धन्यवाद देना, खुश परिवार का एक अत्यावश्यक सदगूण

हर परिवार जो परमेश्वर की सेवा करता है निरंतर धन्यवाद देता है। यदि हमारे पास एक सकारात्मक मन हो, तो हम हर बात के लिए कृतज्ञ होते हैं।

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1990 में, नेल्सन मंडेला जातिवाद के विरोध के लिए लड़ने के कारण 27 साल कैद में रहने के बाद रिहा हुआ। लोगों ने सोचा कि चूंकि वह 70 साल की आयु का हो गया था तो वह बहुत बूढ़ा दिखाई पड़ेगा। लेकिन, जब वह जेल से बाहर आया तो उसने लोगों को चकित कर दिया, क्योंकि वह बहुत ही स्वस्थ और जोशपूर्ण लग रहा था। एक पत्रकार ने उसकी सेहत के रहस्य के बारे में पूछा, तो उसने यह उत्तर दिया:

“मैंने जेल में हमेशा परमेश्वर को धन्यवाद दिया। मैं ने ऊपर आकाश को देखते हुए, परमेश्वर का धन्यवाद किया। मैं ने नीचे जमीन को देखते हुए, परमेश्वर को धन्यवाद दिया। मैं ने पानी पीते हुए, परमेश्वर को धन्यवाद दिया। मैं ने खाते समय धन्यवाद दिया। मैं ने मजदूर शिविर में काम करते समय भी धन्यवाद दिया। मैं इसी कारण स्वस्थ रह सका क्योंकि मैं ने हमेशा धन्यवाद दिया।”

एक विश्व विद्यालय की छात्रा एक कार अकस्मात में पूरे शरीर पर थर्ड डिग्री तक जल गई थी। पहले वह सुंदर और जानदार थी, लेकिन अब सब कुछ चला गया था। वह पूरे शरीर पर पट्टी बांधे हुए अपने बिस्तर पर पड़ी थी, और एक उंगली भी नहीं हिला सकी। वह बहुत निराश हो गई थी और मरना चाहती थी। चाहे उस पर 30 से ज्यादा ऑपरेशन किए गए ताकि वह पूर्वदशा स्थिति में आ जाए, लेकिन वह अपना आग से पिघल गया चेहरा वापस न पा सकी। लेकिन अब, वह बहुत खुश है। यह ‘जी सन, आई लव यू’ नामक पुस्तक की लेखिका ली जी सन की कहानी है।

उसके अंगूठे को छोड़ उसकी सभी उंगलियों की हड्डी जल गई थी, इसलिए जब वह हर उंगली के जोड़ को काटने के ऑपरेशन के लिए जा रही थी, तो उसने कहा कि वह उस में धन्यवाद देने योग्य कुछ बात को खोजने लगी। वह इस बात से कृतज्ञ थी कि वह अपने बाएं हाथ की उंगली से जो दाएं हाथ से थोड़ी लंबी थी अपनी चाप्स्टिक को पकड़ सकती थी; वह इस बात के लिए कृतज्ञ थी कि वह स्वयं अपने चम्मच को उठा सकती थी; वह इस बात से कृतज्ञ थी कि वह अपने मरीज के कपड़े स्वयं पहन सकती थी; और वह इस बात के लिए भी कृतज्ञ थी कि वह स्वयं ही सीढी से ऊपर नीचे आ-जा सकती थी। उसने धन्यवाद देते हुए अपना जीवन वापिस पाया और उसने कहा, “धन्यवाद देना एक ऐसी आदत है जिससे चमत्कार होता है।”

उन्होंने साबित किया कि जब हम हमारे जीवन में सब से नीचे के स्थान पर गिर जाते हैं, तो धन्यवादी मन एक रस्सी की तरह है जो हमें उज्ज्वल ज्योति की ओर अगुवाई करता है। केवल ऐसी नाटकिय परिस्थितियों में ही नहीं, लेकिन ऐसे बहुत से लोगों के मामलों में भी जो सामान्य रूप से बहुत धन्यवाद करते हैं, वे आमतौर पर दूसरे लोगों के साथ सामंजस्य रखते हैं, और अपने आप को अभागा नहीं मानते। धन्यवाद करने वाले परिवार में संवाद के विषय में कोई समस्या नहीं होती। यदि एक परिवार परमेश्वर पर विश्वास करता है, तो उसके सदस्यों को तो और भी ज्यादा धन्यवादी मन से भर जाना चाहिए। क्यों? क्योंकि वह परमेश्वर की इच्छा है।

धन्यवाद देने की अच्छी आदत का अभ्यास करना

1. क्या हमें केवल तभी धन्यवाद देना चाहिए जब सब कुछ अच्छा हो?

