सकेत फाटक को खोजना जो जीवन को पहुंचाता है
मिडलटाउन, सीटी, अमेरिका से कार्ली दिन्नी
2008 के आसपास, मैं अक्सर दुनिया भर में विभिन्न विपत्तियों के सभी चिन्ह को देखने लगी। मैंने सुना था कि बाइबल में अंतिम दिनों के चिन्ह के रूप में ऐसी विपत्तियों की भविष्यवाणी की गई है। मैं अपने जीवन और उद्धार के बारे में सोचने लगी, और निष्कर्ष तक पहुंची कि क्योंकि मैं परमेश्वर को नहीं जानती, न ही परमेश्वर की इच्छा जानती हूं और परमेश्वर का पालन करने का जीवन नहीं जी रही, इसलिए मैं स्वर्ग नहीं जा सकूंगी।
उसके बाद, परमेश्वर और सत्य के लिए मेरी खोज शुरू हुई। मैं इंटरनेट पर विभिन्न प्रकार के वीडियो देखने लगी और पुस्तकालय में जाकर कई घंटों तक धार्मिक पुस्तकें पढ़ती थी। मैंने अपने विश्वविद्यालय कैंपस में कैथोलिक क्लब में भाग लिया और क्लब के नेता को कई सारे प्रश्न पूछे और पैम्फलेट भी पढ़ा जो विभिन्न चर्चों के सदस्य मेरे घर के दरवाजे पर रख देते थे। जो मैंने देखा‚ पढ़ा और सुना, उसमें से कुछ भी मेरी प्यास को न बुझा सका। क्योंकि सभी आधार लोगों की राय और अनुभव पर निर्भर थे। तो मुझे कैसे पता चलेगा कि वह सत्य है कि नहीं?
सत्य के लिए प्यासी होकर, मैं खुद परमेश्वर को खोजने के लिए बाइबल पढ़ने लगी। मुझे यह जानने की इच्छा हुई कि उत्पत्ति की पुस्तक में परमेश्वर जिन्होंने खुद को ‘हम’ कहा, किसको दर्शाता है। मैंने सोचा कि शायद मेरे बाइबल में मुद्रण की गलती होगी, और पढ़ना जारी रखा। जब मैं नए नियम की पुस्तक पढ़ रही थी, तब इस वचन ने मेरा ध्यान आकर्षित किया।
“सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और सरल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुत से हैं जो उस से प्रवेश करते हैं। क्योंकि सकेत है वह फाटक और कठिन है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है; और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं।” मत्ती 7:13–14
मैं इस वचनों को बार–बार पढ़ती रही। तब मुझे महसूस हुआ कि अब तक परमेश्वर के बारे में जो कुछ मैंने सुना और सीखा था, वह सब झूठ था। पादरियों ने कहा कि हर कोई स्वर्ग जा सकता है, यहां तक कि वह भी जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते। सब धार्मिक पुस्तकें और पैम्फलेट ऐसा कहते हैं कि केवल विश्वास करने से उद्धार पा सकता है, और मेरे दोस्त आत्मविश्वास से बड़ाई करते हैं, “यदि तुम एक अच्छी व्यक्ति हो, तो तुम स्वर्ग जाओगी।” केवल उनके दावे को सुनकर मुझे ऐसा लगता था कि सभी लोग स्वर्ग जा सकते हैं। लेकिन यह सभी निर्देश यीशु के वचनों से नहीं मिलते जिन्होंने कहा कि सिर्फ थोड़े ही है जो जीवन के मार्ग में प्रवेश करेगा। उस क्षण से, मैंने अपना मन बनाया कि मुझे थोड़े में से एक बनना है।
कुछ दिनों के बाद, मैंने अपने विश्वविद्यालय में कैंपस क्लब मेले में भाग लिया और वहां प्रोटेस्टैंट चर्च के बाइबल स्टडी क्लब चलाया गया था। मैंने उन्हें क्लब सभा के समयों के बारे में पूछा ताकि मैं बाइबल स्टडी में भाग ले सकूं। लेकिन, सभा के सभी समय मेरे कक्षा अनुसूची से नहीं मिलते थे।
उसके एक सप्ताह के बाद, मुझे पार्किंग स्थल में “एलोहीम बाइबल स्टडी क्लब” के लिए आमंत्रण पत्र मिला। पत्र पर सभा के समय की सूची थी, चूंकि वह समय मेरे कक्षा अनुसूची से मिलता था, इसलिए मैं उस सभाओं में भाग ले सकी। पहले मैं इस बात पर हैरान थी कि क्लब के सदस्य कितने दयालु हैं। मैंने सोचा, ‘क्या दुनिया में वास्तव में ऐसे लोगों का समूह है जो इतने अच्छे हैं?’
