आपके संवाद की शुरुआत: आपके परिवार के सदस्यों को वे जैसे हैं वैसे स्वीकार करें

लोग जो दूसरों से स्वीकृति पाते हैं वे खुश होते हैं। लोग जो अपने परिवार से स्वीकृति पाते हैं वे और अधिक खुश होते हैं।

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एक पुत्रवधू ने सोया सॉस बनाया था जब उसकी सास बीमार थी। उसने ठीक वैसे बनाया था जैसा उसकी सास ने सिखाया था, लेकिन वह उसकी सास के सोया सॉस के जितना स्वादिष्ट नहीं था। उसे पता नहीं था कि क्या कमी थी, इसलिए उसने अपनी सास से मदद मांगी। तब बीमार सास ने ध्यान से उसकी बात सुनी और यह कहते हुए उठ खड़ी हुई कि, “मुझे पता है कि क्या गलती हुई है।” उनकी आंखें पहले से ज्यादा चमक रही थीं, और उसके चेहरे पर ताजगी भी आने लगी।

कैसे बीमार सास अपनी पुत्रवधू को सकारात्मक रूप से सहायता कर सकी जिसने उससे पूछा था कि उसके बनाए सोया सॉस में क्या गलती हुई थी? क्योंकि पुत्रवधू ने अपनी सास के सोया सॉस बनाने की कुशलता को अभिस्वीकार किया था। कुछ लोग जो पहले ऊर्जावान थे, अपनी आयु बढ़ने पर उदास हो जाते हैं। निस्संदेह इसका कारण शारीरिक रूप से कमजोर होना भी है, लेकिन बुनियादी रूप से, इसका कारण यह है कि उन्हें लगता है कि वे निरर्थक बन गए हैं। जैसे-जैसे आपके माता-पिता बूढ़े हो जाते हैं, उन्हें कुछ भी न करते हुए केवल घर पर बैठे रहने के लिए न कहें, लेकिन उन्हें कुछ ऐसा करने के लिए दें जिसे करने की कुशलता उनके पास है, और जब परेशानी आए तो उनसे उनकी राय मांगें। सभी के पास दूसरों के द्वारा स्वीकृत किए जाने की अभिलाषा होती है। जब उनकी अभिलाषा पूरी होती है, तो वे खुश और संतुष्ट होते हैं।

स्वीकृत किया जाना, मनुष्यों की अभिलाषाओं में से एक

दूसरे लोगों के द्वारा स्वीकृत किए जाने की अभिलाषा को “सामाजिक स्वीकृति की अभिलाषा” कही जाती है। यह मनुष्यों के जीवन को बनाए रखने और प्रजाति को संरक्षित रखने जैसी बुनियादी अभिलाषाओं में से एक है। अमेरिकी मनोविज्ञानी विलियम जेम्स ने कहा, “मनुष्यों की सबसे बड़ी अभिलाषा दूसरे लोगों के द्वारा स्वीकृत किए जाने की अभिलाषा है।”

छोटे बच्चे अपने माता-पिता के द्वारा स्वीकृत किया जाना चाहते हैं, छात्र अपने शिक्षकों के द्वारा, और कर्मचारी अपने बॉस के द्वारा स्वीकृत किया जाना चाहते हैं। जब उन्हें दूसरों के द्वारा स्वीकृत किया जाता है, तो उनका स्वाभिमान और आत्मविश्वास ऊंचा होते हैं, और उन्हें मनोवैज्ञानिक तौर पर स्थिरता महसूस होती है। चाहे किसी के पास बहुतायत से खाने के लिए भोजन और भौतिक वस्तुएं हों, यदि ऐसा कोई उनके साथ न हो जो उनसे कहे कि, “मैं तुम्हारे साथ होने के कारण खुश हूं,” या “तुम एक अच्छे व्यक्ति हो,” तो उन्हें जीवन खाली-खाली सा लगता है। जब उनकी स्वीकृत किए जाने की अभिलाषा पूरी नहीं होती, तो लोग निराशा और उत्साह की कमी से ग्रसित हो जाते हैं, और फिर उसे क्रोध के द्वारा प्रकट करते हैं। कुछ समय पहले अमेरिका में एक रिपोर्टर पर जो लाइव प्रसारण कर रही थी गोलीबार किए जाने की घटना, और कोरिया में नाके पर हुए गोलीबार की घटना के पीछे यही कारण था कि उन्हें लगा कि उनके सहकर्मियों ने उन्हें तुच्छ समझा।

