
हमारे जीवन में सब कुछ वादों से चलता है: जैसे कि नौकरी करना, शादी करना, खरीदना और बेचना आदि। पुराने दिनों में, हमारा समाज वस्तु विनिमय प्रणाली पर आधारित था। आजकल, इस प्रणाली को नकद, चेक या क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके एक मौद्रिक प्रणाली में बदल दिया गया है। कुछ कागज़ों को बेकार समझकर फेंक दिया जाता है, जबकि कुछ कागज़ का उपयोग सौ या हजार रुपये जैसे उच्च मूल्य के साथ किया जाता है। एक ही कागज़ के टुकड़े के अलग-अलग मूल्य क्यों होते हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें अलग-अलग अनुबंध या वादे दिए गए हैं। इस तरह, परमेश्वर और हमारे बीच का संबंध भी वाचा के द्वारा बनाए रखा जाता है।
1. बपतिस्मा के माध्यम से परमेश्वर और उनके लोगों के बीच की वाचा
बपतिस्मा, जो धार्मिक जीवन के आरंभ में लिया जाता है, परमेश्वर और उनके लोगों के बीच एक वाचा का चिन्ह है। पानी चाहे स्नान के लिए हो या बपतिस्मा के लिए, वस्तुतः एक ही है। हालांकि, हम बपतिस्मा के पानी को विशेष मानते हैं, क्योंकि इसे परमेश्वर का वादा दिया गया है।
पुराने नियम के समय में, परमेश्वर ने खतना को “परमेश्वर और उनके लोगों के बीच में एक चिन्ह” बनाया था(उत 17:10-14)। लेकिन, नए नियम के समय में, यीशु आए और उन्होंने बपतिस्मा को परमेश्वर और उनके लोगों के बीच एक चिन्ह, यानी उद्धार के चिन्ह के रूप में नियुक्त किया(कुल 2:11; 1पत 3:21)। यह प्रमाणित करने के लिए कि बपतिस्मा एक अनन्त वाचा है, यीशु ने बपतिस्मा के साथ हमें फसह के पर्व की रोटी और दाखमधु दिया जो उनके मांस और लहू को दर्शाता है, जिससे उन्होंने हमारी देह पर अनन्त वाचा का चिन्ह लगाया, जो यह साबित करता है कि हम परमेश्वर की संतान हैं(यूह 6:53-56; मत 26:17-28)।
बाइबल गवाही देती है कि हम प्रतिज्ञा की संतान हैं, क्योंकि परमेश्वर और हम अपरिवर्तनीय प्रतिज्ञा के द्वारा जुड़े हुए हैं(गल 4:28)।
2. स्वर्ग का राज्य केवल उन लोगों के लिए है जो परमेश्वर के वचन का पालन करते हैं
हमने बपतिस्मा के माध्यम से परमेश्वर की विशेष प्रतिज्ञा और आशीष प्राप्त की है। लेकिन, यदि हम परमेश्वर के साथ की गई वाचा को संजोकर नहीं रखते और उनके वचन का पालन नहीं करते, तो हम अंततः उनकी आशीषों से वंचित रह जाएंगे। आइए हम पुराने नियम के समय में इस्राएलियों की जंगल की यात्रा का अध्ययन करें।
परमेश्वर ने मूसा के द्वारा इस्राएलियों के साथ वाचा बांधी, उन्हें मिस्र से निकाल लाए और उन्हें कनान, प्रतिज्ञा की हुई भूमि में ले गए। हालांकि, परमेश्वर ने उन्हें तत्काल कनान देश में नहीं पहुंचा दिया, मगर उन्हें चालीस वर्षों तक जंगल में भटकने दिया। यह उन्हें परखकर यह जानने के लिए था कि वे परमेश्वर के वचन का पालन करते हैं या नहीं(व्य 8:2-16)। परमेश्वर ने इस्राएलियों को सब्त का दिन सहित अपनी आज्ञाएं दीं, और आदेश दिया कि उनकी आज्ञाओं का पालन करें। हालांकि, उन्होंने जंगल में रहने के दौरान परमेश्वर के नियमों, विधियों और व्यवस्थाओं का पालन नहीं किया, जिससे उनमें से बहुत से लोग नष्ट हो गए(यहेज 20:10-13)। केवल यहोशू और कालेब जिन्होंने पूरी तरह से परमेश्वर के वचनों का पालन किया, और जो लोग जंगल में पैदा हुए थे, उन्हें प्रतिज्ञा किए गए कनान देश में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी(गिन 14:6-38)।
इस्राएलियों का कनान में प्रवेश करने का इतिहास एक भविष्यवाणी है कि हम स्वर्गीय कनान, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे, और यह हमारी शिक्षा के लिए लिखा गया है(इब्र 3:18-19; 1कुर 10:1-11)। परमेश्वर की प्रतिज्ञा प्राप्त करने के बावजूद, इस्राएलियों को अंततः आशीष नहीं मिली, क्योंकि वे उनकी आज्ञाओं और नियमों का पालन करने में विफल रहे। इस इतिहास को ध्यान में रखते हुए, हमें स्वर्ग में प्रवेश करने के दिन तक लगन से परमेश्वर की सभी आज्ञाओं और नियमों को मानना चाहिए और उनके वचनों का पालन करना चाहिए।
- पुनर्विचार के लिए प्रश्न
- नए नियम के समय में परमेश्वर और उनके लोगों के बीच वाचा का चिन्ह क्या है?
- जब हम जंगल के इतिहास का अध्ययन करते हैं, तो स्वर्ग के राज्य में कौन प्रवेश कर सकता है?