सुसमाचार का कार्य ठीक समय पर अवश्य ही पूरा होता है

आनसान, कोरिया से आन जोंग ही

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“छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा”। यश 60:22

परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की कि वह ठीक समय पर सब कुछ शीघ्रता से पूरा करेंगे। जब मैं पीछे मुड़कर अपने अतीत को देखती हूं, तो मुझे एहसास होता है कि मेरा सुसमाचार का जीवन इस भविष्यवाणी के अनुसार प्रवाहित हुआ है। परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए और धैर्य के साथ इंतजार करते हुए परमेश्वर का अनुग्रह जो मुझे दिया गया था, मेरे परिवार में और उन लोगों में फैल गया जिन्हें मैं कभी नहीं जानती थी। यह परमेश्वर के द्वारा निर्धारित किए गए “ठीक समय” पर घटित हुआ।

जब मैं सात वर्ष की थी तब से मैं एक ऐसी चर्च में जाती थी जो यहोवा परमेश्वर को उद्धारकर्ता के रूप में मानता था। वह चर्च आत्मा और स्वर्ग और नरक के अस्तित्व से इनकार करता था। हालांकि मैं बाइबल में नरक के बारे में कई आयतों को देख सकती थी। मुझे डर था कि बाइबल में वर्णित किए गए नरक का अस्तित्व लग रहा था, और मैं यह जानने के लिए जिज्ञासु थी कि मैं इस पृथ्वी पर क्यों पैदा हुई। निराश होकर, मैं अपने घर के पास किसी प्रोटेस्टैंट चर्चों में जाया करती थी, लेकिन कोई भी चर्च मेरे मन में प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकता था।

मैं शुरुआत में परमेश्वर के वचन सीखने के लिए विनम्र या तैयार बिल्कुल भी नहीं थी। मेरे बहुत से रिश्तेदार पुरोहित कर्मचारी के रूप में काम करते थे और मुझे अपने लंबे वर्षों के धार्मिक अनुभव पर गर्व था। इसलिए मुझे असहज महसूस हुआ जब चर्च ऑफ गॉड के सदस्य मुझे सच्चाई बताना चाहते थे। मैंने उनसे कहा कि हर एक चर्च कहेगा कि उसका सिद्धांत सत्य है। मैंने उनके साथ बेरुखी से व्यवहार किया, फिर भी उन्होंने मुझे नम्रता से जवाब दिया। उनके रवैये से प्रभावित होकर मैं उनसे फिर से मिली, और बाइबल का अध्ययन करना शुरू किया जो मुझे नहीं लगता था कि कभी ऐसा होनेवाला है।

लेकिन मैं अपने पिछली चर्च के निश्चित धारणाओं से बंधी हुई थी। सत्य को स्वीकार करना तो दूर की बात थी, जब भी अध्ययन समाप्त हो जाता था, सच्चाई को नकारने का आधार खोजने के लिए मैं बाइबल को उलट–पलटकर देखती थी। जिस बात ने अपनी जिद को तोड़ दिया, वह आत्मा के बारे में वचन था। यह इतना स्पष्ट रूप से गवाही दी गई थी कि इसके बारे में कोई संदेह नहीं था। जिस पल मैंने सुना कि हमारा घर स्वर्ग है और हम यीशु के बलिदान के द्वारा घर लौट सकते हैं, मुझे नरक के प्रति मेरे डर और आत्मा के बारे में सभी सवालों का पूरा उत्तर मिल गया। उसी दिन, बिना हिचकिचाहट के मैं चर्च ऑफ गॉड की सदस्य बन गई।

भले ही मैंने उस समय तक चर्च के सभी शिक्षाओं पर विश्वास नहीं किया था, लेकिन मैं चाहती थी कि मेरा पति कम से कम आत्मा, सब्त और फसह के बारे में सच्चाई जान जाए, क्योंकि ये शिक्षाएं स्पष्ट थीं। इसलिए सच्चाई को समझाने वाली कई किताबों को मैंने टेबल जैसी जगहों पर रख दिया जहां वह आसानी से उन्हें देख सकता है। कुछ दिनों बाद, मेरे पति ने कुछ ऐसा ढोंग रचा कि उसने मेरे निवेदन को मजबूरन स्वीकार किया, और वह मेरे साथ सिय्योन में आ गया। उसने एक नम्र मेमने की तरह पापों की क्षमा की विधि में भाग लिया। बाद में मुझे पता चला कि उसने उन किताबों के हर एक पन्ने को पढ़ा जो मैंने घर पर रखी थीं, और कुछ हद तक सच्चाई के वचनों को सीख लिया था।

जब मैं बाइबल सीखकर और परमेश्वर के नियमों का पालन करते हुए दृढ़ विश्वास में बढ़ रही थी, मेरा पति भी दिन प्रति दिन बाइबल का अध्ययन करते हुए, विश्वास में बढ़ रहा था। मेरे पति ने उन बुरी आदतों को थोड़ा–थोड़ा करके छोड़ दिया जो उसने संसार से पाई थीं, और अपने सुसमाचार के कर्तव्य का एहसास करने के बाद सक्रिय रूप से प्रचार में भाग लिया।

