सब्त और परमेश्वर का उद्धार

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अगर हम अपने चारों ओर नजर दौड़ाकर देखें, तो वास्तव में हमारे आसपास बहुत सी कीमती चीजें हैं। हालांकि, वे हमेशा हमारे बगल में होते हैं, तो हम अक्सर उनके महत्व को भूल जाते हैं और उनकी उपेक्षा करते हैं। उसी तरह, हम सब्त के अनमोल सत्य की उपेक्षा कर सकते हैं क्योंकि हम इसे मानने के आदी हो गए हैं।

जब परमेश्वर ने शुरुआत में सभी चीजें बनाईं, तो उन्होंने छह दिनों तक काम किया और सातवें दिन अपने सभी कार्यों से आराम किया, और विशेष रूप से सातवें दिन को पवित्र बनाया। 3,500 साल पहले, परमेश्वर ने व्यवस्थाओं की घोषणा की और दस आज्ञाओं के पत्थर की तख्तियों पर लिखा, “तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना।” यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि सब्त का हमारे उद्धार से गहरा संबंध है और यह हमारे उद्धार का एक अनिवार्य हिस्सा है।

फिर भी, आज बहुत से लोग न तो परमेश्वर की इच्छा को जानते हैं और न ही परमेश्वर के उद्धार का मार्ग समझते हैं। इसलिए वे सब्त का दिन नहीं मनाते। जैसा कि यीशु ने कहा, “मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है,” हम भविष्यवाणी के युग में जी रहे हैं जब परमेश्वर का न्याय और स्वर्ग का राज्य निकट है। परमेश्वर के राज्य के बारे में सोचकर, जो हमारे निकट आ गया है, आइए हम सब्त के बारे में बाइबल की शिक्षाओं का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने के लिए कुछ समय लें।

जब हम परमेश्वर के वचन का पालन करते हैं, तब ही हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं

परमेश्वर के द्वारा सिखाई गई सभी चीजों को, छोटी से लेकर बड़ी हर तरह की चीजों का पालन और प्रचार करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर का हर शब्द हमारे उद्धार से संबंधित है।

उससे तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनन्दित और मगन होते हो जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है; और अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात् आत्माओं का उद्धार प्राप्त करते हो। 1पत 1:8-9

बाइबल हमें बताती है कि हमारे विश्वास का प्रतिफल आत्माओं का उद्धार प्राप्त करना है। परमेश्वर ने हमारे उद्धार से संबंधित बहुत सारी चीजें बताई हैं, उनमें से एक सब्त का दिन है।

और उसने किनसे शपथ खाई कि तुम मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाओगे? क्या केवल उनसे नहीं जिन्होंने आज्ञा न मानी? इब्र 3:18

यहां, आज्ञा मानने का अर्थ है, “परमेश्वर के वचन का आज्ञापालन करना।” बाइबल के द्वारा, परमेश्वर हमें इस तथ्य का पूरी तरह से एहसास कराते हैं कि जो लोग परमेश्वर के वचन को नहीं मानते, वे अनंत विश्राम, यानी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते जिसे परमेश्वर ने तैयार किया है।

उठ, हे यहोवा! हे मेरे परमेश्वर मुझे बचा ले! क्योंकि तू ने मेरे सब शत्रुओं के जबड़ों पर मारा है। और तू ने दुष्टों के दांत तोड़ डाले हैं। उद्धार यहोवा ही से होता है; हे यहोवा तेरी आशीष तेरी प्रजा पर हो।(सेला) भज 3:7-8

उद्धार केवल परमेश्वर ही से होता है। इसलिए यदि हम उन परमेश्वर के वचन का पालन नहीं करते जो उद्धार का स्रोत हैं और हमारे उद्धार पर प्रभुता जताते हैं, तो यह हमारे उद्धार को छोड़ने के बराबर है। परमेश्वर ने पहले ही बाइबल के द्वारा हमें उद्धार देने की योजना और प्रबंधन के बारे में सब कुछ बता दिया है।

यदि हम सच में उद्धार पाने और स्वर्ग जाने की आशा करते हैं, तो हमें परमेश्वर के वचन का पालन करना चाहिए। चूंकि बाइबल हमें उद्धार प्राप्त करने के लिए बुद्धिमान बनाती है, इसलिए हमें बाइबल के वचनों में कुछ न बढ़ाने के लिए और उनमें से कुछ न घटाने के लिए कहा गया है(2तीम 3:15; प्रक 22:18-19)।

