क्योंकि उन्होंने परमेश्वर का भय माना

निर्गमन 1:15–21

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जब याकूब के वंशज मिस्र में रहते थे, दिनों–दिन इस्राएलियों की संख्या बढ़ती गई, और उनकी संख्या मिस्रियों से अधिक हो गई। इस पर मिस्र के राजा को संकट की भावना महसूस हुई और उसने शिप्रा और पूआ नामक दो इब्री धाइयों को बुलवाकर कहा,

“जब तुम इब्री स्त्रियों को बच्चा जनने में सहायता करो, तब यदि लड़की पैदा हो तो उसे जीवित रहने दो, लेकिन यदि लड़का पैदा हो तो तुम लोग उसे मार डालो।”

यदि वे राजा का यह आदेश न मानतीं, तो वे मृत्यु से नहीं बच सकती थीं। लेकिन उन धाइयों ने परमेश्वर का भय माना और मिस्र के राजा का आदेश न मानकर सभी लड़कों को जीवित रहने दिया। मिस्र का राजा यह सुनकर बहुत क्रोधित हो गया और उसने शिप्रा और पूआ को बुलाया और कहा,

“तुमने क्यों लड़कों को जीवित रहने दिया? क्यों मेरा आदेश नहीं माना?”

तब परमेश्वर ने उन्हें बुद्धि दी और वे संकट से बच गईं।

“इब्री स्त्रियां मिस्री स्त्रियों से अधिक बलवान हैं। उनकी सहायता के लिए हम लोगों के पहुंचने से पहले ही वे बच्चों को जन्म दे देती हैं।”

परमेश्वर ने धाइयों के साथ भलाई की और उनके घर बसाए, और इस्राएली बढ़कर बहुत शक्तिशाली हो गए।

यदि वे धाइयां राजा के आदेश का पालन न करतीं, तो उनकी जान खतरे में पड़ सकती थीं। लेकिन उन्होंने परमेश्वर के पक्ष में खड़ी होकर निर्णय किया और कार्य किया। उन्होंने उस स्थिति में भी अपनी जाति को नुकसान नहीं पहुंचाया जब उनकी जान को खतरा था। इसलिए परमेश्वर ने उन्हें संकट से बचाया और उनके घरों को समृद्ध बनाया।

जब धाइयां जीवन और मृत्यु के दोराहे पर थीं, तब उन्होंने परमेश्वर के पक्ष में खड़ी होना चुना, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर का भय माना। लोग जो परमेश्वर के राज्य के हैं, वे हर समय परमेश्वर की इच्छा को किसी भी अन्य चीज से अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं।

विश्वास का जीवन जीने के दौरान हम कभी–कभी कठिनाई का सामना करते हैं और इसलिए हमें कोई फैसला करने में मुश्किल हो जाती है। जब भी ऐसा हो, तो कृपया परमेश्वर का भय मानते हुए फैसला कीजिए और फिर उसके मुताबिक कार्य कीजिए। तब स्वर्ग की बुद्धि और आशीषें आपको बहुतायत से दी जाएंगी।

हे यहोवा के पवित्र लोगो, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती ! भज 34:9