आइए हम उस सत्य के द्वारा जो यीशु ने चेलों को सिखाया, जीवन के पुनरुत्थान और दण्ड के पुनरुत्थान के बारे में अध्ययन करें, और इस युग में जीवन के पुनरुत्थान का भागी होने का मार्ग जानें।
इससे अचम्भा मत करो; क्योंकि वह समय आता है कि जितने कब्रों में हैं वे उसका शब्द सुनकर निकल आएंगे। जिन्होंने भलाई की है वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे और जिन्होंने बुराई की है वे दंड के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे। यूह 5:28–29
यीशु के वचनों के द्वारा हम समझ सकते हैं कि जीवन का पुनरुत्थान है और दण्ड का पुनरुत्थान है। प्रेरित पौलुस ने भी गवाही दी कि दो प्रकार के पुनरुत्थान होंगे।
और परमेश्वर से आशा रखता हूं जो वे आप भी रखते हैं, कि धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा। प्रे 24:15
तब, जीवन का पुनरुत्थान और दण्ड का पुनरुत्थान कब होगा?
बाइबल गवाही देती है कि 6 हजार वर्षों के परमेश्वर के उद्धार के कार्य के अन्त में जीवन का पुनरुत्थान होगा, और उसके एक हजार वर्ष बाद दण्ड का पुनरुत्थान होगा।
…मैंने उनकी आत्माओं को भी देखा, जिनके सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण काटे गए थे; और जिन्होंने न उस पशु की, और न उसकी मूर्ति की पूजा की थी, और न उसकी छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी। वे जीवित होकर मसीह के साथ हजार वर्ष तक राज्य करते रहे। जब तक ये हजार वर्ष पूरे न हुए तब तक शेष मरे हुए न जी उठे। यह तो पहला पुनरुत्थान है। धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहले पुनरुत्थान का भागी है। ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे। प्रक 20:4–6
जो जीवन के पुनरुत्थान के लिए जी उठेंगे, वे वही हैं जो शारीरिक मृत्यु के बाद अंतिम न्याय के दिन जी उठेंगे, और जीवित संत हैं जो मृत्यु का स्वाद चखे बिना जीवित बदल जाएंगे (1कुर 15:51–52; 1थिस 4:16–17)। वे जीवन के पुनरुत्थान के बाद मसीह के साथ एक हजार वर्ष तक राज्य करेंगे। “जब तक ये हजार वर्ष पूरे न हुए तब तक शेष मरे हुए न जी उठे,” इस वचन में शेष मरे हुए लोग उन्हें दर्शाते हैं जो पहले पुनरुत्थान के भागी नहीं होंगे और दूसरे पुनरुत्थान, यानी दण्ड के पुनरुत्थान के लिए जी उठेंगे। वे जीवन के पुनरुत्थान के एक हजार वर्ष बाद, यानी आदम के समय से लेकर सात हजारवें वर्ष में दण्ड पाने के लिए जी उठेंगे।
अंतिम न्याय के दिन जब 6 हजार वर्षों का उद्धार का कार्य समाप्त होगा और जीवन का पुनरुत्थान होगा, तब शैतान को पकड़कर अथाह–कुन्ड में फेंका जाएगा और एक हजार वर्ष तक बन्द किया जाएगा।
फिर मैंने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा, जिसके हाथ में अथाह–कुंड की कुंजी और एक बड़ी जंजीर थी। उसने उस अजगर, अर्थात् पुराने सांप को, जो इब्लीस और शैतान है, पकड़ के हजार वर्ष के लिये बांध दिया, और उसे अथाह–कुंड में डालकर बन्द कर दिया और उस पर मुहर लगा दी कि वह हजार वर्ष के पूरे होने तक जाति जाति के लोगों को फिर न भरमाए। इसके बाद अवश्य है कि वह थोड़ी देर के लिये फिर खोला जाए। प्रक 20:1–3
6 हजार वर्षों के परमेश्वर के उद्धार के कार्य के समाप्त होने पर शैतान को अथाह–कुंड में बन्द किए जाने का सिद्धांत समझने के लिए, हमें उस अजाजेल के बारे में अध्ययन करने की जरूरत है जो पुराने नियम में प्रायश्चित्त के दिन में प्रकट होता था। पुराने नियम के समय में पशु जो प्रायश्चित्त के दिन में पापबलि के रूप में चढ़ाए जाते थे, वे बछड़ा और बकरे थे। याजक दो बकरों के लिए चिट्ठी डालता था; एक चिट्ठी पापबलि के लिए थी और दूसरी चिट्ठी अजाजेल के लिए थी जिसे किसी निर्जन मरुभूमि में छोड़ दिया जाना था।
