खोलना

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खुला संगीत कार्यक्रम, खुला व्याख्यान, खुली प्रतियोगिता, खुला अनुभव… इस पर जोर देने के लिए कि किसी को भी प्रतिबंध के बिना भाग लेने का मौका दिया गया है, बहुत से कार्यक्रम में ‘खुला’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। यदि वह खुला है, तो उसके करीब जाने में थोड़ा आसान हो जाता है, क्योंकि आपको बंद द्वार के सामने यह सोचते हुए कि प्रवेश करें या न करें, हिचकिचाने की जरूरत नहीं है, और द्वार खोलना भी नहीं पड़ेगा।

सुसमाचार प्रचार करने में भी द्वार खुला होना चाहिए। चाहे आप उस व्यक्ति के सामने जिसका मन कठोरता से बंद है कुछ भी कहें, वह सहमत नहीं होगा। यहां तक कि चाहे आप हर प्रकार के शानदार शब्द और सभी तरीकों का इस्तेमाल करें, फिर भी आप उसके मन के अंदर नहीं जा सकते।

वह कुंजी सिर्फ परमेश्वर के पास है। केवल परमेश्वर ही लोगों के मन को खोलने और सुनने दे सकते हैं।

लुदिया नामक थुआथीरा नगर की बैंजनी कपड़े बेचनेवाली एक भक्त स्त्री सुन रही थी। प्रभु ने उसका मन खोला कि वह पौलुस की बातों पर चित्त लगाए। प्रे 16:14

जो हमें सबसे पहले खोलने के लिए मांगना चाहिए, वह स्वर्ग का द्वार है। यदि परमेश्वर हमारे विचार और कामों से प्रसन्न होकर आशीष के द्वार को खोल देंगे, तब लोगों के मन का द्वार अपने आप खुल जाएगा। उसके बाद फल फलेगा जिसका आप उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं।