
एक जीव–विज्ञानी ने शाखाओं या झाड़ियों में रहने वाली मकड़ियों का अवलोकन करके एक रोचक खोज की। जब एक माता मकड़ी अपने बच्चों से दूर होती है, और बच्चे मकड़ियों के साथ थोड़ी–सी भी खतरनाक घटना होती है, तब माता मकड़ी पल भर में अपने बच्चों को बचाने के लिए आ जाती है। जीव–विज्ञानी इस बात को जानने के लिए बहुत उत्सुक हुए कि कैसे माता मकड़ी को इस बात का पता चल जाता है कि बच्चे खतरे में होते हैं, और वह कैसे तुरन्त अपने बच्चों के पास आ पहुंचती है। इसलिए उन्होंने मकड़ियों को बहुत ध्यान से देखा।
परिणाम बहुत ही दिलचस्प था। माता मकड़ी और बच्चे मकड़ी एक बहुत ही पतली डोर से एक–दूसरे से बंधे होते थे। जब बच्चे दुश्मन के कारण खतरे में होते थे, तब वे अपने शरीर हिलाते थे और इस कारण से डोर खींची जाती थी। जब माता कंपन महसूस करती थी, वह सीधे बच्चों की ओर आती थी।
इस तरह से परमेश्वर और हम एक अदृश्य डोर से एक–दूसरे से बंधे होते हैं। यह प्रेम की डोर है जो किसी भी चीज से काटी नहीं जा सकती।
“कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?” रोम 8:35
जब तक कि हम इस डोर को बोझिल न समझें और इसे काटने की मूर्खता न करें, तब हमारी आत्मा के संकट में पड़ने पर हम परमेश्वर से सहायता पा सकेंगे। आइए हम अंत तक, यानी स्वर्ग में प्रवेश करने तक परमेश्वर से जुड़ी डोर को थामे रहें।