नई वाचा का सुसमाचार पूरे विश्व में फैलाया जा रहा है। आत्मिक रूप से अंधे आंखें खोलते हैं और बहिरे सुनते हैं, और घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहे लोग जिलाए जाते हैं। परमेश्वर के अपने लहू से स्थापित की गई नई वाचा की सामर्थ्य सचमुच, आश्चर्यजनक एवं अद्भुत है।
जो कोई नई वाचा पर विश्वास करते और मनाते हैं, परमेश्वर ने उन लोगों से ऐसा वादा किया है कि वे बिना शर्त के पापों की क्षमा और अनन्त जीवन पाएंगे, और परमेश्वर उनका परमेश्वर ठहरेगा आर वे उसकी प्रजा ठहरेंगे।(यिर्म 31:31–34 संदर्भ) हम स्वर्ग में पाप करने के कारण इस धरती पर निकाल दिए गए हैं, और हम कैदी हैं जिन्होंने मृत्युदंड की सजा पाई है। इसलिए हमारे लिए नई वाचा के समाचार से और ज्यादा खुश व शुभ बात न होगी। इसलिए बाइबल में इस नई वाचा को शुभ समाचार कहा गया है।
हमने परमेश्वर से सबसे बड़ा एवं बहुमूल्य उपहार पाया है। इसलिए हमें जीवन का जल देने वाले परमेश्वर, पवित्र आत्मा और दुल्हिन पर विश्वास रखना है और उनकी आज्ञाओं का पालन करना है, और पवित्र चालचलन और भक्ति में मसीही जीवन जीना हमारा दायित्व है।(प्रक 14:12, 2पत 3:11–13 संदर्भ) हमें यह याद रखना चाहिए कि यदि कोई उस उद्धार की, जो परमेश्वर ने हमें मुफ़्त में दिया है, अवहेलना करे, तो परमेश्वर उससे उद्धार की दीवट हटा देगा। मैं आशा करता हूं कि हमेशा परमेश्वर के राज्य और धर्म की खोज करने के द्वारा, स्वर्ग में आप का भरपूर स्वागत हो।
यदि हम सत्य के बारे में सही ज्ञान हासिल न करेंगे, तो हम दुष्ट शैतान के बहकावे में आकर पापी होंगे और आखिर में पाप की सजा पाएंगे। जैसे शैतान ने परमेश्वर के वचन से यीशु मसीह की परीक्षा ली,(मत 4:11) वैसे वह परमेश्वर के वचन को बिगाड़ कर परमेश्वर की सन्तान के मन में गलत विचार बैठाने की कोशिश करता है।
“धोखा न खाओ: “बुरी संगति अच्छे चरित्र को भ्रष्ट कर देती है।” धार्मिकता के लिए सजग हो जाओ और पाप न करो, क्योंकि कुछ लोग परमेश्वर को बिल्कुल नहीं जानते। मैं कहता हूं यह तुम्हारे लिए लज्जा की बात है।”1कुर 15:33–34
स्वर्ग में शत्रु शैतान ने हमें बहकाया था। वह फिर से इस धरती पर भी विभिन्न प्रकार से प्रलोभन का फंदा लगा रहा है। आत्मिक परिवार के सदस्यों को बहकाने के लिए, जो उद्धार के स्थान, सिय्योन में वापस आए हैं, वह ऐसी बातें कहता है कि ‘तुम्हारे सारे पाप क्षमा हो चुके हैं, इसलिए चाहे शारीरिक पाप करते हो, तब भी स्वर्ग जा सकेंगे’। ऐसी छल की बात करते हुए, सदस्यों को कुटिल व गंदे कामों के लिए उकसाता है।
भले ही वह ऐसा करता हो, हमें विश्वास को स्थिर करके शैतान का सामना करना चाहिए।(1पत 5:8–9) परमेश्वर ने एक बार भी हमें पाप करना नहीं सिखाया है। इसके बजाय, उसने हमें सिखाया है कि किसी भी समय पाप न करें, कहीं ऐसा न हो कि हम दुष्ट से बहकाए जाने से स्वर्ग जाने का अवसर खोएं।
