जब आप उत्सुकता से प्रार्थना करते हैं
पुडुचेरी, भारत से राकेश कुमारकुंता रथिनम

पंद्रह साल की उम्र में बपतिस्मा लेने और सच्चाई प्रान्त करने के बाद मेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया है। चूंकि मेरा व्यवहार पहले जैसा नहीं था, तो मेरे आस-पास के हर व्यत्कि ने कहा, “तुम आजकल बहुत अलग हो।”
भले ही मेरे दोस्तों, परिवार, या रिश्तेदारों ने मुझसे पूछा, “तुम कहां जा रहे हो?” या “तुम्हारे साथ क्या हो रहा है?” लेकिन मैंने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया। इसका कारण यह था कि मुझे डर था यदि उन्हें पता चले कि मैं चर्च ऑफ गॉड में जाता हूं तो मेरी हंसी उड़ाई जाएगी। लेकिन बाइबल की भविश्यवाणियों का अध्ययन करने के बाद, जो एक मात्रा या एक बिन्दु को भी छोड़े बिना पूरी हुईं, मैं बस और अधिक बैठा नहीं रह सका। मैंने पहले अपने परिवार को इस बहुमूल्य सत्य का प्रचार करना शुरू कर दिया, जिसे मुझे केवल अपने तक ही नहीं रखना चाहिए।
मैंने पूर्वानुमान तो किया, लेकिन मेरे विचार की तुलना में मेरे परिवार को प्रचार करना अधिक कठिन था। चूंकि उनके पास हिंदू सहित अपने सिद्धांत थे जिनका वे ईमानदारी से पालन करते थे, तो किसी ने भी सत्य के वचनों पर ध्यान नहीं दिया। विशेष रूप से उन्होंने माता परमेश्वर को स्वीकार नहीं किया था। वे कभी-कभी अपनी घृणा व्यत्क करते थे। उनमें से, जो मुझ से सबसे ज्यादा नफरत करता था, वह मेरा चचेरा भाई था। जब भी मैं अपनी चाची से मिलने जाता था, तब वह जो लगन से प्रोटेस्टेंट चर्च जाया करता था, गुस्से में आ जाता था।
मेरे दुखी दिल को दबाते हुए, मैंने स्वर्गीय पिता के बारे में सोचा। पिता अकेले सुसमाचार के कांटों भरे मार्ग पर चले। भले ही यह कठिन था, लेकिन मैं उनके मार्ग पर चलना चाहता था। मैं कभी हार नहीं मानना चाहता था। जब मैं अपनी चाची के घर से निकलकर घर वापस आ रहा था, तब मैंने आंसुओं के साथ प्रार्थना की।
‘पिता और माता, कृपया मुझे कभी हार न मानने दीजिए। यदि मैं हार मानूं, तो मेरा चचेरा भाई बचाया नहीं जा सकता। कृपया उसका मन खोल दीजिए और उस पर दया कीजिए। कृपया…’
मेरे परिवार के लिए अनगिनत बार प्रार्थना करते हुए और बार-बार सुसमाचार प्रचार करते हुए कई साल बीत गए। यह वचन, “हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है”(सभ 3:1), निश्चित रूप से सच थे। जब वह समय आया जिसकी परमेश्वर ने योजना बनाई थी, तो मेरी आंखों के सामने एक अद्भुत बात हुई। मेरे चचेरे भाई सहित मेरे सभी परिवार के सदस्यों का एक के बाद एक परमेश्वर की बांहों में नेतृत्व किया गया। उनकी संक्या लगभग 100 से अधिक थी।
अब मेरा सारा परिवार सिय्योन में निवास करता है, और मैंने परमेश्वर की इच्छा थोड़ी सी जान ली जो मैं इससे पहले नाप नहीं सका था। यदि हम हृदय की गहराई से उत्सुकता से प्रार्थना करते हैं, तो परमेश्वर हमारे मन को देखकर उन आत्माओं को जिनके लिए हमने प्रार्थना की थी, उद्धार का अनुग्रह प्रदान करते हैं। चाहे हम किसी भी परिस्थिति का सामना करें, परमेश्वर के सामने कोई समस्या नहीं होगी। यह इसलिए है क्योंकि परमेश्वर का मन जो हर एक आत्मा पर दया करता है, महान है जिनकी मैं नकल करने की हिम्मत नहीं कर सकता।
सिय्योन में भाइयो और बहनो, कृपया विश्वास करें कि चाहे सुननेवालों के पास किसी तरह का व्यवहार या व्यत्कित्व क्यों न हो, उनके हृदय बदल जाएंगे, क्योंकि एलोहीम परमेश्वर हमारे साथ हैं। आपका विश्वास आपके प्रेमी लोगों को सिय्योन की ओर अगुवाई करेगा।