बाइबल का अध्ययन अद्भुत था। सभा समाप्त हुआ और सभी छात्र चले गए लेकिन मैं छात्र–केंद्र बन्द होने तक कुछ सभाकक्ष में रही, और मैंने उनसे प्रश्न पूछे और देर रात तक अध्ययन करना जारी रखा। बाइबल का अध्ययन समाप्त होने के बाद, सदस्यों ने मुझे सब्त के दिन चर्च आने के लिए आमंत्रित किया। जब मैं चर्च गई, तो फिर से उज्ज्वल और मुस्कुराते चेहरों से मेरा स्वागत किया गया, और मैं उन सदस्यों से मिलकर खुश थी जिनसे मैं कैंपस पर बाइबल स्टडी क्लब में मिली।
उस दिन मैंने दूसरी बार आने वाले यीशु की भविष्यवाणी का अध्ययन करने के बाद तुरंत सत्य को ग्रहण किया। मैंने इस बात के प्रति आभारी होकर आंसू बहाए कि मैंने इस युग में हमें उद्धार देने के लिए इस पृथ्वी पर आए परमेश्वर को खोजा। उसी रात, मैं अपनी मां के पास गई जो हमेशा परमेश्वर के लिए तरस रही थी और हर रविवार को चर्च जाती थी।
“मां, मसीह शरीर में इस पृथ्वी पर दूसरी बार आए हैं!”
मेरी मां ने मुझे आशय से देखा। क्योंकि वह जानती है कि मैं बहुत ही संदेहवादी और जिद्दी हूं और सबूत या प्रमाण के बीना कुछ भी स्वीकार नहीं करती। दो सप्ताहों के बाद, उसने सिय्योन में आकर सत्य का अध्ययन किया और साथ ही नए जीवन की आशीष पाई। एक वर्ष के बाद, मेरी मां और मैं एकसाथ कोरिया आईं और स्वर्गीय माता की बांहों में लिपट गईं।
जितना अधिक मैंने वचन को पढ़ा, उतना अधिक मेरा मन पवित्र आत्मा की आग से जल गया। मैं उन सबको प्रचार करना चाहती थी जिनसे मैं मिलती हूं। कक्षाओं के बीच के समय, मैं हमेशा विश्वविद्यालय के कैंपस में प्रचार करती थी।
एक दिन, जब मैं आधी रात को कंप्यूटर प्रयोगशाला से निकल रही थी, तब मैंने एक छात्रा को प्रयोगशाला में काम करते देखा। मैं यह सोचते हुए कि ‘बहुत देर हो चुकी है। वह शायद नहीं सुनेगी,’ बाहर जाने के लिए चलने लगी। लेकिन तब पिता और माता ने मुझे सोचने दिया, ‘यदि वह मेरी बहन हो, तो मैं क्या करूं?’ मैं पीछे मुड़कर उसके पास गई और सत्य का प्रचार किया। प्रयोगशाला बन्द हो रही थी और हमें जाना ही था, लेकिन वह सत्य के वचनों से सम्मोहित होकर मुझे एक और वचन दिखाने को कहती रही। आखिरकार उसने सिय्योन में नया जीवन शुरू किया।
एक दिन क्लब मेले में हम एलोहीम बाइबल स्टडी क्लब का परिचय दे रहे थे। एक नई छात्रा रास्ता खोकर घबराहट में हमारे बूथ पर आ गई। शिष्टता से रास्ता बताकर उसकी मदद करने के बाद, हमने उसे क्लब की सभाओं में आमंत्रित किया। बाद में वह हमारी सभा में आई और हमारा स्वर्गीय परिवार बन गई।
अब हमारी विश्वविद्यालय में कैंपस प्रचार और बाइबल स्टडी क्लब के द्वारा बहुत सी आत्माएं सिय्योन में उमड़ आ रही हैं। मैं विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट होने के बाद काम कर रही हूं, लेकिन मैं परमेश्वर के अनुग्रह में विभिन्न तरीकों से सुसमाचार के कार्य में भाग ले रही हूं और विश्वास के मार्ग पर चल रही हूं।
अब भी, जब कभी मैं मत्ती 7:13 पढ़ती हूं, अपनी आंखों में आंसू छलक आते हैं। यह वह वचन है जिसके द्वारा मैं उद्धारकर्ता स्वर्गीय माता–पिता से मिली और मैंने आशीषित विश्वास का जीवन शुरू किया।
मैं पिता और माता को धन्यवाद और स्तुति देती हूं जिन्होंने मेरी प्रार्थना सुनी और सकेत फाटक के मार्ग पर मेरी अगुवाई की। भले ही मैं स्वर्ग जाने के लिए अयोग्य थी, लेकिन परमेश्वर ने मेरे लिए अपने दया का हाथ बढ़ाया। मैं स्वर्ग जाने तक खोए हुए स्वर्गीय परिवार के सदस्यों को खोजकर पिता और माता को प्रसन्न करने के लिए प्रयास करूंगी।