फसह और उद्धार का सत्य

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आज, दुनिया परमेश्वर के वचन सुने बिना आत्मिक प्यास और बड़े पैमाने पर हो रही विपत्तियों से पीड़ित है(आम 8:11; यिर्म 44:23)। फिर भी, कुछ लोग परमेश्वर के वचन का इनकार करके यह दावा करते हैं, “नई वाचा का फसह उद्धार का सत्य नहीं है। इसलिए हमें इसे मनाने की आवश्यकता नहीं है।”

यीशु ने उन दिनों के धार्मिक नेता, फरीसियों और शास्त्रियों के कपट पर फटकार लगाई और कहा कि स्वर्ग के राज्य के भेदों की समझ उन्हें नहीं दी गई है। अब भी, ऐसे लोग हैं जो परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा तो करते हैं, लेकिन परमेश्वर की इच्छा को सही ढंग से नहीं समझते। जैसा कि बाइबल कहती है कि परमेश्वर के ज्ञान के न होने से परमेश्वर के लोग नाश हो जाते हैं, जब तक वे परमेश्वर के वचन को नहीं जानते और उसका पालन नहीं करते तब तक उन्हें असहाय होकर विनाश के मार्ग पर जाना पड़ेगा(हो 4:6; यश 9:16; मत 23 संदर्भ)।

विपत्तियों के युग में, उद्धार का सत्य अर्थात् फसह और अधिक चमकता है। परमेश्वर ने हमें यह सिखाया है कि फसह सदा की विधि है और यह कि हमें पीढ़ी दर पीढ़ी इस फसह का प्रचार करना चाहिए। सबसे पहले, आइए हम इस बात को समझते हुए कि परमेश्वर का वचन संपूर्ण और उद्धार की अटूट प्रतिज्ञा है, बाइबल के वचनों से यह एहसास करें कि परमेश्वर के द्वारा दिया गया सत्य कितना अच्छा और बहुमूल्य है।

अनन्त जीवन के दृष्टिकोण से देखी गई बाइबल

परमेश्वर द्वारा बनाया गया ब्रह्माण्ड एक अनन्त दुनिया है। यदि आप प्रति सेकंड में एक तारे को गिनें, तो जिस आकाशगंगा में हम हैं, उसमें पूरे तारों को गिनने में आपको 6,000 से अधिक वर्ष लगेंगे। ब्रह्माण्ड में लगभग 200 अरब ऐसी आकाशगंगाएं हैं। यह सिर्फ वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए तारों की संख्या है। उन तारों की संख्या के बारे में सोचें जिनकी वैज्ञानिक खोज नहीं कर पाए हैं, ब्रह्माण्ड में तारों की असीमित संख्या होगी।

हमारी दुनिया का एक सेकंड कणों की दुनिया में 3,000 खरब वर्ष है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.5 अरब वर्ष है। और ब्रह्माण्ड की आयु लगभग 15 अरब वर्ष है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर सोचें, तो 3,000 खरब वर्ष लगभग असीमित समय है।

एक सेकंड जो मानव के लिए आंख झपकते ही गुजर जाने वाला एक क्षणभंगुर समय है, कणों की दुनिया में 3,000 खरब वर्ष है। तो कणों के दृष्टिकोण से, मानव संसार एक अथाह स्थान है जहां समय कभी समाप्त नहीं होता। इसी तरह, मानव दुनिया के दृष्टिकोण से, आत्मिक दुनिया में परमेश्वर का राज्य एक अथाह और शानदार जगह है जिसे हम पूरी तरह से नहीं समझ सकते हैं। इसलिए परमेश्वर ने मानव जाति को बाइबल दी है। जैसे दूरबीन के बिना ब्रह्माण्ड के दूरस्थ तारों को स्पष्ट रूप से देखा नहीं जा सकता, वैसे ही बाइबल के बिना हम परमेश्वर के राज्य को नहीं देख सकते।

स्वर्ग का राज्य अर्थात् स्वर्गदूतों की दुनिया जहां हम जाएंगे, ऐसी अनन्त दुनिया है जहां समय और स्थान की कोई सीमा नहीं है(दान 7:18)। हम, मनुष्य, समय और स्थान की सीमा में बंधे होकर मरने के लिए नियुक्त हैं। हमारी अनन्त स्वर्ग के राज्य की ओर अगुवाई करने के लिए परमेश्वर ने हमें अनंत जीवन देना चाहा।

