न थकते हुए और हार न मानते हुए

दक्षिण अफ्रिका में केप टाउन चर्च

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‘केप टाउन साइकिल टूर’ बड़े पैमाने पर होने वाला एक अंतरराष्ट्रीय साइकिल दौड़ है, जिसमें दुनिया भर से 35,000 से अधिक साइकिल चालक भाग लेते हैं, और 2,500 से अधिक स्वयंसेवक इस कायक्रम के संचालन के लिए काम करते हैं। 11 मार्च 2018 को केप टाउन सिय्योन के 70 से अधिक सदस्यों ने इस कायक्रम का समर्थन किया।

चूंकि यह कायक्रम सुबह जल्दी शुरू होने वाला था, इसलिए हम भोर 3 बजे इकट्ठे हुए और चालीस मिनट तक गाड़ी चलाने के बाद कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए। हमें एक पहाड़ के मध्य भाग में आराम स्थल पर जो कोर्स के बीच में था, साइकिल चालकों को प्रोत्साहित करना था। चूंकि वहां कोई सड़क की बत्तियां या बिजली नहीं थीं, इसलिए चारों ओर घोर अंधेरा था। इसके लिए धन्यवाद, हम खूबसूरती से चमक रहे सितारों को वाह-वाह करते हुए देख सके।

दौड़ शुरू होने के कुछ देर बाद, साइकिल चालक एक-एक करके दिखाई देने लगे। समय बीत जाने पर, अधिक से अधिक साइकिलें दिखाई दीं, और बाद में, साइकिल लगातार आती रही थीं। हमने उन साइकिल चालकों को जिन्होंने आराम स्थल में प्रवेश किया, पेय देकर रोमांचक नृत्य के साथ उन्हें प्रोत्साहित किया। साइकिल चालकों ने जो हमारे उत्साहपूर्ण प्रोत्साहन से उत्साहित हो गए, थम्स-अप का इशारा किया या हमें हाई फाइव दिया। प्रतिभागयों में से एक ने अपना आभार व्यक्त्त करते हुए कहा, “मैंने कई अलग-अलग देशों में साइकिल दौड़ में भाग लिया था, लेकिन मैंने आपके जैसे समर्थकों को कभी नहीं देखा।”

दक्षिण अफ्रिका की एक सार्वजनिक सेवा प्रसारक के द्वारा यह दौड़ प्रसारित की गई थी, और उसमें हमारा स्वयंसेवा कार्य भी दिखाया गया था। हमें उन भाइयों और बहनों पर बहुत गर्व महसूस हुआ जिन्होंने हरे रंग के वास्कट पहनकर “वी लव यू” लिखे गए प्लेकार्ड को पकड़ते हुए और विनम्रता से पेय देते हुए लोगों को प्रोत्साहित किया।

हमारा स्वयंसेवा कार्य भोर से शुरू होकर दोपहर 2 बजे खत्म हुआ था। सुबह में नाश्ता खाने के समय के अलावा, कार्यक्रम के दौरान हमारे पास आराम लेने का कोई समय नहीं था। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद, हम सभी थके-मांदे थे। तब तक, हर कोई ठीक लग रहा था क्योंकि कोई भी थका हुआ नहीं दिख रहा था। लेकिन ऐसा इसलिए नहीं था क्योंकि वे थके हुए नहीं थे, लेकिन इसलिए था क्योंकि वे धीरज रख रहे थे। पहले, हम आसानी से अपने दुख-तकलीफों को व्यक्त करते थे। लेकिन, हम विश्वास में अधिक परिपक्व हो गए हैं और हमने परमेश्वर की महिमा के लिए धैर्य रखना सीखा है। हम उन भाइयों और बहनों से स्वर्गीय परिवार का न्यार महसूस कर सके जिन्होंने एक-दूसरे को पेय देते हुए प्रोत्साहित किया। स्वयंसेवा कार्य को समाप्त करते हुए हमने संकल्प किया कि चाहे कोई भी कठिनाइयां हमारे सामने क्यों न आएं, हम स्वर्गीय परिवार के साथ अंत तक विश्वास की दौड़ को पूरा करेंगे।