परमेश्वर के अनुग्रह का बदला चुकाने का समय जिन्होंने लंबे समय तक मेरा इंतजार किया

सियॉन्गनाम, कोरिया से स जुन यंग

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बंजर जंगल में जहां एक पौधे का बढ़ना भी मुश्किल था, मन्ना जो परमेश्वर ने इस्राएलियों को भेजा, एक चमत्कार का भोजन था। लेकिन चूंकि उन्होंने चालीस वर्षों तक हर समय मन्ना खाया, वे मन्ना को निकम्मी रोटी के रूप में मानने लगे।

जब मैं पांच महीने का था, तब मेरे माता-पिता ने सत्य को ग्रहण किया और कुछ साल बाद उन्होंने नबी के मार्ग पर चलने का फैसला किया। उसके कारण मैं सिय्योन में बहुत से भाइयों और बहनों के प्रेम और देखभाल में बड़ा हुआ। सिय्योन में मेरा जीवन खुशी से भरा था, लेकिन मेरे स्कूल के दिनों के दौरान मेरा जीवन थोड़ा-थोड़ा बदलने लगा। जब हर सप्ताहांत में मेरे सभी दोस्त मिलकर मजे से खेलते थे, मुझे सिय्योन में जाकर आराधना करनी पड़ती थी। इसके लिए मैं असंतोषी होने लगा। मैं जानता था कि हमें परमेश्वर के वचन का पालन करना चाहिए, मगर ज्ञान के रूप में जानने और दिल से स्वीकार करने में बहुत फर्क था।

जंगली घासों की तरह असंतोष और शिकायतों की जीवन-शक्ति मजबूत थी। एक बार मुझ में अंकुरित होने के बाद वे कभी गायब नहीं हो जाते थे। किशोरावस्था से गुजरते हुए मेरा मन और अधिक टेढ़ा होने लगा। मैं सिय्योन के भाइयों और बहनों की देखभाल और अपने माता-पिता के प्रेम को हस्तक्षेप की तरह मानता था, और मुझे आराधना जिसे मैं स्वाभाविक रूप से मनाता था, वह एक बेड़ी जैसी लगती थी। और ऐसा सोचकर कि यह दिक्कत अपने माता-पिता के कारण है, मैंने उन्हें दोषी ठहराया था।

मैं यह न जानकर कि मुझे क्या करना है, भटक रहा था, और हाई स्कूल से स्नातक होने का समय आ गया। अपने कैरियर के चुनाव को लेकर मैं बहुत चिंतित और तनावग्रस्त बना रहा। तब मैंने सुना कि हाई स्कूल की 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए एक शिक्षा सभा आयोजित की जाएगी। भले ही यह मेरे लिए जरूरी सभा थी, लेकिन वास्तव में मैंने इसमें शामिल होना नहीं चाहा। मैंने सोचा कि मैं बाइबल के वचन के बारे में काफी जानता हूं, और मुझे यह असुविधाजनक लगा कि चार रातों व पांच दिनों तक मैं अनजान सदस्यों के साथ रहूं जिन्हें मैं नहीं जानता।

लेकिन किसी तरह मैंने शिक्षा सभा में भाग लिया। जैसा कि मैंने उम्मीद की थी, कार्यक्रम बाइबल शिक्षण से शुरू हुआ। अपेक्षा के विपरीत मैं बाइबल के वचनों को और अधिक स्पष्ट रूप से समझने लगा। मैं नए सिरे से समझ सका कि सब्त का दिन कितना आशीषित है, फसह का पर्व स्वर्गीय पापी, यानी हमारे लिए कितना बहुमूल्य है। वचन जिनके बारे में मैंने सोचा था कि मैं पहले से ही जानता था, इतने नए लगे कि मैं सोचने लगा कि, ‘क्यों मैं ये नहीं जानता था?’ स्वर्गीय पिता और माता जिन्होंने हमारे उद्धार के लिए हर प्रकार के दुखों को सहन किया, उनका बलिदान मेरे हृदय तक पहुंचा। मैंने अधिक गहराई से महसूस किया कि परमेश्वर का वचन, प्रेम और आशीष जिनके बारे में मैंने सोचा था कि उनका मुझसे कुछ लेना-देना नहीं है, वास्तव में वह सब मेरे लिए था।