यहां तक कि परिवार में भी, यदि लोगों को स्वीकृत नहीं किया जाता तो वे परेशान हो जा सकते हैं। परिवार का मुखिया परिवार का समर्थन करता है, और एक गृहिणी घर की देखभाल करती है, और एक छात्र यत्न से पढ़ाई करता है। इन सभी परिश्रम की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए लेकिन एक सौम्य और हार्दिक शब्दों के साथ उन्हें स्वीकृत किया जाना चाहिए। कैसा होगा यदि आपको पूरा संसार स्वीकृत करता हो लेकिन आपका परिवार स्वीकृत न करता हो? उसके विपरीत, चाहे परिवार के बाहर आप बहुत सी चीजों का सामना करते हों लेकिन यदि आपके परिवार के द्वारा आपको स्वीकृत किया जाए तो आपको बड़ी सांत्वना मिलती है। किसी की सराहना करने का अर्थ होता है कि लोग जिस कार्य को करने में अच्छे हैं उसके लिए अच्छी बात बोलना, और स्वीकृत करने का अर्थ होता है कि लोग चाहे अच्छे हो या बुरे उन्हें जैसे वे हैं वैसे ही स्वीकार करना। स्वीकृत करना सराहना का एक व्यापक रूप है, और वह स्वयं ही हौसला देता है।

आपके परिवार के सदस्यों को वैसे स्वीकार करें जैसे वे हैं

इस संसार में कोई भी 100 प्रतिशत एक समान नहीं होता। जैसे हम सब के पास अलग­अलग बाहरी रूप हैं, हम सब के पास अलग-अलग विचारशैली, व्यक्तित्व, चरित्र, और स्वभाव होते हैं। केवल इस कारण से कि आपको लाल लोबिया ब्रेड पसंद है, आप किसी ऐसे व्यक्ति को जिसे क्रीम ब्रेड पसंद है, “तुम गलत हो,” ऐसा नहीं कह सकते। उसी प्रकार से, जब किसी और के पास आपसे अलग विचार हो, तो इसका अर्थ यह नहीं कि वह गलत है। जब आप दूसरे लोगों और स्वयं के बीच में विभिन्नता को स्वीकार करने में असफल होते हैं, तो एक मतभेद पैदा होता है और आप और लोगों के बीच के संबंध में कुछ गड़बड़ होने लगती है।

परिवार के साथ भी वैसा ही होता है। पति और पत्नी एक दूसरे से अलग होते हैं, और वैसे ही सन्तान और माता-पिता भी एक दूसरे से होते हैं। एक घर ऐसी जगह होना चाहिए जहां परिवार के सदस्य एक दूसरों को वैसे ही स्वीकार करते हैं, जैसे वे हैं। ऐसा करने के लिए, आपको दूसरे सदस्यों को उनकी उम्र या लिंग के कारण तुच्छ नहीं समझना चाहिए। उदाहरण के लिए, आपको अपने बच्चे को कभी ऐसा नहीं कहना चाहिए कि “यह सब जानने के लिए तुम अभी बहुत छोटे हो,” या “चुप करके बड़ों की बात सुनो,” या अपने पति या पत्नी से नहीं कहना चाहिए कि “तुम्हें क्या पता है?” इस प्रकार की बातें सुननेवालों को बहुत उदास कर देती हैं। इसलिए, आपको ऐसा कुछ कभी नहीं कहना चाहिए।

