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जब से मनुष्य इस पृथ्वी पर हैं, सभ्यता का विकास निरंतर हो रहा है। हालांकि, ऐसे अनगिनत रहस्य हैं जिन्हें मनुष्य हल नहीं कर सके हैं। उनमें से एक मनुष्य की आत्मा का सत्य है जिसे जानने के लिए सभी युगों के और देशों के लोग जिज्ञासु रहे हैं: इस पृथ्वी पर पैदा होने से पहले हम कहां थे? क्या मृत्यु सब बातों का अंत है या मृत्यु के बाद एक और दुनिया है? जीवन से संबंधित इन सभी सवालों के जवाब न पा सकने के कारण, वे सभी अज्ञात रूप से मृत्यु से डरते हैं; चूंकि वे नहीं जानते कि वे कहां जा रहे हैं, वे इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि उनके भविष्य में क्या होने वाला है।
परमेश्वर ने उन सभी मनुष्यों पर दया की जो, “अपने पूरे जीवन भर मृत्यु के भय के कारण दासत्व में फंसे थे,”(इब्र 2:15) और वह इस पृथ्वी पर मनुष्य की समानता में आए और उन्होंने यह सत्य सिखाया कि जहां सब उद्धार पानेवालों की आत्माएं जा रही हैं ऐसा एक स्वर्ग का राज्य है, और जहां उद्धार न पानेवालों की आत्माएं जा रही हैं ऐसा एक नरक भी है। अब, आइए हम परमेश्वर की शिक्षाओं के अनुसार, आत्मिक दुनिया को समझने का समय लें।
बाइबल के द्वारा सबसे पहले आइए हम इन सवालों का जवाब ढूंढें कि मनुष्य के रूप में पैदा होने से पहले हम कहां और कैसे थे? और हम इस पृथ्वी पर क्यों पैदा हुए हैं?
“यहोवा ने मुझे काम करने के आरम्भ में, वरन् अपने प्राचीनकाल के कामों से भी पहले उत्पन्न किया। मैं सदा से वरन् आदि ही से पृथ्वी की सृष्टि से पहले ही से ठहराई गई हूं। जब न तो गहिरा सागर था और न जल के सोते थे, तब ही से मैं उत्पन्न हुई। जब पहाड़ और पहाड़ियां स्थिर न की गई थीं, तब ही से मैं उत्पन्न हुई। जब यहोवा ने न तो पृथ्वी और न मैदान, न जगत की धूलि के परमाणु बनाए थे, इनसे पहले मैं उत्पन्न हुई… जब वह पृथ्वी की नींव की डोरी लगाता था, तब मैं कारीगर सी उसके पास थी; और प्रतिदिन मैं उसकी प्रसन्नता थी, और हर समय उसके सामने आनन्दित रहती थी। नीत 8:22-30
सुलैमान ने, जिसने नीतिवचन की पुस्तक लिखी थी, कहा कि वह अनन्त काल से, पृथ्वी शुरू होने से पहले से, पैदा हो चुका था। और उसने ऐसा भी कहा, “जब यहोवा ने न तो पृथ्वी और न मैदान, न जगत की धूलि के परमाणु बनाए थे, इनसे पहले मैं उत्पन्न हुई।” इसका मतलब है कि वह पृथ्वी की सृष्टि किए जाने से पहले पैदा हो चुका था।
सुलैमान ने ऐसा भी कहा कि जब परमेश्वर ने आकाश को स्थिर किया और पृथ्वी की नींव डाली, तब वह एक कारीगर का सा परमेश्वर के साथ था। किंग जेम्स अनुवाद में कारीगर के बारे में, ‘उसके(यहोवा) के साथ बड़ा हुआ’ लिखा है। आप क्या सोचते हैं, जब सुलैमान परमेश्वर के साथ परमेश्वर के राज्य में था तो वह किसको अपना पिता कहता होगा? उसने परमेश्वर को ही अपना “पिता” कहा होगा। हालांकि, इस पृथ्वी पर उसने दाऊद को अपना “पिता” कहा; वह दाऊद के पुत्र के रूप में पैदा हुआ और इस्राएल का तीसरा राजा बना। इस प्रकार, हमारे पास इस पृथ्वी पर शारीरिक पिता है, और स्वर्ग में हमारी आत्माओं के पिता हैं।
यदि हम अपने पिछले जीवन के बारे में न समझें, तो हम कभी भी नहीं समझ पाएंगे कि हमें परमेश्वर को “पिता” और “माता” क्यों कहना चाहिए। इस पृथ्वी पर पैदा होने से पहले जब हम स्वर्ग में थे यानी इस मनुष्य का शरीर पहनने से पहले, हम परमेश्वर को “पिता” और “माता” बुलाते थे।
