सर्दी के दिनों में, जब तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, तो धीमी गति से बहने वाली नदी और जमीन पर एक चौक ठोस बर्फ में बदल जाता है कि कोई भी उस पर फिसल सकता है। इसके विपरीत, जब पानी को गर्म किया जाता है, तो वह भाप बन जाता है। तरल पानी हवा में उड़ नहीं सकता, परन्तु तब उड़ सकता है जब वह भाप में बदल जाता है।
यह सिद्धांत परमेश्वर की संतानों पर भी लागू होता है। जैसा कि माता ने कहा, यदि हम स्वर्गीय लोगों के रूप में नए सिरे से जन्म लें, तो हर बात में धन्यवाद देना आसान हो जाएगा, चाहे पहले इसे अभ्यास में लाना मुश्किल था। सदा आनन्दित रहना और निरंतर प्रार्थना करना हमारा दैनिक जीवन बन जाएगा। हम निश्चित रूप से अपने भाइयों और बहनों से अपने समान प्रेम रख सकते हैं और एक आत्मा को भी आसानी से बचा सकते हैं। परन्तु हम इसे अकेले नहीं कर सकते; हमें सहायता लेनी चाहिए। जिस तरह बाहरी उत्तेजना के बिना पानी नहीं बदल सकता, उसी तरह हम बिना सहायता के नहीं बदल सकते। तो आइए परमेश्वर से सहायता मांगें जो सब से दुर्बलों को एक सामर्थी जाति बना देते हैं।
“तुम पिछले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमानेवाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो। और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ, और नये मनुष्यत्व को पहिन लो जो परमेश्वर के अनुरूप सत्य की धार्मिकता और पवित्रता में सृजा गया है।” इफ 4:22-24