सिय्योन में कोने का बहुमूल्य एक पत्थर

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लोग सोचते हैं कि, जब परमेश्वर इस धरती पर प्रकट होगा तब अत्यन्त महिमामय रूप में, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते, आएगा। लेकिन बाइबल भविष्यवाणी करती है कि, परमेश्वर अति मामूली रूप में आएगा, इसलिए लोग उसे न पहचानेंगे और परमेश्वर उनके लिए जाल एंव फ़न्दा होगा।

इस तरह, परमेश्वर लोगों के सामान्य ज्ञान से अलग रूप में हमारे पास आता है। तब हम कैसे परमेश्वर को ग्रहण कर सकते हैं? आइए हम बाइबल के इतिहास की जांच करते हुए हमारी ओर परमेश्वर की इच्छा समझने का समय लें।

गुप्त रूप से आता परमेश्वर

कोरिया के जोसन राजवंश के समय गुप्त राजकीय निरीक्षक प्रणाली थी। राजा गुप्त रूप से निरीक्षक को भेजता था कि वे सारे क्षेत्रों का भ्रमण करते हुए प्रजाओं की स्थिति और जनता का मन समझ लें और क्रेन्दीय सरकार के अधीन स्थानीय सरकार के अधिकारियों की जांच करें कि अधिकारी ईमानदारी से राजा की आज्ञा का पालन करते हैं कि नहीं, या प्रजाओं को परेशान करके लूट रहे हैं कि नहीं। छुपे ­ छुपे कर जाने के लिए निरीक्षक सिलवटदार टोपी, गंदा वस्त्र, फटे ­ पुराने जूते में मैले ­ कुचैले वेश धारण करता था कि कोई भी उसे न पहचाने। वास्तव में उसका पद इतना ऊंचा था कि कहीं भी वह जाता तो, भड़कीली फूलों की पालकी पर बैठ कर जाता था। लेकिन यदि निरीक्षक का असली पद प्रकट हो तो ऐसा हो सकता है कि अधिकारी कपटपूर्ण व्यवहार करके उसे धोखा दें जो कि साधारण समय से अलग है, करके उसे धोखा दें, जिससे राजा नहीं देख सकता है कि कैसे प्रजाएं जी रही हैं और वह प्रजाओं का दुख मुक्त करने की नीति नहीं बना सकता।

इसी रीति से परमेश्वर भी अपने असली रूप में जो भड़कीला और शक्तिशाली है, नहीं आया वरन् हमारे समान देहधारी होकर इस धरती पर आया। पुराने समय इस्राएलियों ने सिर्फ सीनै पर्वत पर गूंजती हुई परमेश्वर की आवाज़ से बहुत भय खाया, और मूसा को बीच में मध्यस्थ करने को मांगा। अगर ऐसा भयावना परमेश्वर असली रूप से महिमा के साथ आता तब सारे विश्व में कौन परमेश्वर के सामने आज्ञाकारी नहीं रहेगा? कहां वह रहता जो विश्वास नहीं करता? और किसे ऐसी हिम्मत है कि परमेश्वर को घूसों से और थप्पड़ मार कर क्रूस पर लटका सकता?

यही परमेश्वर की योजना है कि सभी सामर्थ्य और अधिकार को छिपाकर स्वर्गदूतों से अधिक कमी रूप में धरती पर आने के द्वारा अपने सच्चे लोगों को चुनता है। यदि आप सच्चे विश्वासी भक्त हों, तो जल्दी परमेश्वर की ऐसी इच्छा को समझकर, बाइबल की भविष्यवाणी पर कान लगाना है।

“तू सेनाओं के यहोवा को ही पवित्र मानना। वही तेरे भय का कारण हो और तू उसी का भय मानना। तब वह तेरा पवित्रस्थान बन जाएगा। परन्तु इस्राएल के दोनों घरानों के लिए वह ठोकर का पत्थर और ठेस की चट्टान तथा यरूशलेम के निवासियों के लिए जाल और फ़न्दा होगा। और बहुत से लोग उस से ठोकर खाएंगे तथा गिरकर टूट जाएंगे, यहां तक कि वे फ़न्दे में फंस कर पकड़े जाएंगे।”यश 8:13-15

यशायाह नबी ने भविष्यवाणी की कि इस्राएल के घरानों और यरूशलेम के निवासियों यानी परमेश्वर पर विश्वास करने वालों के लिए परमेश्वर ठोकर का पत्थर और ठेस की चट्टान, जाल और फ़न्दा होगा। इसका अर्थ है कि परमेश्वर के भक्त ही इस धरती पर आए परमेश्वर को सही तरह से नहीं पहचानते और ग्रहण नहीं करते हैं।

हमें ठीक रूप से जानना है कि परमेश्वर किस रूप में आता है, और उसे ग्रहण करना है। चाहे परमेश्वर किसी भी रूप में आता हो, उसे ग्रहण करने वाले ही सच में परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं।