बछड़े को याजक और उसके घराने के पापों के प्रायश्चित्त के लिए बलि किया जाता था। बकरों को इस्राएलियों के पापों के प्रायश्चित्त के लिए बलि किया जाता था। प्रायश्चित्त के दिन की विधि आने वाली वस्तुओं की छाया थी, जो इसे दर्शाती है कि स्वर्गीय पवित्रस्थान के महायाजक, यीशु सांसारिक पवित्रस्थान में पापबलि के बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा प्रायश्चित्त करके स्वर्गीय परम पवित्रस्थान में प्रवेश करेंगे।
परन्तु जब मसीह आनेवाली अच्छी अच्छी वस्तुओं का महायाजक होकर आया, तो उसने और भी बड़े और सिद्ध तम्बू (स्वर्ग में है) से होकर, जो हाथ का बनाया हुआ नहीं अर्थात् इस सृष्टि का नहीं, और (सांसारिक पवित्रस्थान में पापबलि) बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा, एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया… क्योंकि मसीह ने उस हाथ के बनाए हुए पवित्र स्थान में, जो सच्चे पवित्र स्थान का नमूना है, प्रवेश नहीं किया पर स्वर्ग (स्वर्गीय परम पवित्रस्थान) ही में प्रवेश किया, ताकि हमारे लिये अब परमेश्वर के सामने दिखाई दे। इब्र 9:11–24
प्रायश्चित्त के दिन महायाजक उस बकरे को, जो दो बकरों में से अजाजेल के रूप में चुना जाता था, जीवित छोड़ देता था। लहू छिड़कने की विधि समाप्त करने के बाद, महायाजक अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे के सिर पर रखकर इस्राएलियों के सारे अपराध और पाप को कबूल करता था और उसको किसी मनुष्य के हाथ जो इस काम के लिये तैयार था, जंगल में भेजकर छुड़वा देता था (लैव 16:20–22)।
प्रायश्चित्त के दिन के बछड़े और बकरों का बलिदान मसीह के बलिदान को दर्शाता है। और अजाजेल शैतान को दर्शाता है जो आखिर में सभी मानवजाति के पापों को उठाएगा। लोगों के पाप सब्त सहित परमेश्वर के पर्वों के द्वारा, उन मसीह पर लादे जाते हैं जिन्हें पवित्रस्थान के रूप में दर्शाया गया है, और आखिर में वे प्रायश्चित्त के दिन के द्वारा उस शैतान पर लादे जाते हैं जिसे अजाजेल के रूप में दर्शाया गया है। जैसे अजाजेल को जिसने अपने ऊपर इस्राएलियों के सभी पापों को उठाया, निर्जन मरुभूमि में छोड़ दिया गया, ठीक वैसे शैतान जिसने शुरू ही से पाप किया है, अंतिम दिन में अपने ऊपर सभी पाप उठाएगा और एक हजार वर्ष के लिए अथाह–कुंड में बन्द किया जाएगा।
शैतान को क्यों एक हजार वर्ष के लिए बन्द किया जाएगा? हम पुराने नियम की व्यवस्था से इसका जवाब खोज सकते हैं। पुराने नियम की व्यवस्था में विश्रामदिन का नियम था जिसमें लोग छ: दिन तक काम करने के बाद सातवें दिन में विश्राम करते थे, और विश्रामवर्ष का नियम था जिसमें लोग छ: वर्ष तक खेतों में बीज बोकर खेती करते थे और सातवें वर्ष में भूमि पड़ी रहने देते थे।
छ: वर्ष तो अपना अपना खेत बोया करना, और छहों वर्ष अपनी अपनी दाख की बारी छांट छांटकर देश की उपज इकट्ठी किया करना; परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे… क्योंकि वह भूमि के लिये परमविश्राम का वर्ष होगा। लैव 25:3–5