परमेश्वर ने मेरे लिए इतनी सारी चीजें तैयार की थीं, लेकिन मैंने उनकी परवाह नहीं की। मैं बहुत खेदित था। मैंने पीछे मुड़कर देखा, तो मुझे एहसास हुआ कि मैंने कभी ध्यानपूर्वक बाइबल का अध्ययन नहीं किया था। जब कोई मुझे बाइबल सिखाने की कोशिश करता था, तो मैं कोई ध्यान नहीं देता था या सुनने से इनकार करता था, क्योंकि मैंने सोचा था कि मुझे वह फिर से सीखने की जरूरत नहीं है जो मैंने बचपन से ही सुना और जाना।

मुझे परमेश्वर के प्रति बहुत आभारी महसूस हुआ कि इतने लंबे समय तक उन्होंने इस अपरिपक्व बच्चे का इंतजार किया, और मैंने सोचा कि अब मेरी बारी है कि मैं परमेश्वर के अनुग्रह का बदला चुकाऊं। मैंने परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए उद्धार की ओर एक आत्मा की अगुवाई करने का मन बना लिया। यह पहली बार था कि सिय्योन में मैंने खुद के लिए नहीं लेकिन परमेश्वर के लिए कुछ करना चाहा।

मैं उत्साह से भरे हुए कुछ युवा सदस्यों के साथ बाइबल लेकर बाहर गया। लेकिन जब मैंने प्रचार करने की कोशिश की, तो मुझे यह सोचते हुए चिंता और डर होने लगा कि, ‘क्या मैं सच में यह कर सकता हूं? मुझे कौन सा वचन प्रचार करना चाहिए?’ मेरे हाथ और पांव कांपने लगे और मेरा दिमाग सून्य हो गया। चूंकि मैंने हमेशा उन सदस्यों को देखा था जो मेहनत से सुसमाचार का कार्य करते थे, मैंने सोचा कि मैं भी वह कर सकता हूं। लेकिन मुझे बहुत मुश्किल लगा क्योंकि मैंने पहले कभी वह नहीं किया था।

बहुत ही कम लोग थे जिन्होंने हमारा प्रचार सुना, और बहुत से लोग थे जिन्होंने सत्य की निंदा की। इस पर मुझे हमारे भाई और बहनें महान दिखे। कठिनाई और अत्याचार में भी अपनी चिंताओं और जीवन की चिंताओं को जाहिर किए बिना, वे परमेश्वर के वचनों का पालन करके स्वेच्छा से और खुशी से प्रचार कर रहे थे।

जब मैंने उन बढ़िया सदस्यों के साथ मेहनत से प्रचार करते हुए फल उत्पन्न किया, मैं ऐसा खुश था जैसे कि मैंने पूरी दुनिया प्राप्त कर ली हो। भले ही ऐसा समय भी होता था जब मुझे कोई फल नहीं मिला, लेकिन वह समय बिल्कुल व्यर्थ नहीं था, क्योंकि लंबे इंतजार के बाद मैंने बहुमूल्य एहसास प्राप्त किया।

करीब एक साल तक मुझे फल नहीं मिला था, उस समय मैं बहुत बेचैन था। मैं चिंतित था कि मैं कहीं कुछ गलत तो नहीं कर रहा हूं, और बहुत बेचैन था। उस दौरान पर्व आया। मैंने अपना मन बनाया कि ऐसी स्थिति में और अधिक कड़ी मेहनत करूंगा, और मैं भाइयों और बहनों के साथ प्रोत्साहक शब्द कहकर प्रचार के लिए बाहर गया। उस दिन भी मुझे कोई फल नहीं मिला, और घर लौटने का समय आ गया। हमने एक दूसरे को प्रोत्साहित करके एक और व्यक्ति को प्रचार करना तय किया। तब हम सड़क पर चल रहे दो कॉलेज के छात्रों से मिले। उनमें से एक ने वचन को ध्यान से सुनकर कहा,

“अगर यह बाइबल में है, तो मुझे विश्वास करना होगा।”

