शब्दों का महत्व

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एक कहावत है, “एक शब्द के द्वारा ऋण रद्द किया जाता है।” इसका मतलब है कि शब्द का प्रभाव बहुत महान है। परमेश्वर ने भी बाइबल के द्वारा हमें शब्दों का महत्व सिखाया है।

आइए हम, बाइबल के द्वारा शब्दों का महत्व देखें।

1. शब्द एक दर्पण की तरह है जो हमारे अंदर को उजागर करता है

“यदि पेड़ को अच्छा कहो, तो उसके फल को भी अच्छा कहो, या पेड़ को निकम्मा कहो, तो उसके फल को भी निकम्मा कहो; क्योंकि पेड़ अपने फल ही से पहचाना जाता है। हे सांप के बच्चो, तुम बुरे होकर कैसे अच्छी बातें कह सकते हो? क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है। भला मनुष्य मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है, और बुरा मनुष्य बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है।” मत 12:33-35

यीशु ने कहा कि भला मनुष्य मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है, और बुरा मनुष्य बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है। भले लोग परमेश्वर के चरित्र के सदृश्य होते हैं, और वे हमेशा परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देते हुए अच्छे शब्द बोलते हैं। लेकिन बुरे लोग बुरे शब्द बोलते हैं और दूसरों के प्रति असभ्य होते हैं। हमें हमेशा उस शिक्षण को याद रखना चाहिए कि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है, और परमेश्वर के अच्छे चरित्र के सदृश्य बनने और अच्छे शब्द बोलने का प्रयास करना चाहिए।

2. अकृपालु शब्दों से बुरे परिणाम सामने आते हैं

इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं; जो कोई वचन में नहीं चूकता वही तो सिद्ध मनुष्य है और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है… देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं और प्रचण्ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और वह बड़ी-बड़ी डीगें मारती है। देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। जीभ भी एक आग है; जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है, और सारी देह पर कलंक लगाती है, और जीवन-गति में आग लगा देती है, और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। याक 3:2-6

जीभ एक आग है। एक छोटी सी चिंगारी एक पेड़ को आग लगा देती है, और अंत में पूरे पहाड़ को जला देती है। उसी तरह, एक शब्द बड़े पापों को जन्म दे सकता है। वह आसपास के लोगों के विश्वास को भी नीचे गिराकर बुरे परिणाम ला सकता है। हमें हमेशा अपने शब्दों के बारे में सावधान रहना चाहिए ताकि हम परमेश्वर की नजर में संपूर्ण हो सकें।

3. हम अपने शब्दों के द्वारा परमेश्वर की महिमा छिपा सकते हैं या उनकी महिमा प्रकट कर सकते हैं

उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने ऐसा चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बड़ाई करें। मत 5:16

कभी-कभी, अविश्वासी लोग हमारे कामों और शब्दों के द्वारा प्रेरित होकर परमेश्वर को ग्रहण करते हैं। एक अच्छा शब्द जो हम बोलते हैं, वह परमेश्वर की महिमा प्रकट कर सकता है, लेकिन एक अशिष्ट शब्द परमेश्वर की महिमा छिपा सकता है। हमें हमेशा अच्छे शब्द बोलकर अविश्‍वासियों के लिए अच्छे उदाहरण दिखाने चाहिए, ताकि वे परमेश्वर को महिमा दे सकें।

परमेश्वर बार-बार शब्दों के महत्व पर जोर देते हैं। हम परमेश्वर की महिमा के लिए सृजे गए हैं(यश 43:7)। आइए हम हमेशा अनुग्रहपूर्ण और अच्छे शब्द बोलकर परमेश्वर की महिमा प्रकट करें और उन्हें प्रसन्न करें।

पुनर्विचार के लिए प्रश्न
1. अच्छे लोग जो परमेश्वर के चरित्र के सदृश्य होते हैं, किस प्रकार के शब्द बोलते हैं?
2. इसका क्या मतलब है कि जीभ एक आग है?
3. आइए हम उन क्षणों के बारे में सोचें जब हमने शब्दों के महत्व को महसूस किया है।