पापों की क्षमा और उद्धार के बीच में क्या अंतर है?

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पापों की क्षमा और उद्धार का अर्थ एक ही है। हम अपने मूल को महसूस करने के बाद इसे आसानी से समझ सकते हैं।

उद्धार जिसकी हमें जरूरत है, वह पापों की क्षमा है

“उद्धार” शब्द का अर्थ है, किसी को कठिनाई या खतरे से बचाना। बीमारी से पीड़ित किसी व्यक्ति को चंगा होने में मदद करना या फिर उस व्यक्ति को बचाना जिसकी जान को खतरा है, एक प्रकार का उद्धार है। लेकिन उद्धार जो परमेश्वर हमें प्रदान करते हैं, वह शरीर का नहीं, बल्कि आत्मा का उद्धार है, और हमारी आत्माओं का उद्धार ही हमारे विश्वास का प्रतिफल है।

उससे तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनन्दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है; और अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात् आत्माओं का उद्धार प्राप्त करते हो। 1पत 1:8–9

हमें अपनी आत्माओं का उद्धार पाना चाहिए, इस तथ्य का अर्थ यह है कि हमारी आत्माएं कठिन और खतरनाक स्थिति में हैं। खतरा जिसका हमारी आत्माएं सामना कर रही हैं, वह अनन्त मृत्यु है जो हमारे पापों का परिणाम है।

तो फिर क्या हुआ? क्या हम उनसे अच्छे हैं? कभी नहीं; क्योंकि हम यहूदियों और यूनानियों दोनों पर यह दोष लगा चुके हैं कि वे सब के सब पाप के वश में हैं। जैसा लिखा है: “कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं।” रो 3:9–10

क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन है। रो 6:23

हम मनुष्य जाति के लिए पापों के कारण सदा तक मरना नियुक्त किया गया है। इसलिए हमारे लिए जो सबसे अधिक आवश्यक है, वह पापों की क्षमा है। पापों की क्षमा पाए बिना, हम अनन्त मृत्यु के दण्ड से नहीं बच सकते।

स्वर्गदूत जिन्हें पापों के कारण स्वर्ग से निकाल दिया गया

बाइबल के अनुसार आदम के पाप को सभी लोगों के मरने का प्राथमिक कारण ठहराया गया है।

इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया। रो 5:12

यदि हम सिर्फ यह वचन पढ़ें, तो हम गलती से सोच सकेंगे कि आदम के पाप करने के कारण हम सभी को मरना है, यह अन्यायपूर्ण है। लेकिन आदम का पाप हमारे स्वर्ग में किए गए पाप का नमूना है।

हे मनुष्य के सन्तान, सोर के राजा के विषय में विलाप का गीत बनाकर उससे कह; परमेश्वर यहोवा यों कहता है : तू तो उत्तम से भी उत्तम है; तू बुद्धि से भरपूर और सर्वांग सुन्दर है। तू परमेश्वर की अदन नामक बारी में था; तेरे पास आभूषण, माणिक, पद्यराग, हीरा, फीरोज़ा, सुलैमानी मणि, यशब, नीलमणि, मरकद, और लाल सब भांति के मणि और सोने के पहिरावे थे… जिस दिन से तू सिरजा गया, और जिस दिन तक तुझ में कुटिलता न पाई गई, उस समय तक तू अपनी सारी चालचलन में निर्दोष रहा। परन्तु लेन–देन की बहुतायत के कारण तू उपद्रव से भरकर पापी हो गया; इसी से मैं ने तुझे अपवित्र जानकर परमेश्वर के पर्वत पर से उतारा, और हे छानेवाले करूब मैं ने तुझे आग सरीखे चमकनेवाले मणियों के बीच से नष्ट किया है। सुन्दरता के कारण तेरा मन फूल उठा था; और वैभव के कारण तेरी बुद्धि बिगड़ गई थी। मैंने तुझे भूमि पर पटक दिया; और राजाओं के सामने तुझे रखा कि वे तुझ को देखें। यहेज 28:12–17

ऊपर के वचन दिखाते हैं कि सोर का राजा पृथ्वी पर गिराए जाने से पहले परमेश्वर की अदन वाटिका में एक करूब था। इसके अलावा, दूसरे बहुत से वचन दिखाते हैं कि हम स्वर्ग में स्वर्गदूत थे, लेकिन गंभीर पाप करने के कारण स्वर्ग से निकाल दिए गए(यश 14:12–15, प्रक 12:7–9)। आदम और हव्वा ने भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल न खाने की परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन किया, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें अदन वाटिका से बाहर निकाला गया। यह घटना दिखाती है कि जब हम स्वर्ग में स्वर्गदूत थे, हमने आदम और हव्वा के समान पाप किया और हम स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरा दिए गए। दूसरे शब्दों में आदम का पाप हमारे स्वर्ग में किए गए पाप को दर्शाता है, और आदम के पाप करने के कारण हम सभी को मरना है, इस वचन का मतलब है कि हमने उसी तरह पाप किया जिस प्रकार आदम ने किया, और इसके परिणाम में हमें अनन्त मृत्यु का दण्ड प्राप्त हुआ है।

मसीह के द्वारा प्रदान की गई पापों की क्षमा

हम गंभीर पापी हैं जिन्हें स्वर्ग में परमेश्वर के विरुद्ध राजद्रोह करने के आरोप में मृत्यु की सजा सुनाई गई।

लेकिन यदि कोई व्यक्ति एक पापी के जीवन के बदले अपना जीवन बलिदान करे, तो भले ही वह पापी पहले मरने के लिए नियुक्त किया गया हो, फिर भी वह अपने पापों की क्षमा प्राप्त कर सकता है(1रा 20:42, इब्र 9:22)।

मसीह “अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करनेवाले” के रूप में इस पृथ्वी पर आए और हमें उद्धार देने के लिए हमारी छुड़ौती के लिए पापबलि के रूप में अपना बलिदान किया(मत 1:21, मत 20:28)। उन्होंने क्रूस पर अपना बहुमूल्य लहू बहाकर हमारे पापों की भारी कीमत चुकाई, ताकि हम अपने पापों से छुटकारा पाकर उद्धार, यानी पापों की क्षमा पा सकें, जिसकी हम उत्सुकता से बड़ी अभिलाषा करते हैं(यश 53:5–6, प्रक 1:5)।

यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिनमें सब से बड़ा मैं हूं। 1तीम 1:15

हम को उसमें उसके लहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात् अपराधों की क्षमा, उसके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है। इफ 1:7

पापों की क्षमा कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम मसीह के लहू के द्वारा तभी पा सकते हैं जब हम दूसरे लोगों की तरह सिर्फ यह विश्वास करें कि मसीह के क्रूस पर बलिदान होने से हमें पापों की क्षमा मिली है। पूरी तरह से पापों की क्षमा की आशीष पाने के लिए, हमें मसीह के लहू में सहभागी होना चाहिए, और उनके लहू में सहभागी होने का तरीका नई वाचा का फसह मनाना है(1कुर 10:16)।

जब यीशु ने फसह का पर्व मनाया, तब उन्होंने अपने चेलों को दाखमधु देकर कहा, “यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है(मत 26:17, 26–28)।” यदि हम यीशु के इन वचनों पर विश्वास करें और फसह का पर्व मनाएं जो उन्होंने नई वाचा के रूप में स्थापित किया, तो हम सच में पापों की क्षमा और अपनी आत्माओं का उद्धार प्राप्त कर सकते हैं।

परमेश्वर इस पृथ्वी पर इसलिए आए कि स्वर्ग के पापी पापों की क्षमा पाकर अनन्त मृत्यु के दण्ड से बच सकें और अपने स्वर्गीय घर में अनन्त आनन्द भोग सकें। एलोहीम परमेश्वर जिन्होंने हमारे लिए स्वर्ग की महिमा को पीछे छोड़कर सभी प्रकार के कष्टों और अपमानों को सहन किया और अपना जीवन तक त्याग दिया, उनके महान बलिदान और प्रेम को स्मरण रखते हुए हमें दुनिया भर में नई वाचा के फसह के पर्व का प्रचार करना चाहिए।