विश्वास के पूर्वज जो परीक्षा पर विजयी हुए

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शैतान ने सृष्टि के समय से ही सभी प्रकार की दुष्ट योजनाओं से परमेश्वर की संतानों को लुभाया। हमें अनन्त स्वर्ग के राज्य की ओर बढ़ने के लिए शैतान के सभी प्रलोभनों पर विजयी होना चाहिए।

विश्वास के पूर्वजों के कई अभिलेख हैं, जो शैतान के प्रलोभन पर विजयी होकर आशीषित किए गए थे। आइए हम उनके कामों के द्वारा विश्वास के रवैए के बारे में अध्ययन करें जो हमारे पास प्रलोभन पर जय पाने के लिए होना चाहिए।

1. यीशु

चालीस दिन और चालीस रात भूखे रहने के बाद, यीशु को शैतान के द्वारा परखा गया। यह दिखाता है कि जब हम यीशु पर विश्वास करेंगे और उनका पालन करेंगे, तब हम भी ऐसे ढंग से परखे जाएंगे। पहले यीशु को पत्थरों को रोटियों में बदलने के लिए परखा गया। यह यीशु की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए था। यीशु ने यह कहकर अपनी पहली परीक्षा पर विजय प्राप्त की, “मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है, जीवित रहता है।” दूसरा, यीशु को मन्दिर से कूदने के लिए परखा गया। यह परमेश्वर को परखने के लिए था। यीशु ने यह कहकर शैतान को हरा दिया, “तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।” तीसरी परीक्षा में, शैतान ने यीशु को संसार के सारे राज्य और वैभव देने के वादे के साथ उसके सामने दण्डवत् करने के लिए कहा। तब यीशु ने यह कहकर शैतान को हरा दिया, “हे शैतान, दूर हट, क्योंकि लिखा है, ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर को दण्डवत् कर और केवल उसी की सेवा कर’।” यीशु ने इन सब परीक्षाओं पर विजय प्राप्त की। उनका उदाहरण हमें सिखाता है कि हम भी सब प्रकार की परीक्षाओं पर विजय पा सकते हैं और हमें इन पर विजय पानी चाहिए।(मत 4:1-11)

2. अय्यूब

अय्यूब की परीक्षा लेने के लिए, शैतान ने उस पर बहुत कष्ट दिए, जो भक्तिपूर्वक परमेश्वर पर विश्वास करता था।

जब परमेश्वर ने शैतान को कठिनाइयों के साथ अय्यूब को परखने की अनुमति दी। अय्यूब की सारी धन-सम्पत्ति खो गई, उसकी सभी सन्तान मार डाली गईं, और उसका पूरा शरीर फोड़ों से पीड़ित हुआ। यहां तक कि उसकी पत्नी ने उससे कहा, “परमेश्वर की निन्दा करके मर जा।” इन सब के बावजूद, अय्यूब ने धीरज के साथ अन्त तक अपने विश्वास को थामे रखा। जब अय्यूब सभी परीक्षाओं के दौर से गुजरा, परमेश्वर ने जितना अय्यूब के पास पहले था, उससे भी दुगुना उसे दे दिया और अय्यूब के जीवन के पहले भाग से भी अधिक उसके जीवन के पिछले भाग को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।(अय 42:10-17)

3. यूसुफ

यूसुफ के भाई उससे ईर्ष्या करते थे और उन्होंने उसे मिस्र में बेच दिया था, जहां वह दास के रूप में फिरौन के अधिकारियों में से एक पोतीपर के पास गया था। उस क्षण, यूसुफ के पास एक बड़ा प्रलोभन आया। पोतीपर की पत्नी ने यूसुफ के मजबूत और अच्छे रूपवान को देखा और उसे हर दिन लुभाया(उत 39:7-10)। हालांकि, यूसुफ ने परमेश्वर के बारे में सोचा और प्रलोभन में नहीं पड़ा। इस तरह, यूसुफ ने केवल परमेश्वर के बारे में सोचकर शैतान के प्रलोभन पर जय प्राप्त की, और परमेश्वर की मदद से मिस्र का प्रशासक बन गया, और अपने माता-पिता और अपने भाइयों को बचाने में सक्षम हो गया(उत 41: 40-43)।