“जब आपका किशोर वय का बेटा आप को सामने जवाब देने लगे, तो इसका अर्थ है कि आपकी सन्तान सड़कों पर इधर उधर भटक नहीं रही, लेकिन घर ही पर है। यदि आप को टैक्स देना पड़ता है, इसका अर्थ है कि आप के पास नौकरी है। यदि किसी पार्टी के बाद बहुत सी थालियां धोने को है, तो इसका अर्थ है कि आपने अपने दोस्तों के साथ एक अच्छा समय बिताया है। यदि आप एक तेज अलार्म से सुबह बहुत जल्दी उठ गए, तो इसका अर्थ है कि आप अभी भी जिंदा हैं।”

आप को धन्यवाद देने के लिए किसी अच्छी बात के होने का इंतजार नहीं करना चाहिए। बहुत से लोग सोचते हैं कि, ‘जब धन्यवाद देने योग्य कोई बात ही नहीं है, तो मैं किस बात में धन्यवाद करूं?’ परन्तु, धन्यवाद देना इस पर निर्भर नहीं करता कि आपके साथ कितनी ज्यादा या कितनी विशेष वस्तुएं हैं, लेकिन वह आपके विचार पर निर्भर करता है।

2. यह ढूंढ़ने के लिए कि किस बात में धन्यवाद करना चाहिए, सकारात्मक विचार रखना चाहिए

लोग जो आलोचनावादी, असंतुष्ट, और नकारात्मक होते हैं वे ऐसी स्थिति में होते हुए भी जहां उन्हें धन्यवाद देना चाहिए, धन्यवाद नहीं करते। जिस प्रकार एक अंधेरे बगीचे में फूलों और पेड़ों को देखने के लिए हमें टार्च से उजियाला करना पड़ता है, ठीक उसी प्रकार जब हम संसार पर सकारात्मक विचारों की रोशनी डालते हैं तब हम धन्यवाद देने योग्य बातें खोज सकते हैं।

यदि हमारे पास सकारात्मक विचारधारा हो, तो हम छोटी बातों में भी धन्यवाद दे सकते हैं, और यदि हम धन्यवादी मन से जीवन जीएं, तो हम खुश रह सकते हैं। सकारात्मक विचारधारा, धन्यवाद, और खुशी यह सभी एक ही डोर से बंधे हुए हैं। एक ही गुलाब को देखकर, कुछ लोग उसके कांटों के बारे में शिकायत करते हैं, जब कि कुछ दूसरे लोग इस बात के लिए धन्यवाद करते हैं कि कांटों से भरी डाली में से भी गुलाब का फूल खिलता है। तब उनमें से कौन खुश रह सकेगा? कुछ लोग सुबह उठते हैं और काम पर जाने के रास्ते में सोचते हैं कि, ‘मुझे आज फिर से काम पर जाना पड़ता है। मैं अब इससे तंग आ चुका हूं,’ जबकि कुछ दूसरे लोग इस बात के लिए धन्यवाद देते हैं कि उनके पास एक नौकरी है। यह स्पष्ट है कि कौन हल्के और खुशमय मन से काम पर जाएगा।

3. संसार में सब वस्तुओं का कुछ मूल्य होता है

जब हम हमारे आस-पास देखें, तो ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनके लिए हम धन्यवाद दे सकते हैं। लेकिन, हम उन के लिए धन्यवाद देने का मौका गंवा देते हैं क्योंकि हम अक्सर उन चीजों का मूल्य नहीं समझते। यदि हम दूसरे लोगों की दयालुता का मूल्य न समझें और उसे अपना अधिकार समझ लें, तो स्वभावत: उसके लिए धन्यवाद देना मुश्किल हो जाएगा। हमारे परिवार के सदस्यों के साथ के हमारे व्यवहार में भी ऐसा ही होता है। यदि ऐसा कोई परिवार है जहां पत्नी अपने पति के मेहनत से काम करने की कदर नहीं करती, और पति अपनी पत्नी के घरेलु काम-काज करने को समझकर उसकी कदर नहीं करता, और सन्तान यह नहीं जानते कि उन्हें खिलाने वाले, कपड़े खरीदकर देनेवाले, और उनकी पढ़ाई में मदद करने वाले अपने माता-पिता की कदर कैसे करते हैं, तब वे अपने परिवार में खुशी नहीं ढूंढ़ सकेंगे।