हमें परमेश्वर के दिए हुए वचनों को अपनी इच्छा के अनुसार सोचना नहीं चाहिए। और परमेश्वर की शिक्षाओं में से एक छोटी सी शिक्षा के लिए हमें बेईमान नहीं होना चाहिए। क्योंकि लिखा है, “जो अत्यन्त छोटी सी बात में विश्वासयोग्य है, वह बहुत में भी विश्वासयोग्य है। और जो अत्यन्त छोटी बात में बेईमान है, वह बहुत में भी बेईमान है।”(लूक 16:10) इसलिए हमें परमेश्वर की सारी शिक्षाओं का आदर करना चाहिए और आसपास के लोगों की भलाई के लिए अच्छा कर्म करने से परमेश्वर की महिमा प्रकट करनी चाहिए।
‘नई वाचा पापों को क्षमा करती है।’, इस वचन का ठीक मतलब है कि परमेश्वर उस समय के सारे पापों को नई वाचा के द्वारा क्षमा करता है, जब हम स्वर्ग में शैतान के प्रलोभन में आकर परमेश्वर का विरोध करते थे और जब स्वर्ग से निकाल दिए जाने के बाद संसार में सत्य न जानते हुए भटकते थे। इसलिए इसका मतलब ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता कि नई वाचा के सत्य को स्वीकार करने के बाद हम कोई भी पाप कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, सत्य में रहे परमेश्वर के लोग अगर पाप करें, तो उनका पाप क्षमा नहीं हो सकता।
परमेश्वर ने कहा है कि यदि कोई सत्य को स्वीकार करने के बाद फिर पाप करे, तो परमेश्वर कड़ाई से उसकी ताड़ना करके उसे सजा देगा।
“क्योंकि जो लोग एक बार ज्योति पा चुके हैं और स्वर्गिक वरदान का स्वाद चख चुके हैं तथा पवित्र आत्मा के भागी बनाए गए हैं, और परमेश्वर के उत्तम वचन का तथा आने वाले युग की सामर्थ का स्वाद चख चुके हैं, यदि वे भटक जाएं तो उन्हें मन–परिवर्तन के लिए फिर से नया बनाना असम्भव है, क्योंकि वे अपने लिए परमेश्वर के पुत्र को पुन: क्रूस पर चढ़ाते हैं और खुलेआम उसका अपमान करते हैं।”इब्र 6:4–6
“यदि सत्य का ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी हम जानबूझकर पाप करते रहें तो फिर पापों के लिए कोई बलिदान शेष न रहा, परन्तु दण्ड की भयानक प्रतीक्षा और अग्नि–ज्वाला शेष है जो विरोधियों को भस्म कर देगी। जो कोई मूसा की व्यवस्था का उल्लंघन करता है, वह दो या तीन लोगों की गवाही पर बिना दया के मार डाला जाता है। तो तुम्हीं सोचो कि वह व्यक्ति और भी कितने कठोर दण्ड का भागी होगा, जिसने परमेश्वर के पुत्र को पैरों से रौंदा और वाचा के लहू को, जिस के द्वारा वह पवित्र ठहराया गया, अपवित्र समझा और अनुग्रह के आत्मा का अपमान किया है!”इब्र 10:26–29
उद्धार के सत्य में आने के बाद, यदि कोई दुष्टों से बहकाया जाकर भटक जाए, तो उसे मन फिराव के लिए फिर नया बनाना असम्भव है। उसके पापों के लिए फिर कोई बलिदान बचा ही नहीं रहता, बल्कि फिर तो न्याय का भयानक इन्तजार ही बाकी रह जाता है।
पिछले दिनों में किए गए सारे पापों को, परमेश्वर ने नई वाचा के सत्य में मसीह के बहुमूल्य लहू से क्षमा किया है। इसके बावजूद, यदि कोई उस अनुग्रह को भूल कर फिर पाप करे, तो यह पाप ऐसा होता है जैसे वह वाचा के उस लहू को, जिसने उसे पवित्र किया था, एक अपवित्र वस्तु मानता है और यीशु मसीह को फिर क्रूस पर चढ़ाकर सबके सामने उसे अपमान का विषय बनाता है। इस तरह मसीह को अपमान का विषय बनाने वाला व्यक्ति कभी स्वर्ग नहीं जा सकता।
ऐसा नहीं है कि जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं और जो परमेश्वर की सन्तान होने का दावा करते हैं, वे सब उद्धार पाएंगे। आइए हम बाइबल के इतिहास को देखें। इब्राहीम के दो पुत्र थे, इसहाक और इश्माएल। दोनों में से इश्माएल जो शरीर के अनुसार जन्मा था, वारिस नहीं बना, और इसहाक जो आत्मा के अनुसार जन्मा था, वारिस बना। वास्तव में, यह दिखाता है कि माता परमेश्वर की सन्तान होने से हम परमेश्वर की सन्तान और वारिस हो सकेंगे।(गल 4:21–31 संदर्भ) और यह भी दिखाता है कि जो आत्मा की इच्छा नहीं, लेकिन शरीर की इच्छा पूरी करता है, वह परमेश्वर के राज्य का वारिस नहीं होगा।
“क्योंकि शरीर तो पवित्र आत्मा के विरोध में और पवित्र आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है। ये तो एक दूसरे के विरोधी हैं…अब शरीर के काम स्पष्ट हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, कामुकता, मूर्तिपूजा, जादूटोना, बैर, झगड़ा, ईष्र्या, क्रोध, मतभेद, फूट, दलबन्दी, द्वेष, मतवालापन, रंगरेलियां तथा इस प्रकार के अन्य काम हैं जिनके विषय में मैं तुम को चेतावनी देता हूं–जैसा पहले चेतावनी दे चुका हूं–कि ऐसे ऐसे काम करने वाले तो परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी न होंगे। परन्तु पवित्र आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, दयालुता, भलाई, विश्वस्तता, नम्रता व संयम हैं। ऐसे ऐसे कामों के विरुद्ध कोई व्यवस्था नहीं है। और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने अपने शरीर को दुर्वासनाओं तथा लालसाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है।”गल 5:17–24
“क्या तुम नहीं जानते कि दुष्ट लोग परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी न होंगे? धोखा न खाओ: न व्यभिचारी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न कामातुर, न पुरुषगामी, न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गालियां बकने वाले, और न लुटेरे, परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी होंगे।”1कुर 6:9–10
परमेश्वर ने कठोरता से शिक्षा दी है कि कोई व्यक्ति जो भले ही सिय्योन में निवास करता हो, यदि शरीर की इच्छा पूरी करे, तो वह परमेश्वर के राज्य का वारिस नहीं होगा।
परमेश्वर हमें कृपा देता है, जिससे दोनों पाप क्षमा किए जाते हैं जो हमने स्वर्ग में किया था और जो परमेश्वर को जानने से पहले गैर–मसीही के रूप में किया था। लेकिन यदि कोई नई वाचा के सत्य में होते हुए पाप करे और अधर्मी जीवन बिताए, तो परमेश्वर स्वर्ग में से उसका भाग उससे छीन लेगा। हमें बाइबल की ऐसी शिक्षा को भयभीत मन से मानना चाहिए।
हमने नई वाचा के सत्य को स्वीकार किया है, तो आइए हम बाइबल की शिक्षा को देखें कि हमें किस तरह से जीवन जीना चाहिए।
