मेरा आनन्द तुम में बना रहे

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आजकल, हर रोज़ सिय्योन में खुशी की खबर सुनाई जा रही है। सुसमाचार के प्रचार का कार्य तीव्र गति से अग्रसर हुआ है, जिसके द्वारा कोरिया में भी प्रति माह अनेक आत्माएं नया जीवन पा रही हैं और सुसमाचार का प्रचार विश्व के कोने–कोने में किया जा रहा है। जैसे कि परमेश्वर ने भविष्यवाणी की है, सिय्योन आशीषित किया गया है जिससे नई यरूशलेम माता की महिमा का प्रकाश दिनों–दिन तेजी से प्रकाशित किया जा रहा है और सिय्योन की प्रजाओं को कीर्ति व प्रशंसा दी जा रही है।

ये उस परमेश्वर की कृपा हैं जो भविष्यवाणियों को तेजी से पूरा करता है, और ये इस सब का परिणाम है कि सिय्योन के सदस्य परमेश्वर के वचन पर आज्ञाकारी रहे हैं। स्वर्गीय माता ने शिक्षा दी है कि चेहरे को प्रसन्न रखें तब परमेश्वर हमें और अधिक हंसने का कारण देगा। मैं विश्वास करता हूं कि सिय्योन के सदस्यों ने माता की इस शिक्षा का पालन किया है और प्रतिदिन हंसमुख चेहरे से सदस्यों से और पड़ोसियों से प्रेमपूर्ण व्यवहार किया है, जिसके कारण परमेश्वर हमें हंसने की बातें दे रहा है।

मसीह का सुसमाचार हमारे हृदय को आनन्द से उछलने देता है। मैं सिय्योन के सदस्यों से आशा करता हूं कि आप हमेशा जीवन को आनन्द से जीने के द्वारा परमेश्वर की इच्छा पूरी करें, ताकि पूरे विश्व के लोगों की अगुवाई प्रसन्नता और आनन्द की ओर कर सकें।

“सर्वदा आनन्दित रहो, क्योंकि परमेश्वर की यही इच्छा है”

परमेश्वर की इच्छा यह है कि हम उसकी आज्ञा का पालन करें, लेकिन इसे जानते हुए भी, हम कभी–कभी भूल जाते हैं कि सर्वदा आनन्दित रहना, निरन्तर प्रार्थना करना और प्रत्येक परिस्थिति में धन्यवाद देना परमेश्वर की इच्छा है।

“सर्वदा आनन्दित रहो, निरन्तर प्रार्थना करो, प्रत्येक परिस्थिति में धन्यवाद दो, क्योंकि मसीह यीशु में तुम्हारे लिए परमेश्वर की यही इच्छा है।”1थिस 5:16–18

आनन्दित रहना परमेश्वर की इच्छाओं में से एक है। परमेश्वर ने कहा है कि सिर्फ मुंह से ‘हे प्रभु, हे प्रभु!’ कहने वाले नहीं, पर परमेश्वर की इच्छा पर चलने वाले ही स्वर्ग में प्रवेश करेंगे।(मत 7:21) इसलिए हमें परमेश्वर के इस वचन पर पूर्ण रूप से आज्ञाकारी रहना चाहिए कि ‘सर्वदा आनन्दित रहो।

यदि आप आनन्दित हो, तो हंसना आता है। यदि आप हंसें, तो आनन्द आता है। हम दुख से भरे आत्मिक शरण नगर में जी रहे पापी हैं, इसलिए हमेशा ऐसी बात नहीं होती जिससे हम आनन्दित रह सकते हैं। लेकिन चाहे हंसी स्वत: न आती हो, तो भी आइए हम हंसने की कोशिश करते रहें, ताकि हमें आनन्दित होने की आदत हो सके। परमेश्वर ने कहा है कि हमें भक्ति के लिए अपने आप को अनुशासित करना है।(1तीम 4:7) यदि मनुष्य थोड़ी सी बात पर भी बार–बार आनन्दित होने की कोशिश करे, तब यह उसकी आदत बनती है, और यह आदत उसका व्यक्तित्व या स्वभाव का अंग बनता है। हम सब परमेश्वर की इच्छा पर आज्ञाकारी रह कर, हमेशा आनन्दित रहने का स्वभाव रखेंगे।

बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार हमें तो ज्यादा हंसना चाहिए। परमेश्वर की सन्तान को ‘इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान’ कही गई है।(गल 4:28) ‘इसहाक’ ‘हंसी’ है। स्वर्ग का पिता इब्राहीम से दर्शाया गया है, और स्वर्ग की माता सारा से दर्शाई गई है। जो उनका एकमात्र उत्तराधिकारी था, उसका नाम इसहाक, यानी हंसी था। यह हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर स्वर्ग की सन्तान से चाहता है कि वह हमेशा आनन्दित रहे।

हंसी और स्वास्थ्य

कहा जाता है कि हास्य लाखों दुखों की अचूक औषधि है। चिकित्सा विज्ञान भी कहता है कि हंसी किसी भी प्रकार की बीमारियों को मुक्त रूप से चंगा करती है और बूढ़े होने की प्रक्रिया को धीमा करती है, आधुनिक युग में लोग विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हैं, क्योंकि तनावयुक्त जीवनशैली में वे आनन्द महसूस न करके आसानी से चिढ़ जाते हैं और गुस्सा हो जाते हैं, किसी भी प्रकार की बीमारी आनन्द से दूर हो जाती है। अमरिका में रुमेटिक गठिया रोग से पीड़ित एक मरीज़ था। उसके पूरे शरीर में सूजन और जोड़ो में दर्द होता था। उसे कई वर्ष तक अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिल सकी। इतना ही नहीं, दर्द दिन–प्रतिदिन बढ़ता ही गया।

उसने सोचा कि मैं अस्पताल में उदास होते हुए मरना नहीं चाहता हूं, भले ही एक दिन जीऊं, आनन्दित होते हुए जीकर मर जाऊंगा। ऐसा निश्चय करने के बाद, वह अस्पताल से बाहर निकल कर होटल के एक कमरे में रहने लगा।

उस समय से उसने हास्य फिल्म देखना शुरू किया। अनोखी घटना घट गई। जब वह 10 मिनट तक फिल्म देखते हुए दिल तोड़ के हंसता था, तब से 2 घंटों तक शरीर को, जो हर वक्त दर्द में था, दर्द से राहत मिलती थी। उसके बाद उसने हर रोज़ तीन या चार हास्य फिल्में देखीं, और फिल्म देखते वक्त, अधिक हंसने की कोशिश की। तब दिन–प्रतिदिन दर्द समाप्त होता गया और उसे राहत महसूस हुई। अंतत: उसे बीमारी से पूर्ण मुक्ति मिल गई। उसने अपने अनुभवों पर एक किताब लिखी।

एक लड़का भी अपने भीतर आनन्द के कारण कैन्सर से बच गया। यह बात वर्ष 1982 में अमरिका में घट गई। शॉन नामक 7 वर्षीय लड़का मस्तिष्क कैन्सर से पीड़ित होकर मर रहा था। जब माता–पिता ने शॉन को रेस्पिरेटर यंत्र से सांस लेते हुए मुश्किल से जीवन बिताते देखा, उन्हें तरस आया और लगा कि उसका दर्द सिर्फ बढ़ता जा रहा है। अत: उन्होंने तय किया कि उसे रेस्पिरेटर यंत्र से हटाए।

रेस्पिरेटर यंत्र हटाने से एक दिन पहले, पिता ने निश्चय किया कि मर रहे बेटे को सब से अच्छा उपहार दे। शॉन उस बेसबॉल खिलाड़ी स्ताप्लेटोन का उत्साही प्रशंसक था जो बोस्टन रेड टीम में सर्वाधिक होम रन बनाने वाला बल्लेबाज था। उसी रात शॉन का पिता उस से मिलने उस खिलाड़ी के निवास स्थान गया। पिता ने उसे मिलकर बेटे की बुरी हालत के बारे में बताया और अपने बेटे से मिलने के लिए गिड़गिड़ा कर विनती की।

अगले दिन, जब खिलाड़ी स्ताप्लेटोन ने शॉन के कमरे में मुलाकात की, रेस्पिरेटर यंत्र हटाने से शॉन को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और बेहोशी में बहुत तेजी के साथ हांफ रहा था। स्ताप्लेटोन शॉन के पास जाकर उसका हाथ थाम कर बोला, “शॉन, मैं स्ताप्लेटोन हूं”।

तब तुरन्त शॉन ने आंखें खोलीं, और पता चला कि वह खिलाड़ी जिसे वह बहुत समय से मिलने को तरसता था, सामने खड़े हुए उसका हाथ थाम रहा है। तब वह अभिभूत हुआ, और आनन्द से उसकी आंखें तेज से चमक उठीं।