4. विभिन्न स्तर के धन्यवाद होते हैं

किसी बात के लिए धन्यवाद करना स्वयं में ही सुंदर है, लेकिन विभिन्न स्तर के धन्यवाद होते हैं: पहला स्तर “हेतुमय धन्यवाद” है – “मैं केवल ‘तभी’ धन्यवाद करूंगा जब मेरी इच्छा के अनुसार कोई बात होगी।” धन्यवाद का दूसरा स्तर “धन्यवाद–क्योंकि” है – “जहां केवल मेरी इच्छा से कुछ हुआ इस वजह से मैं धन्यवाद देता हूं।” धन्यवाद का तीसरा स्तर, जो सब से उच्च स्तर का धन्यवाद है, “उसके बावजूद धन्यवाद” है – “जहां किसी कारण या परिस्थिति के न होने पर भी मुश्किल और कठिन बातों के बावजूद धन्यवाद दिया जाता है।” ज्यादातर लोग जो धन्यवाद के साथ अपने दुर्भाग्य से जीतते हैं, वे इसी तीसरे स्तर का धन्यवाद देते हैं। यदि हम परिस्थिति के सुधार होने तक इंतजार करेंगे, तो धन्यवाद देने का मौका शायद कभी नहीं आएगा। मुश्किल परिस्थितियों में धन्यवाद देना आसान नहीं होता, लेकिन धन्यवाद देना जितना ज्यादा कठिन है, उतना ही हम उनसे बड़े लाभ पा सकते हैं।

धन्यवाद संज्ञा नहीं, लेकिन क्रियापद है

एक घंटी तब तक घंटी नहीं जब तक कोई उसे बजाए नहीं।
एक गीत तब तक गीत नहीं जब तक कोई इसे गाए नहीं।
प्रेम तब तक प्रेम नहीं जब तक आप उसे व्यक्त न करें।
कोई आशीष तब तक आशीष नहीं जब तक आप उसके लिए धन्यवाद न दें।
जब आप उसके लिए धन्यवाद देते हैं तब वह आशीष बन जाती है।

जब चीजें कार्यों के साथ की जाएं तो वे और चमकने लगती हैं। कभी-कभी, हम सोचते हैं कि व्यक्त किए बिना केवल धन्यवादी मन रखना भी काफी है। लेकिन, जब व्यक्त किया जाता है तो धन्यवाद और भी भाववाहक बन जाता है। केवल धन्यवादी मन रखने के बजाए, जब हम उसका साझा करते हैं तो लगाव और भरोसा बनाया जा सकता है।

जब कोई हमारे साथ छोटी सी भी मेहरबानी करता है, तो हम बहुत आसानी से हमारा धन्यवाद व्यक्त करते हैं, लेकिन हम अक्सर हमारे परिवार के सदस्यों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना भूल जाते हैं, क्योंकि हम सोचते हैं कि परिवार के सदस्यों को पता चलेगा कि एक दूसरे को कैसा महसूस होगा। यह बात उस विचार से शुरू होती है कि हमारा परिवार हमेशा के लिए हमारे साथ ही रहने वाला है। जब हम कृतज्ञ महसूस करते हैं, तो हमें हमारे परिवार के प्रति धन्यवाद व्यक्त करना ही चाहिए। जब हम कृतज्ञ होते हैं और हमारा धन्यवाद व्यक्त करते हैं, तो हम और भी बहुत सी चीजें प्राप्त कर सकते हैं। हम केवल दूसरों को ही नहीं लेकिन स्वयं को भी प्रसन्न कर सकते हैं। और ऐसा भी होगा कि, जिन्हें धन्यवाद किया गया हो वे भी कोशिश करेंगे कि धन्यवाद कहने वाले व्यक्ति को प्रसन्न करने के लिए कुछ ज्यादा करें, और इस तरह से, ज्यादा से ज्यादा बातें होती रहेंगी जिनके लिए धन्यवाद किया जा सके। इसलिए, धन्यवाद व्यक्त करने में सबसे बड़ा उपकारी वही व्यक्ति है जो धन्यवाद व्यक्त करता है।

