बलिदान की विधियां, जो पुराने नियम के समय पवित्रस्थान में ही की जाती थीं, इतनी अधिक मुश्किल और जटिल थीं कि उस याजक के बिना जिस पर उनका संपूर्ण दायित्व था, कोई भी उनके बारे में विस्तार से नहीं जानता था। सिर्फ इतना ही नहीं, बलिदान के प्रकार, तरीके और नाम बराबर या एक जैसे थे, इसलिए उनका अंतर करना आसान नहीं था।
चूंकि पुराने नियम के बलिदान की विधियों को सही ढंग से वर्गीकृत करना और समझाना कठिन है, इसलिए आइए हम कुछ बलिदानों की विधियों पर एक नजर डालें जो बाइबल में कई बार प्रकट हुईं और विश्वास के जीवन में हमारी मदद कर सकती हैं।
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1. बलिदान के उद्देश्य के अनुसार वर्गीकरण: पापबलि, दोषबलि, मेलबलि
1) पापबलि
यह बलिदान अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित्त करने के लिए चढ़ाया जाता था।
इस्राएलियों की सारी मण्डली या महायाजक के पापों का प्रायश्चित्त करने के लिए पापबलि थी, और एक व्यक्ति के पाप के लिए भी पापबलि थी।
और यदि अभिषिक्त याजक ऐसा पाप करे जिससे प्रजा दोषी ठहरे, तो अपने पाप के कारण वह एक निर्दोष बछड़ा यहोवा को पापबलि करके चढ़ाए… लैव 4:3–12
“यदि इस्राएल की सारी मण्डली अज्ञानता के कारण पाप करे और वह बात मण्डली की आंखों से छिपी हो, और वे यहोवा की किसी आज्ञा के विरुद्ध कुछ करके दोषी ठहरे हों; तो जब उनका किया हुआ पाप प्रगट हो जाए तब मण्डली एक बछड़े को पापबलि करके चढ़ाए…” लैव 4:13–26
“यदि साधारण लोगों में से कोई अज्ञानता से पाप करे, अर्थात् कोई ऐसा काम जिसे यहोवा ने माना किया हो करके दोषी हो, और उसका वह पाप उस पर प्रगट हो जाए, तो वह उस पाप के कारण एक निर्दोष बकरी बलिदान के लिये ले आए… लैव 4:27–35
इस्राएलियों और महायाजक के 1 वर्ष तक किए गए सब पापों का प्रायश्चित्त करने के लिए पवित्र कैलेंडर के अनुसार सातवें महीने का 10 वां दिन, यानी प्रायश्चित्त के दिन पर एक बकरा और बछड़ा पापबलि के रूप में चढ़ाया जाता था।(लैव 16:11–19) नए नियम के समय में, यीशु ने लोगों के पापों का प्रायश्चित्त करने के लिए क्रूस पर सच्चे पापबलि के रूप में लहू बहाए।
परन्तु जब मसीह आनेवाली अच्छी अच्छी वस्तुओं का महायाजक होकर आया… और बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा, एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया। इब्र 9:11–12
2) दोषबलि
यह बलिदान पाप की क्षमा पाने के लिए चढ़ाया जाता था, या यह उन पापों से क्षमा पाने के लिए चढ़ाया जाता था, जो अनजाने में किसी पवित्र वस्तु या स्वामित्व के विषय में परमेश्वर की व्यवस्था का उल्लंघन करके किए गए।
एक व्यक्ति के लिए एक भेड़ या बकरी दोषबलि के रूप में चढ़ाया जाता था। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से उसे चढ़ाने में असमर्थ था, तो वह दो पण्डुक या कबूतर के दो बच्चे चढ़ाता था। यदि किसी को उसे भी भेंट में देना मुश्किल था, तो वह एपा का दसवां भाग महीन आटा भेंट के रूप में चढ़ाता था।
3) मेलबलि
यह बलिदान पाप की क्षमा के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए चढ़ाया जाता था। मेलबलि को तब चढ़ाया जाता था जब वे परमेश्वर को उनके अनुग्रह के लिए धन्यवाद देना चाहते थे, या विनती या मन्नत करना चाहते थे या फिर स्वेच्छा से भेंट चढ़ाना चाहते थे। इसमें धन्यवादबलि, स्वेच्छाबलि, और मन्नत की बलि शामिल हैं। नए नियम के समय में यीशु मेलबलि बने, जिन्होंने परमेश्वर के साथ हमारा मेल मिलाप कर लिया।