उसके मित्र ने जो उसके साथ सुन रहा था, सहमति में सिर हिलाया, और उन दोनों ने सत्य को ग्रहण किया। उस क्षण मैं अपने दिल की गहराई से यह महसूस कर सका कि यदि हम हार न मानें और धैर्य रखें, तो आखिरकार परमेश्वर हमारी इच्छा पूरी करेंगे।

बेशक हमें बिना कुछ किए सिर्फ इंतजार नहीं करना चाहिए। सुसमाचार के मिशन को पूरा करने के लिए हमें सिर्फ धैर्य नहीं, पर प्रेम, जोश, साहस, संयम और बुद्धि की जरूरत है। प्रचार करने के द्वारा मुझे इस तथ्य का एहसास हुआ, और मैं थोड़ा-थोड़ा करके उन सद्गुणों को प्राप्त करने सका। हर दिन प्रचार करते हुए और विभिन्न प्रकार की गलतियों-चूकों का सामना करते हुए, मैं सीख सका कि मुझमें क्या कमी है, मुझे किस चीज को खुद से बाहर निकालना है और मुझे किस बात में बदलाव करना है।

जब मुझे सैन्य सेवा से छूट मिली और मैंने एक कंपनी में काम किया, वह मेरे लिए बहुमूल्य एहसास प्राप्त करने का समय था। एक प्रणाली है जिसमें पुरुषों को सेना में भर्ती होने के बजाय कुछ निश्चित अवधि के लिए विशेष कंपनी में काम करना है। भले ही पहले मैंने सेना में शामिल होने के लिए आवेदन किया था, लेकिन मैं कई बार अस्वीकार किया गया था। उसके बाद मैंने एक ऐसी कंपनी में काम करना शुरू किया, जहां उन्हें काम करने का ऑफर मिलता है जिन्हें सैन्य सेवा से छूट मिली है। मैंने लक्ष्य बनाया कि मैं कार्यस्थल में परमेश्वर की महिमा चमकाऊंगा और अपने सहकर्मियों को भी सत्य का प्रचार करूंगा।

लेकिन कार्यस्थल में परमेश्वर की शिक्षाओं का अभ्यास करना आसान नहीं था। चूंकि मुझे समय-सीमा के अंदर आवश्यक मात्रा में उत्पादों का उत्पादन करना पड़ा, मैं पूरे दिन भर बहुत ही व्यस्त रहता था। सहकर्मियों के साथ अच्छे रिश्ते बनाना भी बहुत कठिन था, क्योंकि हम सब अलग-अलग परिवेशों में बड़े हुए थे और सब के सोचने का तरीका भी अलग होता था।

काम में व्यस्त होने और लोगों के दबाव के कारण मेरा मन और शरीर थक जाता था। जब भी मैं परेशान और निराश होता था, तब मैं सोचता था कि यदि मैं सेना में शामिल हो जाता तो वह बेहतर होता, और मैं ऐसा सोचते हुए खुद को उचित ठहराता था कि यहां मेरे लिए ऐसा कोई मिशन नहीं है जो मुझे पूरा करना है। चूंकि मैं ऐसा नकारात्मक रूप से सोचता रहता था, इसलिए जब मुझे सुसमाचार का प्रचार करने का मौका मिलता था, सभी प्रकार के विचार मुझे नीचे घसीटते थे, ‘प्रचार करने पर यदि उनके साथ मेरा रिश्ता बुरा हो जाए, तो मैं क्या करूं, उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं है, तो क्या वे सुनेंगे?’

समय एक तीर की तरह उड़ गया, और मेरा वहां से नौकरी छोड़ने का समय निकट आ रहा था। जब भी मैं थका हुआ था, मुझे ऐसा लगा था कि समय थम गया, लेकिन बिल्कुल भी ऐसा नहीं था। मैं और अधिक संकोच नहीं कर सकता था। मैंने परमेश्वर से विनती की कि मुझे साहस और विश्वास दें। और मुझे छुट्टी के दिन अपनी सहकर्मी से मिलने का मौका मिला। चूंकि वह सहकर्मी कार्यस्थल में भी एक जिद्दी इंसान के रूप में जाना जाता था, इसलिए मैं चिंतित था और सोच रहा था कि क्या वह वचन सुनेगा, और वह बाइबल या परमेश्वर में दिलचस्पी रखेगा या नहीं। लेकिन उन सभी चिंताओं को दूर रखकर, मैंने उससे कहा कि मैं उसे अपने चर्च में आमंत्रित करना चाहता हूं।

