माता-पिता के हृदय से और सैनिक की मानसिकता से

पाजु ,कोरिया से पार्क इन सब

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मेरा जन्म एक गरीब किसान के परिवार में आठ बच्चों के सबसे छोटे बेटे के रूप में हुआ था। मैं बचपन से ही इस बात को लेकर हमेशा चिंतित रहता था कि बिना भूखे रहे जीने के लिए मुझे क्या करना चाहिए। बहुत विचार करने के बाद, मैंने पेशेवर सैनिक बनने का निर्णय लिया। चूंकि मुझे वैसे भी सेना में जाना पड़ा, इसलिए मैं अपने चचेरे भाई के समान विशेष बल में एक गैर-कमीशन अधिकारी बनना चाहता था। मुझे लगा कि मासिक वेतन प्राप्त करते हुए अपने जीवन को स्थिर बनाना अच्छा होगा।

लेकिन, मेरे चचेरे भाई ने यह कहते हुए मुझे रोका कि वह बहुत कठिन होगा। इसलिए मैंने विशेष बल में भर्ती होना छोड़ दिया। इसके बजाय, मैंने थलसेना में एक गैर-कमीशन अधिकारी के लिए आवेदन किया और बिना किसी समस्या के शिक्षा पूरी की। लेकिन सोचिए आगे क्या हुआ। जब एक स्टाफ सारजेंट के रूप में मेरी नियुक्ति की गई थी, तब मुझे थलसेना की बहुत सी टुकड़ियों में से विशेष बल की टुकड़ी में तैनात किया गया। यह टुकड़ी विशेष बल के समान मिशन को अंजाम देती है, इसलिए हम भोजन के बाद बार-बार शारीरिक प्रशिक्षण से गुजरे। हमें हर दिन अपनी सीमा पार करनी पड़ती थी।

जब मैं 400 किमी के कूच के बारे में सोचता हूं, तो मैं अभी भी थरथर कांपता हूं। प्रशिक्षण लगभग तीन सप्ताह तक चला; हम दिन में पहाड़ों पर चढ़े और रात को पहाड़ों में छिपकर सोए थे। ऐसी दिनचर्या दोहराते हुए, हम सभा क्षेत्र में पहुंचे जो हमारी सैन्य छावनी से लगभग 400 किलोमीटर दूर था। तब से असली कूच शुरू होता था। पांच रात और छह दिनों तक पर्वतीय क्षेत्रों में लगभग दौड़ते हुए हमें फिर से 400किलोमीटर के कूच करके लौट जाना पड़ा।

प्रशिक्षण के अंतिम दिन भोर को, हमारे परिवार सैन्य छावनी के प्रवेश द्वार पर हमारा इंतजार कर रहे थे। यद्यपि मेरा शरीर भारी और ढीला लग रहा था और मैं बहुत थक गया था, फिर भी मैं चलता रहा था। जब मैं केवल अपनी मानसिक शक्ति पर निरिभर होकर सैन्य छावनी तक पहुंचा, मेरी पत्नी अपने बच्चों के साथ आंसुओं के साथ हाथ में एक फूलों की माला लिए हुए खड़ी थी।

‘हां , मुझे अवश्य धीरज धरना चाहिए ,ताकि मैं अपनी पत्नी को तकलीफ न दे सकूं और अपने बच्चों को स्वादिष्ट भोजन खिला सकूं’!

अचानक, मेरे दिल की गहराई से कुछ उमड़ आ रहा था और मेरा गला भर आया।

वह मेरा परिवार था जिसने मुझे साल-दर-साल इतनी कठिन जिंदगी के बावजूद भी उसे सहन करने में सक्षम बनाया। कभी-कभी, मुझे लगता था कि मैं इसे और नहीं कर सकता, लेकिन जब मैंने तेजी से बढ़ रहे अपने बच्चों और मुझ पर निरिभर रह रही अपनी पत्नी को याद किया, तो मैं बर्खास्तगी के लिए आवेदन पत्र नहीं लिख सकता था। चूंकि अपने परिवार का स्थिरतापूर्वक समर्थन करने की मेरी जिन्मेदारी थी, तो सेना से बाहर निकलने और एक नई दुनिया का अनुभव करने की मेरी इच्छा मिट गई।

