एक कलाबाज गुड़िया की तरह

12,811 बार देखा गया

एक कलाबाज गुड़िया है। वह कभी नहीं गिरती; भले ही उसे धक्का दिया जाए, वह गिरते–गिरते फिर से एकदम खड़ी होती है। गिरते हुए दिखने पर भी वह तुरंत अपने आपको खड़ा करती है, क्योंकि उसका भार–केन्द्र निचले हिस्से में होता है।

अगर उसका भार–केन्द्र ऊंचे हिस्से में है, तो वह गुड़िया खड़ी नहीं हो सकती; चाहे वह कितने ही यत्न से खड़ा रहना चाहती हो, वह एक तरफ झुक जाएगी और वह जमीन पर गिर जाएगी।

ठीक इसी तरह से अगर हमारे मन का केंद्र भी ऊंचा रखा जाए, तो हम अपने विश्वास को खड़ा नहीं कर सकते; हमारे मन का केंद्र जितना ऊंचा हो जाता है, उतनी ही जल्दी हम गिर जाएंगे।

“घमण्डी बनने का अर्थ है, सेवा करवाने की चाह रखना।” माता की शिक्षाओं में से

अगर आप अक्सर दूसरों से सेवा पाना चाहते हैं, तो यह साबित करता है कि आपका मन ऊंचा हो रहा है। यह इस खतरे का चिन्ह है कि आप अपने विश्वास के मार्ग पर एक दिन गिर सकते हैं।

जब आप अपने ऊंचे मन को नीचा करें और हर समय परमेश्वर की तरह नम्र और सेवा करने का रवैया रखेंगे और नीचा मन रखेंगे, तो आपके साथ चाहे जो हुआ हो या भविष्य में जो हो जाए, आप अपने विश्वास को गिरने से रोक सकते हैं। भले ही आप कुछ कारणों से थोड़ी देर के लिए लड़खड़ा सकते हैं, लेकिन आप अपने आपको तुरंत मजबूत कर सकते हैं और एक आत्मिक कलाबाज गुड़िया की तरह खड़े हो सकते हैं।