कोई भी संपूर्ण नहीं बन सकता; हर कोई गलती करता है। एक घर ऐसी जगह है जहां लोग एक दूसरे की कमियों को भरते हैं और एक दूसरे का आलिंगन करते हैं। माता­पिता जो अपने बच्चों के सामने संपूर्ण दिखना चाहते हैं और चाहते हैं कि उनके बच्चे भी संपूर्ण बनें, वे थक जाते हैं और अपने बच्चों को भी थका देते हैं। एक संपूर्ण पति या पत्नी या संपूर्ण परिवार कहीं नहीं होता। लेकिन, इसका यह अर्थ नहीं कि आप कोशिश भी न करें। जब आप अपने परिवार के सदस्यों, अपनी गलतियों और अपने पर्यावरण को वैसे ही स्वीकार करते हैं जैसे वे हैं, और उन्हें बेहतर बनाने का रास्ता खोजने की कोशिश करते हैं, तो एक बेहतर भविष्य होगा।

कैसे दूसरों को स्वीकार करें

किसी व्यक्ति को स्वीकार किए जाने का अहसास 30 प्रतिशत आपके शब्दों से और 70 प्रतिशत आपके चेहरे के हाव भाव और व्यवहार से होता है। चाहे आपने कुछ अच्छी बात कही हो, लेकिन आपके व्यवहार के अनुसार सुननेवाले को वह नकारात्मक भी लग सकता है। बातचीत करते समय, यह बहुत जरूरी है कि आप उनकी आंखों में देखें, मंद मुस्कान धारण करें, और इस पर ध्यान दें कि वे क्या कहने की कोशिश कर रहे हैं। यदि आप आपसे बात कर रही व्यक्ति को देखने के बजाय कहीं और देखें, या बातें करते समय नाक-भौं चढ़ाएं, या अचानक से विषय बदल दें, तो वह व्यक्ति जिससे आप बात कर रहे हैं सोच सकती है कि उसकी उपेक्षा की जा रही है।

चाहे आप किसी दूसरे व्यक्ति के विचार से सहमत न हों, अच्छा होगा यदि आप पहले उसके विचार से सहमति दिखाएं और फिर बाद में अपना विचार बताएं। यदि आप केवल इसलिए दूसरे व्यक्ति के विचार को अनदेखा करें क्योंकि वह आपको पसंद नहीं आया, या उसके विचार में केवल कुछ गड़बड़ खोजने की कोशिश करें, तो वह संवाद जल्दी ही खत्म हो जाएगा।

जब आप किसी की सहायता मांगते हैं, तो यदि आप यह जताएं कि आप उसे कितना योग्य मानते हैं तो वह और भी प्रभावशाली होगा। इन में से क्या सुनना अच्छा लगेगा, “बाकी सभी व्यस्त हैं, इसलिए यह तुम्हें करना होगा!” या “तुम ही एक मात्र व्यक्ति हो जो यह कर सकता है। मुझे तुम पर भरोसा है!”? किसी भी संवाद के लिए एक दूसरे को स्वीकार करना एक बुनियादी शर्त है। इसलिए, आपको दूसरे व्यक्ति को यह महसूस कराना चाहिए कि आप उसकी उपेक्षा नहीं कर रहे, लेकिन उसे स्वीकार कर रहे हैं।

कन्फ्यूशियस ने कहा था, “यदि लोग आपकी योग्यताओं को न पहचानें तो चिंता मत करो; लेकिन इसकी चिंता करो कि यदि आप उनकी योग्यताओं को न पहचान पाएं।” बाइबल भी कहती है कि “जो कुछ तुम चाहते हो कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो(मत 7:12)।” यदि आप दूसरों के द्वारा स्वीकृति पाना चाहते हैं, तो पहले आपको उन्हें स्वीकार करना होगा। सबसे पहले अपने परिवार को देखिए। देखिए कि कहीं आप बहुत आसानी से उनकी उपेक्षा तो नहीं कर रहे और उनके साथ लापरवाही से तो पेश नहीं आ रहे। देखिए कि कहीं आप इसलिए उनसे बात करने को नापसंद तो नहीं करते क्योंकि आप सोचते हैं कि वे आपको नहीं समझेंगे। यह बात कभी न भूलें कि संवाद केवल तब ही शुरू होता है जब आप किसी को वैसे ही स्वीकार करते हैं जैसे वे हैं।