जब बेबीलोन ने यहूदा के लोगों को बन्दी बनाया था, भूमि को सत्तर वर्ष तक विश्राम मिला, मानो वह विश्रामवर्ष मना रहा हो। चूंकि इस्राएल के पहले राजा शाऊल के समय से लेकर बेबीलोन में बन्दी बनाए जाने तक, यहूदा के लोगों ने विश्रामवर्ष नहीं मनाया था, इसलिए परमेश्वर ने उन्हें एक ही बार में विश्रामवर्ष मनाने के लिए मजबूर किया। इसी तरह, आदम के समय के बाद पृथ्वी को 6,000 वर्ष तक विश्राम नहीं मिला है, इसलिए 6 हजार वर्षों के परमेश्वर के उद्धार के कार्य के समाप्त होने पर, पृथ्वी एक हजार वर्ष तक विश्राम करेगी। छ: दिनों की सृष्टि और सातवें दिन के विश्राम के द्वारा, परमेश्वर हमें यह जानने देते हैं कि 6 हजार वर्षों के परमेश्वर के उद्धार के कार्य के बाद पृथ्वी एक हजार वर्ष तक विश्राम करेगी।
जिस पल शैतान को अथाह–कुंड में बन्द किया जाएगा, उसी पल से जीवन का पुनरुत्थान होगा। जब तक शैतान एक हजार वर्ष तक अथाह–कुंड में बन्द होगा, तब तक पवित्र लोग जी उठेंगे और मसीह के साथ राज्य करेंगे।
… मैंने उनकी आत्माओं को भी देखा, जिनके सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण काटे गए थे; और जिन्होंने न उस पशु की, और न उसकी मूर्ति की पूजा की थी, और न उसकी छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी। वे जीवित होकर मसीह के साथ हजार वर्ष तक राज्य करते रहे… वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे। प्रक 20:4–6
लोग जिन्होंने नई वाचा के सत्य में रहते हुए अपने शरीर को छोड़ा, और लोग जो अंतिम दिनों में नई वाचा में रहते हैं, वे सब जीवन के पुनरुत्थान में भाग लेंगे। तब इसका मतलब क्या है कि वे राज्य करेंगे? लोग जिन्होंने नई वाचा का फसह का पर्व मनाकर मसीह के लहू के द्वारा छुटकारा पाया है, वे अविनाशी जीव बनेंगे जिनके पास पापों की क्षमा पाने के कारण मृत्यु नहीं है।
मृत्यु का डंक पाप है, और पाप का बल व्यवस्था है। 1कुर 15:56
अनन्त जीवन पाने का मतलब पाप और मृत्यु के बिना रहना और ऐसा संपूर्ण जीव बनना है जिस पर मृत्यु की व्यवस्था का कुछ भी अधिकार नहीं है।
इसलिए, लोग जो नई वाचा के मसीह के लहू के द्वारा छुटकारा पाते हैं, उन पर मृत्यु की व्यवस्था का कोई भी अधिकार नहीं है, और वे ऐसे जीव बनेंगे जो कभी पाप नहीं करेंगे।
इस तरह, पवित्र लोग जो जीवन के पुनरुत्थान के भागी होंगे, स्वर्ग में राज–पदधारी याजक बनेंगे और उन स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे जो उनकी प्रजा हैं।
… क्या तुम नहीं जानते कि पवित्र लोग जगत का न्याय करेंगे?… क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे? तो क्या सांसारिक बातों का निर्णय न करें? 1कुर 6:1–3
उद्धार पाने वाले पवित्र लोगों के स्वर्गदूतों का न्याय करने का मतलब है कि वे राजा होने के नाते अपने लोगों का न्याय करेंगे। जैसे पुराने नियम के समय में लोगों का न्याय उनके राजा के द्वारा किया जाता था, ठीक वैसे ही अपूर्ण स्वर्गदूतों का न्याय संपूर्ण पवित्र लोगों के द्वारा किया जाएगा। इसी कारण यह कहा गया है कि स्वर्गदूत भी हमें प्राप्त हुए सुसमाचार को देखने की लालसा करते हैं।
… जिनका समाचार अब तुम्हें उनके द्वारा मिला जिन्होंने पवित्र आत्मा के द्वारा, जो स्वर्ग से भेजा गया, तुम्हें सुसमाचार सुनाया; और इन बातों को स्वर्गदूत भी ध्यान से देखने की लालसा रखते हैं। 1पत 1:12
उस समय क्या होगा जब एक हजार वर्षों की अवधि बीतेगी जिसमें शैतान अथाह–कुंड में बन्द रहेगा और पवित्र लोग जीवन के पुनरुत्थान के भागी होकर राज्य करेंगे? उस समय दूसरा पुनरुत्थान, यानी दण्ड का पुनरुत्थान होगा, और शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा और दुष्टों को भरमाएगा।