बाइबल में, दाऊद ने परमेश्वर को धन्यवाद देने पर सर्वश्रेष्ठ प्रशंसाएं और बहुत सी आशीषें प्राप्त की थीं। परमेश्वर ने कहा कि वह उनके मन के अनुरूप मनुष्य है। एक मशहूर टॉक शो की मेजबान ओप्रा विनफ्रे ने कहा था कि उसकी सफलता की कुंजी उसकी धन्यवाद की डायरी है। वह अपने पूरे दिन को देखती है और उसमें से उन बातों को डायरी में दर्ज करती है जिसके लिए वह धन्यवाद देना चाहती है। वहां कोई बड़ी बड़ी बातें नहीं लिखी जातीं, बल्कि छोटी छोटी बातें जैसे कि निले आकाश को देखा, स्वादिष्ट भोजन खाया, अपने गुस्से को नियंत्रित कर पाई, ईत्यादी। अच्छा होगा कि आपके पास निजी धन्यवाद की डायरी हो, लेकिन यह और भी अच्छा होगा कि पूरा परिवार एक ही धन्यवाद डायरी में अपने मन की बातें लिखें, क्योंकि वह उनके आपस में बातचीत का मौका बनेगा।

गांधी ने कहा था कि आप की खुशियों की मात्रा आप के धन्यवाद की मात्रा के जितनी होती है। चूंकि धन्यवाद और खुशी अनुपाती होते हैं, जैसे जैसे आप धन्यवाद के ढेर लगाते हैं, वैसे वैसे खुशियों के ढेर भी अपने आप लग जाते हैं।

धन्यवाद देने की सामर्थ्य

धन्यवाद देने से, आप बहुत सी चीजों को प्राप्त करते हैं, लेकिन साथ ही आप बहुत सी चीजों को खोते भी हैं। आप तनाव, निराशा, अकेलापन, गुस्सा, लोभ, सरोकार, चिंताएं, और ईत्यादी जैसे चीजों से जो आपके शरीर पर नकारात्मक असर लाती हैं, मुक्त होते हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यायल के प्रोफेसर, रोबर्ट एम्मोंस ने दस सालों तक अनुसंधान किया और यह साबित किया कि धन्यवाद देने के द्वारा हम एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन पा सकते हैं। लोगों का वह दल जिन्होंने प्रतिदिन पांच चीजों का नाम लिखा जिनके लिए धन्यवाद करना चाहिए, वे दूसरे दल के मुकाबले जिन्होंने ऐसा नहीं किया था ज्यादा स्वस्थ, अधिक सकारात्मक दिखे, और उनमें निराशा और तनाव का स्तर भी कम देखा गया।

निराशा लोगों की जान भी ले सकती है। ऐसी निराशा के लिए प्राकृतिक उपचार धन्यवाद देना ही है। इसलिए ऐसा कहना अधिक नहीं कहलाएगा कि धन्यवाद देने में लोगों की जान बचाने की सामर्थ्य है। लोग जो हमेशा धन्यवाद देते हैं वे आसानी से अपने क्रोध को शांत कर सकते हैं, क्योंकि कृतज्ञता और नकारात्मक भावनाएं एक साथ नहीं रह सकतीं।

यदि हम स्वयं की तुलना दूसरों से करें, तो अपनी अपेक्षाओं के पूरी न होने पर हम लोभी, थके हुए, चिंतित और क्रोधित बन जाते हैं। उसके विपरीत, यदि हम हमारी वास्तविकता से संतुष्ट होकर, धन्यवादी जीवन जीएं, तो हम उन सभी बुरी अनुभूतियों से दूर रह सकते हैं जो हमें लोभी बनाती हैं।

तल्मूड कहता है, “इस संसार में सबसे बुद्धिमान मनुष्य वह है जो सीखता है, और सबसे ज्यादा खुश मनुष्य वह है जो धन्यवाद देता है।” एक कहावत ऐसी भी है कि, “खुशी हमेशा धन्यवाद के दरवाजे से अंदर आती है और शिकायत के दरवाजे से बाहर जाती है।” खुशी धन्यवाद के साथ-साथ चलती है। आइए हम सबसे ज्यादा मूल्यवान लोगों यानी हमारे परिवार के सदस्यों के प्रति हमारी कृतज्ञता को व्यक्त करें। धन्यवाद में कुछ भी बहुत ज्यादा नहीं होता। यह अच्छा है कि हम उमड़ने तक धन्यवाद देते रहें।