सबसे बड़ा निर्णय

इलोइलो, फिलीपींस से चाल्र्स टेसपोएर

6,480 बार देखा गया

अगस्त 2012 में एक दिन मेरे दोस्त ने मुझे उत्पत्ति की पुस्तक के वचनों से शुरू करके बाइबल का एक चौंका देने वाला रहस्य बताया। वचनों को सुनकर मैं तो बहुत अभिभूत हो गया, लेकिन मैं सिर्फ खुश ही नहीं हो सकता था, क्योंकि मुझे यह चिंता सताती थी कि मेरे माता–पिता जिनकी कैथोलिक चर्च में उत्साहपूर्ण आस्था है, इसका विरोध करेंगे। तीन हफ्तों तक सोच–विचार करने के बाद, मैंने आखिरकार सत्य को स्वीकार कर लिया। मेरे लिए यह आसान निर्णय नहीं था, पर उस समय भी और अब भी मुझे इसका कोई पछतावा नहीं है।

स्वर्गीय माता का पालन करने का निर्णय लेना मेरे जीवन में सबसे महान निर्णय था।

जिस सत्य ने मेरे मन को सबसे ज्यादा रोमांचित किया, वह बेशक स्वर्गीय माता के बारे में सत्य था। जब से मैं छोटा था, तब से मेरे अंदर यह सवाल हमेशा उठता था कि क्या पिता परमेश्वर के पास पत्नी नहीं है? स्वर्गीय माता के अस्तित्व ने यह साबित किया कि मेरा विचार बेतुका नहीं है।

माता जो अपनी संतानों की आत्माओं को बचाने के लिए बिना आराम किए हुए अपने आप को बलिदान करती हैं और जीवन का जल देती हैं, उनका प्रेम संसार में सबसे महान और सबसे श्रेष्ठ है। उस प्रेम ने मुझे धीरे धीरे बदल दिया। सत्य को स्वीकार करने से पहले मैं दोमुंहा व्यक्ति था। मैं तो बाहर से विश्वास में खरा दिखता था और लोगों के सामने एक नम्र व्यक्ति होने का दिखावा करता था, लेकिन मेरे अंदर नकारात्मक सोच और अन्धकार छाया रहता था। मैंने अपने आपको स्वर्गीय माता के अन्दर रहते हुए धीरे–धीरे बदलते हुए पाया। प्रचार के द्वारा ही मैंने यह भी सीखा कि मैं कैसे अपने भाइयों और बहनों से सच में प्रेम कर सकता हूं और कैसे एक सच्चा ईसाई बन सकता हूं।

जब मैंने अपने दोस्त को बाइबल के वचनों का प्रचार किया, उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया। इसके अलावा, मुझे छोटी–मोटी परेशानियां थीं, लेकिन मेरे लिए ये ज्यादा बड़ी समस्या नहीं थी। लगातार प्रयास करने के द्वारा, मैंने एक सुंदर फल भी उत्पन्न किया। एक विद्यार्थी ने जिससे मैं कैंपस में मिला था, सत्य को स्वीकार किया और सुसमाचार का एक उत्साही सेवक बन गया।

इस तरह अद्भुत और सार्थक दिन बिताने के दौरान, एक चीज ने मुझे जकड़ लिया। वह किसी का अत्याचार या कोई परीक्षा नहीं थी, परन्तु वह मेरी शांतिमय और व्यस्त दिनचर्या थी। सही कहूं, तो वह बस एक बहाना था। मेरे सामने कोई एक स्पष्ट लक्ष्य नहीं था, इसलिए सुसमाचार के कार्य के प्रति मेरा जुनून धीरे धीरे ठंडा पड़ गया। मेरी स्कूल की व्यस्त दिनचर्या एक बहाना बन गई, और मैं प्रचार में आलस करने लगा। बाद में भले ही मेरे पास समय था, लेकिन मैंने सुसमाचार के लिए कोई कार्य नहीं किया।

एक रात मुझे सपना आया। सपने में मैं भाइयों और बहनों के साथ सफेद घोड़े पर सवार होते हुए उड़ रहा था। अन्य सभी भाई–बहनें सीधे स्वर्ग चले गए, लेकिन मैं ऊपर नहीं जा सका और आधे रास्ते में ही मैं नीचे गिर गया। मैं अनुमान भी नहीं लगा सकता कि नींद से जागने के बाद मैं डर से कितना ज्यादा थर–थर कांप रहा था। मुझे लगा कि वह सपना मुझे मेरे विश्वास का परिणाम दिखा रहा है जो अपनी दिशा खो चुका है।