बाइबल में लिखे हुए व्यक्तियों में से एक, सुलैमान के द्वारा बाइबल हमें गवाही देती है कि सुलैमान की तरह सभी मनुष्य परमेश्वर की सन्तान थे, और यह भी दिखाती है कि जब वे मरकर इस पृथ्वी को छोड़ेंगे तो परमेश्वर की बांहों में वापस चले जाएंगे। हमारा मूलस्थान यह पृथ्वी नहीं पर स्वर्ग में है, और हम सबको अपने सच्चे घर में अवश्य ही जाना होगा। अय्यूब की पुस्तक भी इस तथ्य को दिखाती है।
तब यहोवा ने अय्यूब को आंधी में से यूं उत्तर दिया, “यह कौन है जो अज्ञानता की बातें कहकर युक्ति को बिगाड़ना चाहता है? पुरुष के समान अपनी कमर बांध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न करता हूं, और तू मुझे उत्तर दे। “जब मैं ने पृथ्वी की नींव डाली, तब तू कहां था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे… नि:सन्देह तू यह सब कुछ जानता होगा! क्योंकि तू तो उस समय उत्पन्न हो चुका था, और तू बहुत आयु का है। अय 38:1-4, 21
उत्पत्ति की पुस्तक में हम परमेश्वर की सृष्टि कार्य को देख सकते हैं; वहां लिखा है कि छह दिनों में परमेश्वर ने आकाश, पृथ्वी, समुद्र, और उनमें सब वस्तुओं को सृजा और सृजनकार्य के अंतिम दिन परमेश्वर ने मनुष्य को बनाया। हालांकि, अय्यूब की पुस्तक में परमेश्वर ने अय्यूब से कहा कि जब उन्होंने पृथ्वी की नींव डाली यानी आकाश और पृथ्वी को बनाया उस समय वह उत्पन्न हो चुका था।
यदि सुलैमान परमेश्वर के पृथ्वी बनाने से पहले पैदा हो चुका था, तब वह कहां रहता था? और उस समय अय्यूब कहां था? वे इस पृथ्वी नामक ग्रह पर नहीं, परन्तु किसी और दुनिया में रहते होंगे। वह परमेश्वर का राज्य, स्वर्ग होगा, क्योंकि वे परमेश्वर के साथ रहते थे।
क्या आप मानते हैं कि यह सिर्फ सुलैमान और अय्यूब की कहानी है? सुलैमान और अय्यूब के द्वारा, परमेश्वर ने हमें सिखाया है कि हम इस पृथ्वी पर आने से पहले कहां थे और कैसे रहते थे। हम सुंदर स्वर्गदूत, परमेश्वर की सन्तान थे, जो स्वर्ग के राज्य में रहते थे। यह सत्य सभोपदेशक की पुस्तक में भी साबित होता है।
तब मिट्टी ज्यों की त्यों मिट्टी में मिल जाएगी, और आत्मा परमेश्वर के पास जिस ने उसे दिया लौट जाएगी। सभ 12:7
यहां, “मिट्टी” का अर्थ मनुष्य का शरीर है।(उत 2:7) ऊपर का वचन बताता है कि मिट्टी(शरीर) भूमि में वापस जाता है और आत्मा उसे देनेवाले परमेश्वर के पास वापस जाती है। इस वचन से हम साफ साफ समझ सकते हैं कि हमारी आत्मा स्वर्ग से आई है। इस पृथ्वी पर शरीर में पैदा होने से पहले भी, हम आत्मिक स्वरूप यानी स्वर्गदूत के स्वरूप में थे। इसलिए, जब लोग मरते हैं, उनके शरीर भूमि में सड़ जाते हैं और उनकी आत्मा शरीर धारण करने से पहले जहां थी वहां लौट जाती है।
अब हमारे लिए जाने की एक निश्चित जगह है। चूंकि हम स्वर्ग से आए हैं, इसलिए जहां हमें जाना है क्या वह जगह भी अनन्त स्वर्ग का राज्य नहीं होगी? स्वर्ग का राज्य खुशी और आनन्द से भरपूर जगह है और वह हमारी कल्पनाओं से ज्यादा महिमामय है। (1कुर 2:9) वह हमारा आत्मिक घर है जहां हमें वापस जाना चाहिए।
हम, परमेश्वर की सन्तान के रूप में महिमामय स्वर्ग के राज्य में रहते थे। तब, हम इस पृथ्वी पर क्यों आ गए हैं? जिस घड़ी हमने शरीर पहना, उसी घड़ी हमने अपनी स्वर्ग की यादों को खो दिया था। हालांकि, परमेश्वर ने हमें बाइबल के द्वारा उन सभी सत्यों के बारे में याद दिलाया है।
सुनो, यहोवा का हाथ ऐसा छोटा नहीं हो गया कि उद्धार न कर सके, न वह ऐसा बहिरा हो गया है कि सुन न सके; परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम को तुम्हारे परमेश्वर से अलग कर दिया है, तुम्हारे पापों के कारण उसका मुंह तुम से ऐसा छिपा है कि वह नहीं सुनता। यश 59:1-2