स्ताप्लेटोन ने कहा, “कल, मैं तुम्हारे लिए खेल में होम रन मारूंगा। अवश्य ही तुम्हें इसे टीवी पर देखना है।” और उसने गेंद को जिस पर खुद हस्ताक्षर किया था, लड़के के हाथ में दे दिया।

उसके अगले दिन, शॉन से बाकी सहायक यंत्रों को पूरी तरह से हटाया जाने के बाद भी, आश्चर्यजनक रूप से, वह जिन्दा रहते हुए टीवी पर बेसबॉल खेल देख रहा था। जैसा वादा किया था, स्ताप्लेटोन ने होम रन मारा। शॉन, जिसने दृढ़ विश्वास किया कि यह होम रन मेरे लिए है, खुशी से फूला नहीं समा रहा था।

इससे मर रहे लड़के में नई शक्ति उभारी गई। 5 महिनों के बाद, शॉन रेस्पिरेटर यंत्र के बिना भी जीवित रहते हुए प्रत्यक्ष रूप से स्वस्थ हो गया। फिर से अस्पताल में उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। परीक्षण का परिणाम ऐसा निकला कि उसका मस्तिष्क पूरी तरह से साफ हो गया है और कैन्सर भी समाप्त हो गया है।

खुशी और हंसी आत्मिक स्वास्थ्य के लिए अचूक लाभदायक औषधि है। इसलिए परमेश्वर ने, जो हमारी सुरक्षा की चिन्ता करता है, हम से कहा है कि ‘सर्वदा आनन्दित रहो’।

सत्य ग्रहण करने के बाद सिर्फ मैं स्वस्थ नहीं हो गया हूं, पर सिय्योन में बहुत से भाई और बहनें पिछली बीमारियों से पूर्ण रूप से मुक्त हो गए हैं। मैं मानता हूं कि परमेश्वर में रहते हुए हमेशा आनन्दित होने के कारण हम स्वस्थ हो गए हैं। जब हम आनन्दित होते हुए जीवन जीते हैं, तब आत्मिक और शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं। इतना ही नहीं, हम आसपास के लोगों को भी आनन्दित करते हैं।

“यदि हंसे, तो आशीष आएगी”

सिय्योन के सदस्य हमेशा परमेश्वर से आशीष मांगते हैं, और भाई व बहनों के आशीष पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। यदि आशीष पाना चाहें, तब आइए हम ज्यादा हंसे। लोग कहते हैं कि यदि हंसे, तो आशीष आएगी। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हंसने से शारीरिक व आत्मिक रूप से बड़ी आशीष और आनन्द मिल जाता है।

माता की शिक्षाओं के अनुसार, सिय्योन के सदस्य आनन्दित रहते हैं और परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं। अगर हम घर में भी एक दूसरे को आनन्द दें, और चर्च में भी एक दूसरे को खुशी दें, तब हंसी हमारे बग़ल के पड़ोसियों में फैल जाएगी, और यह समाज, देश और विश्व तक फैल जाएगी, जिससे पूरा संसार हंसी से भरपूर हो जाएगा। ऐसा ही संसार परमेश्वर चाहता है।

जब आप लगन से खुद में हंसने की आदत डालते हैं, तब जिस बात से आप पिछले दिनों में परेशान होते थे, उसे लेकर ऐसा मानने में सक्षम होंगे कि यह बिल्कुल भी परेशान होने की बात नहीं है, और आप इतने समझदार होंगे कि दुखदायी अनुभव पर ऐसा सकारात्मक विचार आएगा कि “मैं पापी का वस्त्र पहन कर इस धरती पर आया हूं, तो मेरे साथ ऐसा ही होना है”, “स्वर्ग मेरा इन्तजार कर रहा है!”, “थोड़ा नुकसान उठाने से मुझे बड़ा लाभ मिला है”। इस तरह आप परमेश्वर के जैसे सारी बातों पर नम्र व्यवहार करेंगे। हंसने के द्वारा ऐसा एहसास अधिक होगा कि आपका स्वभाव बदला जा रहा है।

यदि हम परमेश्वर की सन्तान हैं, तो स्वर्गीय पिता और माता के जैसे प्रेमपूर्ण स्वभाव के होने चाहिए। दिन– प्रतिदिन हमारे स्वभाव का परमेश्वर के समान हो जाना ही सचमुच बड़ी आशीष है जिसे हंसी ले आती है। जब से सिय्योन के सदस्यों ने एक मन से माता के इस वचन का अभ्यास किया कि ‘सर्वदा आनन्दित रहो!’, बहुतअच्छी घटनाएं घट रही हैं। हमें खुश समाचार सुनाई दे रहा है कि विश्व के कोने–कोने में विदेशी सदस्य, जो सत्य पहले ग्रहण कर चुके हैं, सुसमाचार के नबी को जल्दी भेजने की मांग कर रहे हैं, और कोरिया में भी लोग अपने आप ही सुसमाचार सुनने के लिए सिय्योन में मुलाकात कर रहे हैं।

