वह पूरा हाल मुझे मालूम था

2राजा 5:14–27

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सेनापति नामान जो कोढ़ की बीमारी से पीड़ित था, परमेश्वर के भक्त एलीशा के पास गया। जब नामान ने परमेश्वर के भक्त के वचन के अनुसार यरदन नदी को जाकर उसमें सात बार डुबकी लगाई, तब उसका शरीर फिर छोटे बालक के शरीर–जैसा स्वच्छ हो गया। तब उसने एलीशा को उपहार देना चाहा।

“उस यहोवा की शपथ, जिसकी मैं सेवा करता हूं! मैं कुछ भी स्वीकार नहीं करूंगा।”

एलीशा ने अंत तक उसके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया, तब नामान उसे उपहार देने की इच्छा छोड़ने को विवश हो गया । जब नामान एलीशा के पास से कुछ ही दूर चला गया था, एलीशा का सेवक गेहजी नामान के पीछे दौड़ता गया। नामान ने उसे अपने पीछे दौड़ता देखा और उससे मिलने को अपने रथ से उतर पड़ा।

“मेरे स्वामी ने आपको यह कहलवाया है कि अभी–अभी एप्रैम के पहाड़ी देश से नबी के शिष्यों में दो युवक मेरे यहां आए हैं। उनके लिए एक किक्कार चांदी और दो जोड़े वस्त्र दे दीजिए।”

गेहजी के झूठ पर नामान ने दो किक्कार चांदी और दो जोड़े वस्त्र दो थैलियों में बांधकर उन्हें अपने दो सेवकों पर लदवा दिया। वे उन्हें गेहजी के आगे–आगे ले गए। तब गेहजी ने उन चीजों को अपने घर में छिपाकर रख दिया, और फिर वह एलीशा के सामने खड़ा हुआ।

“गेहजी, तुम कहां से आ रहे हो?”

“मैं तो कहीं नहीं गया था।”

एलीशा ने गेहजी से कहा, “यह सच नहीं है! जब नामान तुमसे मिलने को अपने रथ पर से उतरा, तब से वह पूरा हाल मुझे मालूम था। क्या यह समय चांदी या वस्त्र लेने का है? अब नामान का कोढ़ तुझे और तेरे वंश को सदा लगा रहेगा।”

जब गहेजी एलीशा से विदा हुआ, तो गेहजी बर्फ की तरह सफेद कोढ़ी हो गया।

गेहजी के भीतर नामान द्वारा लाए गए उपहारों का लालच आ गया। उसने धूर्त झूठ के साथ अपने लालच को संतुष्ट किया। अवश्य उसने अकेले चुपके से यह सब किया। मगर कोई भी विचार या कोई भी व्यवहार, चाहे चुपके से किया जाता हो, लेकिन परमेश्वर से नहीं छिपा सकता। जिस क्षण गेहजी ने पाप किया, उसी क्षण परमेश्वर ने एलीशा की आत्मा को गेहजी के साथ होने दिया और उसे पूरा हाल जानने दिया।

गेहजी जिसका मन लालच से भर आया, उसका परिणाम भयानक था। लालच निश्चित रूप से पाप को जन्म देता है, और जब पाप बढ़ता है, तब उद्धार की आशीष रुक जाती है। हमें अपने आप को लालच से दूर करने के लिए सावधान रहना चाहिए। यही आशीष की ओर जाने का पहला कदम है।