“इसलिए प्रभु यहोवा यों कहता है, “देखो, मैं सिय्योन में एक पत्थर, एक परखा हुआ पत्थर, हां, नींव के लिए एक बहुमूल्य कोने का पत्थर, दृढ़ता से रखने पर हूं, जो कोई उस पर विश्वास करेगा वह न डगमगाएगा।”यश 28:16

“अब उस जीवित पत्थर के पास आकर जिसे मनुष्यों ने तो ठुकरा दिया था, परन्तु जो परमेश्वर की दृष्टि में चुना हुआ और मूल्यवान है, तुम भी जीवित पत्थरों के समान एक आत्मिक भवन बनते जाते हो,…क्योंकि पवित्रशास्त्र में लिखा है: “देखो, मैं सिय्योन में एक चुना हुआ पत्थर, अर्थात् कोने का एक बहुमूल्य पत्थर, स्थापित करता हूं, और जो उस पर विश्वास करता है, वह कभी निराश न होगा।” अत: तुम विश्वासियों के लिए यह पत्थर बहुमूल्य है, परन्तु अविश्वासियों के लिए: “जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने ठुकरा दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया,” और, “ठेस लगने का पत्थर तथा ठोकर खाने की चट्टान,” क्योंकि वचन का पालन न करके वे ठोकर खाते हैं और इसी विनाश के लिए वे नियुक्त भी किए गए थे।”1पत 2:4-8

सिय्योन का एक पत्थर यीशु है। 2 हज़ार वर्ष पहले यीशु गरीब स्वरूप में आया और वह ऐसा भी नहीं था कि हम उसको चाहते। वह अनेक लोगों को परखने वाला था।

बाइबल में पहले भविष्यवाणी की गई थी कि, यीशु कुंवारी के द्वारा बालक के रूप में पैदा होगा और बैतलहम में आएगा। तो भी बहुत से लोगों ने भविष्यवाणी के अनुसार आए यीशु पर विश्वास नहीं किया, और ठोकर खाकर बिना हिचके यीशु को ठट्ठों में उड़ाया और घूसों से मारा। इतना उन्होंने परमेश्वर के सामने अक्खड़ दिखाते हुए निन्दा की बातें कहीं।

पीढ़ी जो मसीह को स्वीकार नहीं करती

ऐसा नहीं कि केवल फरीसी और शास्त्री ने यीशु को विश्वास नहीं किया, बल्कि कुटुम्बियों ने भी यीशु के कार्य को बिल्कुल नहीं समझा।

“जब यीशु के कुटुम्बियों ने यह सुना, तो वे उसे पकड़ने के लिए निकले, क्योंकि उनका कहना था, “उसका चित्त ठिकाने नहीं।”मर 3:20-21

“और ऐसा हुआ कि जब यीशु ये सब दृष्टान्त कह चुका तो वहां से चला गया। वह अपने नगर में आकर लोगों को उन के आराधनालयों में उपदेश देने लगा, और वे चकित होकर कहने लगे, “इस मनुष्य को ऐसा ज्ञान और ऐसी आश्चर्यजनक सामर्थ कहां से प्राप्त हुई? क्या यह बढ़ई का पुत्र नहीं? क्या इसकी माता का नाम मरियम और इसके भाइयों के नाम याकूब, यूसुफ, शमौन और यहूदा नहीं? और क्या इसकी सब बहिनें हमारे बीच में नहीं रहतीं? तो इस मनुष्य को यह सब कहां से प्राप्त हुआ?” और उसके कारण लोगों को ठोकर लगी…”मत 13:53-57

कुटुम्बी भी यीशु को पकड़ने की खोज में थे। इस पर विरोधी समूह ने ऐसा निन्दा करने का प्रयास किया कि कुटुम्बी भी विश्वास नहीं कर रहे हैं तो कैसे वह उद्धारकर्ता हो सकता है।

“परन्तु तुम विश्वास नहीं करते क्योंकि तुम मेरी भेड़ों में से नहीं हो…मैं और पिता एक हैं। यहूदियों ने उसे पथराव करने को फिर पत्थर उठाए। यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैंने पिता की ओर से बहुत से अच्छे कार्य किए। उनमें से किसके लिए तुम मुझे पथराव कर रहे हो?” यहूदियों ने उसे उत्तर दिया, “हम अच्छे कार्य के लिए तुझे पथराव नहीं करते, परन्तु परमेश्वर की निन्दा करने के करण, और इसलिए भी कि तू मनुष्य होकर अपने आपको परमेश्वर बताता है।”यूह 10:26-33