बाइबल कहती है कि हमारे अपराधों ने हमें परमेश्वर से अलग कर दिया है। स्वर्गदूत जो महिमामय स्वर्ग के राज्य में रहते थे, इस पृथ्वी पर जीने के लिए मनुष्य के रूप में पैदा हुए क्योंकि उन्होंने स्वर्ग में गंभीर पाप किया था। मनुष्यों के लिए जो इस सत्य को न जानते हुए जी रहे थे, परमेश्वर उस सुसमाचार के साथ इस पृथ्वी पर आए कि वे स्वर्गीय राज्य में वापस लौट सकेंगे।
क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उनका उद्धार करने आया है। लूक 19:10
यीशु ने कहा कि उनके इस पृथ्वी पर आने का कारण जो स्वर्ग से खो गए हैं उन्हें ढूंढ़ना और उन्हें उद्धार देना है। वह हमें ऐसा भी कहते हैं कि जो स्वर्ग से खो गए हैं, वे पापी हैं।
इसलिए तुम जाकर इसका अर्थ सीख लो: “मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूं। क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं।” मत 9:13
यीशु के इन शब्दों को एक साथ रखकर हम समझ सकते हैं कि सभी मनुष्य अपने पापों के कारण स्वर्ग से खो गए हैं। और इसी सत्य के विषय में यशायाह की पुस्तक कहती है, “तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम को तुम्हारे परमेश्वर से अलग कर दिया है।” हम स्वर्गदूत थे, लेकिन हमने स्वर्ग में पाप किया और परिणाम स्वरूप हमें इस पृथ्वी पर निकाला गया। यह पृथ्वी एक आत्मिक जेल है जिसमें उन स्वर्गदूतों को रखा गया है जिन्होंने पाप किया था। इसी कारण से, इस पृथ्वी पर हमारा जीवन दु:खदायी और कठिन होता है।
इसलिए परमेश्वर ने हमें सबसे पहले पछताना सिखाया। जब तक हम पछताते नहीं और अपने पापों की क्षमा नहीं पाते, हम अपने अनन्त घर, स्वर्ग में वापस नहीं जा सकते।
तब, हमें पापों की क्षमा पाने के लिए और अपने स्वर्गीय देश वापस लौटने के लिए क्या करना चाहिए? यह एक ऐसा कार्य है जिसे न सिर्फ मसीहियों को, लेकिन सभी लोगों को, जो अपने पापों के कारण पृथ्वी पर निकाल दिए गए हैं, सुलझाना चाहिए। उन्हें उसे सुलझाने में सहायता करने के लिए, परमेश्वर स्वयं पृथ्वी पर आए।
दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत का पाप उठा ले जाता है।” यूह 1:29
जब तक यीशु मसीह न आए, करीब 1,500 सालों तक, बहुत बड़ी मात्रा में मेम्नों समेत कई पशुओं को पापबलि के रूप में चढ़ाया गया था। पुराने नियम की यह बलिदान की व्यवस्था हमें यह सिखाने के लिए एक प्रतिबिम्ब और परछाई थी कि पापों की क्षमा कैसे पा सकते हैं। परमेश्वर ने हम पर दया की और हमारे लिए एक पापबलि बनकर इस पृथ्वी पर आए, और अपने बलिदान के लहू से उन्होंने उन्हें पापों की क्षमा दी जो अपने स्वर्ग में किए पापों के लिए पछताते हैं।
हम को उसमें उसके लहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात् अपराधों की क्षमा, उसके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है। जिसे उसने सारे ज्ञान और समझ सहित हम पर बहुतायत से किया। क्योंकि उसने अपनी इच्छा का भेद उस भले अभिप्राय के अनुसार हमें बताया… इफ 1:7-10
मसीह ने, जो पापबलि की वास्तविकता थे, दुनिया के सभी लोगों को उनके पापों से मुक्त करने के लिए अपने आप को छुड़ौती के रूप में दे दिया। मसीह के बलिदान के बिना, हम कभी भी पापों की क्षमा नहीं पा सकते और हमारे लिए स्वर्ग के राज्य में वापस जाने का महिमामय रास्ता नहीं खुल सकता। तब यह “मसीह का लहू” क्या है जो हमें अनन्त जीवन देता है?
अखमीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, “तू कहां चाहता है कि हम तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?” उसने कहा, “नगर में अमुक व्यक्ति के पास जाकर उससे कहो, ‘गुरु कहता है कि मेरा समय निकट है। मैं अपने चेलों के साथ तेरे यहां पर्व मनाऊंगा’।” अत: चेलों ने यीशु की आज्ञा मानी और फसह तैयार किया… जब वे खा रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, “लो, खाओ; यह मेरी देह है।” फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, “तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।” मत 26:17-19, 26-28
यीशु ने अपने चेलों को फसह का दाखमधु दिया और कहा, “यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।” पापों की क्षमा के वादे के बिना, हम स्वर्ग के राज्य में कभी भी वापस नहीं जा सकते। दूसरे शब्दों में, नई वाचा का फसह परमेश्वर की एक वाचा है कि वह सभी मनुष्यों को जिन्होंने स्वर्ग में पाप किए और पृथ्वी पर निकाल दिए गए, उनके पापों से मुक्त करेंगे ताकि वे अनन्त स्वर्ग के राज्य में वापस जा सकें।
असंख्य पशु, जिन्हें 1,500 सालों के लम्बे समय तक होमबलि की वेदी पर पापियों के प्रायश्चित्त के लिए बलि किया गया, परमेश्वर के बलिदान और दु:ख को दिखाते हैं जिन्होंने हमारे बदले हमारे पापों का भुगतान किया। हमारी नई वाचा के फसह के पर्व में शामिल होने के द्वारा स्वर्ग के राज्य की ओर अगुआई करने के लिए, परमेश्वर ने अपना लहू बहाया और हमारे लिए अपना बलिदान किया। नई वाचा के फसह का नियम इस प्रक्रिया के द्वारा स्थापित किया गया।
इसलिए, यदि हम आत्मिक दुनिया को समझे बिना फसह मनाएं तो यह अर्थहीन है। नई वाचा का फसह एक ऐसा नियम है जिसे परमेश्वर ने हमें उन पापों से मुक्त करने के लिए स्थापित किया है जो हमने आत्मिक दुनिया में किए थे।
फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बांधूंगा… परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बांधूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है, छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।” यिर्म 31:31-34
परमेश्वर ने वचन दिया कि वह पुरानी वाचा को जिसमें वह पशुओं के बलिदान के द्वारा अपने लोगों के पाप क्षमा करते थे, खारिज करके नई वाचा स्थापित करेंगे। और जैसा कि उन्होंने कहा, “मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा,” नई वाचा के द्वारा परमेश्वर ने उन्हें पापों की संपूर्ण क्षमा प्रदान की। चूंकि नई वाचा बहुत महत्वपूर्ण थी, इसलिए परमेश्वर ने यीशु के इस पृथ्वी पर नई वाचा को स्थापित करने के लिए आने के कई सौ साल पहले नबी यिर्मयाह के द्वारा पहले से ही इसके बारे में भविष्यवाणी के वचन कहे थे।
यदि अब तक हम अपने मूल के बारे में सही तरह से समझ गए हैं कि हम कहां से आए हैं, तब हमें उस जगह के लिए भी सही तरीके से तैयारी करनी चाहिए जहां हम जा रहे हैं।
हमें अपने घर, स्वर्ग में वापस जाने के लिए नई वाचा के फसह के द्वारा पापों की क्षमा पानी चाहिए। परमेश्वर अपनी सन्तानों के जीवन को सिर्फ पीड़ा और विलाप से भरा हुआ देखकर, अपनी सन्तानों के पापों को क्षमा करने के लिए 2,000 साल पहले स्वयं इस पृथ्वी पर मनुष्य बनकर आए और नई वाचा के द्वारा उन्हें उद्धार दिया। भविष्यवाणी के अनुसार, “मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा,” जो नई वाचा मनाते हैं उनका परमेश्वर होने के लिए, इस युग में भी परमेश्वर आत्मा और दुल्हिन बनकर नई वाचा का सत्य लेकर आए हैं। हमारे परमेश्वर होकर, आत्मा और दुल्हिन ने हमें हमारे पापों से क्षमा किया और हमसे कहा कि इस सुसमाचार का संसार के सभी लोगों को प्रचार करके उद्धार के आशीर्वाद को बांटो।
आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। प्रक 22:17
हमारे पिता, जो आत्मा हैं, और हमारी माता, जो दुल्हिन हैं, कहते हैं, “आओ जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले।” इसलिए जब तक हम पिता और माता के पास नहीं जाते, हम कैसे जीवन का जल पा सकेंगे, हम कैसे नई वाचा को जान सकेंगे जिसमें पापों की क्षमा का वादा है, और कैसे आत्मा और दुल्हिन को जो इस युग के उद्धारकर्ता हैं पहचान सकेंगे?
