ज्वार का इंतजार कर रही एक नाव

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एक बड़े स्टील उद्यमी एंड्रयू कार्नेगी ने अपने ऑफिस में एक पुरानी पेंटिंग रखी थी। पेंटिंग जिसे उसने मूल्यवान समझते हुए सहेज कर रखा था, वह न तो एक प्रसिद्ध कलाकार द्वारा बनाया गया मास्टरपीस था और न ही अत्यधिक कीमत रखने वाली प्राचीन वस्तु थी। वह समुद्र के रेतीले तट पर फंसी हुई एक बेहद घटिया नाव की पेंटिंग थी। उसे यह पेंटिंग एक बुजुर्ग व्यक्ति के घर में मिली थी जब वह अपनी जवानी के दिनों में घर–घर घूम–घूमकर सामान बेच रहा था। उसने उनसे नम्रता से वह पेंटिंग मांग ली। पेंटिंग के निचले भाग में एक वाक्य लिखा था,

“जरूर ज्वार आ जाएगा।”

वह नाव ऐसी दिखाई दे रही थी कि वह अकेले छोड़ दी गई थी, लेकिन वास्तव में वह ज्वार का इंतजार कर रही थी। बिल्कुल उस नाव की तरह जो ज्वार आने पर समुद्र की ओर निकल जाएगी, कार्नेगी को दृढ़ विश्वास था कि जब उसके जीवन में ज्वार आएगा, वह भी विशाल समुद्र की ओर निकल जाएगा। और चूंकि उसने उस दिन के लिए कड़ी मेहनत और तैयारी की, वह अंत में बहुत सफल हो सका।