परमेश्वर की आज्ञा, “सब्त”

सबसे पहले, आइए हम इस बात पर विचार करें कि परमेश्वर के इच्छानुसार, सब्त का दिन हमारे उद्धार से कैसे संबंधित है। 3,500 साल पहले मूसा के समय में, परमेश्वर ने सब्त के दिन को दस आज्ञाओं की चौथी आज्ञा के रूप में घोषित किया था।

“तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।” निर्ग 20:8

इस वचन को परमेश्वर ने पत्थर की तख्तियों पर खुद ही लिख दिया था। जो लोग इस वचन का पालन नहीं करते, वे परमेश्वर के विश्राम, यानी अनंत स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते। हम इब्रानियों के तीसरे अध्याय के द्वारा इस तथ्य की पुष्टि कर सकते हैं। चूंकि परमेश्वर के सभी वचन हमारे उद्धार के लिए दिए गए हैं, इसलिए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सब्त के दिन के बारे में परमेश्वर की शिक्षा भी बिल्कुल हमारे उद्धार से संबंधित है।

यह सब्त का दिन एक चिन्ह बन जाता है जब परमेश्वर “स्त्री की शेष सन्तान,” यानी उद्धार पाने वाले पवित्र लोगों को ढूंढ़ते हैं(प्रक 12:17; 14:12; यहेज 20:12)। उस समय जब परमेश्वर यह पुष्टि करते हैं कि कौन उनकी सच्ची सन्तान है, वह अपनी सन्तानों से उस व्यक्ति को अलग कर देंगे जिसके पास “सब्त” नामक आत्मिक डीएनए नहीं है, भले ही वह बाहर से एक ईसाई जैसा दिखाई देता हो।

“तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना,” यह वचन सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, बल्कि यह स्वर्गीय संतानों की भलाई चाहने वाले एलोहीम परमेश्वर, यानी हमारे पिता परमेश्वर की आज्ञा और हमारी माता परमेश्वर का अनुरोध है। हमें स्वर्गीय माता-पिता की संतान के रूप में उनकी बातों को मानना चाहिए। हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि परमेश्वर ने व्यवस्था के दिए जाने से पहले ही सृष्टि के समय सब्त की स्थापना की थी।

यों आकाश और पृथ्वी और उनकी सारी सेना का बनाना समाप्त हो गया। और परमेश्वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया, और उसने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया। और परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया; क्योंकि उसमें उसने सृष्टि की रचना के अपने सारे काम से विश्राम लिया। उत 2:1-3

बाइबल में सब्त का दिन सातवां दिन है, जो शनिवार होता है। जो लोग सृष्टिकर्ता की सामर्थ्य का स्मरण करते हैं और सृष्टिकर्ता एलोहीम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, उनके लिए परमेश्वर द्वारा स्थापित सब्त का दिन एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अर्थपूर्ण दिन है। एक देश की राष्ट्रीय छुट्टी उस देश के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, लेकिन यह अन्य देशों के लोगों के लिए सिर्फ एक सामान्य दिन है। इस तरह सब्त का दिन परमेश्वर की संतानों के लिए वास्तव में एक अनमोल दिन है, लेकिन यह उन लोगों के लिए व्यर्थ है जो परमेश्वर की संतान नहीं हैं। सब्त का दिन एक संकेत के रूप में कार्य करता है जो परमेश्वर के लोगों और उन लोगों के बीच जो परमेश्वर के लोग नहीं हैं, स्पष्ट रूप से अंतर करता है।

… ‘तू विश्रामदिन को मानकर पवित्र रखना, जैसे तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी। छ: दिन तो परिश्रम करके अपना सारा कामकाज करना; परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है; उसमें न तू किसी भांति का कामकाज करना, न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरा बैल, न तेरा गदहा, न तेरा कोई पशु, न कोई परदेशी भी जो तेरे फाटकों के भीतर हो; जिससे तेरा दास और तेरी दासी भी तेरे समान विश्राम करे। और इस बात को स्मरण रखना कि मिस्र देश में तू आप दास था, और वहां से तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा निकाल लाया; इस कारण तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे विश्रामदिन मानने की आज्ञा देता है।’ व्य 5:9-15