केवल परमेश्वर ही अनंत जीवन दे सकते हैं। हमें अनंत जीवन अर्थात् सबसे बड़ा उपहार देने के लिए, परमेश्वर ने यह बाइबल लिखी और वह स्वयं इस पृथ्वी पर यह उपहार ले आए।

तुम पवित्रशास्त्र में ढूंढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते। यूह 5:39-40

चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है; मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। यूह 10:10

यीशु ने बताया कि हमें बाइबल को किस नजरिये से देखना चाहिए। कुछ लोगों को लगता है कि बाइबल केवल नैतिक शिक्षा देती है। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण तत्व जो हमें बाइबल में ढूंढ़ना चाहिए वह अनन्त जीवन है। इसलिए हमें बाइबल का अध्ययन करते समय अनन्त जीवन पर ध्यान देना चाहिए।

यदि हम बाइबल में लिखित परमेश्वर के वचनों को पूर्ण रूप से न मानें तो हम अनन्त जीवन कभी नहीं पा सकते। अनन्त जीवन पाने के लिए हमें उन परमेश्वर का सही ज्ञान होना चाहिए जो हमें अनन्त जीवन देते हैं और उनके पास जाना चाहिए। लेकिन, यहूदियों ने बाइबल पर विश्वास नहीं किया था, इसलिए जब परमेश्वर उनके पास आए थे तो वे उन्हें नहीं पहचान सके। संदेह भरी नजरों से, उन्होंने यीशु का इनकार किया जो शरीर में आए थे और अंतत: वे उन्हें क्रूस पर चढ़ाने का पाप कर बैठे।

हमें अनन्त जीवन देने के लिए परमेश्वर ने नई वाचा को स्थापित किया

बाइबल के अंतिम भाग का निष्कर्ष यह है कि हमें अनन्त जीवन का स्रोत अर्थात् परमेश्वर के वचनों में से न तो कुछ बढ़ाना और न ही कुछ निकालना चाहिए।

मैं हर एक को, जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूं : यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए तो परमेश्वर उन विपत्तियों को, जो इस पुस्तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा। यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्वर उस जीवन के वृक्ष और पवित्र नगर में से, जिसका वर्णन इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा। प्रक 22:18-19

उपर्युक्त वचन यह दिखाते हैं कि यदि हम लोगों को बाइबल की शिक्षाओं में बढ़ाई हुई या निकाली हुई बातों का प्रचार करें तो हम केवल विपत्तियां ही नहीं पाएंगे लेकिन परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने का विशेषाधिकार भी खो देंगे। इसका अर्थ है कि हमें बाइबल की हर एक शिक्षा का जैसा है, ठीक वैसा ही पालन करना चाहिए।

क्योंकि मैं ने तुम्हें नमूना दिखा दिया है कि जैसा मैं ने तुम्हारे साथ किया है, तुम भी वैसा ही किया करो। यूह 13:15

यीशु ने स्वयं एक नमूना दिखाया कि हमें क्या करना चाहिए ताकि हम बाइबल में से बिना कुछ बढ़ाए या निकाले अनन्त जीवन पाने का प्रयास करें। मसीह के नमूनों में से, आइए हम उनके फसह मनाने का नमूना देखें।

तब अखमीरी रोटी के पर्व का दिन आया, जिसमें फसह का मेम्ना बलि करना आवश्यक था। यीशु ने पतरस और यूहन्ना को यह कहकर भेजा : “जाकर हमारे खाने के लिये फसह तैयार करो।”… उन्होंने जाकर, जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया और फसह तैयार किया। जब घड़ी आ पहुंची, तो वह प्रेरितों के साथ भोजन करने बैठा। और उसने उनसे कहा, “मुझे बड़ी लालसा थी कि दु:ख भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊं।” लूक 22:7-15

चार सुसमाचार पुस्तकें जो यीशु के साथ बारह चेलों के कार्यों का वर्णन करती हैं, यीशु और प्रेरितों के फसह मनाने के अनुग्रहपूर्ण दृश्य के लिए बहुत सारे स्थान देती हैं। हमें इस दृश्य को मसीह के नमूने के रूप में ध्यान से देखना चाहिए।

पतरस और यूहन्ना सहित यीशु के सभी चेलों ने फसह मनाया था। उनमें से, ऐसा कोई भी नहीं था जिसने यह कहकर फसह का इनकार किया, “इसे मनाने की आवश्यकता नहीं। इसलिए मैं इसे नहीं मनाऊंगा।” सबसे बढ़कर, स्वयं यीशु को फसह मनाने की लालसा थी और उन्होंने ही अपने चेलों को फसह की तैयारी करने का निर्देश दिया। यीशु के इस पृथ्वी पर आने का उद्देश्य मनुष्यों को पापों से छुड़ाकर अनन्त उद्धार के मार्ग पर ले जाना था। और यीशु को फसह मनाने की बड़ी लालसा थी। इसलिए, यह कुछ ऐसा होगा जो हमारे उद्धार से घनिष्ठ रूप से संबंधित है।