परमेश्वर स्वयं ने साक्षी दी कि वह परमेश्वर है। फिर भी लोग इसे परमेश्वर की निन्दा करने का पाप ठहरा कर पथराव करने को थे। उनकी आंखों में ज़रा भी यीशु परमेश्वर की तरह दिखाई नहीं देता था। ‘बढ़ई का पुत्र है, तो कैसे परमेश्वर है!’ इस विचार से उन्हें विश्वास करना सच में मुश्किल बात था।

इस ज़माने में ऐसा इतिहास हमारे लिए शिक्षा बनता है जिन्हें पवित्र आत्मा के युग में उद्धारकर्ता को ग्रहण करना है।(रोम 15:4) आइए हम यह महसूस करें कि क्यों बाइबल 2 हज़ार वर्ष पहले घटित हुई घटनाओं का वर्णन कर रही है, जिससे हम यहूदियों की गलती के जैसा पाप न करेंगे।

धन्य है वह जो मेरे कारण ठोकर खाने से बचा रहता है

यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करने में सांसारिक तौर पर बहुत सारी मुश्किल बातें होती थीं। जब महायाजक के सेवक यीशु को पकड़ने के लिए आए, यीशु दुर्बलता से पकड़ा गया था। और जब रोम सैनिकों ने कोड़े से मारा, तब भी यीशु चुपचाप मारा गया था। यदि उस समय यीशु ने आश्चर्यजनक तरीके से विद्रोहियों को एकदम बदला दिया होता तो लोगों ने उसे परमेश्वर मान कर उसी क्षण विश्वास किया होता। परन्तु यीशु क्रूस पर लटकाए जाने तक चुपचाप रहा था। संसार के लोगों के लिए जो भविष्यवाणी की आंखों से नहीं देखते थे, यीशु सिर्फ मामूली मनुष्य सा था।

बाइबल साक्षी देती है कि यीशु ने क्रूस पर मर जाने के अन्तिम पल तक सभी भविष्यवाणियों को पूरा किया। लेकिन जिन्होंने बाइबल की भविष्यवाणियों पर सम्पूर्ण विश्वास नहीं किया, उन्होंने थोड़े समय के लिए यीशु पर विश्वास तो किया पर अन्त में सन्देह करके ठोकर खाई थी।

“…जब बन्दीगृह में यूहन्ना ने मसीह के कार्यों की चर्चा सुनी तो अपने चेलों को उसके पास यह पूछने भेजा, “क्या आनेवाला तू ही है, या हम किसी और की प्रतीक्षा करें?” यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “जो कुछ तुम सुनते और देखते हो जाकर उसका समाचार यूहन्ना को दो: कि अन्धे दृष्टि पाते, लंगड़े चलते, कोढ़ी शुद्ध किए जाते, बहिरे सुनते, मुर्दे जिलाए जाते और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है। और धन्य है वह जो मेरे कारण ठोकर खाने से बचा रहता है।”मत 11:1-6

यीशु ने कहा कि जो मसीह को सही रूप से पहचान कर महसूस करता है, वह धन्य है। इस वचन के अनुसार पतरस ने आशीष पाई, और मरियम और सूबेदार के विश्वास की यीशु ने बड़ी तारीफ़ की। आजकल की स्थिति भी अलग नहीं है। लोग जो इस युग का उद्धारकर्ता, ऐलोहीम परमेश्वर के कारण ठोकर खाने से बचे रहते हैं केवल वे ही सिय्योन में अनन्त जीवन की आशीष पा सकते हैं।

विशाल है वह फाटक और चौड़ा है वह मार्ग जो विनाश की ओर ले जाता है। परन्तु छोटा है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन की ओर ले जाता है।(मत 7:13) यह मार्ग संसार के सारे लोग नहीं समझते और महसूस नहीं करते। इसलिए हमारे विश्वास का यह मार्ग जिस पर हम स्वर्गीय पिता और माता पर विश्वास करके चलते हैं, अति बहुमूल्य और धन्य है।

परमेश्वर का चिन्ह, जीवन का वचन

यद्यपि बहुत से लोगों ने सन्देह और निन्दा की तो भी पतरस के जैसे प्रेरितों ने यीशु को बहुमूल्य समझा और उसे सिय्योन में कोने का बहुमूल्य एक पत्थर माना। आइए हम देखें कि चेले कैसे यीशु को जिसे उस समय के धार्मिक अगुवों ने भी स्वीकार नहीं किया, अन्त तक भरोसा करके पालन कर सके।

“यदि तुम मनुष्य के पुत्र को ऊपर जाते देखो जहां वह पहिले था, तो क्या करोगे? आत्मा ही है जो जीवन देता है, शरीर से कुछ लाभ नहीं। जो बातें मैंने तुमसे कही हैं, वे आत्मा और जीवन हैं…इसके परिणामस्वरूप उसके शिष्यों में से बहुत ­ से वापस चले गए और फिर उसके साथ नहीं चले। इसलिए यीशु ने उन बारहों से कहा, “क्या तुम भी चले जाना चाहते हो?” शमौन पतरस ने उसे उत्तर दिया, “प्रभु, हम किसके पास जाएं? अनन्त जीवन की बातें तो तेरे पास हैं। हमने विश्वास किया है, और जान लिया है कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है।” यूह 6:62-69