सब्त का दिन परमेश्वर की एक आज्ञा है। परमेश्वर ने मानव जाति की उद्धार की ओर अगुवाई करने के लिए सब्त का आशीषित दिन दिया है। इसलिए यीशु ने सब्त को एक पवित्र नियम के रूप में मनाया, और यीशु के चेले भी और चेलों के चेलों ने भी सब्त के दिन को अपने विश्वास के जीवन के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में मानते हुए उसका पालन किया। हम बाइबल के द्वारा प्रथम चर्च के इस इतिहास की पुष्टि कर सकते हैं(लूक 4:16; प्रे 16:13; 17:2; 18:4)।

सब्त का बदल जाना

सब्त का दिन एक आशीषित दिन है जब हमें पवित्र बनाया जाता है। सब्त के द्वारा पवित्र होने वाली आत्माएं परमेश्वर की और अधिक लालसा करती हैं और स्वर्ग की ओर आगे बढ़ती हैं। इसलिए, परमेश्वर की संतानों को उद्धार प्राप्त करने से रोकने के लिए, शैतान ने रविवार की आराधना(सूर्य-देवता की पूजा करने का दिन) को सब्त के दिन के ठीक बगल में रखा। सब्त का सत्य प्रेरितों के युग के बाद दूसरी शताब्दी से अस्पष्ट होना शुरू हुआ था, और 321 ई. में रोमन सम्राट ने रविवार को आराम के दिन के रूप में घोषित किया था और सब्त के दिन को आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया गया था। इस प्रकार, पहले दिन रविवार को आराधना करने का नियम शुरू हुआ, और यह आज इस दिन तक जारी रहा। परमेश्वर ने मानव जाति के उद्धार के लिए सत्य दिया है, लेकिन शैतान सभी प्रकार के झूठों और विधर्म की शिक्षाओं का उपयोग करते हुए सत्य में बाधा डाल रहा है।

उन दस सींगों का अर्थ यह है, कि उस राज्य में से दस राजा उठेंगे, और उनके बाद उन पहिलों से भिन्न एक और राजा उठेगा, जो तीन राजाओं को गिरा देगा, और वह परमप्रधान के विरुद्ध बातें कहेगा, और परमप्रधान के पवित्र लोगों को पीस डालेगा, और समयों और व्यवस्था के बदल देने की आशा करेगा, वरन् साढ़े तीन काल तक वे सब उसके वश में कर दिए जाएंगे। दान 7:24-25

टेढ़ा मेढ़ा सिद्धांत शैतान से आता है जो परमेश्वर का विरोध करता है। सब्त का सत्य उस शैतान के द्वारा विकृत किया गया और बदल दिया गया था जिसने निर्धारित समयों और व्यवस्थाओं को बदलने की कोशिश की थी, और यह सत्य एक हजार से अधिक वर्षों से दुनिया से गायब हो गया। इसके परिणामस्वरूप, विधर्म की शिक्षाएं परमेश्वर की व्यवस्थाओं को बदलकर अब पूरी दुनिया में प्रचलित हैं।

लेकिन, स्वर्गीय पिता और माता ने सब्त की सच्चाई को फिर से पुन:स्थापित किया है और अपनी संतानों को पवित्रता पहना दी है। यह इसलिए है क्योंकि हम पवित्र परमेश्वर के राज्य में तभी प्रवेश कर सकते हैं जब हम पवित्रता को पहनते हैं। अब भी शैतान हर तरह से सब्त मनाने वाले सच्चे चर्च को रोक रहा है और हमारे काम में सभी प्रकार की बाधाएं और रुकावटें डाल रहा है। लेकिन सभी आत्माओं को बचाने की परमेश्वर की इच्छा को रोका नहीं जा सकता। शैतान का लक्ष्य एक और आत्मा को ठोकर खिलाना है, लेकिन परमेश्वर की इच्छा एक भी आत्मा को खोए बिना सब को बचाना है।

मुझे आश्चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं : पर बात यह है कि कितने ऐसे हैं जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो। जैसा हम पहले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो शापित हो। अब मैं क्या मनुष्यों को मनाता हूं या परमेश्वर को? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं? यदि मैं अब तक मनुष्यों को ही प्रसन्न करता रहता तो मसीह का दास न होता। गल 1:6-10

