का मतलब है, “मैं हूं क्योंकि हम हैं।” चूंकि कोई भी दुनिया में अकेले नहीं रह सकता, हमें एक साथ खुशी का आनंद लेना चाहिए, इसे अपने आप के लिए नहीं रखना चाहिए।