क्योंकि बैरी होने की दशा में उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ, तो फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे? रो 5:10
2. भेंटों के अनुसार वर्गीकरण: होमबलि, अन्नबलि, अर्घ
1) होमबलि
“होमबलि” को इब्रानी में “ओलाह” कहा जाता है, जिसका मतलब है, “धूएं के साथ परमेश्वर की ओर चढ़ जाना।” यह पशुओं को जलाकर परमेश्वर को चढ़ाया जाता था।
यह बलिदान था जिनका इस्राएली परमेश्वर को भेंट चढ़ाते समय ज्यादातर उपयोग करते थे। यह नित्य होमबलि, सब्त के दिन और पर्वों में चढ़ाया जाता था। जब एक व्यक्ति या एक समूह बलिदान चढ़ाता था, तब वे भेड़ या बकरे या बछड़े भेंट चढ़ाते थे। लेकिन अगर कोई इन पशुओं को चढ़ाने के लिए बहुत गरीब था, तो वह पण्डुकों या कबूतरों को होमबलि के रूप में चढ़ाता था। आम तौर पर, होमबलि को अन्नबलि और अर्घ के साथ चढ़ाया जाता था।
एक व्यक्ति या एक समूह का होमबलि चढ़ाने का उद्देश्य था, होमबलि की सुखदायक सुगंध से परमेश्वर के क्रोध से दया और पापों की क्षमा पाना। होमबलि एक छाया थी, जो दिखाती है कि मसीह अपने लोगों के पापों के लिए उनके बदले बलिदान होंगे ताकि वे परमेश्वर के क्रोध से दया और पापों की क्षमा प्राप्त कर सकें। परमेश्वर ने उन बलिदानों के द्वारा, जो पुराने नियम के समय सांसारिक पवित्रस्थान में पापों की क्षमा के लिए चढ़ाए जाते थे, सच्चे बलिदान को दिखाया जो स्वर्गीय पवित्रस्थान में चढ़ाया जाएगा।
2) अन्नबलि
यह मैदा, तेल और लोबान जलाकर या रोटी बनाकर चढ़ाया जाता था।
यह परमेश्वर के प्रति शुद्ध जीवन जीने का वचन देने के लिए चढ़ाया जाता था। इसे अकेले चढ़ाया नहीं जाता था, लेकिन होमबलि जैसे दूसरे बलिदान के साथ चढ़ाया जाता था।
3) अर्घ
यह अर्घ हीन भर की चौथाई दाखमधु के साथ चढ़ाया जाता था।
* हीन: एक मिस्री शब्द जिसका अर्थ “घड़ा” है। जैतून का तेल या दाखमधु मापने की इकाई के रूप में इसका उपयोग होता था। एक हीन 3.66 लीटर के बराबर है।
… उसके साथ का अर्घ हीन भर की चौथाई दाखमधु हो।(प्रथम फल का पर्व) लैव 23:13
… और अर्घ के लिये हीन की चौथाई दाखमधु देना।(नित्य होमबलि) निर्ग 29:40
3. भेंट चढ़ाने के तरीके के अनुसार वर्गीकरण: हव्य, उठाने की भेंट, हिलाई जानेवाली भेंट
1) हव्य
यह आग से जलाकर चढ़ाया जाता था।
होमबलि या अन्नबलि को हव्य के द्वारा चढ़ाया जाता था।
“उसी सातवें महीने का दसवां दिन प्रायश्चित्त का दिन माना जाए; वह तुम्हारी पवित्र सभा का दिन होगा, और उसमें तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना और यहोवा के लिए हव्य चढ़ाना।” लैव 23:27
और उसके साथ का अन्नबलि एपा के दो दसवें अंश तेल से सने हुए मैदे का हो, वह सुखदायक सुगन्ध के लिये यहोवा का हव्य हो… लैव 23:13
2) उठाने की भेंट
यह बलिदान होमवेदी के ऊपर एक भेंट को उठाने के द्वारा चढ़ाया जाता था। इसका मतलब था कि भेंट पहले परमेश्वर को चढ़ाई जाती है और फिर याजक उसे परमेश्वर से प्राप्त करता था।
और ऐसे एक एक चढ़ावे में से वह एक एक रोटी यहोवा को उठाने की भेंट करके चढ़ाए… लैव 7:14
और उस देश की उपज का अन्न खाओ, तब यहोवा के लिये उठाई हुई भेंट चढ़ाया करो। गिन 15:19–20
3) हिलाई जानेवाली भेंट
यह भेंटों को हिलाकर चढ़ाया जाता था।
प्रथम फल के पर्व में याजक पहले फलों का एक पूला हिलाता था।
और वह उस पूले को यहोवा के सामने हिलाए, कि वह तुम्हारे निमित्त ग्रहण किया जाए; वह उसे विश्रामदिन के दूसरे दिन हिलाए। लैव 23:11