सुसमाचार खुश समाचार है

सुसमाचार हमारे मन में भरपूर खुशी और भरपूर आशा दिलाता है। सुसमाचार सामरिया और पृथ्वी के छोर तक प्रसारित किया जाना चाहिए, क्योंकि संसार में खुश हुए लोगों की तुलना में उदास और दुखी हुए लोग अधिक हैं। इसलिए परमेश्वर इच्छा करता है कि उन्हें आशा दिलाने वाला समाचार जल्दी सुनाया जाए।

“यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उनके आराधनालयों में उपदेश करता, राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और हर प्रकार की दुर्बलता को दूर करता फिरा।”मत 4:23

अंग्रेजी बाइबल में सुसमाचार ‘Good News’ से अनुवादित किया गया है। सो सुसमाचार शुभ और खुश समाचार है।

पापमय संसार में निराश हुई हमारी आत्माओं के लिए क्या यह सब से खुश समाचार नहीं है कि मसीह इस धरती पर आया है? इसलिए सुसमाचार लोगों को खुशी दिलाता है।

2 हज़ार वर्ष पहले, यीशु ने इस धरती पर आकर बहुत से लोगों को ढा.ढ़स बंधाते हुए आशा और खुशी दी, जिससे मरी हुई आत्माएं चमत्कारी ढंग से जीवित होती थीं। जिस प्रकार खिलाड़ी स्ताप्लेटोन ने मर रहे लड़के को खुशी और जीने की इच्छा दिलायी, उसी प्रकार मसीह ने सदा के लिए हम मर जाने वालों को अनन्त सुख और अनन्त जीवन दिया है।

“ये बातें मैंने तुम से इसलिए कही हैं कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।”यूह 15:11

यह मसीह की इच्छा है कि जिन्होंने सुसमाचार को ग्रहण किया है, उनका मन हमेशा खुशी से भर जाए। मसीह इस उद्देश्य से स्वर्ग छोड़ कर कठोर संसार तक आया कि मसीह का आनन्द हम में बना रहे, और हमारा आनन्द पूरा हो जाए। उसने स्वयं का कोई ख्याल नहीं रखा, और एक बार भी अपनी खुशी के पीछे न रहा, और जब हमने उससे मुख फेर लिया, उस वक्त भी उसने हम पर दया की और हमारे सब पापों को क्षमा करने के लिए दुख के क्रूस को उठा लिया।

यदि हम मसीह के नमूने का अनुसरण करते हैं, तब हमें आनन्दित मन से सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए, और इस पर भी ख्याल रखना चाहिए कि हम कैसे दूसरों को सुख दे सकते हैं। और हमारे लिए सिर्फ अकेले खुश रहने के लिए नहीं, बल्कि दूसरों को खुशी देने के लिए हंसना जरूरी है।

सुख और आनन्द से भरा सिय्योन

परमेश्वर चाहता है कि सत्य के सिय्योन में बसी प्रजाओं का हृदय सुख और आनन्द से भरपूरा हो जाए।

“अत: यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे। उनके सिर पर सर्वदा का आनन्द होगा। वे हर्ष और आनन्द प्राप्त करेंगे, तथा शोक और सन्ताप का अन्त हो जाएगा।”यश 51:11

ऊपर के वचन में सिय्योन का माहौल व्यक्त किया गया है। जैसे कि परमेश्वर ने योजना की है और वादा किया है, सिय्योन में आनन्दित माहोल बने रहता है। सिय्योन के अन्दर रहते हुए लोग शोक और सन्ताप समाप्त करेंगे, और केवल सुख और आनन्द पाएंगे। जो समाचार हमें यरूशलेम को पहुंचाना है, वह शुभ और खुश समाचार है। (यश 40:9, 52:7) मैं निवेदन करता हूं कि जैसे भविष्यवाणी की गई हैं, वैसे ही आप पहरेदार के रूप में ज्यादा शुभ समाचार को यरूशलेम में पहुंचाएं, और घर में हंसी–खुशी का माहौल बनाए रखें, ताकि उस समय से और अधिक जब आप विश्वासी न बने थे, खुश खबर सुनाई जा सके।