अब तीस साल बीत चुके हैं। उन वर्षों तक जो कभी अल्पकालीन नहीं थे, मैं जीवन के जोखिम को महसूस करने वाले कई खतरनाक क्षणों से गुजरा, और मुझे कभी-कभी अपने परिवार से दूर रहना पड़ा क्योंकि मुझे दूसरी इकाई में स्थानांतरित कर दिया गया था। यद्यपि मैंने सभी कामों में अपना सर्वोत्तम प्रयास करने की कोशिश की, पर जब मैंने पीछे मुड़कर देखा, मेरे अभिप्राय के बावजूद भी मुझ में एक सैनिक और एक पिता के रूप में बहुत सी चीजों की कमी थी। इसीलिए मैं असहाय होकर एलोहीम परमेश्वर को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने उस समय से लेकर जब मैं सत्य नहीं जानता था अब तक मेरे प्रिय परिवार की और मेरी रक्षा की।

वह जो सबसे पहले चर्च ऑफ गॉड गई, मेरी पत्नी की छोटी बहन थी। भले ही उसने मेरी पत्नी को बाइबल के वचन बताए थे, मेरी पत्नी ने अपना विचार नहीं बदला और वह अपनी बहन से दूर रही। एक दिन, मेरी पत्नी ने अपना मन बदल लिया और वह चर्च ऑफ गॉड जाने लगी। इससे पहले, उसने ईसाई धर्म और बौद्ध धर्म का अध्ययन करके सत्य खोजने की कोशिश की थी, पर वह दोनों पर निराश हुई थी और आखिरकार उसने अपने विश्वास के जीवन को त्याग दिया था। मुझे आश्चर्य हुआ कि किस चीज ने उसे फिर से धार्मिक बनाई।

मैं कभी भी फिर से चर्च जाना नहीं चाहता था। मैं अपने स्कूल के दिनों तक एक प्रोटेस्टेंट चर्च गया था। लेकिन जब मैंने विश्वासियों के बीच होने वाले संघर्ष और विवाद, और उनके कई स्वार्थी और विवेकहीन व्यवहारों को देखा, तब मैंने निष्कर्ष निकाला कि “परमेश्वर का अस्तित्व नहीं है, और कोई भी ऐसा चर्च नहीं है जो परमेश्वर पर सही तरह से विश्वास करता है।”

मेरी पत्नी ने कभी हार नहीं मानी और मुझे बाइबल के वचन बताए। मैंने फुफकारते हुए कहा, “सभी चर्च एक समान हैं! ”हम चर्च को लेकर पांच वर्षों तक एक दूसरे से सहमत नहीं थे और मुझे लगा कि हमें इसे रोकना चाहिए। जब उसने मुझसे सही तरीके से बाइबल सीखकर न्याय करने के लिए कहा, तो मैंने उसे धमकी देते हुए कहा,“ मैं खुद इसकी पुष्टि करूंगा। अगर इसमें कुछ गड़बड़ है, तो तुम भी वहां नहीं जा सकती ”!और मैंने चर्च का दौरा किया।

मैं बाइबल के विषय में ज्यादा नहीं जानता था, लेकिन मैंने वास्तव में कई बातों पर तर्क करते हुए कहा, “यह बाइबल में कहां है?” या “शायद आपकी बाइबल अलग होगी।” मेरे हठी और एकपक्षीय होने के बावजूद भी सदस्यों ने हमेशा मुस्कुराहट के साथ उत्तर दिया। जवाब हमेशा बाइबल पर आधारित थे। चाहे मैंने त्रुटि खोजने की कितनी भी कोशिश की, मुझे चुप होना ही पड़ा क्योंकि उन्होंने मुझे केवल बाइबल के माध्यम से बताया था। बाइबल का अध्ययन करने के तीन महीने बाद, मैंने एक निष्कर्ष निकाला कि “परमेश्वर का अस्तित्व है। वे मेरे पिता और माता हैं। वे केवल चर्च ऑफ गॉड में निवास करते हैं।”