“परमेश्वर ने न केवल प्रभु को ही जिला उठाया, वरन् वह हमें भी वैसे ही अपनी सामर्थ्य से जिला उठाएगा। क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारे शरीर मसीह के अंग हैं?…क्या तुम नहीं जानते कि तुम में से प्रत्येक की देह पवित्र आत्मा का मन्दिर है, जो तुम में है और जिसे तुमने परमेश्वर से पाया है, और कि तुम अपने नहीं हो? क्योंकि तुम मूल्य देकर खरीदे गए हो: इसलिए अपने शरीर के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो।”1कुर 6:14–20
परमेश्वर ने कहा है कि ‘अपने शरीर के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो’। इसका मतलब है कि सिय्योन के लोगों को ऐसा सुन्दर जीवन जीना चाहिए जिसे संसार के लोग अपने जीवन का आदर्श मान कर अनुसरण कर सकें। भले ही हमने नई वाचा को स्वीकार किया है और स्वर्गीय पिता और माता को महसूस किया है, लेकिन यदि हम संसार के लोगों के समान सोचें और गन्दे काम करें, तो हम अविश्वासियों से अलग नहीं होंगे जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते।
एक बार किसी प्रोटेंस्टन्ट चर्च में एक व्यक्ति ने गलत शिक्षा पाई थी कि ‘यीशु ने हमारे पापों का भार अपने ऊपर उठाया है, इसलिए अब इस संसार में पाप नहीं है और हम कुछ भी कर सकते हैं’। इसे सुनकर उसने बूढ़े पति–पत्नी की हत्या कर दी जो रत्नों की दुकान चलाते थे। जब न्यायाधीश ने उससे हत्या करने का कारण पूछा, तब उसने कहा, “क्योंकि चर्च से मैंने सिखा है कि मेरा पाप क्षमा हुआ है, इसलिए मैं कुछ भी कर सकता हूं”।
यह परमेश्वर की शिक्षा नहीं है। जो खुद को मसीही कहते हुए पाप करता है, उसे केवल परमेश्वर के क्रोध व न्याय का इन्तजार करना पड़ेगा।
हम मसीही हैं जिन्होंने परमेश्वर से नई वाचा की शिक्षाएं पाई हैं। इसलिए हमें मसीह में बने रहते हुए संसार में ज्योति व नमक बनना चाहिए, ताकि संसार के लोग हमारी ऐसी प्रशंसा करें, “वे जो स्वर्गीय पिता और माता पर विश्वास करके उनकी शिक्षाओं को मानते हैं, सच में बहुत अच्छे और बढ़िया हैं” और इससे परमेश्वर की महिमा प्रकट कर सकेंगे।
“आज्ञाकारी बच्चों के सदृश अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के अनुसार आचरण न करो। परन्तु जैसे तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी समस्त आचरण में पवित्र बनो, क्योंकि यह लिखा है, “तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।” ”1पत 1:14–16
परमेश्वर ने हम सन्तानों को सिय्योन में बुलाया है, और धर्म के मार्गों एवं सीधे मार्गों पर हमारी अगुवाई करने के लिए हमेशा हमें कहता है कि अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो। हम परमेश्वर के पास आए हैं। इसलिए हमें अपने पुराने ग़लत आचरण से दूर होकर, जो हम परमेश्वर को न जानते समय रखते थे, वैसे पवित्र होना चाहिए जैसे परमेश्वर पवित्र है।
“तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें।”(मत 5:16 संदर्भ) यह भी परमेश्वर की आज्ञा है, इसलिए इसे पूरा करने का दायित्व हम पर रहता है। लेकिन इसके बावजूद, यह हमारी ज़िद होगी यदि हम परमेश्वर के इस वचन को अपनी इच्छा के अनुसार सोचें और इसकी व्याख्या करें।