उसके बाद मैंने उन सभी व्यर्थ लालचों को जिन्हें मैंने ऊंची प्राथमिकता दी थी, जल्द ही अपने हृदय से एक–एक करके बाहर निकाल फेंका और अपने आपको सुसमाचार के कार्य के लिए समर्पित करने की कोशिश की। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मेरी आत्मा नींद से जाग उठ रही है, और हर दिन मैं खुशियों और धन्यवाद से भरता गया।

उस बीच, मैं एक युविका से मिला। जब मैंने उससे पूछा कि क्या उसने कभी स्वर्गीय माता के बारे में सुना है, तब वह बहुत खुश हुई और कहा कि वह हमसे बहुत मिलना चाहती थी। चूंकि मेरे साथ यह पहली बार हुआ, मैं हक्का–बक्का रह गया। तब उसने मुझे अपनी कहानी बताई।

थोड़े समय पहले, वह अपनी एक दोस्त से जिसने चर्च ऑफ गॉड जाना शुरू किया था, बाइबल के कुछ विश्वासनीय वचन सुनकर अत्यन्त हैरान हो गई, और वह अपनी दोस्त के पीछे–पीछे उसके चर्च में जाना चाहती थी। मगर चूंकि उसकी दोस्त ने अभी–अभी चर्च में जाना शुरू कर दिया था, इसलिए वह नहीं जानती थी कि उसे कैसे दूसरे व्यक्ति की अगुवाई करनी चाहिए, और उसने उससे अपने साथ चर्च चलने के लिए कहने के बजाय सिर्फ यह कहा कि, “बस तुम इंतजार करो। एक दिन तुम जरूर चर्च ऑफ गॉड के सदस्यों से मिल पाओगी।” इसलिए उसने चर्च ऑफ गॉड के लोगों से मिलने के लिए परमेश्वर से प्रार्थना की, और कुछ दिनों के बाद वह हमसे मिल सकी।

बहन क्रिजेट ने चर्च ऑफ गॉड में जहां वह बड़ी उत्सुकता से आना चाहती थी, परमेश्वर की एक सच्ची संतान के रूप में नए सिरे से जन्म लिया। जल्द ही सुसमाचार की सेविका के रूप में उसका विकास हुआ, और उसकी दोस्त जिसने उसे पहली बार सत्य बताया था, उसका विश्वास भी अधिक बढ़ गया, और वह सिय्योन में अब आशीष पाने के लिए कुछ भी काम करने को तैयार रहती है।

जब भी मैं बहनों को परमेश्वर की बांहों में बहुत खुश देखता हूं, मैं महसूस कर पाता हूं कि सुसमाचार का प्रचार करने का मिशन कितना मूल्यवान है। तीन हफ्तों तक गहरा सोच–विचार करने के बाद सत्य को स्वीकार करना यह मेरे लिए जितना बुद्धिमान निर्णय था, उतना ही सुसमाचार के प्रति अपने आपको समर्पित करना भी मेरे लिए एक बुद्धिमान निर्णय था। मैं स्वर्गीय माता को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मेरे विश्वास को दृढ़ किया है ताकि मैं हमेशा एक सही निर्णय ले सकूं।

जीवन जीने के दौरान हर कोई अनगिनत बार उस मोड़ पर खड़ा होता है जहां उसे चुनाव और निर्णय करना चाहिए। आपने जो निर्णय लिया है उसके कारण कभी–कभी आप खुशियां पाते हैं या दुर्भाग्य का सामना करते हैं। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण निर्णय आत्मिक दुनिया से संबंधित निर्णय है। स्वर्गीय माता अब भी अपना बलिदान करते हुए संसार के सभी लोगों के लिए सत्य का प्रकाश–स्तंभ बनती हैं, ताकि वे एक सही निर्णय ले सकें। माता के उदाहरण का पालन करते हुए मैं लगन और मेहनत से उन आत्माओं को सुसमाचार का प्रचार करूंगा जो यह न जानते हुए कि वे कहां से आई हैं और वे कहां जा रही हैं, भटक रही हैं।