प्रेरितों ने सिखाया कि हमें मनुष्यों के बजाय परमेश्वर को प्रसन्न करना चाहिए और चेतावनी दी कि जो लोग एक अलग सुसमाचार का प्रचार करते हैं वे शापित होंगे। केवल मसीह की शिक्षाएं ही हमें उद्धार की ओर ले जा सकती हैं। शैतान की बातें हमेशा चालाक और मीठी हैं, लेकिन जो कुछ भी मसीह की शिक्षा नहीं है, वह हमें उद्धार नहीं दिला सकता। इसलिए हमें उस शैतान की शिक्षाओं का पालन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए जो परमेश्वर के निर्धारित समयों और व्यवस्थाओं को बदलने की कोशिश करता है।

नियम जिससे हम जीवित रहेंगे, और नियम जिससे हम जीवित नहीं रहेंगे

शैतान निर्धारित समयों और व्यवस्थाओं को बदलकर सब्त को खत्म करने की कोशिश करता है और दूसरे सुसमाचार को फैलाता है। लेकिन, बाइबल सब्त के प्रति परमेश्वर की अटल इच्छा के बारे में गवाही देती है।

मैं उनको मिस्र देश से निकालकर जंगल में ले आया। वहां उनको मैं ने अपनी विधियां बताईं और अपने नियम भी बताए कि जो मनुष्य उनको माने, वह उनके कारण जीवित रहेगा। फिर मैं ने उनके लिये अपने विश्रामदिन ठहराए जो मेरे और उनके बीच चिह्न ठहरें; कि वे जानें कि मैं यहोवा उनका पवित्र करनेवाला हूं। यहेज 20:10-12

परमेश्वर ने अपने लोगों को एक नियम के रूप में सब्त का दिन दिया है जिसे मानने पर मनुष्य जी सकता है, और सब्त के दिन को अपने और अपने लोगों के बीच में एक चिन्ह के रूप में दिया है कि उनके लोग यह जानें कि परमेश्वर उनका पवित्र करनेवाले हैं। सब्त के दिन, परमेश्वर अपनी संतानों पर स्वर्ग से आत्मिक आशीषें उंडेलते हैं और संसार से अशुद्ध हुई संतानों की आत्माओं को शुद्ध करते हैं। परमेश्वर ने सब्त के दिन के द्वारा हमें पवित्र बनाने के लिए और आशीष देने के लिए और अनंत शांति और विश्राम में प्रवेश करवाने के लिए, हमारे सामने जीवन का एक मार्ग तैयार किया है।

फिर, उन लोगों के साथ क्या होगा जो सब्त के दिन को नहीं मानते?

उसके याजकों ने मेरी व्यवस्था का अर्थ खींच-खांचकर लगाया है, और मेरी पवित्र वस्तुओं को अपवित्र किया है; उन्होंने पवित्र-अपवित्र का कुछ भेद नहीं माना, और न औरों को शुद्ध-अशुद्ध का भेद सिखाया है, और वे मेरे विश्रामदिनों के विषय में निश्चिन्त रहते हैं, जिस से मैं उनके बीच अपवित्र ठहरता हूं। यहेज 22:26

परमेश्वर के नियम का उल्लंघन करने वाले लोग कौन हैं? ये वे हैं जो रविवार के दिन आराधना करते हैं। आज बहुत से लोग पवित्र-अपवित्र का कुछ भेद नहीं मानते और परमेश्वर को महिमा देने के बजाय अपवित्र ठहराने के काम कर रहे हैं। नियम के उल्लंघन की जंजीर में बंधे होने के कारण, वे सब्त की आशीषों को पाने में असफल होते हैं, इसलिए वे न तो पिता परमेश्वर, न माता परमेश्वर, न स्वर्ग, न उद्धार और न ही अनंत जीवन देख सकते हैं।