परमेश्वर की संतान बनने के बाद, मैंने निरंतर हर एक आराधना मनाई। चूंकि मैंने अपने जीवन भर एक सैनिक के रूप में जीवन जिया था। सैनिक आदेशों के प्रति आज्ञाकारी रहते हुए जीते हैं और मरते हैं। क्या कारण होगा कि हम, सैनिक, भीषण ठंड में बर्फ तोड़कर पानी में कूद जाते हैं? क्या कारण होगा कि हम भारी सैन्य हथियार और सामान उठाकर बहुत दिनों तक चलते हैं? यह इसलिए क्योंकि वह आदेश है। यहां तक कि उस स्थिति में भी जहां चारों ओर से गोलियों की बौछार हो रही होती, जब हमें “आगे बढ़ो” यह आदेश दिया जाता है, तो चाहे जो भी हो हमें आगे बढ़ना ही पड़ता है।

इसलिए मैंने परमेश्वर के वचन का प्रचार करना शुरू किया। मैं वचनों के बारे में बहुत कुछ नहीं जानता था, लेकिन“ समय और असमय सुसमाचार का प्रचार कर, ”परमेश्वर की यह आज्ञा न मानना विसंगत है। जितना मैं जानता था, मैंने अपने सहयोगियों को सत्य का उतना ही प्रचार किया। मैंने उन सैनिकों को जिन्होंने यह जानकर कि मैं चर्च जाता हूं अपनी रुचि दिखाई, काम के बाद खाली समय में हमारे चर्च का परिचय दिया और बाइबल के वचन सुनाए।

उनमें से अधिकांश ने अपनी रुचि आसानी से खो दी या उन्होंने ईमानदारी से वचनों को स्वीकार नहीं किया। लेकिन जैसी बाइबल कहती है, “मेरी भेड़ें मेरी आवाज सुनती हैं,” परमेश्वर की संतानों ने परमेश्वर के वचनों पर ध्यान दिया। भले ही मैंने अपर्याप्त व्याख्या के बाद उन्हें हमारे चर्च आकर विस्तार से सुनने का सुझाव दिया ,उनमें से कुछ स्वेच्छा से चर्च तक मेरे पीछे-पीछे चले आए। सिय्योन में ऐसे बहुत से सदस्य थे जो मेरी अपर्याप्त व्याख्या को पूरा कर सकते थे। उन सदस्यों को देखकर जो सत्य को उस तरह बता रहे थे जैसे वे अपने परिवार के साथ बांटते हैं, मैं गहराई से महसूस कर सका कि परमेश्वर प्रेम हैं और हम प्रेम की संतान हैं। जब हमने एक मन होकर एक और आत्मा को बचाने के प्रयास लिए, तब परमेश्वर ने निरंतर हमें फल उत्पन्न करने की खुशी का एहसास करने दिया।

एक गैर-कमीशन अधिकारी था जिसने अपने नियुक्त किए जाने से पहले ही मेरा प्रचार सुना था। जब वह हमारी टुकड़ी में एक प्रशिक्षार्थी के रूप में आया था, उसने पहली बार बाइबल के बारे में जाना था। जब उसे हमारी टुकड़ी में रखा गया, तो वह परमेश्वर की इच्छा को और अधिक सीख पाया और आखिकार सत्य प्राप्त कर सका।

शायद नए जीवन और विभिन्न नियमों के अभ्यस्त होते हुए भाई के पास कोई अतिरिक्त समय नहीं हुआ होगा, लेकिन उसने नियमित रूप से आराधना मानई। जब भी मैंने भाई को चाहे मौसम ठंड हो या गर्मी, सिय्योन में आकर सदस्यों से हार्दिक प्रेम पाते और खुशी से मुस्कुराते हुए देखा, तो मेरे चेहरे पर भी हंसी उभर आई।

अरे ,हां याद आया, सत्य प्राप्त करने के बाद सुसमाचार के मिशन को अंजाम देते हुए मैं बहुत हंसने लगा। पहले, मेरे शब्द और व्यवहार इतने कठोर थे कि मैं किसी से भी हार न जाता था, और मैं गुस्सैल स्वभाव का था। मुझे नहीं पता था कि मेरा चरित्र, मेरा बात करने का तरीका और व्यवहार कितने बुरे और खुरदरे थे। बाइबल की शिक्षाओं के जरिए अपने अंदर झांककर देखने के बाद, मुझे शर्म महसूस हुई कि मेरा पिछला स्वभाव कितना बुरा था।