बाइबल भविष्यवाणी करती है कि अंत के दिनों में लोग जीवन के जल(परमेश्वर के वचन) की खोज में समुद्र से समुद्र फिरेंगे, परन्तु उसको न पाएंगे।(आम 8:11-13) यहां तक कि प्रतिष्ठित धर्मशास्त्री, बाइबल के अंवेषक, या कोई ऐसा व्यक्ति जिसके पास बहुत ज्यादा ज्ञान और बुद्धि हैं, जीवन का जल देनेवाले पिता और माता को स्वयं नहीं खोज सकता। हमें परमेश्वर के पास आना चाहिए, जो हमें बुलाते हैं, और उनसे जीवन का जल पाना चाहिए। सिर्फ तभी परमेश्वर हमें उस स्वर्ग के राज्य में फिर से ले जाएंगे जिसे हमने कभी खो दिया था।
यदि हम अपनी आत्मा के सत्य के बारे में समझने में असफल रहें, तो हम अपना यह एक मात्र जीवन बुरे विचार और कार्यों में बरबाद कर देंगे और अंत में परमेश्वर के न्यायासन के सामने खड़े रहेंगे। परमेश्वर ने हमें आत्मिक दुनिया के बारे में समझाया है और हमें पापों की क्षमा दी है, इसका कारण यह है कि वह चाहते हैं कि हम इस सत्य को पहले पाने वालों के समान काम करें, और बहुत से लोगों को जगाएं जो अब तक इस मूल्यवान सत्य को न जानते हुए नरक की ओर भाग रहे हैं। आइए हम अपने आसपास परिवारजनों को, पड़ोसियों को, और सभी जान-पहचान वालों को देखें और उन्हें प्रचार करने का प्रयास करें ताकि वे भी पापों की क्षमा पा सकें और साथ में स्वर्ग वापस जा सकें।
आइए हम पूरे संसार में सभी लोगों को अपने पिता और माता, आत्मा और दुल्हिन के बारे में प्रचार करें जो नई वाचा के द्वारा हमारे परमेश्वर बने हैं। तब हमारे स्वर्ग से खोए हुए भाई और बहनें पिता और माता की आवाज को सुनेंगे और पापों की क्षमा पाने के लिए सिय्योन में आएंगे, ताकि हम सब साथ में अपने उस स्वर्गीय घर में वापस जा सकें, जिसे हम बहुत याद करते हैं।
स्वर्ग का राज्य जहां हम जा रहे हैं वह ऐसी जगह है जहां परिश्रम या पीड़ा या दु:ख या विलाप नहीं है, वहां केवल अनन्त जीवन और खुशी है। जब तक हम वहां नहीं जाते, हमें कुछ तकलीफों से गुज़रना पड़ सकता है। हालांकि, जिस प्रकार बाइबल के सभी पुरखों ने अनन्त स्वर्ग के राज्य की आशा के साथ सभी प्रकार के सताव और तकलीफों को पार किया था, वैसे ही आइए हम भी स्वर्गीय आशा के साथ सभी परेशानियों को पार करें और साथ में अवश्य स्वर्ग वापस जाएं।