घमंड न करो

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लोग जिन्हें पर्वतों की चोटियों पर चढ़ने का शौक रहता है, हिमालय पर चढ़ने का सपना देखते हैं। मगर हिमालय की चढ़ाई करना बिल्कुल आसान नहीं है। चूंकि हिमालय में ऊंची पर्वत चोटियां मौजूद हैं, इसलिए वहां हर जगह एकदम खड़ी चढ़ाई वाले और खतरनाक मार्ग हैं, जो पर्वतारोहियों के तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करते हैं, और वहां अक्सर दुर्घटना होती रहती है।

अक्सर होने वाली घातक–दुर्घटनाओं में से 10 प्रतिशत हादसे पर्वत से गिरने से होते हैं। यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि उनमें से ज्यादातर पर्वत की चोटी पर पहुंचने के तुरन्त बाद होते हैं। इसी कारण से लोग कहते हैं, “हिमालय घमंड को नहीं स्वीकारता!”

जब लोग बेहद कठिन यात्रा के बाद चोटी पर पहुंचते हैं, तब उन्हें आराम मिलता है और इससे तनाव से राहत मिलती है। उन्हें शायद अपने ऊपर घमंड हो सकते हैं। मगर पर्वत की चोटी पर घमंड होना एक भयानक दुर्घटना पैदा कर सकता है। चाहे वे पर्वत की चोटी पर खड़े हों, उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि उन्हें उसके बाद क्या और कैसे करना चाहिए।

“इसलिये जो समझता है, “मैं स्थिर हूं, ” वह चौकस रहे कि कहीं गिर न पड़े।” 1कुर 10:12

अब तक भले ही हम विश्वास के मार्ग पर अच्छी तरह से दौड़े हैं, मगर हमारी दौड़ समाप्त नहीं हुई है। जब तक हमारा संपूर्ण उद्धार नहीं होता, तब तक हमें जागते रहना चाहिए। चाहे हम कहां हों या क्या करते हों, हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात जो मायने रखती है, वह यही है कि हमें अब क्या करना है।