वह स्वेच्छा से सिय्योन में आया, और उसने आत्मा के बारे में या परमेश्वर के अस्तित्व के बारे में बहुत सारे सवाल पूछे। यह मेरी कल्पना के बाहर था। उसको बाइबल के द्वारा एक-एक करके अपने सवालों का जवाब मिल गया, और उस दिन उसने परमेश्वर की सन्तान बनने की आशीष प्राप्त की। मैं यह सोचकर कृतज्ञता और आत्मविश्वास से अभिभूत था, ‘परमेश्वर ने इस आत्मा को बचाने के लिए मुझे उस जगह पर भेजा था।’

हाल ही में मैंने अपनी सेवा के समय को खत्म किया और एक नए प्रारंभ-स्थल में खड़ा हूं। मैं सोच रहा हूं कि मैं अपने युवाकाल को कैसे बिताऊं जिससे मुझे बाद में पछताना न पड़े। चाहे मैं कुछ भी करूं और किस प्रकार का जीवन जीऊं, मैं परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास का केन्द्र खोए बिना, उस सुसमाचार के मिशन को जो परमेश्वर ने मुझे सौंपा है, पूरा करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करूंगा, क्योंकि मैंने एहसास किया है कि आशीष और खुशी मेरा पीछा करती है जब भी मैं परमेश्वर की इच्छा पूरी करता हूं।

मुझे आश्चर्य है कि मैं खुद सोच रहा हूं कि मैं सुसमाचार के लिए क्या कर सकता हूं। कुछ साल पहले तक, मैं केवल एक चीज को ही सोच रहा था कि मैं परमेश्वर की बाड़ से कैसे बाहर निकलूं। और मैं सिय्योन में लंबे समय से रहा था, इसलिए मैं सोचता था कि मैं परमेश्वर के प्रेम और उद्धार के सत्य के बारे में अच्छी तरह से जानता हूं। लेकिन यह एक गलतफहमी थी। मैं इस्राएलियों की तरह था जिन्होंने मन्ना को निकम्मी रोटी माना था और परमेश्वर के विरुद्ध शिकायत की थी। यद्यपि मैं परमेश्वर की आशीष में था, फिर भी मैं परमेश्वर के अनुग्रह को अनुग्रह के रूप में नहीं मानता था और मैं केवल परमेश्वर को दूर करने की कोशिश करता था। मैं अपने अतीत के लिए शर्मिंदा हूं और परमेश्वर से क्षमा मांगना चाहता हूं।

अब मैं जान गया हूं कि क्यों स्वर्गीय पिता ने हमें निरंतर प्रार्थना, मेहनत से बाइबल का अध्ययन और प्रचार करने के लिए कहा था। जब तक हम खुद अनुभव नहीं करते, तब तक हम परमेश्वर के सत्य और प्रेम को नहीं समझ सकते। इसलिए परमेश्वर की संतान के लिए प्रार्थना, वचन का अध्ययन और प्रचार करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह मेरे आने वाले विश्वास के जीवन में भी नहीं बदलेगा। चाहे वह मार्ग कठिन हो या फिर हर्षित हो, जरूर उसके द्वारा सीखने और महसूस करने के लिए कुछ चीजें होंगी। मैं वचन का अध्ययन करना और प्रचार करना कभी बंद नहीं करूंगा ताकि मैं परमेश्वर की इच्छा को न भूलूं जो मुझे एहसास कराना चाहते हैं।

जब मैं सोचता हूं कि परमेश्वर ने मेरे लिए कितनी देर तक इंतजार किया है, तो मुझे लगता है कि मुझे दोगुना नहीं, तीन गुना अधिक मेहनत से काम करना है। मेरे पास संकोच करने का कोई समय नहीं है। अब मैं दृढ़ विश्वास के साथ सुसमाचार का काम पूरा करूंगा और भविष्यवाणी पर पूर्ण विराम लगाने वाला भोर की ओस जैसा युवा बनूंगा।