उसने व्यावसायिक यात्रा के दौरान अपने सहकर्मियों में से एक को प्रचार किया जिसने दूसरी बार आने वाले यीशु में दिलचस्पी दिखाई थी। काफी सोच विचार के बाद, उसके सहकर्मी ने सत्य ग्रहण किया और फसह मनाने के बाद मेरे पति को टेक्स्ट मैसेज भेजा: “मुझे सत्य बताने के लिए धन्यवाद।” जब मेरे पति ने टेक्स्ट मैसेज पढ़ा, तब उसे उद्धार का सत्य जानने की अनुमति देने के लिए उसने परमेश्वर को महिमा दी। अपने पति को देखकर जो परमेश्वर की सन्तान के रूप में विश्वासयोग्य सेवक बन गया, मैं बहुत सारी भावनाओं से भर गई थी।

जब मेरे पति ने सत्य को महसूस किया, तब से एक ऐसी व्यक्ति थी जिसके बारे में मेरा पति और मैं सोचना बंद नहीं कर सके। वह मेरी सास थीं। वह परमेश्वर का वचन सुनने को इतना तरसती थीं कि वह बाइबल का अध्ययन करने के लिए हमेशा चर्च जाती थीं, इसलिए हमने सोचा कि चूंकि उनका पुत्र सच्चे परमेश्वर से मिला है, वह हमारे साथ एक ही विश्वास का मार्ग चुनेंगी। हालांकि हमारी उम्मीद के विपरीत, उन्होंने कठोरता से सत्य का इनकार कर दिया।

लेकिन मेरे पति ने हार नहीं मानी। उसने कहा “सत्य जिसे स्वर्गीय पिता ने हमें सिखाया, उसका जितना अधिक अध्ययन करे उतना अधिक स्पष्ट हो जाता है। निश्चित रूप से, वह किसी दिन सत्य ग्रहण करेंगी।” जब उसने एक भाई से सुना कि सुलैमान ने एक हजार होमबलि चढ़ाने के बाद अपनी प्रार्थना का उत्तर पाया था, तब उसने अगले ही दिन से अपनी मां की आत्मा के लिए प्रतिदिन सुबह में जल्दी उठकर प्रार्थना करना शुरू किया। उसने न केवल प्रार्थना की, बल्कि जब भी समय मिलता, वह उनके पास जाकर अपने फोन द्वारा वीडियो उपदेश दिखाता था। वचन का प्रचार करने के लिए उसने बहुत मेहनत की। मैं भी अक्सर उन्हें मिलने जाती और उनका ख्याल रखती थी। मैंने उन्हें समाचारपत्र दीं जिनमें हमारे चर्च के बारे में लेख छपे थे, और चर्च के कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित किया। इस तरह दस वर्ष बीत गए।

“कोरियाई राष्ट्रपति का प्रशस्ति पत्र और इंग्लैंड की रानी का पुरस्कार प्राप्त करने वाला चर्च कैसे एक गलत चर्च हो सकता है?”

एक दिन मेरी सास ने यह बात कही। मुझे अपने ही कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। मेरे पति ने उन्हें हमारे चर्च में आने के लिए कहा, तब उन्होंने उसके प्रस्ताव को स्वीकार किया। और उन्होंने सिय्योन में आकर नए जीवन की आशीष प्राप्त की। इन सबको देखने के बावजूद भी मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। उन्होंने हमसे कहा कि कुछ समय पहले अपना पुराना चर्च जाना बंद कर दिया, और उन्हें यह अच्छा लगा कि हम विश्वास के जीवन में खुश रहते हैं। जब वह हमें यह सब कुछ बता रही थीं, मेरा हृदय खुशी से भरपूर हो गया। हम और भी ज्यादा प्रेरित थे क्योंकि हमने लंबे समय तक इंतजार किया था।

और यह भी एक चमत्कार था कि मैं सुसमाचार का प्रचार करते हुए इतनी बड़ी खुशी और संतोष महसूस करती हूं। सत्य प्राप्त करने से पहले ही, मैं समझ नहीं सकी कि क्यों हमें प्रचार करना चाहिए। यह तो समझ में आया कि हम अपने परिवार, रिश्तेदारों और परिचितों को प्रचार करना चाहते हैं। लेकिन यह बात मुझे समझ में नहीं आई कि क्यों अजनबियों के पास जाकर उन्हें वचन का प्रचार करना आवश्यक है जिनसे हमें कभी–कभी तीखे शब्द सुनना पड़ता है। सच्चाई प्राप्त करने के बाद भी प्रचार के बारे में मेरे विचार नहीं बदले। भले ही मैं प्रचार का महत्व जानती थी, लेकिन मुझे लगता था कि वह अन्य लोगों के लिए है।