प्रत्येक वर्ष के अन्त में जब हर चर्च के सुसमाचार के फलों की गिनती की जाती है, तब हमें पता चलता है कि जहां सदस्यों ने पिता और माता की शिक्षाओं को मन में रखा है और निरन्तर शिक्षाओं का अभ्यास किया है, उस चर्च में सुसमाचार के बहुत फल फले हैं। जब हम उन चर्चों के सदस्यों को देखते हैं जिनमें पहले लक्ष्य से कई गुना ज्यादा फल पैदा किए हैं, वे सब भाई–बहनों के साथ हंसी–खुशी बांटते हैं। संसार में रहते हुए हमारे जीवन में दुख–तकलीफ की बातें आती रहती हैं, फिर भी वे जब भी सिय्योन में आते हैं, तब यह सोचते हुए हंसमुख बनते हैं कि जहां पिता और माता बसते हैं, उस अनुग्रह के सिय्योन में नाक–भौं सिकोड़ना अच्छा नहीं है।

शुरू में हंसमुख बनने में शर्म आई और अजीब लगा, लेकिन वे सुसमाचार से सच्ची खुशी जताते थे और हंसमुख मन से प्रत्येक स्थिति में धन्यवाद देते थे, जिसके कारण अब ऐसा हुआ है कि यदि वे न हंसें, तब उन्हें अजीब लगता है। कभी–कभी ऐसी अनुग्रहपूर्ण कहानी सुनाई देती है कि जो सिय्योन में पहली बार आया, उसने सदस्यों को हमेशा हंसते देख कर कहा, “जीवन में ज्यादा परेशानियां आती रहती हैं, तो भी इस चर्च के लोग कैसे खिलखिलाते हैं?” और खुद पर हंसी फैलाने के लिए सत्य को ग्रहण किया है।

खुशी का फल बटोरें

परमेश्वर की इच्छा के अनुसार, आनन्दित और खुश जीवन जीते हुए, जहां–जहां आप हंसी बिखेरेंगे, वहां–वहां पवित्र आत्मा के सुन्दर फल पैदा किए जाएंगे। आइए हम मसीह की इस शिक्षा को मन में गहराई से लगाएं कि ‘मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए’।

“धोखा न खाओ: परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे। क्योंकि जो अपने शरीर के लिए बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा, परन्तु जो पवित्र आत्मा के लिए बोता है, वह पवित्र आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा।”गल 6:7–8

परमेश्वर ने कहा है कि ‘जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे’। यदि गुस्सा बोएं, तब गुस्सा होने की बात आएगी, और यदि हंसी बोएं, तब हंसने की बात आएगी। परमेश्वर उसे जो हमेशा खुश रहता है, खुशी का फल बहुतायत में बटोरने देता है और खुश होने की बात ज्यादा प्रदान करता है।

कोई भी मनुष्य ऐसी उम्मीद रखता है कि लोग उसके साथ हंसमुख मन से व्यवहार करें और प्रेमपूर्ण बात करें। हमें जैसी उम्मीद है वैसा बोना चाहिए। यदि खुशी बोएं, तब खुशी का परिणाम आएगा। तो आइए हम स्वर्ग जाने तक खुशी बटोरते हुए आगे बढ़ते जाएं।

“परन्तु पवित्र आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, दयालुता, भलाई, विश्वस्तता, नम्रता व संयम हैं। ऐसे ऐसे कामों के विरुद्ध कोई व्यवस्था नहीं है।”गल 5:22–23

जहां प्रेम और आनन्द, यानी हंसी है, वहां फल फलते हैं। प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, दयालुता, भलाई, विश्वस्तता, नम्रता व संयम से पवित्र आत्मा के फल फलते हैं। मैं विश्वास करता हूं कि किसी से भी मिले, हंसी भरा व्यवहार करें, तब पवित्र आत्मा का फल बहुतायत में बटोर सकेंगे।

क्या आप आज जोर से हंसे? यदि नहीं, तो हंसने का मौका ढूंढ़ें। चाहे आप को हंसने की आदत नहीं हो और हंसने में शर्म आती हो, तो भी अवश्य ही धन्यवादी मन से वचन पर आज्ञाकारी रहना है, क्योंकि यह परमेश्वर की इच्छा है।

हे भाइयो और बहनो! आइए हम सब हंसी के अग्रदूत बनें जो सत्य में हमेशा खुश रहते हुए, संसार के लोगों को खुशी दिलाते हैं, और परमेश्वर की यह इच्छा न भूलें कि हम सर्वदा आनन्दित रहें, ताकि हम हमेशा आनन्दित होने के द्वारा स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें।