जाकर पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर

मत्ती का 5वां अध्याय

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जब यीशु पहाड़ पर चले गए और वहां बैठ गए, तब उनके चेले उनके पास आ गए। यीशु ने उन्हें विस्तार से धन्य लोगों, नियम और उन सद्गुणों के बारे में सिखाया जो परमेश्वर के लोगों को अपनाना चाहिए।

“यदि तू वेदी पर अपनी भेंट चढ़ा रहा है और वहां तुझे याद आए कि तेरे भाई के मन में तेरे लिए कोई विरोध है, तो तू उपासना की भेंट को वहीं छोड़ दे और पहले जाकर अपने भाई से मेल मिलाप कर। और फिर आकर अपनी भेंट चढ़ा।”

“अपने शत्रुओं से भी प्यार करो और अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करो, जिससे तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे।”

“यदि तुम अपने प्रेम रखनेवालों ही से प्रेम रखो, तो तुम्हारे लिए क्या फल होगा? यदि तुम केवल अपने भाइयों ही को नमस्कार करो, तो कौन सा बड़ा काम करते हो? क्या महसूल लेनेवाले और अन्यजाति भी ऐसा नहीं करते? इसलिए तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्वर्गीय पिता सिद्ध है।”

जैसा कि बाइबल कहती है, “प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है(रोम 13:8-10),” बाइबल का मुख्य तत्त्व प्रेम है। भले ही हम परमेश्वर की सभी आज्ञाओं और नियमों का पूर्णता से एक को भी छोड़े बिना पालन करें, फिर भी यदि हम प्रेम न रखें, तो उससे कोई लाभ नहीं होगा। प्रेम जो यीशु ने हमें सिखाया, उसकी सीमा भाई-बहनों से पड़ोसियों और दुश्मनों तक चौड़ी है। अब परमेश्वर का प्रेम शीघ्रता से 7 अरब लोगों तक फैल रहा है। तो अपने चारों ओर देखिए और चेक कीजिए कि आपके पास कोई ऐसा भाई और बहन है जिससे आप पूरी तरह प्रेम नहीं रखते। यीशु ने कहा कि जिसके मन में किसी भाई या बहन के लिए कुछ विरोध है, उसे अपनी भेंट को भी वेदी के सामने छोड़कर पहले जाकर उससे मेल मिलाप करना है।

हमारे विचार और समझने का तरीका अलग होता है। इसलिए यदि हमारे अन्दर पापमय आदतें जैसे कि नफरत, ईर्ष्या, डाह आदि रहते हैं और इससे हम किसी भाई या बहन से नफरत करते हैं या उससे दूर रहते हैं, तो आइए हम अब उससे माफी मांगें, मेल मिलाप करें और उसे माफ करें ताकि संपूर्ण प्रेम पूरा हो सके। यही वह काम है, जिसे मसीह बड़ी उत्सुकता से चाहते हैं जिन्होंने हमसे प्रेम करने के कारण क्रूस का दुख भी सहन किया।