एक दिन, जब मैं काम के लिए अपना कदम तेजी से बढ़ा रही थी, अचानक मेरे मन में एक विचार आया: ‘यदि मैंने इस तरह प्रचार किया होता, तो अब मैंने कई आत्मिक आशीषों को इकट्ठा कर लिया होता।’ मुझमें अफसोस की भावना उमड़ने लगी। और मुझे स्वर्गीय पिता और माता की याद आ गई जो दुनिया के सताव और अपमानों के बावजूद अपनी खोई सन्तानों को ढूंढ़ना कभी नहीं रोकते और खुद को नम्र करते हुए असीम प्रेम के साथ हमारी सेवा करते हैं।

‘परमेश्वर ने सभी महिमा को पीछे छोड़ दिया और मुझ जैसे पापी को बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आए हैं। तो इस तरह का विचार करने वाली मैं कौन हूं?’

अपराध और अफसोस के आंसू अनियंत्रित रूप से उमड़ने लगे। तब मैंने पश्चाताप के साथ अपने आप को सुसमाचार के कार्य में डाल दिया। जब मैंने पिता और माता के बारे में सोचा, तब आश्चर्यजनक रूप से महान खुशी और आभार के साथ मैं किसी को भी निडर होकर वचन का प्रचार कर सकी, और कई आत्माएं परमेश्वर की बांहों में आ गईं।

पहला व्यक्ति जिसे मैंने स्वर्गीय माता के बारे में प्रचार किया, वह एक दुकान की मालकिन थी। अगले दिन, वह अपनी मां और दो बेटों के साथ सिय्योन आई, और उन सभों ने सत्य को ग्रहण किया। बाद में, उन्होंने कई आत्माओं का नेतृत्व किया और ओकछन गो एन्ड कम संस्थान में पुरस्कार प्राप्त किए। मुझे अभी भी अच्छी तरह याद है कि मैं उन्हें पुरस्कार प्राप्त करते हुए देखकर कितना प्रेरित हुई थी।

मैं एक बच्चे की मां को भी नहीं भूल सकती जिससे मैं अपने घर के आसपास मिली थी। उस समय, वह एक नौसिखिया मां थी जिसने हाल ही में अपनी नौकरी छोड़ दी थी और दो छोटे बच्चों की देखभाल कर रही थी। अपने घर के काम और बच्चों की देखभाल करने में वह अभी भी नई थी। वह एक मुश्किल समय से गुजर रही थी, लेकिन स्वर्गीय माता के प्रेम के द्वारा उसे बहुत शांति मिली और एक सुसमाचार प्रचारक के रूप में बड़ी हुई। मैं उसके साथ पहली बार प्रचार करने के लिए बाहर चली थी, पहली आत्मा जिससे हम मिले एक अच्छा फल बन गया। यह सभी अनमोल अनुभव है जो मैंने प्राप्त नहीं किया होगा यदि मुझे एक प्रचारक का जीवन जीने की अनुमति नहीं दी होती।

किसी भी अन्य चीज से अधिक, मुझे ऐसा लगता है कि मैं सपना देख रही हूं क्योंकि मेरा पूरा परिवार परमेश्वर में आनंदमय दिन बिता रहे हैं। मेरी बेटी जो अपनी किशोरावस्था के दौरान एक प्रोटेस्टैंट चर्च में उत्साह से भरी हुई थी और सत्य सुनने के बाद भी सिय्योन में आना मुश्किल लग रहा था, उसने अपना मन बदला और वह अपने आप को सुसमाचार कार्य के लिए समर्पित करनेवाली भोर की ओस के समान युवा वयस्क बन गई।

जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, तो मैं सभी चीजों के लिए आभारी हूं। परमेश्वर ने खामोशी से मेरी सभी जिद और अहंकार को गले लगाया जिसे मैं भी नियंत्रित नहीं कर सकती थी, और सत्य में नए सिरे से जन्म लेने दिया। परमेश्वर ने तब तक इंतजार किया जब तक मुझे एहसास नहीं हुआ कि मैं अपने कमजोर विश्वास की वजह से उस काम करने में जिसे मुझे करना है कितना झिझक रही हूं। मुझे आखिरकार इन वचनों के अर्थ का एहसास हुआ, “परमेश्वर ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करेंगे।” इसका अर्थ है कि पिता और माता हमारे लिए बहुत इंतजार करते हैं।

इसलिए मैं उन लोगों से हार नहीं मान सकती जो सत्य को नकारते और अस्वीकार करते हैं। क्योंकि मैं नहीं जानती कि उनमें से कौन मेरा बहुमूल्य भाई या बहन है और कौन वह आत्मा है जिसे माता दृढ़ता से ढूंढ़ रही हैं। मुझे यकीन है कि परमेश्वर ठीक समय पर सब कुछ प्रकट करेंगे।