चूंकि शैतान को यह सब अच्छी तरह से पता था, इसलिए उसने निर्धारित समयों और व्यवस्थाओं को बदल दिया। उसने रविवार की आराधना को तर्कसंगत बनाने की कोशिश की और कहा कि पुराने नियम में सब्त का दिन सातवां दिन, यानी शनिवार था, लेकिन नए नियम में इसे रविवार में बदल दिया गया है क्योंकि रविवार को यीशु फिर से जी उठे थे और पिन्तेकुस्त के दिन रविवार को ही पवित्र आत्मा उंडेला गया था। हालांकि, पुनरुत्थान का दिन और पिन्तेकुस्त का दिन वार्षिक पर्व हैं, और सब्त का दिन साप्ताहिक पर्व है। उनका अपना-अपना विशिष्ट अर्थ और आशीष होती है, इसलिए उन्हें एक दूसरे से अलग-अलग करके देखा जाना चाहिए। कोई भी नियम जो बदला गया है, वह परमेश्वर का सत्य नहीं है, फिर चाहे शैतान का बहाना कुछ सच-सा प्रतीत होता हो।

आइए हम देखें कि जो सब्त की उपेक्षा करके परमेश्वर को अपवित्र ठहराते हैं, वे आखिर किस रास्ते पर जाएंगे।

और मेरे विश्रामदिनों को पवित्र मानो कि वे मेरे और तुम्हारे बीच चिह्न ठहरें, और जिससे तुम जानो कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं। परन्तु उनकी सन्तान ने भी मुझ से विद्रोह किया; वे मेरी विधियों पर न चले, न मेरे नियमों के मानने में चौकसी की; जिन्हें यदि मनुष्य माने तो वह उनके कारण जीवित रहेगा; मेरे विश्रामदिनों को उन्होंने अपवित्र किया… क्योंकि उन्होंने मेरे नियम न माने, मेरी विधियों को तुच्छ जाना, मेरे विश्रामदिनों को अपवित्र किया, और अपने पुरखाओं की मूरतों की ओर उनकी आंखें लगी रहीं। फिर मैं ने उनके लिये ऐसी ऐसी विधियां ठहराईं जो अच्छी न थीं और ऐसी ऐसी रीतियां जिनके कारण वे जीवित न रह सकें। यहेज 20:20-25

जो सब्त के दिन से दूर रहते हैं और इसे नहीं मनाते, उन लोगों को परमेश्वर ऐसी व्यवस्था देते हैं जिनके कारण वे जीवित नहीं रह सकें। यही कारण है कि आज भी लोग जो परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते हुए रविवार की आराधना का पालन करते हैं, वे समुद्र के तीर की बालू के किनकों के समान अनगिनत हैं।

यहेजकेल की किताब में, आइए हम सब्त को न मनाने वाले लोगों के बारे में एक और भविष्यवाणी को देखें।

तब वह मुझे यहोवा के भवन के भीतरी आंगन में ले गया; और वहां यहोवा के भवन के द्वार के पास ओसारे और वेदी के बीच कोई पच्चीस पुरुष अपनी पीठ यहोवा के भवन की ओर और अपने मुख पूर्व की ओर किए हुए थे; और वे पूर्व दिशा की ओर सूर्य को दण्डवत् कर रहे थे। तब उसने मुझ से कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू ने यह देखा? क्या यहूदा के घराने के लिये घृणित कामों का करना जो वे यहां करते हैं छोटी बात है?… इसलिये मैं भी जलजलाहट के साथ काम करूंगा, न मैं दया करूंगा और न मैं कोमलता करूंगा, और चाहे वे मेरे कानों में ऊंचे शब्द से पुकारें, तौभी मैं उनकी बात न सुनूंगा।” यहेज 8:16-18

यहां लिखा है कि कुछ लोग परमेश्वर के मंदिर में बैठकर सूर्य को दण्डवत् कर रहे हैं। यह किसके बारे में भविष्यवाणी है? रविवार की आराधना और क्रिसमस सूर्य-देवता के त्यौहार हैं जो सूर्य-देवता की पूजा करने के लिए शुरू हुआ था। आज पृथ्वी पर ऐसे अनगिनत चर्च हैं जो बाहरी रूप से परमेश्वर पर विश्वास करते हुए ही दिखते हैं, पर सूर्य-देवता की पूजा करने के सिद्धांत को रखते हैं। हालांकि, परमेश्वर की पूजा करने का दिन सब्त का दिन है।

परमेश्वर ने सब्त को एक ऐसे दिन के रूप में नियुक्त किया है जिस दिन उनके लोग पवित्रता को पहन सकते हैं। और सब्त का दिन स्वर्ग से आशीष प्राप्त करने का दिन है। इसलिए, हमें सब्त के दिन की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। मुझे आशा है कि आप सब सब्त के दिन के द्वारा पिता और माता की ओर से दी जाने वाली आत्मिक आशीषों की लालसा करते हुए, जी भर कर आशीषों को मांगें और सभी आशीषों को प्राप्त करें।