“परन्तु अपने हठीले और अपरिवर्तित मन के कारण तू परमेश्वर के प्रकोप के दिन के लिए और उसके सच्चे न्याय के प्रकट होने तक, अपने लिए क्रोध संचित कर रहा है। परमेश्वर प्रत्येक मनुष्य को उसके कार्यों के अनुसार फल देगा। जो भले कार्यों की धुन में रह कर महिमा, आदर और अमरता के खोजी हैं, उन्हें वह अनन्त जीवन देगा, परन्तु जो स्वार्थमय अभिलाषाओं के वश में हैं और सत्य को नहीं मानते, वरन् अधर्म को मानते हैं, उन पर प्रकोप और क्रोध पड़ेगा। ”रो 2:5–8
परमेश्वर ने स्पष्ट रूप से हमें बताया है कि कठोर और हठीले मन वालों पर अन्तिम न्याय के दिन परमेश्वर का क्रोध भड़केगा। इसलिए सत्य में, लोग जो गलत तरीके से ऐसा हठी विश्वास करते हैं कि अनुचति व अधर्म का काम करते हुए भी स्वर्ग जा सकेंगे, वे परमेश्वर की सन्तान होने का अवसर खो चुके हैं।
हम ऐसे पापी हैं जो स्वर्ग में घोर पाप करके इस धरती पर निकाल दिए गए हैं। परमेश्वर ने इस धरती में हमें रखकर पश्चाताप करने का समय दिया है। तो हमें इसे ध्यान में रखना चाहिए कि इस धरती पर रहने की अवधि, हमारे लिए पापी के रूप में अपने पापों का पश्चाताप करने का समय है। लेकिन यदि हम इस धरती पर और ज्यादा पाप कमाएं, तो कैसे अनन्त स्वर्ग जा सकेंगे?
“यह न समझो कि मैं व्यवस्था या नबियों की पुस्तकों को नष्ट करने आया हूं। नष्ट करने नहीं, परन्तु पूर्ण करने आया हूं। क्योंकि मैं तुमसे सच कहता हूं कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं, व्यवस्था में से एक मात्रा या बिन्दु भी, जब तक कि सब कुछ पूरा न हो जाए, नहीं टलेगा। इसलिए जो भी इन छोटी से छोटी आज्ञाओं को तोड़ेगा और ऐसी ही शिक्षा दूसरों को देगा, वह परमेश्वर के राज्य में छोटे से छोटा कहलाएगा, परन्तु जो उनका पालन करेगा और दूसरों को भी सिखाएगा, वह परमेश्वर के राज्य में महान् कहलाएगा। क्योंकि मैं तुमसे कहता हूं कि जब तक तुम्हारी धार्मिकता शास्त्रियों और फरीसियों की धार्मिकता से बढ़कर न हो तो तुम परमेश्वर के राज्य में कभी प्रवेश न कर पाओगे।”मत 5:17–20
परमेश्वर सन्तान से चाहता है कि वे संसार के लोगों से भी और धार्मिक जीवन जीएं, और उसने बाइबल में हर एक चीज को बताया है जो हमें नई वाचा के सत्य में रहते हुए करना चाहिए। इसलिए आइए हम परमेश्वर के हर एक निवेदन को मन में रखें, और उन कर्तव्यों का एहसास करें, जिनका अपने शारीरिक व आत्मिक जीवन में पालन करना है, ताकि हम आचरण से सुन्दर एवं निष्कलंक होकर परमेश्वर की महिमा प्रकट कर सकें और नई वाचा की शिक्षाओं को लागू कर सकें।
आइए हम परमेश्वर के इस अनुग्रह के लिए धन्यवाद दें कि हमें नई वाचा से पापों की क्षमा दी है, और सही विश्वास के साथ केवल स्वर्गीय पिता और माता को देखते हुए, अनन्त स्वर्ग की ओर तेजी से दौड़ें। मैं उत्सुकता से आशा करता हूं कि हम सब स्वर्गीय पिता और माता की ऐसी धार्मिक एवं भली सन्तान बनें जो परमेश्वर के राज्य के वारिस बनने के योग्य हैं।