4. प्रेरित पौलुस

जब प्रेरित पौलुस ने सुसमाचार का प्रचार किया, पांच बार उसने यहूदियों से एक कम चालीस चालीस कोड़े खाए। एक बार उस पर पथराव भी किया गया, उसने एक दिन और एक रात समुद्र के गहरे जल में बिताई। उसने भयानक नदियों, खूंखार डाकुओं, स्वयं अपने लोगों, विधर्मियों, नगरों, ग्रामों, समुद्रों और दिखावटी बन्धुओं के संकटों के बीच अनेक यात्राएं कीं। उसने कड़ा परिश्रम करके थकावट से चूर होकर जीवन जिया। अनेक अवसरों पर वह सो तक नहीं पाया और भूखा और प्यासा रहा। प्राय: उसे खाने तक को नहीं मिल पाया। बिना कपड़ों के ठण्ड में ठिठुरता रहा(2कुर 11:23-28)। कठिन से कठिन परिस्थितियों से भी, पौलुस ने अपने विश्वास की रक्षा दृढ़तापूर्वक करते हुए सुसमाचार का प्रचार करने का मिशन अंत तक पूरा किया, ताकि वह धार्मिक मुकुट को, जो उसके लिए तैयार किया गया है, स्वर्ग के राज्य में पा सके।(2तीम 4:8)

5. दानिय्येल

दानिय्येल हर दिन तीन बार(सुबह, मध्याह्न, दोपहर) यरूशलेम की ओर प्रार्थना करता था। यद्यपि उसके शत्रुओं ने उसके परमेश्वर से सम्पर्क को तोड़ने के लिए बुरी युक्ति बनाई और उसे मुसीबत में फंसा दिया, फिर भी दानिय्येल ने हर दिन ईमानदारी से परमेश्वर से प्रार्थना की। इसके परिणाम में वह परमेश्वर की रक्षा में भूखे सिंहों से बचाया गया, और उसने बहुत से लोगों के सामने परमेश्वर की महिमा को प्रकट किया। उसने अपनी जान को जोखिम में डालते हुए परमेश्वर की व्यवस्थाओं और नियमों का निरंतर पालन किया, जिसका नतीजा विजय के रूप में सामने आया।(दान 6:1-28)

6. शद्रक, मेशक और अबेदनगो

शद्रक, मेशक और अबेदनगो, दानिय्येल के तीन मित्रों को ऐसी धमकी दी गई कि यदि वे सोने की प्रतिमा को झुक कर प्रणाम नहीं करेंगे और उसे नहीं पूजेंगे, तो उन्हें तुरंत ही धधकती हुई भट्टी में फेंक दिया जाएगा। लेकिन उन्होंने उसे कभी नहीं पूजा और अन्त तक अपने विश्वास को बनाए रखा। आखिरकार उन्हें उस भट्ठे में डाला गया जिसे साधारण से सातगुणा अधिक धधका दिया गया था, लेकिन आग ने उन्हें छुआ तक नहीं था, उनके शरीर जरा भी नहीं जले थे, उनके बाल तक नहीं झुलसे थे और उनके शरीर से ऐसी गंध तक नहीं निकली जैसे वे आग के आसपास भी गए हों। इससे बेबीलोन का राजा नबूकदनेस्सर, और उसके राज्यपाल और हाकिमों को अचम्भा हुआ, और उन सब ने परमेश्वर की स्तुति की। इसके बाद राजा ने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बेबीलोन के प्रदेश में और अधिक महत्वपूर्ण पद प्रदान कर दिए।(दान 3:1-30)

ऐसी दुष्ट शक्तियां हैं जो इस युग में भी हमारे विश्वास को बाधित करती हैं और हमें परमेश्वर की इच्छा का पालन करने से रोकती हैं। लेकिन, बाइबल में उन पूर्वजों की तरह जिन्होंने महान कठिनाइयों में भी अंत तक अपने विश्वास को बनाए रखने के बाद महान आशीषों को प्राप्त किया और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश किया, हमें अंत तक परमेश्वर के प्रति अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए।

पुनर्विचार के लिए प्रश्न
1. यीशु ने किस प्रकार की परीक्षाओं का सामना किया? उन्होंने कैसे परीक्षा पर जय प्राप्त की?
2. प्रेरित पौलुस शैतान के प्रलोभन पर जय पाने के बाद कैसे आशीषित किया गया?
3. आइए हम विश्वास के पूर्वजों के बारे में विचार करके यह सोचें कि कैसे हम शैतान के प्रलोभन पर जय पा सकते हैं।