सब्त की आशीष महसूस करो और परमेश्वर को धन्यवाद दो

क्या आप जानते हैं कि हम हर दिन 1,00,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली कार में सवार होकर दौड़ रहे हैं? आम तौर पर कारें 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हाइवे पर चलती हैं, और एक विमान की औसत गति 800-1,000 किमी प्रति घंटा होती है। लेकिन, हम उस पृथ्वी पर रह रहे हैं जो सूर्य के चारों ओर 1,00,000 किमी प्रति घंटे की गति से घूमती है। पृथ्वी इतनी तेज गति से दौड़ती है, लेकिन फिर भी हम जबरदस्त गति को महसूस नहीं कर सकते और इसे चमत्कार के रूप में नहीं मानते।

परमेश्वर हमें हर दिन ऐसा ही चमत्कार दिखाते हैं। वह आशीष भी ऐसी है जो परमेश्वर हर सब्त के दिन देते हैं। परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार असीम आशीष प्रदान करते हैं, लेकिन हम उस आशीष को पूरी तरह से महसूस नहीं कर सकते।

आइए हम उस मन्ना के बारे में सोचें जो परमेश्वर जंगल में इस्राएलियों को प्रतिदिन देते थे। पहले तो इस्राएलियों को उसका स्वाद मधु के बने हुए पुए का सा लगा था, लेकिन जैसा कि उन्होंने इसे 40 सालों तक लगातार खाया, तो यह उनके लिए निकम्मी रोटी बन गया। सब्त का दिन हमारे लिए ऐसा नहीं होना चाहिए। परमेश्वर सब्त के दिन के द्वारा हमें पवित्र बनाते हैं और स्वर्ग की आत्मिक आशीषें और अनंत जीवन देते हैं, इसलिए हमें परमेश्वर की उस कृपा को बेपरवाही से नहीं ग्रहण करना चाहिए, बल्कि परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए।

अब कृपया जांच कीजिए कि 1,00,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली कार पर सवार होकर, क्या हम असल में 1,00,000 किमी की रफ्तार को महसूस कर रहे हैं? या फिर क्या हम 1 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भी कम, धीमी रफ्तार को महसूस कर रहे हैं? जब हम इस आशीष को महसूस करते हैं, तो हम उत्साह और प्रत्याशा के साथ बेसब्री से उस अनमोल आशीष की प्रतीक्षा करेंगे, जो परमेश्वर हर सब्त के दिन उंडेलते हैं। और यदि हमें इस तरह का विश्वास है, तो हम निश्चित रूप से इतनी आशीष प्राप्त करेंगे।

पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर और उनकी संतानों के लिए, सब्त का दिन एक आशीषित और हर्षित दिन है और यह एक पवित्र दिन है जब पवित्र स्वर्गीय परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं। स्वर्गीय पिता और माता की इच्छा इस समय भी सब्त के दिन के द्वारा पूरी हो रही है। हर सब्त के दिन, एलोहीम परमेश्वर अदृश्य रूप से हमें हमारे पापों और अधर्मों से मुक्त करते हैं और हमें ऐसी संतान के रूप में नए सिरे से जन्म लेने देते हैं जो स्वर्ग की ओर पूरी तरह आगे बढ़ सकती हैं।

मुझे आशा है कि आप स्वर्गीय पिता और माता को धन्यवाद दें जिन्होंने हमें बहुमूल्य सब्त का दिन दिया है, और सब्त की आशीष में जीने की खुशी और आनंद को अपने हृदय में धारण करते हुए हमेशा परमेश्वर की इच्छा का पालन करें और स्वर्ग के उद्धार में भाग लें। इसके अलावा, हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग हैं जो अब तक न तो सब्त के मूल्य को जानते हैं और न ही परमेश्वर की इच्छा का महत्व समझते हैं, इसलिए आइए हम उन्हें सब्त के दिन में आमंत्रित करें जिसे एलोहीम परमेश्वर ने स्वयं स्थापित किया और लिखा है, ताकि वे भी उद्धार प्राप्त कर सकें और स्वर्ग में अनंत विश्राम में प्रवेश कर सकें।