जब हजार वर्ष पूरे हो चुकेंगे तो शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा। वह उन जातियों को जो पृथ्वी के चारों ओर होंगी, अर्थात् गोग और मागोग को… भरमाकर लड़ाई के लिये इकट्ठा करने को निकलेगा। प्रक 20:7–8
इस वचन का मतलब है कि एक हजार वर्षों के बाद शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा और दुष्टों को भरमाकर परमेश्वर के विरोध में खड़ा होगा। यदि सांसारिक रीति से देखा जाए, तो यह अपराधों की जांच–पड़ताल की तरह है। जैसे न्याय होने से पहले, एक अपराधी अपराध स्थल पर जाकर लोगों के सामने अपने अपराध को दोहराकर दिखाता है, ठीक वैसे ही शैतान इसे दोहराकर दिखाएगा कि उसने परमेश्वर का विरोध करने के लिए कैसे दुष्टों को भरमाया। और उसके बाद स्वर्ग से परमेश्वर की आग उतरकर उन्हें भस्म करेगी।
… आग स्वर्ग से उतरकर उन्हें भस्म करेगी… शैतान आग और गन्धक की उस झील में… डाल दिया जाएगा… प्रक 20:9–10
इस तरह से दंडित किए जाने के लिए, दुष्ट दूसरे पुनरुत्थान के लिए जी उठेंगे।
पहला पुनरुत्थान जीवन का पुनरुत्थान है, जो उस अंतिम दिन में पूरा होगा जब 6 हजार वर्षों का उद्धार का कार्य समाप्त होगा। और दूसरा पुनरुत्थान दण्ड का पुनरुत्थान है, जो जीवन के पुनरुत्थान के एक हजार वर्ष बाद पूरा होगा। इसलिए, उद्धार के कार्य के शुरू होने के सात हजार वर्ष बाद शैतान और दुष्टों को आग की झील में फेंका जाएगा और उनका अन्त होगा।
तो फिर पवित्र लोग जो जीवन के पुनरुत्थान के भागी होंगे, उनके एक हजार वर्षों तक राज्य करने के बाद क्या होगा? बाइबल गवाही देती है कि जो बचाए जाएंगे वे युगानुयुग राज्य करेंगे।
… वे युगानुयुग राज्य करेंगे। प्रक 22:5
वे युगानुयुग राज्य करेंगे, लेकिन प्रकाशितवाक्य का 20वां अध्याय कहता है कि वे एक हजार वर्षों तक राज्य करेंगे, क्योंकि शैतान और दुष्टों को आग की झील में डालने में एक हजार वर्षों का समय लगता है।
यदि आप उत्पत्ति के पहले अध्याय में छ: दिनों की सृष्टि के वर्णन को देखें, तो सातवें दिन के लिए यह नहीं लिखा है, “सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार सातवां दिन हो गया,” जबकि दूसरे छ: दिनों के लिए ऐसा लिखा है। ऐसा इसलिए है कि भविष्यवाणी के अनुसार सातवां दिन अनन्त विश्राम को दर्शाता है जिसका अन्त नहीं होगा। इसलिए जो बचाए जाएंगे, वे एक हजार वर्षों तक विश्राम करने के बाद अनन्त विश्राम में प्रवेश करेंगे।
अब तक हमने जीवन के पुनरुत्थान और दण्ड के पुनरुत्थान के सत्य के बारे में अध्ययन किया है, जो प्रथम चर्च के संतों के पास था। पवित्र लोग जीवन के पुनरुत्थान के भागी होकर मसीह के साथ एक हजार वर्षों तक राज्य करेंगे, और उसके बाद जो दूसरे पुनरुत्थान के लिए जी उठेंगे, उनका न्याय किया जाएगा और आग की झील में डाल दिया जाएगा, और उसके बाद पवित्र लोग युगानुयुग महिमा के साथ राज्य करेंगे।
तब, हम कैसे जीवन के पुनरुत्थान में भाग ले सकेंगे? मसीह के साथ राज्य करने के लिए, हमें मसीह की शिक्षाओं का पालन करना आवश्यक है। पवित्र लोगों को जो अंतिम दिनों में जी उठेंगे, उनमें से विशेषकर मसीह की प्रतिज्ञा का पालन करना चाहिए कि जो यीशु का मांस खाएगा और उनका लहू पीएगा उसे अनन्त जीवन मिलेगा (यूह 6:53–54; मत 26:17–28)। और हमें मसीह के पदचिन्हों पर चलना चाहिए जैसे कि परमेश्वर पर विश्वास करना, उनके प्रति आज्ञाकारी होना जैसे मसीह ने नमूने दिखाए, सुसमाचार का प्रचार करना, उन आज्ञाओं को मानना जिनका मसीह ने स्वयं पालन किया, खुद को दीन बनाना, सेवा करना, दूसरों को अपने से बेहतर समझना आदि, तब हम जीवन के पुनरुत्थान में भाग ले सकेंगे।