पिट्सबर्ग, पीए, अमेरिका से रामी मैक पर्फेट

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लिखना मेरे लिए हमेशा मेरी आस-पास की दुनिया को समझने का तरीका हुआ है, और मैंने कई सालों से बहुत सी डायरी लिखीं। मैंने शायद ही कभी अपनी पुरानी डायरी को वापस पढ़ा, क्योंकि वे उन संघर्षों की दर्दनाक याद दिलाती थीं जिनका हम इस धरती पर निरंतर सामना करते थे। चाहे मैंने कुछ साल पहले लिखी डायरी देखी थी, मुझे हमारे पीड़ित होने के कारण का कोई उत्तर नहीं मिला था। लेकिन लगभग एक वर्ष पहले, मैंने सत्य में रहने की आशीष प्राप्त की(मैं इसके लिए पिता और माता को सभी धन्यवाद और महिमा चढ़ाती हूं) और एक रात मैंने अपनी पुरानी डायरी पढ़ी।

एक पन्ने से दूसरे पन्ने तक, ऐसा लगता था कि प्रत्येक डायरी में एक समान असंतुष्टि है। 14 नवंबर की डायरी होने तक जिसका शीर्षक “माता परमेश्वर” था, दिन प्रतिदिन मेरे विचार उन्हीं कठिनाइयों के चारों ओर घूमते थे जिनसे मैं छुटकारा नहीं पा सका था। जब मैं आखिरकार 14 नवंबर की डायरी पर पहुंच गया तब मुझे उस दिन की याद आने लगी। यह वही दिन था, जब मेरे छोटे भाई ने मुझे फोन करके नारी स्वरूप की परमेश्वर के विषय में बताया था।

मुझे अभी तक यह कह रही उसकी आवाज याद है, “मैं तुम्हें माता परमेश्वर के विषय में बताता हूं,” और जो कुछ उसने मुझे बताया, मैंने स्वीकार किया और डायरी में उनके विषय में दिलचस्प ढंग से लिखा हुआ है। उस वर्ष 14 नवंबर की डायरी में स्वर्गीय माता के बारे में बाइबल के वचन सुंदर ढंग से लिखे हुए थे जिनके पास इस धरती पर सारी कठिनाइयों से विजय पाने का जवाब है। उस दिन वचन का बीज मेरे मन में बोया गया और मेरी डायरी की पन्नों से मेरे आत्मिक बदलाव की शुरुआत रिसने लगी। मेरा लहजा निराशा से बाइबल के सत्य को सीखने की उत्सुकता में बदल गया जिसका मैंने पहले कभी अध्ययन नहीं किया था। जैसे मैं स्पष्ट रूप से देख सकी कि आंसुओं के साथ लिखी गई मेरी डायरी के प्रत्येक पृष्ठ बदल जा रही थी, दिन प्रतिदिन पिता और माता धैर्यपूर्वक मेरे हृदय का सत्य की ओर मार्गदर्शन कर रहे थे।

मैंने सच्चे एहसास के पल को 11 दिसंबर की डायरी में देखा जिसमें “ज्योति को ग्रहण करना” शीर्षक के साथ लिखा गया था कि पिता और माता सच्चे एलोहीम परमेश्वर हैं जिन्होंने मेरा नेतृत्व उद्धार की ओर किया। उस दिन से दो सप्ताह बाद, मैंने सिय्योन में सत्य को ग्रहण किया और अपनी मां और भाई के समान जिन्होंने मुझसे पहले सत्य को ग्रहण किया था, स्वर्गीय परिवार का सदस्य बन गई।

इसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता कि मैं पिता और माता के अनुग्रह के लिए कितना आभारी हूं जिन्होंने मेरी आत्मा पर दया करके मेरी अगुवाई इस कष्टमय संसार से उनकी प्रेममय बांहों में की। डायरी पढ़ते हुए मुझे याद दिलाई गई कि यह कितनी बड़ी आशीष है कि मेरा नेतृत्व पवित्र सिय्योन पर्वत में किया गया जहां पिता और माता निवास करते हैं और भाई और बहनों ने मुझे सीखने और बड़ने में मदद की। साथ ही हमारे खोए हुए भाइयों और बहनों का उत्सुक मन भी याद आया जो इस संसार में व्याकुलता से सत्य खोज रहे हैं। जैसे कि मैं और हम सभी पहले पीड़ित रहते थे, वैसे संसार में पीड़ित स्वर्गीय परिवार के सदस्य हैं, मैं कभी भी उनसे मुंह नहीं फेरूंगी।

अब मैं अपनी डायरी को अर्थहीन विषयों से नहीं परन्तु स्वर्गीय माता को धन्यवाद देने वाले पत्रों से भरती हूं। किसी अन्य ईश्वर को पुकारने के बदले, मैं अब सच्चे परमेश्वर को पुकार सकती हूं, जो सारी प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं और सारे कष्टों पर विजय पाने में मेरा मार्गदर्शन करते हैं। स्वर्गीय पिता आन सांग होंग और नई यरूशलेम स्वर्गीय माता, मैं आपका धन्यवाद करती हूं। मैं आपसे प्रेम करती हूं!