फसह के भोज पर, यीशु मसीह ने फसह की रोटी को अपनी देह और फसह के दाखमधु को अपना लहू कहा और इस प्रतिज्ञा के वचन से नई वाचा को स्थापित किया था।

फिर उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, “यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिये दी जाती है : मेरे स्मरण के लिए यही किया करो।” इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।” लूक 22:19-20

यीशु के ऐसा कहने का निश्चित कारण है, “मुझे बड़ी लालसा थी कि मैं तुम्हारे साथ यह फसह खाऊं।” जो कोई यीशु का मांस खाता और उनका लहू पीता है अनन्त जीवन उसी का है(यूह 6:54)। इसलिए, फसह की वाचा से यीशु मानव जाति को अनन्त जीवन देना चाहते थे।

नई वाचा का फसह ऐसा सत्य है जिसे यीशु ने हम, अनन्त मृत्यु के लिए नियुक्त हुए पापियों को बचाने के लिए अपने बहुमूल्य मांस और लहू से स्थापित किया। परमेश्वर ने अपने नबियों के द्वारा इस बात की भविष्यवाणी की थी कि मानव जाति के लिए नई वाचा कितना महत्वपूर्ण है।

नई वाचा की स्थापना में परमेश्वर की इच्छा

“फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बांधूंगा… परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बांधूंगा, वह यह है : मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है, छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।” यिर्म 31:31-34

परमेश्वर के लोगों के मनों में नई वाचा की व्यवस्था होनी चाहिए। “मैं नई वाचा माननेवाले लोगों का परमेश्वर होऊंगा, मैं जिनके मनों में नई वाचा है उनके पापों को क्षमा करूंगा।” यह परमेश्वर की प्रतिज्ञा है। मनुष्य अपनी प्रतिज्ञा तोड़ सकता है, लेकिन परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा को कभी नहीं तोड़ते, पर हमेशा पूरा करते हैं।

लोग जो नई वाचा में नहीं हैं, पापों की क्षमा कभी नहीं पा सकते। यह इसलिए क्योंकि परमेश्वर ने ऐसे लोगों को पापों की क्षमा देने की प्रतिज्ञा नहीं की है। फसह के बिना हम पापों की क्षमा नहीं पा सकते और जब तक हम पापों की क्षमा नहीं पाते, तब तक हम अनन्त जीवन नहीं पा सकते, और यदि हम अनन्त जीवन पाने से चूक जाएं तो हम स्वर्ग नहीं जा सकते। इसलिए यीशु ने फसह को नई वाचा के रूप में घोषित किया और इसे मनाने की बड़ी लालसा की।

फिर भी, कुछ लोग फसह को केवल पुराने नियम की एक मामूली व्यवस्था के रूप में मानते हैं और जोर देते हैं कि अब इसे मनाने की आवश्यकता नहीं है, भले ही यीशु ने इसे मनाने की बड़ी लालसा की हो। जैसा कि वे दावा करते हैं कि फसह को अब और रखने की आवश्यकता नहीं है, क्या हम कह सकते हैं कि वे वास्तव में यीशु पर विश्वास करते हैं? उनके विषय में बाइबल कहती है, “वे कहते हैं कि हम परमेश्वर को जानते हैं, पर अपने कामों से उनका इन्कार करते हैं” (तीत 1:16)। वे यीशु पर विश्वास करने का दावा तो करते हैं, लेकिन उद्धार के सत्य का इनकार करते हैं, जिसे यीशु ने मानने और मानव को देने की लालसा की थी। वे अपने आप को कैसे सच्चे चरवाहे या सच्चे ईसाई कह सकते हैं?

“जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूंगा, ‘मैंने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।’ ” मत 7:21-23

जैसे हम यीशु के कहे इन वचनों से देख सकते हैं, “मुझे बड़ी लालसा थी कि यह फसह खाऊं,” यह परमेश्वर की इच्छा है कि हमें फसह मनाना चाहिए। शैतान नहीं चाहता कि परमेश्वर की पवित्र इच्छा पूरी दुनिया में घोषित हो। तब हम स्पष्ट रूप से जान सकते हैं कि वे लोग किसके पक्ष में हैं जो बेतुके सिद्धांतों पर हठ करते हुए लगातार नई वाचा की निंदा करते हैं और परमेश्वर का विरोध करते हैं।

इसलिए अंतिम न्याय के दिन पर यीशु को “हे प्रभु, हे प्रभु” कहनेवाले लोगों से वह कहेंगे, “मैं ने तुम को कभी नहीं जाना।” इसका अर्थ है कि उनका यीशु के साथ कुछ लेना देना नहीं है।

नई वाचा का फसह, उद्धार का ऐसा सत्य है जिसे परमेश्वर ने प्रमाणित किया है। अंधकार युग के दौरान बलिदान किए गए अनगिनत संतों के लहू की नींव पर, परमेश्वर ने सत्यों का सत्य, फसह को पुनर्स्थापित किया। इसलिए, भले ही ऐसे लोग हैं जो सत्य के विरुद्ध खड़े हैं, हमें इसका प्रचार करने से रुकना नहीं चाहिए।

नई वाचा मानो, और इसका प्रचार करो

अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो अब तक नहीं जानते कि नई वाचा क्या है। आइए हम जितना हो सके अपने परिवार, पड़ोसियों और अपने आसपास के बहुत से परिचितों को फसह का प्रचार करें ताकि वे अनंत जीवन पाएं। चूंकि फसह में मनुष्यों के उद्धार के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञा है, इसलिए हमें सभी लोगों को इस प्रतिज्ञा की घोषणा करनी चाहिए।

क्योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैंने तुम्हें भी पहुंचा दी कि प्रभु यीशु ने जिस रात पकड़वाया गया, रोटी ली, और धन्यवाद करके उसे तोड़ी और कहा, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है : मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” इसी रीति से उसने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया और कहा, “यह कटोरा मेरे लहू में नई वाचा है : जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो। 1कुर 11:23-26

उपर्युक्त आयतों में, प्रेरित पौलुस प्रथम चर्च के संतों को क्या उपदेश दे रहा है? वह उस फसह के सत्य का प्रचार कर रहा है जिसे यीशु ने यह कहते हुए स्थापित किया था, “यह[रोटी] मेरी देह है… यह कटोरा[दाखमधु] मेरे लहू में नई वाचा है।” पौलुस ने कहा कि जो वह उन तक पहुंचा रहा है वह उसका अपना विचार नहीं, परन्तु परमेश्वर से पहुंची आज्ञा है, और उसने अपने आपको नई वाचा का सेवक बताया(2कुर 3:6)।

हम पवित्र स्वर्गीय पिता और माता की सेवा करते हैं और उनकी सच्ची शिक्षाओं पर चलते हुए नई वाचा का फसह मनाते हैं। परमेश्वर ने हमें जिनके मन में नई वाचा की व्यवस्था है, यह कहते हुए कि “तुम मेरी प्रजा हो” अपने लोगों के रूप में स्वीकार किया, और वह हमारे परमेश्वर बने हैं। केवल परमेश्वर के राज्य के लोग ही परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। परमेश्वर ने हम अर्थात् अपनी संतानों से जो नई वाचा में रहती हैं, ऐसी अनुग्रहपूर्ण प्रतिज्ञा की है कि वह अंतिम न्याय के दिन पर हम पर से सारी विपत्तियों को पार होने देंगे।

नई वाचा के फसह से, परमेश्वर ने हमें स्वर्ग की नागरिकता देकर हमारी अगुवाई अनन्त जीवन और उद्धार की ओर की है। इस वर्ष, आइए हम पृथ्वी की छोर तक परमेश्वर के असीम अनुग्रह का प्रचार करें। चाहे झूठे नबी हमें बहकाने के लिए किसी भी प्रकार का कुतर्क क्यों न लगाएं, हमें मसीह के दृष्टिकोण से ही प्रभेद करने में सक्षम होना चाहिए। बाइबल के वचनों से हम पता लगा सकते हैं कि उनके सारे तर्क और शिक्षाएं बाइबल पर आधारित नहीं हैं और असत्य हैं। मैं सिय्योन के आप सभी भाई-बहनों से आग्रहपूर्वक कहता हूं कि आप नई वाचा का फसह अर्थात् उद्धार के सत्य का परिश्रमपूर्वक प्रचार करें और नई वाचा से हमारे लिए स्वर्ग का मार्ग खोल देने और हमें परमेश्वर की प्रजा बनाने के लिए स्वर्गीय पिता और माता को हमेशा धन्यवाद और महिमा दें।