अनन्त जीवन केवल परमेश्वर के पास है। प्रेरितों ने यीशु के अनन्त जीवन के वचन सुनकर विश्वास किया कि, यीशु परमेश्वर है।

“यदि हम मनुष्यों की साक्षी मान लेते हैं तो परमेश्वर की साक्षी कहीं बढ़कर है, क्योंकि परमेश्वर की साक्षी यह है, कि उसने अपने पुत्र के विषय में साक्षी दी है। जो परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है, वह स्वयं में साक्षी रखता है, वह जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करता उसे झूठा ठहराता है, क्योंकि उसने उस साक्षी पर विश्वास नहीं किया जो परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है। वह साक्षी यह है कि परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है, और यह जीवन उसके पुत्र में है। जिसके पास पुत्र है उसके पास जीवन है, जिसके पास परमेश्वर का पुत्र नहीं उसके पास वह जीवन भी नहीं।” 1 यूह 5:9-12

“…हम जानते हैं कि हम परमेश्वर से हैं, और सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है। हम जानते हैं कि परमेश्वर का पुत्र आ चुका है, और उसने हमें समझ दी है, कि हम उसे जो सत्य है जान सकें, और हम उसमें हैं जो सत्य है, अर्थात् उसके पुत्र यीशु मसीह में। यही सच्चा परमेश्वर और अनन्त जीवन है।”1 यूह 5:18-20

अनन्त जीवन महत्वपूर्ण कड़ी है जो परमेश्वर के लोगों को परमेश्वर से जोड़ती है, और मुख्य पाठ है जो बाइबल पढ़ते समय हमें न छोड़ना है। बाइबल पढ़ने का ध्येय अनन्त जीवन पाना है। यदि हम अनन्त जीवन का पीछा करें, तब अवश्य जो अनन्त जीवन का मूल है, उस परमेश्वर से हम मिल सकते हैं।(यूह 5:39-40 संदर्भ)

चेलों ने यीशु को, जो कुरूप मनुष्य की शक्ल में आया, परमेश्वर मान कर पालन किया। यह अनन्त जीवन के सत्य के कारण था, जो यीशु ने सुनाया। मरियम या सूबेदार की तरह लोगों ने भी अनन्त जीवन के वचन के द्वारा यीशु के अन्दर छिपे परमेश्वर के ईश्वरीय गुण को पाया और विश्वास करने के मन से यीशु को देखा। चाहे यीशु कमजोर शरीर के रूप में धरती पर आया हो, तो भी विश्वासी चिन्ह को जो केवल परमेश्वर ही लेकर आ सकता है, देख कर इस तथ्य को पूरी तरह से विश्वास कर सके कि यीशु सृष्टिकर्ता परमेश्वर है जिसने संसार में सारी वस्तुओं को सृजा।

विश्वासियों के लिए बहुमूल्य है परमेश्वर

परमेश्वर उन्हें, जो उसके ईश्वरीय गुण को महसूस करके विश्वास करते हैं, अपना सर्वशक्तिमान रूप दिखाता है और विश्वास करने के योग्य पक्की साक्षी को और ज्ज्यादा प्रकट करता है। लेकिन उन्हें जो सन्देह करके निन्दा करते हैं, शंकाजनक कार्य करके सन्देह और ज्ज्यादा दिलाता है कि वे विश्वास न करें। हमें इस तरह परमेश्वर की योजना को समझना है और महसूस करना है कि क्यों परमेश्वर परखने का पत्थर होकर संसार में आया।

आज भविष्यवाणी के अनुसार ऐलोहीम परमेश्वर, पवित्र आत्मा और दुल्हिन पृथ्वी पर आए। अविश्वासियों के लिए वे ठोकर का पत्थर और ठेस की चट्टान बनते हैं, पर विश्वासियों के लिए कोने का बहुमूल्य पत्थर होते हैं। चाहे संसार के लोग विश्वास न करके ठोकर खाते हो, फिर भी सिय्योन की सन्तानों को स्वर्गीय पिता और माता को जो हमारे उद्धार के लिए स्वर्ग से हमारी हृदयविदारक कहानी के साथ धरती पर आए, ठीक रूप से महसूस करके ग्रहण करना है ।

आइए हम फिर से उद्धार का अनुग्रह और योजना को सोचें जो ऐलोहीम परमेश्वर देता है। और आशा है कि आप लोग संसार में सारे लोगों को ज़ोर से कहें कि सिय्योन में ठहरे परमेश्वर को ग्रहण कर।