न केवल वचन जो मैं प्रचार करता, बिल्कि मेरे व्यवहार भी सुसमाचार के कार्य के एक हिस्से के रूप में मानकर, मैंने प्रेम, नम्रता, बलिदान, विचारशीलता और धैर्य जैसे परमेश्वर के उदाहरणों और शिक्षाओं को अमल में लाने का प्रयास किया। इस बीच, मेरा चरित्र इतना कोमल हो गया कि मेरे आसपास के लोग भी महसूस कर सकते थे। परमेश्वर की इच्छा को बांटने के लिए, अलग-अलग परिस्थितियों में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समझने की प्रक्रिया को दोहराते हुए, मैं उनके मन और स्थिति को थोड़ा सा नाप सका। मेरे बेटे के सेना में भर्ती होने के बाद, मेरे लिए अधीनस्थ सैनिक और अन्य सैनिक अलग दिखने लगे। आज के नियुक्त किए गए अधिकांश अधिकारी और मेरी इकाई में तैनात लिए गए सैनिक मेरे बेटे के समान युवा हैं। चूंकि वे सभी मेरे बेटे की तरह प्यारे लगते हैं, भले ही कोई गलती करे, मैं उसे फटकारने के बजाय प्रोत्साहित करता हूं। मुझे लगता है कि वे बेहद अच्छे से काम कर रहे हैं क्योंकि ऐसी उम्र में जब वे अधिक ऊर्जावान हैं सेना में भर्ती होकर रहना उनके लिए मुश्किल हो सकता है।

मैं उन सैनिकों पर अधिक ध्यान देता हूं जो कठिन समय से गुजर रहे हैं। ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने माता-पिता के साथ एक खुशहाल जीवन व्यातीत किया है, लेकिन अप्रत्याशित रूप से उनमें से कई हृदयविदारक कहानियों के साथ सेना में भर्ती हो गए। पहली बार अपने परिवार से दूर होकर एक सामूहिक जीवन जीते हुए किसी को परेशानी झेलनी पड़ती है। ऐसे सदस्यों को सत्य बताने के लिए मैं और अधिक प्रयास करता हूं। यह इसलिए है क्योंकि चाहे सैन्य सेवा कठिन हो, वह जीवन का सही अर्थ और एक नई आशा खोजने का एक अवसर हो सकता है जो जीवनकाल में केवल एक ही बार आती है।

मैं नए साल में और भी व्यस्त हो गया हूं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मैंने ईश्वरीय स्वभाव में भाग लेने के लिए अपने चरित्र को और अधिक निर्मल करने की और अपनी सेना में और अधिक लगन से वचन बांटने की योजना बनाई है, ताकि मेरे आसपास हर कोई परमेश्वर का वचन सुन सके। मुझे अब इसे और टाल नहीं दनेा चाहिए। अब मुझे रिटायर होने में कुछ ही साल बाकी हैं। मैं पहले की तरह मजबूत नहीं हूं, और काम बढ़ जाता है, इसलिए मेरे पास अक्सर जल्दी से रिटायर होकर आराम लेने का मन होता है। शायद इसी वजह से, इन दिनों मुझे स्वर्गीय पिता की बहुत याद आती है। सुसमाचार के लिए पिता का जीवन धीरज धरने, झेलने और सहन करने की एक श्रृंखला हुआ होगा, जो बलिदान से परिपूर्ण था। लेकिन पिता ने बिल्कुल भी हार नहीं मानी क्योंकि उन्होंने केवल अपनी संतानों के बारे में सोचा था। माता भी अब तक अवर्णनीय बलिदान सहन कर रही हैं क्योंकि उनके बेटे और बेटियां उनके जीवन का सब कुछ हैं।

एक संतान के रूप में जिसने पिता और माता के असीम प्रेम और बलिदान के माध्यम से जीवन प्राप्त किया, और एक सुसमाचार के सैनिक के रूप में जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पूर्ण रूप से पालन करता है, मैं अंत तक इस मार्ग पर चलूंगा।“ खोई हुई सभी आत्माओं को खोज”! यह परमेश्वर का एक सख्त आदेश है और हमारे पिता और माता की एक उत्सुक अनुरोध है जिन्होंने अपनी संतानों को खो दिया। जब तक हम इस अनुरोध को पूरा नहीं करते और सुसमाचार की विजय की खबर नहीं सुनाते, तब तक मैं हार नहीं मानूंगा।